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राष्ट्रयोगी रामदेव
भारत में हरियाणा राज्य के महेंद्रगढ़ जनपद स्थित अली सैयदपुर नामक एक साधारण से गांव में 25 दिसंबर, 1965 को गुलाबो देवी एवं रामनिवास यादव के घर जन्मे रामदेव का वास्तविक नाम रामकृष्ण था। बालक रामकृष्ण जब 9 वर्ष का था, तो कमरे में लगे क्रांतिकारी रामप्रसाद बस्मिल व स्वतन्त्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के चित्र टकटकी लगाकर घंटों देखता और मन में विचार किया करता कि जब ये अपने पुरुषार्थ से युवकों के आदर्श बन सकते हैं तो मैं क्यों नहीं बन सकता। समीपवर्ती गांव शहजादपुर के सरकारी स्कूल से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने के बाद रामकृष्ण ने खानपुर गांव के एक गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्न व योगाचार्य बलदेव जी से संस्कृत व योग की शिक्षा ली। पहले वाला रामकृष्ण रामदेव के नए रूप में लोकप्रिय हुआ। रामदेव ने सन् 1995 से योग को लोकप्रिय और सर्वसुलभ बनाने के लिए अथक परिश्रम करना प्रारंभ किया। कुछ समय तक कालवा गुरुकुल, जींद जाकर निशुल्क योग सिखाया। तत्पश्चात् हिमालय की कंदराओं में ध्यान और धारणा का अभ्यास करने निकल गए। वहां से सिद्धि प्राप्त कर प्राचीन पुस्तकों व पाण्डुलिपियों का अध्ययन करने हरिद्वार आकर कनखल में स्थित स्वामी शंकरदेव के कृपालु बाग आश्रम में रहने लगे। आस्था चैनल पर योग का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए माधवकांत मिश्र किसी योगाचार्य को खोजते हुए हरिद्वार पहुंचे, जहां बाबा रामदेव अपने सहयोगी आचार्य कर्मवीर के साथ गंगा तट पर योग सिखाते थे। माधवकांत मिश्र ने बाबा रामदेव के सामने अपना प्रस्ताव रखा। आस्था चैनल पर आते ही बाबा रामदेव की लोकप्रियता दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ने लगी।
संपादित कार्य
इस युवा संन्यासी ने कृपालु बाग आश्रम में रहते हुए स्वामी शंकरदेव के आशीर्वाद, आचार्य बालकृष्ण के सहयोग तथा स्वामी मुक्तानंद जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों के संरक्षण में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की। आचार्य बालकृष्ण के साथ उन्होंने अगले ही वर्ष सन् 1996 में दिव्य फार्मेसी के नाम से आयुर्र्वेदिक औषधियों का निर्माण कार्य भी प्रारम्भ कर दिया।
देश-विदेश से सम्मान
* न्यूयार्क अमरीका की संस्था नसाऊ काउंटी द्वारा सम्मानित
* न्यू जर्सी की सीनेट व जनरल असेंबली द्वारा सम्मानित
* ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में सम्मानित
* कलिंगा इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी भुवनेश्वर द्वारा जनवरी 2007 में डीलिट योग की मानद उपाधि बरहामपुर विश्वविद्यालय द्वारा स्वामी जी को डाक्टरेट की मानद उपाधि इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा देश के सबसे ऊंचे, असरदार, शक्तिशाली व प्रभावशाली 50 लोगों की सूची में सम्मिलित एसोचैम द्वारा स्वामीजी को ग्लोबल नॉलेज मिलेनियम ऑनर
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