Saturday, 22 November 2014

नंदी शिव के वाहन

Him sanskriti

आनंददाता हैं नंदी

नंदी शिव के वाहन हैं और शिव के पार्षदों में उनका प्रमुख स्थान है। प्रत्येक शिव मंदिर में उनकी उपस्थिति होती है। उनका मुख सदैव भगवान शिव की ओर होता है। वह अगाध श्रद्धा और निश्छल भक्ति के प्रतीक हैं। माना जाता है कि शिव तक प्रार्थनाएं और याचनाएं नंदी के जरिए ही पहुंचती हैं। नंदी का मानवीय रूप में भी पूजन किया जाता है। वह नंदिकेश्वर के रूप में भी पूजे जाते हैं। नंदी का मतलब ही आनंददाता होता है। शिव की कृपा नंदीकेश्वर के अनुग्रह के बिना नहीं मिलती…
newsशिव-तत्व को नंदी की कृपा के बिना नहीं समझा जा सकता। वह शिवमंडली के प्रमुख पार्षद हैं और सदैव शिव की सेवा में तत्पर रहते हैं। संभवतः इसी कारण वह शिव के सबसे बड़े कृपापात्र भी हैं। पुराणों की एक कथा के अनुसार शिलाद मुनि के ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने अपनी चिंता उनसे व्यक्त की। शिलाद निरंतर योग तप आदि में व्यस्त रहने के कारण गृहस्थाश्रम नहीं अपनाना चाहते थे, अतः उन्होंने संतान की कामना से इंद्र देव को तप से प्रसन्न कर जन्म और मृत्यु से हीन पुत्र का वरदान मांगा। इंद्र ने इसमें असर्मथता प्रकट की तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कहा। तब शिलाद ने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया और उनके ही समान मृत्युहीन तथा दिव्य पुत्र की मांग की। भगवान शंकर ने स्वयं शिलाद के पुत्र के रूप में प्रकट होने का वरदान दिया। कुछ समय बाद भूमि जोतते समय शिलाद को एक बालक मिला। शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा। उसको बड़ा होते देख भगवान शंकर ने मित्र और वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम में भेजे जिन्होंने नंदी को देखकर भविष्यवाणी की कि नंदी अल्पायु है। नंदी को जब यह ज्ञात हुआ तो वह महादेव की आराधना से मृत्यु को जीतने के लिए वन में चले गए और घोर-तपस्या करने लगे। वन में उन्होंने शिव का ध्यान आरंभ किया। भगवान शिव नंदी के तप से प्रसन्न हुए व दर्शन वरदान दिया- ‘वत्स नंदी! तुम मृत्यु से भय से मुक्त, अजर-अमर और हो। मेरे अनुग्रह से तुम्हे जरा, जन्म और मृत्यु किसी से भी भय नहीं होगा।’भगवान शंकर ने उमा की सम्मति से संपूर्ण गणों, गणेशों व वेदों के समक्ष गणों के अधिपति के रूप में नंदी का अभिषेक करवाया। इस तरह नंदी नंदीश्वर हो गए। मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ नंदी का विवाह हुआ। भगवान शंकर का वरदान है कि जहां पर नंदी का निवास होगा वहां उनका भी निवास होगा। तभी से हर शिव मंदिर में शिवजी के सामने नंदी की स्थापना की जाती है। शिवजी का वाहन नंदी पुरुषार्थ अर्थात परिश्रम का प्रतीक है। नंदी का एक संदेश यह भी है कि जिस तरह वह भगवान शिव का वाहन हैं। ठीक उसी तरह हमारा शरीर आत्मा का वाहन है। जैसे नंदी की दृष्टि शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी दृष्टि भी आत्मा की ओर होनी चाहिए। हर व्यक्ति को अपने दोषों को देखना चाहिए। हमेशा दूसरों के लिए अच्छी भावना रखना चाहिए। नंदी यह संकेत देते हैं कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही हर व्यक्ति चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र हो सकता है। इसे ही सामान्य भाषा में मन का स्वच्छ होना कहते हैं। जिससे शरीर भी स्वस्थ होता है और शरीर के निरोग रहने पर ही मन भी शांत, स्थिर और दृढ़ संकल्प से भरा होता है। इस प्रकार संतुलित शरीर और मन ही हर कार्य और लक्ष्य में सफलता के करीब ले जाते हुए मनुष्य अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि जब शिव अवतार नंदी का रावण ने अपमान किया तो नंदी ने उसके सर्वनाश को घोषणा कर दी थी। रावण संहिता के अनुसार कुबेर पर विजय प्राप्त कर जब रावण लौट रहा था तो वह थोड़ी देर कैलाश पर्वत पर रुका था। वहां शिव के पार्षद नंदी के कुरूप स्वरूप को देखकर रावण ने उसका उपहास किया। नंदी ने क्रोध में आकर रावण को यह श्राप दिया कि मेरे जिस पशु स्वरूप को देखकर तू इतना हंस रहा है। उसी पशु स्वरूप के जीव तेरे विनाश का कारण बनेंगे। नंदी का एक रूप सबको आनंदित करने वाला भी है। सबको आनंदित करने के कारण ही भगवान शिव के इस अवतार का नाम नंदी पड़ा। शास्त्रों में इसका उल्लेख इस प्रकार है-
त्वायाहं नंदितो यस्मान्नदीनान्म सुरेश्वर।
तस्मात् त्वां देवमानन्दं नमामि जगदीश्वरम।।
-शिवपुराण शतरुद्रसंहिता 6/45
अर्थात नंदी के दिव्य स्वरूप को देख शिलाद मुनि ने कहा तुमने प्रगट होकर मुझे आनंदित किया है। अतःमैं आनंदमय जगदीश्वर को प्रणाम करता हूं। सभी शिव मंदिरों में नंदी उपस्थित रहते हैं और उनका मुख सदैव भगवान शिव की तरफ होता है। हां, नासिक शहर में इसका एक अपवाद मिलता है। नासिक शहर के प्रसिद्ध पंचवटी स्थल में गोदावरी तट के पास एक ऐसा शिवमंदिर है जिसमें नंदी नहीं है। अपनी तरह का यह एक अकेला शिवमंदिर है। पुराणों में कहा गया है कि कपालेश्वर महादेव मंदिर नामक इस स्थल पर किसी समय में भगवान शिवजी ने निवास किया था। यहां नंदी के अभाव की कहानी भी बड़ी रोचक है। यह उस समय की बात है जब ब्रह्मदेव के पांच मुख थे। चार मुख वेदोच्चारण करते थे, और पांचवां निंदा करता था। उस निंदा से संतप्त शिवजी ने उस मुख को काट डाला। इस घटना के कारण शिव जी को ब्रह्महत्या का पाप लग गया। उस पाप से मुक्ति पाने के लिए शिवजी ब्रह्मांड में हर जगह घूमे लेकिन उन्हें मुक्ति का उपाय नहीं मिला। एक दिन जब वे सोमेश्वर में बैठे थे, तब एक बछड़े द्वारा उन्हें इस पाप से मुक्ति का उपाय बताया गया। कथा में बताया गया है कि यह बछड़ा नंदी था। वह शिव जी के साथ गोदावरी के रामकुंड तक गया और कुंड में स्नान करने को कहा। स्नान के बाद शिव जी ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो सके। नंदी के कारण ही शिवजी की ब्रह्म हत्या से मुक्ति हुई थी। इसलिए उन्होंने नंदी को गुरु माना और अपने सामने बैठने को मना किया।  शिव इस सकल सृष्टि के लिए कल्याणकारी तत्व हैं और नंदी उस कल्याणकारी स्रोत को भक्तों के द्वार तक पहुंचाते हैं।

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Himachal This Week

Ayush-Arpita tie Nupital Knot

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Himachal’s Celebrity Connection

Anni This Week Team                     Cover Story
Himachal This WeekCelebrities from across the world are attrcated towards Himachal that has been bestowed with immense beauty and picturesque loactions. Many of them have chosen their life partners hailing from this hillystate. However, the latest to join the list is Arpita Khan, the youngest sister of Bollywood actor Salman Khan, who tied the nupital knot with Ayush Sharma, grandson of former Union Minister Sukh Ram and son of Himachal cabinet Minister Anil Sharma. The marriage ceremony was solemnised at picturesque Falaknuma Palace in Hyderabad on November 18 that hogged the limelight not only of the media and Bollywood industry but also of the entire country. Earlier also celebrities have established their connection with Himachal. These include personalities from royal families, Bollywood and other famous personalities.
Ayush-Arpita tie Nupital Knot
Himachal This WeekSalman Khan’s sister Arpita Khan and Himachal Cabinet Minister Anil Sharma’s son Ayush tied the nupital knot at a lavish ceremony organised at Falaknuma Palace in Hydrabad on November 18. With this marriage, Mandi town of Himachal has established celebrity connection with Bollywood’s Dabangg actor Salman Khan. The marriage was solemnised according to Hindu traditions. Those present on the occasion included Ayush Sharma’s father and Himachal Cabinet Minister Anil Sharma, mother Sunita and elder brother Ashreya and grandfather and former Union Minister Sukh Ram whereas entire Khan family and Bollywoood’s who is who were present to shower their blessings on the couple. Nearly 400 persons attended the occasion.
When Sukh Ram Danced in Barat …
Himachal This WeekFormer Union Minister Sukh Ram also danced along with his family members and baratis on the occasion. The post-wedding party of Salman Khan’s sister Arpita, was full of Bollywood-style ‘naach gaana.’ The picturesque Falaknuma Palace turned into a Bollywood studio.
Salaman, Shah Rukh Come Closer on Arpita’s Wedding…
Himachal This WeekThe occasion also brought Bollywood’s two Khans, Salman Khan and Shah Rukh Khan closer much to the delight of their fans. Shah Rukh Khan reached Slaman Khan’s Galaxy Apartment to shower blessing and both of them hugged Arpita together.
To Visit Mandi in January
The newlywed couple is likely to visit Mandi, now in-laws of Arpita, in January next year after honeymooning for two months in Australia and England. However, they are likely to visit Delhi after reception party in Mumbai.
Rs. 16 Crore Flat

Monday, 17 November 2014

श्वाड़ लवी मेला

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नाटियों पर लगाए ठुमके

आनी —  श्वाड़ में आयोजित दो दिवसीय लवी मेला का सोमवार को विधिवत शुभारंभ हो गया है। क्षेत्र के अराध्य देवता ब्यास ऋषि सहित वैनशी महादेव के मेला मैदान में पहुंचते ही लवी मेला का विधिवत उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर आनी विधानसभा क्षेत्र के मुडदल पंचायत की प्रधान चांदा देवी बतौर मुख्यातिथि शरीक हुई। उन्होंने पूरे क्षेत्रवासियों को लवी मेला की बधाई देते हुए शुभकामनाएं दीं और लोगों से अपील की कि वे अपनी संस्कृति को संजोकर रखें। उन्होंने मेला कमेटी को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। दो दिवसीय इस मेले में हजारों की संख्या में भीड़ लगी रहती है तथा इस मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आए हैं। स्थानीय जनता सहित दूरदराज क्षेत्र से आए लोगों ने नाटी डालकर मेले का लुत्फ उठाया। यह मेला प्राचीन है और इसे देखने के लिए जनता का खूब जमावड़ा लगा रहता है। गौरतलब है कि दो दिनों तक चलने वाले इस मेले में कराड, मुहान, बिश्लाधार, कुंगश, रोपा, मुंडदढ़, पोखरी आनी, लगैटी टकरासी, सुगेत, मंडी  आदि पंचायतों की जनता भाग लेती है। उन्होंने कहा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेला बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है

Friday, 14 November 2014

यूथ आइकन बिना कोचिंग पुलिस अधिकारी बने मोहित

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यूथ
आइकन
बिना कोचिंग पुलिस अधिकारी बने मोहित
आईपीएस बनने के लिए छोड़ीं सात नौकरियां
युवाओं को टिप्स
चावला सफलता के लिए मेहनत को मूल मंत्र मानते हैं। वे कहते हैं कि आईपीएस की परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग की नहीं, बस लग्न के साथ ही पढ़ाई करने की आवश्यकता है।
पहले शिक्षक फिर आईपीएस
अध्यापक पद से कैरियर की शुरूआत करने वाले मोहित कर्मचारी से लेकर अधिकारी पदों पर काम कर चुके हैं। 2003 में शिक्षक, 2005 में डाक विभाग में बतौर असिस्टेंट पोस्टल, पूना में महाराष्ट्र बैंक में पीओ, बीओआई बैंक में प्रबंधक, आरबीआई और इंडियन इकोनोमिक्स सर्विसर्स में नौकरी छोड़ कर आईपीएस बने।
राकेश राणा
मंडी। उन्हीं की उड़ान को पंख लगते हैं, जिनके हौसलों में दम होता है। मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो असंभव कुछ नहीं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है एसपी मंडी मोहित चावला ने। एक सपना देखा, आईपीएस बनना है। दूसरे क्षेत्र में नौकरी के कई मौके मिले पर इन्हें तो आईपीएस बनना था। कड़ी मेहनत की और मकाम हासिल कर लिया, बिना किसी कोचिंग के।
सात नौकरियां छोड़कर चावला आईपीएस बने हैं। बसों में सफर के दौरान भी पढ़ाई हुए पढ़ाई कर मोहित ने 2009 ने पहले ही प्रयास में भारतीय पुलिस सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की। मूल रूप से कुल्लू जिले से संबंध रखने वाले मोहित चावला के माता-पिता अंबाला में बस गए हैं। पिता उन्हें बिजनेस में भागीदार बनाना चाहते थे। अंबाला में पिता की इच्छापूर्ति के लिए उन्होंने 12वीं की परीक्षा में टॉप (हरियाणा) करने के बाद बिजनेस भी संभाला और दूरवर्ती शिक्षा के माध्यम से बीकॉम की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की शिक्षा ग्रहण की। अर्थशास्त्र में नेट जेआरएफ की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। कई नौकरियां करने के बाद मां और बहन की प्रेरणा से मोहित ने आईपीएस की तैयारी शुरू की। सुबह और शाम बस में एक-एक घंटा पढ़ाई के अलावा तीन घंटे नियमित पढ़ाई के बाद 2009 में पहले प्रयास में परीक्षा पास की। 2011 में आइपीसी की ट्रेनिंग पूरी कर मोहित ने कांगड़ा में एएसपी का पदभार संभाला और 2014 में पदोन्नति होकर एसपी मंडी का कार्यभार ग्रहण किया। बेहतर सेवाओं के लिए मोहित को हरियाणा सरकार ने प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया है।
मोहित चावला
पुलिस अधीक्षक मंडी
आईपीएस
पहले ही प्रयास में ही पास की आईपीएस परीक्षा
हरियाणा में 12वीं में सीबीएसई में पहला स्थान
मंडी में एसपी मंडी के पद पर तैनात हैं मोहित चावला

पिछड़े गांव को क्यों नहीं लिया गया गोद

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पिछड़े गांव को क्यों नहीं लिया गया गोद
मनाली तो पहले ही है विश्व मानचित्र पर
shivraj sharma 
कुल्लू। मनाली गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए शुक्रवार को सांसद रामस्वरूप शर्मा ने इसका उद्घाटन किया, लेकिन इस गांव को गोद लेने के मामले में भाजपा अपने आप कटघरे में खड़ी हो गई है। हर ओर यही सवाल उठ रहा है कि विश्व मानचित्र में पर्यटन की दृष्टि से अपनी जगह बना चुके मनाली गांव में भाजपा ऐसा कर कर देगी, जिसके लिए मनाली को गोद लिया गया है। जबकि, कुल्लू रामपुर, लाहौल-स्पीति और किन्नौर में कई ऐसे गांव हैं जहां अभी तक बिजली और सड़क सुविधा तक नहीं है। सांसद ने उन गांवों को गोद क्यों नहीं लिया? ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या आदर्श गांव के निर्माण पर भाजपा लोगों को गुमराह कर रही है? यहां पार्टी के आला नेताओं को खुश करने के लिए ऐसे गांव गोद लिए जा रहे हैं, जो पहले से ही विकसित हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो कुल्लू जिला के शॉक्टी, मरौड़, मलाणा, श्री कोट, रामपुर का काशापाट और 12/20 क्षेत्र, लहौल-स्पीति के कई गांव, किन्नौर जिला के गांवों समेत और काजा में जहां लोगों को कई माह तक पानी और बिजली की सुविधाओं से महरूम रहना पड़ता है, ऐसे गांव को गोद क्यों नहीं लिए? मनाली का चयन भाजपा को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बुद्धि सिंह ने कहा कि मनानी पहले ही विश्व मानचित्र पर जगह बना चुका है। मनाली में लोगों और सैलानियों के लिए हर प्रकार की सुविधा है। ऐसे में इस गांव को गोद लेना लोगों के साथ धोखा है।
सांसद राम स्वरूप का कहना है कि मनाली गांव को गोद लेने से इस गांव को विश्व में अलग पहचान मिलेगी। गांव में जिस भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है उन्हें जल्द दूर किया जाएगा।
जिले के कई गांवों में अभी तक नहीं बिजली-सड़क

मनाली बनेगा आदर्श गांव : रामस्वरूप गोद लिए गांव में पहुंच सांसद ने

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मनाली बनेगा आदर्श गांव : रामस्वरूप
गोद लिए गांव में पहुंच सांसद ने
कहा; हर सुविधा का किया जाएगा प्रबंध
अमर उजाला ब्यूरो
पलचान/मनाली। मनाली गांव को आदर्श गांव योजना के तहत गोद लेने के लिए शुक्रवार को सांसद रामस्वरूप शर्मा ने औपचारिक रूप से उद्घाटन किया।
स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि इस गांव को पूरे मंडी लोकसभा क्षेत्र में एक आदर्श गांव बनाने के लिए भरपूर प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी। गांव में हर तरह की सुविधाओं का प्रबंध किया जाएगा। यहां पर न केवल गांव वासियों के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी कई तरह की सुविधाएं और जानकारी मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि गांव में आने वाले हर पर्यटक के लिए एक ऑडियो-वीडियो कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। गांव में एक मनुधाम नाम से कांप्लेक्स भी बनाया जाएगा। उन्हाेंने बताया कि आगामी दौरे में वह गांववासियों के साथ मिलकर गांव के विकास के लिए विभिन्न तरह की समितियों का गठन करेंगे। इनमें गांव के ही लोग सदस्य होंगे। जिला भाजपा मीडिया प्रभारी जोगिंद्र शुक्ला ने कहा कि इस काम को पूरा करने के लिए बाबा रामदेव की संस्था और श्रीश्री रविशंकर के लोग भी अपना योगदान देने के लिए प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने एशिया खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय महिला कबड्डी टीम की सदस्य रही मनाली के जगतसुख की कविता ठाकुर की मांग पर सांसद निधि से जगतसुख गांव में खेल स्टेडियम के निर्माण के लिए पांच लाख रुपये देने की घोषणा की। समारोह के बाद राम स्वरूप शर्मा ने गांव स्वच्छ भारत अभियान के तहत झाडू भी लगाया। इस दौरान विधायक जय राम ठाकुर तथा कुल्लू जिला भाजपा अध्यक्ष एवं विधायक गोविंद सिंह ठाकुर ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष राम सिंह, प्रदेश संगठन मंत्री शिशु धर्मा, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक खीमी राम शर्मा, युवराज बौद्ध, भाजपा जिला सुदंरनगर के अध्यक्ष राकेश जंबाल, ग्राम पंचायत मनाली के प्रधान हुक्म राम, भीमसेन शर्मा, विशन ठाकुर, टेक चंद, बौद्ध राज, अखिलेश कपूर, अमर ठाकुर आनी, अरविंद चंदेल, मेहर सिंह ठाकुर, बीडीसी सदस्य प्रीतम, मनाली नप उपाध्यक्ष चमन कपूर, एसडीएम मनाली विनय धीमान, बीडीओ नग्गर और कुल्लू मौजूद रहे।
सांसद बोले
मनुधाम नाम का कांप्लेक्स बनाया जाएगा गांव में
विभिन्न तरह की समितियों का किया जाएगा गठन

दस मेगावाट का गानवी बिजली प्रोजेक्ट शुरू मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया उद्घाटन

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दस मेगावाट का गानवी बिजली प्रोजेक्ट शुरू
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया उद्घाटन

ज्यूरी ( रामपुर बुशहर)। प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शुक्रवार को दस मेगावाट की गानवी चरण-2 परियोजना का विधिवत उद्घाटन किया। इस परियोजना के निर्माण पर लगभग 178 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
इससे पहले झाकड़ी में 70 लाख की लागत के बने सीनियर सेकेंडरी स्कूल भवन और ज्यूरी में लगभग सवा करोड़ की लागत से बनने वाले बिजली के कंट्रोल प्वांइट की भी आधारशिला रखी। झाकड़ी में दस करोड़ की लागत से बनने वाली सीवरेज लाइन की भी आधारशिलारखी। साथ ही शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री हैलिकॉप्टर से झाकड़ी हैलीपैड पर उतरे और यहां पर रावामापा झाकड़ी के नए भवन का उद्घाटन किया। उसके बाद ज्यूरी पहुंचे और यहां पर कई जगह मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया गया। इसके चलते उन्होंने ज्यूरी कंट्रोल प्वांइट की आधारशिला रखी। गानवी में 10 मेगावाट के गानवी चरण-दो का उद्घाटन किया। इसके बाद वापसी में झाकड़ी में करोड़ों की लागत से बनने वाली सीवरेज लाइन की भी अधारशीला रखी। इस मौके पर उनके साथ उर्जा एवं कृषि मंत्री सुजान सिंह पठानिया, सीपीएस एवं स्थानीय विधायक नंद लाल, पूर्व जिला परिषद चेयरमैन चंद्रप्रभा नेगी, कैलाश फेडरेशन चेयरमैन बृृृज लाल, बिजली बोर्ड के प्रिंसिपल सेक्रेट्री एसकेबीएस नेगी, एमडी पीसी नेगी मौजूद रहे। साथ ही डीसी शिमला दिनेश मल्होत्रा, एसपी शिमला डीडबल्यू नेगी, एसडीएम रामपुर दलीप नेगी, नाथपा-झाकड़ी परियोजना के महाप्रबंधक संजीव सूद, रामपुर परियोजना के महाप्रबंधक केके गुप्ता, एसई बिजली बोर्ड महेश सिंगल, एसएन उप्रती, एसई लोक निर्माण अशोक कुमार, एसई एनएच एचएस नेगी, आरई केएन शर्मा, एक्सीईएन एमएस ठाकुर, गोपी नेगी, सतीश शर्मा, हरिदास राठौर, मुर्त चौहान, अशोक नेगी, राजकांता नेगी, सोहन लाल, जयप्रकाश धंगल और अन्य लोग मौजूद रहे।
सवा करोड़ की लागत से बनने वाले बिजली के कंट्रोल प्वांइट की भी आधारशिला रखी
178 करोड़ की लागत से बनीं है गानवी विद्युत परियोजना
गानवी पहुंचने पर मुख्यमंत्री का जोरदार स्वागत किया गया। उनको रथ पर बैठा कर कार्यक्रम में ले जाते ग्रामीण।
ज्यूरी कंट्रोल सब स्टेशन का शिलान्यास करते मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह।

लवी मेले में शारदा, देव ने नचाए दर्शक

लवी मेले में शारदा, देव ने नचाए दर्शक
तीसरी सांस्कृतिक संध्या में रंगारंग प्रस्तुतियां
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रामपुर बुशहर। रामपुर में आयोजित लवी मेले की सांस्कृतिक संध्या के तीसरे दिन स्थानीय स्कूलों के बच्चाें व लोक कलाकारों ने दर्शकाें का खूब मनोरंजन किया। कार्यक्रम की शुरूआत में स्कूलों के छोटे बच्चाें ने रंगारंग प्रस्तुतियां पेश कीं। कार्यक्रम में आकर्षण का मुख्य केंद्र देव नेगी और शारदा भारद्वाज रहे।
शारदा भारद्वाज ने घुम घुम टारा रारा घीय री लोटड़ी, मोरू दी ताजी दासिया खोडो दी घूरो घुघती, कांडा चुटा कुमरो रा रे, लांबा कोरता चेटा गरारा आदि लोक गीम पेश कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में देव नेगी ने दर्शकाें का जमकर मनोरंजन किया। सांस्कृतिक संध्या के दौरान रिंकू राजा, बाल सरस्वती कला केंद्र ब्रौ, राजीव ज्योति वाइस ऑफ इंडिया, शारदा शर्मा, सरस्वती कला मंच देलठ, राजीव नेगी बादल म्यूजिकल ग्रुप किन्नौर, बनोकटा म्यूजिकल ग्रुप, बाल कृष्ण पाठक, जितेंद्र शर्मा, रेखा म्यूजिकल ग्रुप, तरूण म्यूजिकल ग्रुप, हितेष कुमार हनी, प्रदीप शर्मा, सोहन सागर म्यूजिकल ग्रुप, दीपक मेहता, मनमोहन सरतेला, राधा म्यूजिकल ग्रुप ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। साथ ही बीरबल चौपाल, जय प्रकाश, रोशनी जस्टा, पंकज वर्मा, तुलसी म्यूजिकल ग्रुप, वेद प्रकाश भारद्वाज, आकाश म्यूजिकल ग्रुप, प्रकाश धीमान, धामी म्यूजिकल ग्रुप, राज शर्मा, पवन ठाकुर, विमल नेगी, कविता म्यूजिकल ग्रुप, कामना चंदेल, राज राजा, जितेंद्र, ओजस्वी ने प्रस्तुतियां देकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों का जमकर मनोरंजन किया।

Winters Start with Fairs, Festivals

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Winters Start with Fairs, Festivals

Anni This Week
newsFairs and festivals are still a very important part of Himachali people’s lives. These fairs and festivals always keep us in touch with our culture and moral values. Perhaps fairs originated for the cultural exchange and we are still following the traditions of organising traditional fairs. However, a lot of things have changed in the recent past as we started following the western culture to celebrate fairs and festivals. However, we can say that these fairs always keep us all in touch with each other and are very important for cultural exchange. Many state, national and international level fairs and festival are organised in the state, including Hamir Fest, Sombhadra Fest and Lavi International festival.
Sombhadra Festival Concludes with Much Fanfare
Himachal This WeekThe state level Sombhadra organised at Indira Gandhi Stadium, Una concluded with much fanfare. Miss Pooja was the star attraction during the last cultural night of the fair. The three-daylong fair attracted locals as well as tourists towards the star nights of the fair which included performances by various Himachali and Punjabi singers and dancers. Famous Sufi singer Sarabjeet Cheema created a mesmerizing atmosphere on the first day of the fair. Master Saleem, a renowned name in Punjabi and Bollywood industry, performed during the fair which left the audience spell-bound.
Attraction of International Lavi Fair
The international Lavi Fair is definitely an important event in Himachal. It was famous for the trading and still it is one of the most important fairs since it gives an opportunity for remote traders to be a part of the festival and sell their goods which eventually bring money and recognition among people. The fair is organized with great pride and traders make all necessary plans to be a part of the event every year. This year too, the fair was organised with great festive spirit in Rampur Bushehar

Himachal’s Singing Stars

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Himachal’s Singing Stars

Rakesh Kathuria                  Cover Story
Himachal's Singing Stars  The knowledgeable audience present in Tanda medical College auditorium stood witness to the musical evening of ‘Himachal Ki Awaz-3′ grand finale to select Himachal’s singing star of 2014. The finalists performed one after the other during the final competition before the elite panel of judges, including famous Bollywood music director Lalit Pandit. ‘Himachal Ki Awaz’ event was started by Himachal’s leadingDivya Himachal Media Group three years ago to provide a platform to the budding and talented singers of the state. This year auditions were held at 13 places across the state in which nearly 1000 aspirants tried their luck in the singing field. All the contestants performed before panel of judges at various places and 180 contestants were shortlisted for a three day semi final held at Himalayan Group of Institutions in Kala Amb in Sirmaur district. Finally 20 finalists, 10 each in juniors and seniors categories, were selected for the grand finale held at Tanda Medical College auditorium. This event of Divya Himachal Media Group is gaining popularity with every passing year.
‘Himachal Ki Awaz -3′ Winners
HKA-3 Winners    Seniors                Junior
Winner               Gaurav                  Ritwik
Ist Runner up      Himanshi Kanwar       Aditya Bansal
2nd Runner Up     Ajay                    Sawan Jaryal
Berthin’s Gaurav is ‘Himachal ki Awaz’
Intends to make a career as Bollywood singer
Gaurav, Winner Himanshi Kanwar, Ist Runner upAjay, 2nd Runner upBerthin’s Gaurav was declared winner of ‘Himachal Ki Awaz-3′ after the grand finale. A B.Sc IInd year student, Gaurav had also participated in HKA-2 and had emerged as IInd runner up last year. He intends to make a career as Bollywood singer. Having started his singing career at the age of six years, Gaurav started his singing career from Badol Devi Jagran and also performed in Kala Sangram competition organised by Dhillon Creation, Chandigarh. Gaurav considers Master Saleem as his role model. His uncle Vijay Singh is helping Gaurav to realize his dream in singing field. People of Berthin gave Gaurav a rousing reception when he reached his native village after winning ‘Himachal Ki Awaz-3′ competition.
Ritwik of Palampur wins Junior Title
Aiming to become Bollywood music director
Ritwik Bhardwaj, WinnerAditya Bansal Ist Runner upSawan Jaryal 2nd Runner upHailing from Trehal village near Palampur, Ritwik Bhardwaj emerged as winner in Himachal ki Awaz-3 junior category. Inspired by the singing style of Hariharan, Ritwik is aiming to make a career as Bollywood music director. Ritwik not only brought laurels to his family but also to his music teach Tinku Raja under whose guidance he is training hard for the past one year. Ritwik had also won silver medal in PTC Punjabi’s Voice of Punjab besides showcasing his talent in Delhi Doordarshan’s Rafi Night.

CM dedicates Ghanvi stage-II hydro power project

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CM dedicates Ghanvi stage-II hydro power project

newsShimla - Chief Minister Virbhadra Singh today dedicated Rs 173 crore Ghanvi Stage II (10 MW) Hydel Electric Power (HEP) Project to the people at Ghanvi in Pandra Beesh area of Rampur Tehsil which would benefit the state by generating revenue of rupees twelve crore annually and 56 million unit of power. The power so produced would be routed through the Northern Grid.  He also visited the dam site, the intake reservoir, constructed by M/S Hydro Construction Power Company from where the water would be released in the power house of Ghanvi Stage-II project.
While addressing gathering at Ghanvi, Chief Minister said Pandra Beesh area was the one of the area where all the development was due to the successive Congress Governments. The State Government had interlinked all the interiors area of the Pandra Beesh area with roads.  He said that he himself had traversed the entire area  and a road map was prepared to develop it and thereafter the focus was on developing this belt and providing it connectivity with roads. He said that the need was to preserve our environs and the natural wealth of the State. The government was endeavoured to provide best of education and health services to the people of the State. He said that a Community Health Centre will be constructed at Ghanvi instead of Primary Health Centre as approved earlier and announced for redesigning the maps for converting PHC in CHC. He assured to fulfill all the demands of the people of the area.
He also congratulated Man Singh Thakur who did construction works and developed the Ghanvi Stage II dam site and said that both the Ghanvi Stage I and stage II were now producing 32.5 MW of power in the State and congratulated the officers of the Board. Earlier, Chief Minister inaugurated Government Senior School Building at Jhakri constructed at a cost of Rs 70 Lakh by Sutlej Jal Vidyut Nigam Foundation. He also performed the foundation stone laying ceremony of the 22 KV interlinking Sub Station which will provide feeder wise power supply to Ghanvi and would benefit people of eight panchayats having population of around 36 thousand and performed foundation stone of sewerage line at Jhakri to be constructed at a cost of Rs. 10 crore. Chief Parliamentary Secretary Nand Lal welcomed the Chief Minister and also spoke on the occasion.
MPP and Power Minister, Sujan Singh Pathania, President DCC Shimal Rural, KS Khachi, Principal Secretary MPP and Power and Chairman HPSEB Ltd SKBS Negi, Chairman Kailash Federation Brij Lal, MD HPSEB, PC Negi, Satish Verma President BCC Rampur, Pradhan Mahila Congress Chandra Prabha Negi, Deputy Commissioner Shimla, Dinesh Malhotra, SP DW Negi, Pradhans and Up pradhans of Pandhra Beesh area were also present on the occasion.

Saturday, 8 November 2014

दिल्ली के संदीप ने जीती माली

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दिल्ली के संदीप ने जीती माली
देव विदाई के साथ सिराज उत्सव संपन्न, बच्चों ने दी प्रस्तुति
आनी (कुल्लू)। आनी के राजा रघुबीर सिंह स्टेडियम में दो नवंबर से चल रहा सिराज उत्सव मंगलवार को क्षेत्र के आराध्य देवता शमशरी महादेव, पनेऊई नाग देवता और ओलवा के कुलक्षेत्र महादेव आदि देवताओं की विदाई के साथ धूमधाम से संपन्न हो गया। तीन दिवसीय इस मेले के समापन अवसर पर कुल्लू के एडीएम विनय सिंह ठाकुर बतौर मुख्यातिथि उपस्थित हुए। उन्होंने कमेटी की मांग पर राजा रघुबीर सिंह स्टेडियम में लोगों के बैठने के लिये सीढ़ियां बनाने, आनी कस्बे में सोलर स्ट्रीट लाइटें लगवाने के लिए यथा संभव सहायता देने का वादा किया।
समापन समारोह के दौरान हिमालयन मॉडल स्कूल और संस्कृत महाविद्यालय की छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया। इससे पूर्व उत्सव कमेटी के अध्यक्ष एवं एपीएमसी कुल्लू एवं लाहौल स्पीति के अध्यक्ष यूपेंद्र कांत मिश्रा ने भी अपने संबोधन में इस आयोजन के इतिहास पर प्रकाश डाला और क्षेत्र की समस्याओं से अवगत करवाया।
सिराज उत्सव का मुख्य आकर्षण विभिन्न राज्यों से आए पहलवानों का दंगल रहा। दंगल कार्यक्रम की अध्यक्षता कुल्लू के एसपी सुरेंद्र वर्मा ने की। दिन भर चले मुकाबलों में दिल्ली के संदीप ने पंजाब के हरमन को पछाड़ कर बड़ी माली जीत कर आनी केसरी का खिताब अपने नाम किया।
इस अवसर पर एसडीएम आनी नीरज गुप्ता, डीएसपी आनी सुरेश चौहान, बीडीओ हितेश आजाद, एक्सईएन आईपीएच आरसी कपूर, एसडीओ सेस राम आजाद, कमेटी उपाध्यक्ष फकीर चंद वर्मा, सचिव शिवराज शर्मा, पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष और बीडीसी सदस्य सतपाल ठाकुर, पूर्व बीसीसी अध्यक्ष सतपाल ठाकुर, नरेंद्र कटोच, उर्मिला देवी, शांति देवी, सीडीपीओ बीके शर्मा, हुक्म चंद चौधरी, सुशील शर्मा आदि मौजूद रहे।
ब्यूरो

सिराज उत्सव की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में स्‍थानीय कलाकारों ने बांधा समा

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साड़ी के फाॅल से मैच किया रे...पर झूमे
सिराज उत्सव की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में स्‍थानीय कलाकारों ने बांधा समा

आनी (कुल्लू)। सिराज उत्सव की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में लोक कलाकारों सहित फिल्मी और पंजाबी कलाकारों ने धूम मचाई। स्टार गायिका राखी गौतम ने साडे नाल रहोगे तो ऐश करोगे, इश्क दी गली बिच नो एंटरी, साडी के फाॅल से, मैं डरदी रब रब करदी आदि प्रस्तुतियां देकर उपस्थित लोगों की वाहवाही लूटी।
वहीं हिंदी गायक राजेश बबलू ने हुस्न पहाड़ों का जैसे अनेक प्रस्तुतियां देकर धमाल मचाया। लोक कलाकार शेर सिंह कौशल ने रेउशे थाचे, हो सुमित्रा मिलदी एच्छे, सैंज मारो होटला, आदि अनेक खूबसूरत प्रस्तुतियां देकर लोगों का मनोरंजन किया। इससे पूर्व स्थानीय युवा कलाकार हरिंद्र हैरी, अमर ठाकुर, सतीश आनंद, जय चोपड़ा व जेएस सोनू आदि ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर वाहवाही लूटी। वहीं लोक संपर्क विभाग कुल्लू के कलाकारों ने दोनों सांस्कृतिक संध्याओं में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों का खूब मनोरंजन किया। कार्यक्रम में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ कुल्लू अध्यक्ष सेसराम आजाद बतौर मुख्यातिथि शरीक हुए। उन्होंने मेला कमेटी को दस हजार रुपये दिए और क्षेत्रवासियों को मेले की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मेला कमेटी अध्यक्ष यूपेंद्र कांत मिश्रा, उपाध्यक्ष फकीर चंद वर्मा, सतपाल ठाकुर, डीएसपी आनी सुरेश चौहान सहित कई गण्यमान्य लोग मौजूद थे।

मनरेगा घोटाले में पंचायत प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई करें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

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मनरेगा घोटाले में पंचायत प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई करें ः कोर्ट
अमर उजाला ब्यूरो
शिमला। मनरेगा के तहत राज्य में करोड़ों रुपये के दुरुपयोग पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को कड़ा रुख अपनाया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को स्पष्ट किया कि राज्य भर में मनरेगा के फंड का दुरुपयोग करने वाले ग्राम पंचायत प्रधानों और पंचायत अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इसके लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के लिए तीन माह की समय सीमा निर्धारित की है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मंसूर अहमद मीर और जस्टिस त्रिलोक चौहान की दो सदस्यीय खंडपीठ ने मामले से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक आदेश जारी किए। याचिका विपिन कुमार ने दायर की थी।
हाईकोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि राज्य भर की ग्राम पंचायतों के प्रधानों और पंचायत अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी उसके समक्ष पेश की जाए। प्रार्थी विपिन कुमार ने याचिका में आरोप लगाया था कि राज्य भर की ग्राम पंचायतों के प्रधानों और पंचायत अधिकारियों ने मनरेगा के तहत करोड़ों रुपये के सार्वजनिक फंड का दुरुपयोग किया है। प्रार्थी ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि राज्य सरकार को आदेश दिए जाएं कि वे पंचायत के अधिकारियों और पदाधिकारियों से इस फंड की वसूली करें।

बाबा बालकनाथ हिमाचल और पंजाब प्रांत के सर्वाधिक पूज्य सिद्ध हैं।

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समरसता का पर्याय है नाथ संप्रदाय

नाथ संप्रदाय की परंपरा में गुरु गोरक्षनाथ ने मध्यकाल में सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा अभियान चलाया। उनके अभियान में हिंदू धर्म की विभिन्न जातियों को स्थान मिला। उस समय तो कई मुस्लिम भी नाथ संप्रदाय में दीक्षित हुए और सिद्ध के रूप में प्रतिष्ठा पाई। श्री गोरक्षनाथ की शिक्षा एंव चमत्कारों से प्रभावित होकर अनेकों बड़े राजाओं ने इनसे दीक्षा प्राप्त की। अपने विपुल वैभव को त्याग कर ऐसे लोगों ने आत्मोप्लब्धि प्राप्त की तथा जनकल्याण के कार्य में अग्रसर हुए…
नाथ संप्रदाय का भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचे के संरक्षण में अद्वितीय योगदान है। लंबे समय से विदेशी दासता झेल रहे समाज में इस संप्रदाय ने नई स्फूर्ति पैदा की और ऊंच-नीच की भावना से परे जाकर आध्यात्मिक तत्व को समझने की दृष्टि पैदा की। आद्य शंकराचार्य इस संप्रदाय के आदि पुरुष माने जाते हैं। इसको वर्तमान रुप देने वाले योगाचार्य बालयति श्री गोरक्षनाथ को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। तंत्र और योग ग्रंथों में श्री गुरु गोरक्षनाथ की कथाआें का विशद वर्णन हुआ है। श्री गोरक्षनाथ को वर्णाश्रम धर्म से परे पंचमाश्रमी अवधूत माना जाता है। उन्होंने योग क्रियाओं द्वारा मानव शरीरस्थ महाशक्तियों के विकास करने का उपदेश दिया और हठयोग की प्रक्रियाओं का प्रचार करके भयानक रोगों से बचने का जनसमाज को एक बहुत बड़ा साधन प्रदान किया। श्री गोरक्षनाथ ने योग संबंधी अनेकों ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे, जिनमे बहुत से प्रकाशित हो चुके है और कई अप्रकाशित रुप में योगियों के आश्रमों में सुरक्षित हैं। श्री गोरक्षनाथ की शिक्षा एंव चमत्कारों से प्रभावित होकर अनेकों बड़े-बड़े राजा इनसे दीक्षित हुए। उन्होंने अपने अतुल वैभव को त्याग कर निजानंद प्राप्त किया तथा जनकल्याण के लिए अग्रसर हुए। इन राजर्षियों द्वारा बड़े-बड़े कार्य हुए। श्री गोरक्षनाथ ने सांसारिक मर्यादा की रक्षा के लिए श्री मत्स्येंद्रनाथ को अपना गुरु माना। ऐसी मान्यता है कि चिरकाल तक इन दोनों में शंका समाधान के रुप में संवाद चलता रहा। नाथपंथ का योगी संप्रदाय अनादि काल से चला आ रहा है। बुद्ध काल में वाम मार्ग का प्रचार बहुत प्रबलता से हुआ। वाममार्गी सिद्धांत बहुत ऊंचे थे, किंतु साधारण बुद्धि के लोग इन सिद्धांतों की वास्तविकता को नहीं समझ पा रहे थे और इस कारण पथभ्रष्ट हो रहे थे। इस काल में उदार चेता श्री गोरक्षनाथ ने वर्तमान नाथ संप्रदाय को प्रचलित किया और तात्कालिक 84 सिद्धों में सुधार की प्रक्रिया को जन्म दिया। यह सिद्ध वज्रयान मतानुयायी थे। यह योगी संप्रदाय बारह पंथो में विभक्त है, यथाः-सत्यनाथ, धर्मनाथ, दरियानाथ, आई पंथी, रास के, वैराग्य के, कपिलानी, गंगानाथी, मन्नाथी, रावल के, पाव पंथी और पागल। इन बारह पंथ की प्रचलित परिपाटियों में कोई भेद नही हैं। भारत के प्रायः सभी प्रांतों में इस योगी संप्रदाय के बड़े-बड़े वैभवशाली आश्रम है और उच्च कोटि के विद्वान इन आश्रमों के संचालक हैं। श्री गोरक्षनाथ का नाम नेपाल में बहुत प्रतिष्ठित था और अब भी नेपाल के राजा इनको प्रधान गुरु के रुप में स्वीकार करते हैं। वहां पर इनके बड़े-बड़े प्रतिष्ठित आश्रम हैं। यहां तक कि नेपाल की राजकीय मुद्रा (सिक्के) पर श्री गोरक्ष का नाम है और वहां के निवासी गोरक्ष ही कहलाते हैं। काबुल,गांधार, सिंध, बलूचिस्तान, कच्छ और अन्य देशों तथा प्रांतों में श्री गोरक्षनाथ ने दीक्षा दी थी और ऊंचा मान पाया था। इस संप्रदाय में कई भांति के गुरु होते हैं जैसे कि चोटी गुरु, चीरा गुरु, मंत्र गुरु, टोपा गुरु आदि। श्री गोरक्षनाथ ने कर्ण छेदन,कान फाड़ना या चीरा चढ़ाने की प्रथा प्रचलित की थी। कान फाड़ने के प्रति तत्पर होने का मतलब कष्ट सहन की शक्ति, दृढ़ता और वैराग्य के प्रति अपनी आस्था प्रकट करना है।  श्री गुरु गोरक्षनाथ ने यह प्रथा प्रचलित करके अपने अनुयायियों, शिष्यों के लिए एक कठोर परीक्षा नियत कर दी। कान फड़ाने के पश्चात मनुष्य बहुत से सांसारिक झंझटों से स्वभावतः या लज्जा से बचता है। चिरकाल तक परीक्षा करके ही कान फाड़े जाते थे और अब भी ऐसा ही होता है। बिना कान फटे साधु को ‘औघड़’ कहते है और इसका आधा मान होता है। भारत में श्री गोरखनाथ के नाम पर कई विख्यात स्थान हैं और इसी नाम पर कई महोत्सव मनाए जाते हैं। यह संप्रदाय अवधूत संप्रदाय है। अवधूत शब्द का अर्थ होता है- स्त्री रहित या माया प्रपंच से रहित जैसा कि  सिद्ध सिद्धांत पद्धति में लिखा हैः-
‘सर्वान् प्रकृति विकारन वधु नोतीत्यऽवधूतः।’
अर्थात् जो समस्त प्रकृति विकारों को त्याग देता या झाड़ देता है, वह अवधूत है। नाथ लोग अलख (अलक्ष) शब्द से अपने इष्ट देव का ध्यान करते है। परस्पर आदेश या आदीश शब्द से अभिवादन करते हैं। अलख और आदेश शब्द का अर्थ प्रणव या परम पुरुष होता है जिसका वर्णन वेद और उपनिषद आदि में किया गया है।योगी लोग अपने गले में काले ऊन का एक जनेऊ रखते है जिसे ‘सेली’ कहते है। गले में एक सींग की नादी रखते है। इन दोनों को सींगी सेली कहते है। नाथ संप्रदाय का संबंध शैव मत से होता है और यह आराध्य के रूप में भगवान शिव की आराधना करते हैं। नाथ संप्रदाय के अनुयायियों ने समय-समय पर देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देशभक्ति की उत्कृष्ट भावना को भी अभिव्यक्त किया है।
नाथ संप्रदाय और बाबा बालकनाथ
बाबा बालकनाथ हिमाचल और पंजाब प्रांत के सर्वाधिक पूज्य सिद्ध हैं। नाथ संप्रदाय से उनके संबंधों के बारे में परस्पर विरोधी विचार मिलते हैं लेकिन लोक कथाओं में इस बात का पर्याप्त प्रमाण मिलता है कि बाबा बालकनाथ का संबंध नाथ संप्रदाय से था। बाबा बालक नाथ की माता का नाम यशोदा और पिता का नाम दुर्गादत्त था। वे भार्गव ब्राह्मण थे। बाबा बालकनाथ का झुकाव बचपन से ही वैराग्य की ओर था। किशोरवय होते-होते उनकी प्रसिद्धि एक चमत्कारी सिद्ध के रूप में हो गई थी।  एक बार उन्हें गुरु गोरखनाथ जी के दर्शन हुए और वह उनके पीछे चलने वाले चेलों की लंबी भीड़ देखकर हैरान रह गए। उन चेलों में कुछ राजकुमार भी थे। बाबा बालकनाथ जी ने गुरु गोरखनाथ को अपना गुरु बनाने की सोची। लेकिन यह संभव नहीं था क्योंकि गुरु गोरखनाथ किसी बालक को अपना शिष्य नहीं बनाते थे। बाबा बालकनाथ जी जब शिष्य बनने की कामना के साथ गुरु गोरखनाथ के पास गए तो उन्होंने, उन्हें शिष्य बनाने से इनकार कर दिया और आगे चलकर कभी शिष्य बनाने का आश्वासन दिया। एक दिन गुरु गोरखनाथ जी उस नगरी आए जिस जगह बाबा बालकनाथ जी विराजमान थे,तब बाबा बालकनाथ ने उनके साथ चमत्कार करने का विचार किया और सोचा कि अगर वह मुझे पकड़ने में कामयाब हो गए तो मैं इन्हें अपना गुरु मान लूंगा। यह सोचकर बाबा बालकनाथ जी जब उनसे मिलने गए और शिष्य बनाने के लिए प्रार्थना की तो पहले गुरु गोरखनाथ जी ने उन्हें समझाया और कहा नाथ पंथ बहुत कठिन है,तलवार की धार पर चलने के समान है। लेकिन जब बाबा नहीं माने तो गोरक्षनाथ उन्हें शिष्य बनाने के लिए राजी हो गए। जब वह उनका कर्ण छेदन करने वाले थे तभी बाबा बालकनाथ जी हवा में उड़ गए। यह देखकर गुरु गोरखनाथ जी ने अपनी बाईं भुजा को बड़ा किया और बाबा बालकनाथ जी को पकड़ कर नीचे उतार लिया और कहा- यदि कोई और शंका मन में हो तो वह भी निकाल लो। मैंने तुम्हे भागने का मौका दिया था पर तुम नहीं भाग सके। अब जिसे याद करना हो कर लो अब तो तुम्हें शिष्य बनना ही पड़ेगा। यह सुनकर बाबा बालकनाथ जी ने कहा- गुरुदेव! आपके सिवा कोई याद करने लायक नहीं है। आप चाहे बंधन में रखकर कर्ण छेदन करें या बिना बंधन के बिना। इतना सुनकर गुरु गोरखनाथ जी ने उन्हें बंधनों से मुक्त कर दिया।

राष्ट्रयोगी रामदेव

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राष्ट्रयोगी रामदेव

cereerभारत में हरियाणा राज्य के महेंद्रगढ़ जनपद स्थित अली सैयदपुर नामक एक साधारण से गांव में 25 दिसंबर, 1965 को गुलाबो देवी एवं रामनिवास यादव के घर जन्मे रामदेव का वास्तविक नाम रामकृष्ण था। बालक रामकृष्ण जब 9 वर्ष का था, तो कमरे में लगे क्रांतिकारी रामप्रसाद बस्मिल व स्वतन्त्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के चित्र टकटकी लगाकर घंटों देखता और मन में विचार किया करता कि जब ये अपने पुरुषार्थ से युवकों के आदर्श बन सकते हैं तो मैं क्यों नहीं बन सकता। समीपवर्ती गांव शहजादपुर के सरकारी स्कूल से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने के बाद रामकृष्ण ने खानपुर गांव के एक गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्न व योगाचार्य बलदेव जी से संस्कृत व योग की शिक्षा ली। पहले वाला रामकृष्ण रामदेव के नए रूप में लोकप्रिय हुआ। रामदेव ने सन् 1995 से योग को लोकप्रिय और सर्वसुलभ बनाने के लिए अथक परिश्रम करना प्रारंभ किया। कुछ समय तक कालवा गुरुकुल, जींद जाकर निशुल्क योग सिखाया। तत्पश्चात् हिमालय की कंदराओं में ध्यान और धारणा का अभ्यास करने निकल गए। वहां से सिद्धि प्राप्त कर प्राचीन पुस्तकों व पाण्डुलिपियों का अध्ययन करने हरिद्वार आकर कनखल में स्थित स्वामी शंकरदेव के कृपालु बाग आश्रम में रहने लगे। आस्था चैनल पर योग का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए माधवकांत मिश्र किसी योगाचार्य को खोजते हुए हरिद्वार पहुंचे, जहां बाबा रामदेव अपने सहयोगी आचार्य कर्मवीर के साथ गंगा तट पर योग सिखाते थे। माधवकांत मिश्र ने बाबा रामदेव के सामने अपना प्रस्ताव रखा। आस्था चैनल पर आते ही बाबा रामदेव की लोकप्रियता दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ने लगी।
संपादित कार्य
इस युवा संन्यासी ने कृपालु बाग आश्रम में रहते हुए स्वामी शंकरदेव के आशीर्वाद, आचार्य बालकृष्ण के सहयोग तथा स्वामी मुक्तानंद जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों के संरक्षण में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की। आचार्य बालकृष्ण के साथ उन्होंने अगले ही वर्ष सन् 1996 में दिव्य फार्मेसी के नाम से आयुर्र्वेदिक औषधियों का निर्माण कार्य भी प्रारम्भ कर दिया।
देश-विदेश से सम्मान
* न्यूयार्क अमरीका की संस्था नसाऊ काउंटी द्वारा सम्मानित
* न्यू जर्सी की सीनेट व जनरल असेंबली द्वारा सम्मानित
* ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ  कॉमन्स में  सम्मानित
* कलिंगा इंस्टीच्यूट ऑफ  इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी भुवनेश्वर द्वारा जनवरी 2007 में डीलिट योग की मानद उपाधि बरहामपुर विश्वविद्यालय द्वारा स्वामी जी को डाक्टरेट की मानद उपाधि इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा  देश के सबसे ऊंचे, असरदार, शक्तिशाली व प्रभावशाली 50 लोगों की सूची में सम्मिलित एसोचैम द्वारा स्वामीजी को ग्लोबल नॉलेज मिलेनियम ऑनर

स्वार्थ और सरोकार के एनजीओ

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स्वार्थ और सरोकार के एनजीओ

( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं )
यह जमाना एनजीओ के फलने-फूलने का है, इसलिए बहुत से एनजीओ सिर्फ कागजी काम करके और अखबारों में खबरें छपवाकर सरकारी ग्रांट हड़प लेते हैं। खासकर सरकारी कर्मचारी और नौकरशाह, जिन्हें इन योजनाओं की जानकारी रहती है, अपनी बीवियों के नाम से एनजीओ चलाकर अपना धंधा चमकाने में लगे रहते हैं या फिर रिटायर हो चुके सरकारी अधिकारी भी बहुत से एनजीओ चला रहे हैं और तगड़ा पैसा कूट रहे हैं। लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिनके लिए समाज सेवा एक जज्बा है और वे निःस्वार्थ रूप से अपने काम में जुटे हुए हैं…
एनजीओ (नॉन-गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशन यानी गैर सरकारी संस्था) को एनजीओ कहा ही इसलिए जाता है, क्योंकि वह सरकारी संस्था न होते हुए भी ऐसा काम करती है, जिसे सरकार द्वारा किया जाना चाहिए था, पर सरकारें कर नहीं पातीं। यह जमाना एनजीओ के फलने-फूलने का है, इसलिए बहुत से एनजीओ सिर्फ कागजी काम करके और अखबारों में खबरें छपवाकर सरकारी ग्रांट हड़प लेते हैं। खासकर सरकारी कर्मचारी और नौकरशाह, जिन्हें इन योजनाओं की जानकारी रहती है, अपनी बीवियों के नाम से एनजीओ चलाकर अपना धंधा चमकाने में लगे रहते हैं, या फिर रिटायर हो चुके सरकारी अधिकारी भी बहुत से एनजीओ चला रहे हैं और तगड़ा पैसा कूट रहे हैं। लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिनके लिए समाज सेवा एक जज्बा है, पैशन है और वे निःस्वार्थ रूप से अपने काम में जुटे हुए हैं।
बीबीसी की संवाददाता शिल्पा कन्नन ने अपने एक समाचार में ‘सोसायटी फॉर चाइल्ड डिवेलपमेंट’ का जिक्र करते हुए बताया है कि इस संस्था के सदस्य दिल्ली के होटलों और मंदिरों से टनों की मात्रा में फेंक दिए गए फूल चुनते हैं, ताकि वे इनसे प्राकृतिक रंग बना सकें जो मानवीय त्वचा के लिए नुकसानदेह नहीं हैं। इन रंगों का इस्तेमाल बहुत से पर्व-त्योहारों में होता है। दूसरी बड़ी बात यह है कि इस काम में लगे इसके सदस्य नेत्रहीन हैं। ये खुद रंग-बिरंगे फूलों और इनसे बने रंगों को नहीं देख सकते, पर इस तरह से वे न केवल शहर से कचरे की सफाई कर रहे हैं, समाज को हानिरहित रंग देकर समाज सेवा कर रहे हैं। इसके साथ ही वालमार्ट जैसी बड़ी व्यापारिक संस्थाओं को ये रंग बेच कर न केवल खुद लाभ कमा रहे हैं, बल्कि वालमार्ट का व्यवसाय बढ़ाने में भी सहयोग दे रहे हैं। इस काम में वालमार्ट उन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं देती, पर वे उनका कारोबार खड़ा करने में अपनी विशेषज्ञता की मदद दे रहे हैं। कचरे को उपभोक्ता वस्तु में बदलने की चैरिटी का कारोबार करने वाली इस गैर सरकारी संगठन की निदेशक मधुमिता पुरी का कहना है कि हम गरीबी के खिलाफ लड़ रहे हैं, लेकिन गरीबी हमारी पीढ़ी के सामने मौजूद सबसे बड़ा अनसुलझा मसला है। भलाई का काम मसले का हल नहीं है। हम अपना सामान बेचने के लिए उपयुक्त बाजार तलाश रहे हैं। नेत्रहीन और दिमाग से कमजोर लोगों को जिंदगी में कुछ कर सकने की काबिलीयत सिखाने के लिए हम कारपोरेटस और बड़े कारोबारियों से मदद मांगते हैं। इस साल हमने बेकार छोड़ दिए गए फूलों से 18 टन रंग बनाए थे और अब हम बेकार फेंके गए कपड़ों से लैंप बना रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 80 फीसदी लोग साल में कम से कम एक बार चंदा जरूर देते हैं। भारतीय लोग विकलांग, बेघर, बूढ़ों और पढ़ाई-लिखाई के नाम पर पैसा देने से गुरेज नहीं करते हैं। गैर सरकारी संगठन ‘गूंज’ के अंशुल गुप्ता कहते हैं कि भारत में समस्याएं इतनी बड़ी हैं कि केवल आर्थिक विकास से चीजें सुलझने वाली नहीं हैं।
समाज सेवा की अपनी अहमियत है। समाज सेवा के कारोबार में उनके संगठन ने खूब तरक्की की है। जम्मू-कश्मीर के बाढ़ पीडि़तों के लिए ‘गूंज’, ‘बुलंदी’ और ‘केयर इंडिया’ ने हाल ही में चंदा जमा करने की बड़ी मुहिम चलाई थी। समाज सेवा के काम को नई दिशा देते हुए सरकार ने भी भारतीय कंपनियों को अपने मुनाफे का दो फीसदी समाज की भलाई के लिए खर्च करने के लिए कहा है। नए नियमों के तहत 500 करोड़ रुपए से बड़ी पूंजी वाली कंपनियों को अपने मुनाफे का दो फीसदी सामाजिक कार्यों के लिए खर्च करना होगा। माना जा रहा है कि तकरीबन 12 हजार कंपनियां इस दायरे में आ जाएंगी। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने चेतावनी भी दी है कि सरकार कंपनियों पर नजर रखेगी कि वे अपना पैसा सार्थक परियोजनाओं में खर्च करती हैं या नहीं। अभी दिवाली के समय मेरे मित्र एवं ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट के सीईओ ने एक बड़ा पुण्य का काम किया।
एनजीओ राउंड टेबल इंडिया और माई एफएम 93.4 के सहयोग से उन्होंने दिवाली पर एक अभिनव अभियान चला कर दिवाली के समय ट्राइसिटी चंडीगढ़ के लोगों से 900 रुपए की कीमत का एक विशेष दीया खरीदने की अपील की। इस तरह इकट्ठा होने वाले धन से उन्होंने अपनी आंखें खो चुके 18 वर्षीय किशोर विनोद की आंखों का आपरेशन करके उसे दोबारा देखने के काबिल बनाने का बीड़ा उठाया। माई एफएम ने इस अभियान का जमकर प्रचार किया। अभियान चलाने से पहले डा. ग्रेवाल और माई एफएम को उम्मीद थी कि वे लोगों को प्रेरित करके किसी न किसी तरह लगभग एक लाख रुपया इकट्ठा कर लेंगे और जबकि ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट ने आपरेशन पर खर्च होने वाली शेष राशि खुद देने का वादा किया। विनोद की दोनों आंखें बचपन से ही जाती रही थीं और इनको दोबारा देखने के काबिल बनाने के लिए आपरेशन के अलावा आने वाले कई वर्षों तक रिहेबिलिटेशन का काम करना होगा। ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट ने इस महत्ती जिम्मेदारी को संभाला है। विनोद के पिता रिक्शा चलाते हैं और उनके पास विनोद के आपरेशन के लिए आवश्यक आर्थिक साधन नहीं थे। बड़ी बात यह है कि इस अभियान में एक लाख रुपए की जगह तीन लाख रुपए से भी ज्यादा धन इकट्ठा हो गया और वह भी तब जब माई एफएम और ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट ने कई दानकर्ताओं से पैसे लेने से मना कर दिया, क्योंकि उनकी आवश्यकता से अधिक धन पहले ही इकट्ठा हो चुका था। एक सज्जन तो अपनी ओर से ब्लैंक चेक देने को तैयार हो गए, ताकि विनोद की आंखें दोबारा वापस आ सकें।
अब माई एफएम तथा ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट ने इकट्ठा हुए अतिरिक्त धन को और कई बच्चों के आपरेशन के लिए उपयोग करना आरंभ कर दिया है और ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट ने एक कदम और आगे बढ़ कर जन्म से सफेद मोतिया की शिकार दो साल की एक छोटी-सी बच्ची की आंख का सफल आपरेशन किया है, जो विश्व में अपनी तरह का तीसरा आपरेशन है। ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट द्वारा संचालित एनजीओ ‘रोशनी’ के डाक्टरों की पूरी टीम गांव-गांव जाकर पंचायतों, गुरुद्वारों, मंदिरों, लायंस क्लब, रोटरी क्लब और ऐसी अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर लगातार आई चैकअप कैंप लगाती रहती है और गरीबों-मजदूरों-वंचितों को साधनहीनता के कारण आंखों से न जाना पड़े। यह खुशी की बात है कि समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो बिना किसी प्रचार की आशा के भलाई के कामों में लगे रहते हैं। अब एनजीओ ‘बुलंदी’ ने इसे एक सुशासित, सुसंचालित, संगठित अभियान बनाने की योजना पर काम करना आरंभ कर दिया है, ताकि समाज का समग्र विकास संभव हो सके। ‘बुलंदी’ से ‘बुलंदी.ओआरजी(ऐट)जीमेल.कॉम’ पर संपर्क किया जा सकता है। कारपोरेट सेक्टर ही नहीं, समाज का हर साधन संपन्न व्यक्ति इस अभियान का हिस्सा बन सकता है। यह निश्चय ही एक प्रशंसनीय शुरुआत है।

MushroomFarming Mushrooms in Himachal

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MushroomFarming Mushrooms in Himachal

Rajiv K. Phull              Cover Story
MushroomFarming Mushrooms in HimachalMushroom farming is gaining popularity among farmers and youths in Himachal as the state offers congenial environment for its growth. Earlier, mushrooms were considered as a delicacy but now it seems to have invaded the food habits of Himachalies especially during winters when local grown mushrooms are available in abundance, feel experts. Earlier people used to grow different varieties of mushrooms to supplement their income but lately mushroom cultivation has been adopted at commercial level in different parts of the state. This has not only generated self employment opportunities for many youth but also engaged others in associated activities. In Himachal Solan has been given the title of ‘Mushroom City of India’ because of its industrialized mushroom cultivation. However, mushroom growers too face many problems including high input cost
Why Eat Mushrooms?
Mushrooms are source of quality protein having essential amino acids and high digestibility.
*   No cholesterol and low fat with ergosterol and polyunsaturated fatty acids : Good for Heart.
*   Low calorific food with no starch, low sugars : Delight of Diabetics.
*   High Fibre, low sodium-high potassium diet : Anti-Hypertensive.
*   Good source of vitamin B-complex and Vit C; only vegetable source of Vit D.
*   Rich in minerals like copper (cardio-protective) & Selenium (anti-cancer).
*   Anticancer, Anti-HIV, Anti-viral, Anti-histaminic, Hypo-cholesterolemic,Hepato-& Nephro-protective, Anti-oxident, stamina enhancer, etc.
Sr. No.      Infrastructure          Location
1.     A) Mushroom Compost        Solan-3,Kullu-1, Production Units : Kangra -2, Sirmaur -1
B) Spawn Units                     Solan- 2, Sirmaur-1, Palampur -1
Private Sector
2.      A) Mushroom Compost      Solan-21, Shimla -6, Sirmaur -3,
Production Units                    Una -1, Kangra -2, Mandi -2, Kullu-1, Hamirpur -1
B) Spawn Units                    Solan -7, Sirmaur -1
NRCM a Boon for Mushroom Growers
Bhupender Thakur
HTWThe National Centre for Mushroom Research and Training (NCMRT) came into existence at Solan, later renamed as National Research Centre for Mushroom in 1983 during the VIth Five Year Plan under the auspices of Indian Council of Agricultural Research (ICAR). The Centre was formerly inaugurated on 21st June, 1987 by Dr. Gurdial Singh Dhillon, the then Union Minister for Agriculture and President of ICAR Society.  It was upgraded to Directorate of Mushroom Research (DMR) on December 26, 2008.  Established with the objective of undertaking research on all aspects of mushrooms and also to impart training to the trainers and growers, this centre is proving to be a boon for mushroom growers of Himachal as they look forward to it for all their problems.
Mandate:
*   To conduct mission-oriented and innovative research on all aspects of mushrooms
*   To act as the centre of academic excellence and repository of mushroom germplasm and information
*   To coordinate network research on location specific problems of national importance to achieve higher production and
productivity
*   To promote human resource development and transfer of technology
*   To provide technical support to the mushroom industry as well as to rural masses for poverty alleviation
Hybrid Seeds
Seeds of nearly two dozen varieties of mushrooms are prepared in NRCM centre located in Chambaghat. The centre is continuously doing research on hybrid mushroom seeds. According to available information mushroom growers can hope to get hybrid seed of white button mushroom variety in future. Hybrid seeds can be grown in lesser quantity of compost and the productivity of mushrooms will also increase. Researchers are focusing their work as to shorten the production time of hybrid seeds.
Training Programmes
HTWTraining programmes for farmers are being held by the NRCM, Dr. Y. S. Parmar University Horticulture and Forestry, Department of Horticulture and CSK Himachal Pradesh Agriculture University from time to time. The participants are imparted training in different aspects of mushroom cultivation, including preparation of compost, mushroom rearing and marketing. In addition, special camps are also organized to solve problems of mushroom growers.
2000 Mushroom Growers in Himachal
Nearly 2,000 farmers are engaged in mushroom production in the state, including small, marginal and big growers. Himachal is producing nearly 6-7 tones of mushrooms daily. As there is a huge gap in demand and supply of mushrooms, these are also imported from neighbouring states also.
Tremendous Potential for Self Employment
Experts feel that mushroom growing avocation has tremendous scope for generating self employment. Since Himachal has congenial environment for mushroom production as compared to other states besides having a huge market, educated unemployed youths can be motivated to adopt this avocation to earn livelihood. A survey in the past had pointed that per capita consumption in the country is nearly 30-40gms daily.
*   2000 Mushroom Growers in Himachal
*   Daily production is 6-7 tones
*   Per capita consumption is 30-40 gms in India
Shortage of Compost
HTWCompost producing units are located in entire state both in public and private sector, yet the farmers face problem in procuring compost at the right time for mushroom cultivation. Horticulture Department is also providing subsidy on compost for marginal farmers but it is available at a rate of Rs. 7 to Rs. 8 per kg from private producers.
*   Compost cost is Rs 8 per kg
*   Average selling price of mushrooms is Rs 100 to Rs. 125 per kg

साइंस मेले में आनी का दबदबा

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साइंस मेले में आनी का दबदबा

आनी - कुल्लू में आयोजित जिला स्तरीय साइंस मेले में विभिन्न प्रतियोगिताओं में आनी ब्लॉक का दबदबा रहा। आनी खंड के प्रभारी निहाल ठाकुर ने यह जानकारी दी। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने के बाद अब ये होनहार छात्र 14 से 17 नवंबर में राज्य स्तरीय चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस में प्रतिनिधित्व करेंगे। वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट अरबन वर्ग में ही आनी के सतीश ने तीसरा स्थान, एक्टिविटी कॉर्नर के शिल्ली जांजा और लॉरेंस पब्लिक स्कूल चवाई ने दूसरा और जूनियर अरबन में मिलियन मॉडल स्कूल के छात्रों ने दूसरा, जबकि लुहरी की अंजलि और सेजल ने वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट में दूसरा स्थान हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है

हिमाचल से 60 हजार छात्र शिक्षित होकर निकल रहे हैं

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उद्योगों की हर जरूरत पूरी करेगा हिमाचल

NEWSशिमला— इन्वेस्टर मीट के दौरान कर्नाटक के निवेशकों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि औद्योगिक विस्तार को मजबूती देना अब सरकार का लक्ष्य है। उन्होंने आईटी, ऊर्जा, शिक्षा व टूरिज्म पर आधारित बड़े निवेशकों को आश्वासन दिया कि हिमाचल में उन्हें हर सहूलियत दी जाएगी। उद्योग विभाग ने एक बड़ा लैंड बैंक विकसित किया है। प्रदेश में साल भर अतिरिक्त बिजली उपलब्ध रहती है। सड़क नेटवर्क मजबूत है। अन्य राज्यों की तुलना में गांव-गांव दूरसंचार नेटवर्क से जुड़ चुका है। उत्तरी क्षेत्र की बड़ी मार्केट प्रदेश के सीमांत इलाकों के नजदीक हैं, जो रेल से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने गत वर्षों में तरक्की की नई राहें तय की हैं। मौजूदा प्रचलित भावों के तहत यहां प्रति व्यक्ति आय 83899 आंकी गई है। साक्षरता दर 82.82 फीसदी है, जो इस क्षेत्र में सबसे ऊंची है। पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में 1391 रुपए की दर से खर्च करने वाला हिमाचल पहला राज्य है। गुणवत्तायुक्त शिक्षा के तहत हर वर्ष हिमाचल से 60 हजार छात्र शिक्षित होकर निकल रहे हैं। लिहाजा उद्योगों के लिए शिक्षित युवाओं की भी यहां कमी नहीं है। स्वास्थ्य क्षेत्र का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में भी हिमाचल सर्वश्रेष्ठ राज्य है, जो 377 रुपए की दर से खर्च कर रहा है। उन्होंने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थतियों के बावजूद हिमाचल आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि मनिपाल यूनिवर्सिटी प्रदेश में शिक्षण संस्थान खोलना चाहती है तो उसका स्वागत किया जाएगा। उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने निवेशकों को आश्वासन दिया कि उन्हें हिमाचल में हर संभव सहायता दी जाएगी। उन्होंने निवेशकों को रेनबैकसी की मिसाल दी, जिसकी देश में नौ इकाइयां हैं, जिनमें से पांच हिमाचल में ही हैं। उन्होंने कैडबरी, डाबर, नेस्ले व अन्य बड़े निवेशकों की भी मिसाल दी। उन्होंने कहा कि निवेशकों को सभी तरह की क्लीयरेंस 90 दिन के अंदर जुटाई जा रही है। उन्होंने कहा कि निवेशकों की दिक्कतों का  समाधान कर लिया गया है। यदि कोई निवेशक अपनी यूनिट बेचना चाहता है तो उसके लिए धारा-118 के नियमों में संशोधन किया गया है।
 योजना आयोग के विकल्प की जरूरत
कर्नाटक में इन्वेस्टर मीट के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने योजना आयोग के विकल्प पर बल देते हुए कहा कि अभी तक भी केंद्र सरकार ने इसे नहीं तलाशा है। नतीजतन राज्यों को वित्तीय आबंटन बीच राह रुक चुका है। वह जल्द ही केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि इसका विकल्प जल्द तलाशा जाए। उन्होंने कहा कि शासन बदलने के बाद दिक्कतें आती हैं और यदि सरकारें पुरानी नीतियों व योजनाओं को बदलना चाहती हैं तो यह भी आवश्यक रहता है कि उनका विकल्प तत्काल जुटाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिकरण के बूते एक विकसित हिमाचल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
ऊना के अग्निहोत्री लगाएंगे 250 करोड़
ऊना के कोमल अग्निहोत्री जीएमएस शिपिंग कंपनी चला रहे हैं। वह टाहलीवाल से हैं और अपनी ही जमीन पर फूड पार्क व एग्रो आधारित प्रोजेक्ट स्थापित करना चाहते हैं। राज्य सरकार ने उनके प्रस्ताव को सैद्धांतिक अनुमति भी दे दी है। कोमल अग्निहोत्री पूरे विश्व में 60 फीसदी समुद्री जहाजों की खरीद-फरोख्त का कार्य करते हैं। उन्होंने प्रदेश में 250 करोड़ के पूंजी निवेश की ऑफर दी है।