Monday, 13 October 2014

प्लास्टिक बोतलों में पैक नहीं होंगी दवाएं

प्लास्टिक बोतलों में पैक नहीं होंगी दवाएं

newsबीबीएन -  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं की पैकिंग में प्लास्टिक बोतल के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है। मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना (जीएसआर 701 ई) के ड्राफ्ट के मुताबिक कोई भी दवा निर्माता बच्चों, बूढ़ों, गर्भवती महिलाओं और प्रजनन योग्य महिलाओं के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले सिरप या अन्य द्रव अवस्था वाली दवाओं को पोलीएथलीन टेरेथलेट (पीईटी) यानी प्लास्टिक बोतलों में पैक नहीं करेगा। इन आदेशों के प्रभावी होने के बाद इसक ी अवहेलना करने वालों पर पेनल्टी का भी प्रावधान है। हालांकि इस ड्राफ्ट के तहत 45 दिनों में आपत्तियां व सुझाव की औपचारिकता पूर्ण क रने के अलावा दवा कंपनियों को इसे क्रियान्वित करने के लिए छह महीने का वक्त दिया है, ताकि वह अपना स्टॉक क्लीयर कर सकें और दवाओं की पैकिंग के लिए नए इंतजाम कर सकें। मालूम हो कि दवा निर्माता तरल दवाओं, सस्पेंशन और ड्राई सिरप आदि की पैकिंग में प्राथमिक तौर पर प्लास्टिक या पीईटी बोतल का इस्तेमाल करते हैं। दवा उद्योग पहले दवाओं की पैकिंग के लिए प्राथमिक तौर पर शीशे की बोतल का इस्तेमाल करता था। अब आने वाले वक्त में दवाएं प्लास्टिक की बोतलों में नहीं मिलेंगी, तो अनुमान लगाया जा रहा है कि यह पैकिंग फिर से शीशे की बोतलों में ही होगी। केंद्र की औषधीय तकनीकी परामर्श परिषद की सिफारिश के बाद जारी अधिसूचना के मुताबिक ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धारा 26 के तहत प्रदत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पाबंदी की अधिसूचना का ड्राफ्ट जारी कर दिया है, जिसके तहत सरकारी गजट के अंतिम प्रकाशन के 180 दिन के बाद की तिथि से यह पाबंदी प्रभावी हो जाएगी। कुछ समय पहले प्लास्टिक बोतल के इस्तेमाल से मानव स्वास्थ्य पर जोखिम के मामले में पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत के बाद स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर प्रमुख सलाहकार निकाय दि ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बॉडी (डीटीएबी) ने सुझाव दिया था कि सरकार को तत्काल प्राथमिक श्रेणी में ऐसे बोतल के इस्तेमाल पर पाबंदी लगानी चाहिए, जहां जोखिम काफी ज्यादा है। डीटीएबी ने ऐसी सिफारिश की थी कि तरल दवाओं की पैकिंग में प्लास्टिक या पीईटी बोतल का इस्तेमाल नहीं किया जाए। इसमें खास तौर पर बच्चों की दवाओं, गर्भवती महिलाओं आदि के लिए तैयार की जाने वाली दवाओं की पैकिंग में प्लास्टिक बोतल का इस्तेमाल न किया जाए। विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पीईटी के एंडोक्राइन रसायनों के कारण उससे बनी पैकिंग से पर्यावरण पर तो बुरा असर पड़ ही रहा है, थैलेट्स आदि के कारण लोगों की सेहत पर भी खराब प्रभाव पड़ रहा है।  मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल असर की संभावना की वजह से ही स्वास्थ्य मंत्रालय दवाओं की पैकिंग में ऐसे बोतल के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का निर्णय किया है। हालांकि इसमें भी कोई दोराय नहीं कि आने वाले दिनों में इस मसले पर दवा निर्माता खासा विरोध जताएंगे।
 प्रभावित होगा दवा उद्योग
पैकेजिंग दवा विनिर्माण और विपणन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इस कदम से बोतल निर्माताओं के राजस्व पर असर पड़ेगा, जो दवा कंपनियों को बोतल की आपूर्ति करते हैं। दवा निर्माताओं पर भी इसका असर हो सकता है, क्योंकि उनकी पैकिंग लागतें और इस पर मार्जिन का फैसला दवा नियामक करते हैं।
 कैंसर का है खतरा
वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक पीईटी बोतलों में पैकेजिंग या स्टोरिंग के समय विभिन्न तापमानों पर लीचिंग (बोतल में मौजूद द्रव में बोतल के पदार्थ के रसायन का घुलना) होती है। लीचिंग इफेक्ट के कारण कुछ घातक रसायन बोतल के अंदर मौजूद दवाओं को प्रदूषित कर देते हैं। इन रसायनों का मनुष्य के हार्मोन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है और यहां तक कि उनसे कैंसर भी पैदा हो सकता है। डीटीएबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में तापमान में काफी भिन्नता होती है। प्लास्टिक बोतल दवाओं पर विपरीत असर डाल सकता है।

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