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shivraj sharma
संस्कृत से करें संस्कृत के दर्शन
नासा ने भी स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत की शिक्षा आपको केवल कर्मकांडों तक ही सीमित नहीं रखती, बल्कि पारंपरिक ज्ञान के आधार को विस्तृत करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान समय में ऐसे युवाओं की संख्या फिर से बढ़ रही है, जो संस्कृत भाषा के जरिए अपने कैरियर को गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं…
संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति का बड़ा गहरा संबंध है। भारत की सैकड़ों-हजारों पीढि़यों का अनुभव संस्कृत भाषा में सुरक्षित है। इस प्राचीन ज्ञान को सहेजने के लिए भारत सरकार ने नेशनल ट्रेडिशनल डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण किया है। नासा ने भी स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत की शिक्षा आपको केवल कर्मकांडों तक ही सीमित नहीं रखती बल्कि पारंपरिक ज्ञान के आधार को विस्तृत करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान समय में ऐसे युवाओं की संख्या फिर से बढ़ रही है, जो संस्कृत भाषा के जरिए अपने कैरियर को गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिमी परिवेश में पल-बढे़ कुछ तथाकथित विद्वान समय-समय पर इस बात की घोषणा करते रहते हैं कि संस्कृत एक मृत भाषा है। यह आकलन बहुत भ्रामक है। भारत का बढ़ता मध्यवर्ग जहां उपभोक्तावादी जीवनशैली को अपना रहा है, वहीं दूसरी तरफ पारंपरिक संस्कारों के प्रति भी उसकी आस्था बढ़ रही है। ज्योतिष की लोकप्रियता में तो काफी वृद्धि हुई है। इस कारण संस्कृत को एक नया जीवन मिला है और वह कैरियर के लिहाज से एक सक्षम विषय बनकर उभरी है। संस्कृत से जुड़ी हुई सर्वाधिक रोचक बात यह है कि इसका पठन-पाठन करने वाले विद्यार्थियों को रोजगार के लिए सरकार का मुंह नहीं ताकना पड़ता। पूजा -पाठ, कुंडली मिलान, सोलह संस्कारों का संपादन, विद्यार्थियों के लिए स्वरोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध कराता है। इन सब कारणों से संस्कृत का महत्त्व बढ़ताजा रहा है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
लाल बहादुर शास्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ गरली परिसर हिप्र
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र, धर्मशाला (हिप्र)
राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर (हिप्र)
राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, नाहन
राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, सोलन
राजकीय संस्कृत महाविद्यालय फागली (हिप्र)
राजकीय संस्कृत महाविद्यालय क्यारटू (हिप्र)
विभिन्न कोर्सेज
प्राक् शास्त्री प्रथम (11वीं संस्कृत विषय)
प्राक् शास्त्री द्वितीय (12वीं संस्कृत विषय)
शास्त्री (स्नातक)
आचार्य (स्नातकोत्तर)
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान
संस्कृत भाषा में लोगों की रुचि पैदा हो, संस्कृत की तरफ अधिक से अधिक विद्यार्थी आकर्षित हो, इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान कई कार्यक्रमों का संचालन करता है। यह संस्थान संस्कृत में अध्ययनरत छात्रों को छात्रवृत्ति भी प्रदान करता है। संस्थान द्वारा देश भर में अपने से संबद्ध परिसरों तथा अन्य शैक्षिक संस्थाओं में अध्ययनरत संस्कृत के सुयोग्य छात्रों का चयन छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
संस्थान के उद्देश्य
देश के विविध भागों में केंद्रीय संस्कृत परिसरों की स्थापना, अधिग्रहण तथा संचालन करना।
संस्कृत विद्या की सभी विद्याओं में शोध करना।
केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठों का प्रबंधन तथा उनकी शैक्षणिक गतिविधियों में अधिकाधिक प्रभावी सहयोग करना।
देश भर में संस्कृत भाषा का व्यापक प्रचार -प्रसार करने में सहयोग करना ।
कैरियर की संभावनाएं
इस क्षेत्र में कैरियर की भरपूर संभावनाएं हैं। संस्कृत संस्थानों से पढ़ाई करके आप बेहतरीन कैरियर बना सकते हैं। कर्मकांडों को कराने के अलावा संस्कृत भाषा के अनुवादक के रूप में भी काम किया जा सकता है। बड़े-बड़े मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर पुजारी का कार्य भी कर सकते हैं। इसके अलावा शासकीय नौकरियों में भी शास्त्री और आचार्यों की भर्ती की जाती है। सेना में भी आप इसकी पढ़ाई करके जा सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता
ऐसे छात्र जो किसी संस्थान की उत्तरमध्यमा या प्राक ् शास्त्री या समकक्ष परीक्षा (12वीं) किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से संस्कृत के साथ उत्तीर्ण की हो, वह शास्त्री अथवा स्नातक के लिए आवेदन कर सकते हैं।
वेतनमान
इस क्षेत्र में कैरियर बनाने वाले युवाओं का वेतनमान उनकी अपनी स्वयं की रुचि, इच्छाशक्ति और व्यवहारकुशलता पर निर्भर करता है। स्वरोजगार में आमदनी अपनी योग्यता पर निर्भर होती है और सरकारी संस्थानों में शुरुआती वेतनमान लगभग 15 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह तक होता है।
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