चाहत कुछ करने की गुलशन नेगी
1992 में दक्षिणी कोरिया की राजधानी सियोल में भारतीय महिला सीनियर बास्केटबाल टीम में भारतवर्ष का नेतृत्व गुलशन ने किया है। इसके अलावा गुलशन नेगी करीब एक दशक से भी अधिक समय तक हिमाचल प्रदेश महिला बास्केटबाल टीम की कैप्टन रहीं। छठीं कक्षा से ही बास्केटबाल में रुचि को देखते हुए गुलशन ने स्कूली दिनों से ही अपनी बेहतर परफार्मेंेंस दी तथा आठवीं कक्षा से लगातार जिला सिरमौर तथा उसके बाद हिमाचल प्रदेश बास्केटबाल टीम की कप्तान एक दशक से अधिक समय तक रही…
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला बास्केटबाल मंे भारतवर्ष का नेतृत्व कर चुकी बास्केटबाल खिलाड़ी गुलशन चौहान नेगी को इस बात का दुःख है कि केवल 23 वर्ष की उम्र में उन्हें अपने पसंदीदा खेल से दूर होना पड़ा। हिमाचल प्रदेश पुलिस की व्यस्त नौकरी तथा उसके बाद पारिवारिक जिम्मेदारियां गुलशन को बास्केटबाल की गेम से दूर करती गईं। गुलशन चौहान का कहना है कि वह बास्केटबाल को लंबे समय तक खेलना चाहती थीं, परंतु पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उन्हंे हिमाचल प्रदेश पुलिस की नौकरी ज्वाइन करनी पड़ी। 1992 में दक्षिणी कोरिया की राजधानी सियोल में भारतीय महिला सीनियर बास्केटबाल टीम का नेतृत्व गुलशन ने किया था। इसके अलावा गुलशन नेगी करीब एक दशक से भी अधिक समय तक हिमाचल प्रदेश महिला बास्केटबाल टीम की कैप्टन रहीं। नाहन स्थित मंदिर प्राथमिक पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा के दौरान गुलशन अपनी बड़ी बहनों को देखते हुए चौगान मैदान में खेलने जाती थीं। उनकी बहनें वालीबाल की राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं। गुलशन ने बताया कि बास्केटबाल खेल मैदान में अन्य खिलाडि़यों को देखते हुए उनका रुझान बास्केटबाल की ओर बढ़ा तथा उसके बाद उन्हांेने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दर्जनों राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं मंे हिमाचल की कप्तानी कर चुकीं गुलशन चौहान का कहना है कि हिमाचल मंे खिलाडि़यों के लिए नौकरी के अवसर रेलवे व पंजाब की तुलना मंे काफी कम हैं। गुलशन नेगी ने कई इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिताओं मंे भी हिमाचल की बास्केटबाल टीम का नेतृत्व किया। गुलशन ने बताया कि अकसर उसे बास्केटबाल कोच लड़कों के साथ बास्केटबाल खिलाते थे, ताकि उसका स्टेमिना अधिक बने। गुलशन नेगी ने 1993 में पटियाला से बास्केटबाल कोच का एक वर्षीय डिप्लोमा इस उम्मीद के साथ किया ताकि वह बास्केटबाल में खिलाडि़यों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिला, प्रदेश व देश का नाम रोशन करने के लिए तैयार करेंगी। गुलशन चौहान नेगी ने 1994 में हिमाचल प्रदेश पुलिस में बतौर एएसआई नौकरी ज्वाइन की। वर्तमान में गुलशन नेगी हिमाचल प्रदेश पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर शिमला मंे सेवाएं दे रही हैं।
- गुलशन नेगी का परिवार
गुलशन नेगी का विवाह किन्नौर जिला के कल्पा निवासी सुनील नेगी से हुआ है। सुनील नेगी भी हिमाचल प्रदेश पुलिस में बतौर डीएसपी रामपुर में तैनात हैं। गुलशन के दो बेटे हैं। गुलशन के पिता हिमाचल प्रदेश पुलिस में सेवारत रहे। गुलशन की दो बहनें व तीन भाई हैं। सभी फुटबाल, वालीबाल व बास्केटबाल के
खिलाड़ी हैं।
खिलाड़ी हैं।
छोटी सी मुलाकात
बास्केटबाल की तरफ रुझान कैसे बढ़ा।
बड़ी बहनों की खेलों की ओर रुचि को देखते हुए मैदान का रुख किया तथा अन्य खिलाडि़यों के साथ केवल 11 साल की उम्र से ही बास्केटबाल खेलना आरंभ कर दिया था।
बास्केटबाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने मंे किसका योगदान अहम रहा?
मुख्य रूप से बास्केटबाल कोच सुभाष बाबू शर्मा ने मुझे बास्केटबाल की बारीकियां सिखाई हैं।
खिलाडि़यों के लिए आपका क्या
संदेश है।
संदेश है।
लड़कियांे को बास्केटबाल जैसी गेम में रुचि रखनी चाहिए। बास्केटबाल ऐसा खेल है जिसमें आसानी से मेहनत के बलबूते पर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा जा सकता है।
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