Monday, 16 March 2015

ATW NEWS गुलशन नेगीशिमला की थानेदार

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शिमला की थानेदार

प्रथम महिला थाने की पहली महिला थानेदार गुलशन नेगी मुश्किलों से कभी घबराती नहीं हैं। महिला थाना प्रभारी की कमान संभालते ही उनके पास तीन विधानसभा क्षेत्रों की कुछ पंचायतों की कानून व्यवस्था का जिम्मा भी है। गुलशन नेगी का जन्म सिरमौर जिला के नाहन में हुआ। नेगी की एक बहन और तीन भाई हैं…
utsavबास्केटबाल में भारत का नेतृत्व कर चुकीं गुलशन नेगी प्रदेश के महिला थाने को भी बखूबी चला रही हैं। बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह लिए गुलशन नेगी ने पहले बास्केटबाल में भारत का प्रतिनिधित्व कर देश का नाम चमकाया। अब हिमाचल पुलिस की शान बनी हुई हैं। उनकी काबिलीयत ही है कि  सरकार ने महिला थाना खोलते ही पहले उन्हें ही नियुक्ति दी क्योंकि पुलिस विभाग में भी उन्होंने कई कारनामे कर दिखाए हैं। महिला थाना प्रभारी बनते ही गुलशन नेगी महिलाओं के लिए भी मिसाल बन गई हैं। वह महिलाओं के लिए सामाजिक सरोकार में भी बढ़-चढ़कर आगे ही रहती हैं। प्रथम महिला थाने की पहली महिला थानेदार गुलशन नेगी मुश्किलों से कभी घबराती नहीं हैं। महिला थाना प्रभारी की कमान संभालते ही उनके पास तीन विधानसभा क्षेत्रों की कुछ पंचायतों की कानून व्यवस्था का जिम्मा भी है। गुलशन नेगी का जन्म सिरमौर जिला के नाहन में हुआ। नेगी की एक बहन और तीन भाई हैं। गुलशन की पढ़ाई नाहन के प्राइमरी राज मंदिर स्कूल से शुरू हुई गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल से दसवीं पास की। शमशेर सीनियर सेकेंडरी स्कूल से प्लस टू और इसके बाद नाहन कालेज से बास्केटबाल में कोचिंग का डिप्लोमा हासिल किया। गुलशन नेगी ने पढ़ाई समाप्त करने के बाद 1992 में सियोल में बास्केटबाल में भारत का प्रतिनिधित्व किया। गुलशन नेगी 18 बार हिमाचल से बास्केटबाल की नेशनल चैंपियनशिप में भाग ले चुकी हैं। यही नहीं इंटर यूनिवर्सिटी से भी पहले ही प्रयास में उनका ऑल इंडिया के लिए चयन हुआ था। इसके बाद 1994 में गुलशन नेगी बतौर पुलिस में एएसआई भर्ती हुइर्ं। इसके बाद वह 15 साल शिमला में व तीन साल विजिलेंस में, एक साल सीआईडी में काम कर चुकी हैं। 11  अगस्त, 2014 से वह प्रदेश के पहले महिला पुलिस थाने में प्रभारी के रूप में तैनात हैं।  20 साल की नौकरी पूरी होते ही उन्हेें प्रथम महिला थाने की कमान संभालने का मौका मिला। गुलशन नेगी सबके लिए पे्ररणा बनी हुई हैं। उनका निजी जीवन भी काफी संघर्षपूर्ण है। गुलशन नेगी के पति सुनील नेगी सीआईडी में डीएसपी के पद पर तैनात हैं।
छोटी सी मुलाकात
आपने यही प्रोफेशन क्यों चुना?
स्पोर्ट्स मैन के नाते नौकरी आसानी से मिल गई। इसी नौकरी के जरिए महिलाओं की सेवा करने का भी मौका मिल गया।
इस जॉब को करते हुए आपको क्या-क्या परेशानियां पेश आती हैं?
फर्ज के आगे परेशानियों का पता नहीं चलता। पति पुलिस में है इसलिए वह मेरी परेशानी को समझ जाते हैं। बच्चे जब छोटे थे तो समस्याएं थीं।
महिला होने पर कितना गर्व महसूस करती हैं?
महिला होने पर मुझे गर्व है। मेरे पिता ने कभी बेटी और बेटे में फर्क नहीं समझा। यही वजह है कि आज इस मुकाम पर हूं। हम सबको अपनी बेटियों को बेटों की तरह समझना चाहिए।
परिवार व नौकरी में तालमेल कैसे बिठाती हैं?
काम थोड़ा मुश्किल है। लेकिन तालमेल खुद ही बन जाता है। अपने आपको समय के अनुसार ढालना पड़ता है। पुलिस की नौकरी में सारे काम दौड़ भाग में होते हैं। आराम से कुछ नहीं कर पाते।
प्रदेश की महिलाओं को क्या संदेश देना चाहती हैं?
महिलाएं आत्मनिर्भर बनें। इतनी मजबूत बनें कि उन्हें किसी के आगे झुकना न पड़े। महिला अगर आवाज नहीं उठाएगी तो उनकी कोई नहीं सुनेगा। महिलाएं अपनी बच्चियों को अच्छी शिक्षा दें ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। कानून पर विश्वास रखें, किसी से डरें नहीं, कोई समस्या हो तुरंत महिला थाना में पहुंचें।
कामयाबी का श्रेय किसे देना चाहती हैं?
कामयाबी के सफर में बिना मेहनत के मंजिल नहीं मिल सकती। माता-पिता का आशीर्वाद व गुरुओं का मार्ग। ये सब सफलता दिलाता है।
प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर क्या होना चाहिए?
सरकार व पुलिस विभाग इस दिशा में काम कर रही है। पर अभी भी कुछ और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। महिला थाना हर जिला में होना चाहिए। यहां तक कि  उपमंडलों में भी महिलाओं के लिए अलग से थाने खोले जाएं। महिला थानों में महिला पुलिस जांच अधिकारियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है ताकि महिला थाना में आने वाली महिलाओं को जल्दी न्याय मिल सके।
ऐसी कोई जांच या मोड़ है जिसने भीतर तक हिला दिया हो?
मैं इतनी कमजोर नहीं हूं कि फर्ज के आगे जांच से घबरा जाऊं। जो भी जांच सौंपी गई उसे बखूबी तय समय में पूरा किया है।
जनता में पुलिस के नकारात्मक रवैये को जनविश्वास में बदलने को लेकर आपका क्या मत है?
पहले लोग पुलिस के सिस्टम से सहमत नहीं थे। लेकिन अब लोगों की सोच बदलने लगी है। आम जनता और पुलिस के बीच तालमेल बन चुका है। चूंकि पुलिस विभाग लोगों को बेहतर सेवाएं दे रहा है। अभी भी लोगों के साथ बेहतर संवाद, मेलजोल बढ़ाने और जनता की सहभागिता को और बढ़ाने की जरूरत है।
आम थाने से महिला पुलिस के बीच संवेदना में अंतर आया या प्राथमिक जांच की कठोरता कम हुई है?
महिला थाने में महिलाएं बेझिझक होकर अपनी बात रख सकती हैं। महिला थाना सिर्फ महिलाओं के लिए ही है और यह भावना महिलाओं के अंदर आत्मविश्वास जगाती है। महिला थाने ने महिलाओं और आम थाने के बीच उनकी दूरी को कम  किया है।
पुलिस वर्दी के भीतर एक औरत के रूप में आपकी ताकत व कमजोरी क्या है?
मेरी सबसे बड़ी ताकत है वर्दी। वर्दी पहनना मैं गर्व महसूस करती हूं क्योंकि मुझे वर्दी से हिम्मत और जुनून मिलता है। इसी वर्दी के जरिए कई लोगों के घर उजड़ने से बचाए गए हैं। कमजोरी का कोई पहलू नहीं है।
महिलाओं के जीवन में सुरक्षा का एहसास भरने के लिए पुलिस विभाग के प्रयास किस हद तक सफल हुए हैं?
पुलिस विभाग इस कड़ी में बेहतर काम कर रहा है। महिलाओं के लिए महिला थाने, महिला हेल्पलाइन नंबर शुरू किए गए हैं। महिला पुलिस कर्मियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। महिलाओं के साथ पुलिस का बढ़ता संवाद उनमें आत्मविश्वास बढ़ा रहा है।
कोई प्रण जो बतौर थाना प्रभारी आपने लिया है?
महिलाओं की सुरक्षा और महिलाओं को तुरंत न्याय दिलाना उनका मकसद है। पुलिस के प्रति आम जनता की सोच को बदलने की कोशिश करूंगी। महिलाओं की परेशानियों को दूर करना और उनके अंदर आत्मविश्वास जगाना यही लक्ष्य है।
राजधानी की महिलाओं को आप का वायदा?
राजधानी में कानून व्यवस्था पुलिस के कंट्रोल में है। महिलाएं बेखौफ होकर आ-जा सकती हैं। महिलाओं को पुलिस पूरी सुरक्षा प्रदान कर रही है। किसी भी महिला के साथ कोई अन्याय हो तो वह बेखौफ होकर महिला थाना में आए, उनकी समस्या का समाधान तुरंत किया जाएगा।

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