Tuesday, 10 June 2014

पर्यटकों की सुरक्षा करे राज्य सरकार

पर्यटकों की सुरक्षा करे राज्य सरकार

मंडी — केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्य सरकार से पर्यटकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने  की बात कही है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों की जान-माल की रक्षा करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। स्मृति ईरानी ने दो दर्जन छात्रों के  ब्यास नदी में डूबने की घटना को बेहद दर्दनाक बताया। उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करेंगी कि उन्हें फिर से कभी ऐसे हिमाचल में न आना पडे़। सोमवार को घटना स्थल का दौरा करने के बाद पंडोह में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि इस मामले पर राज्य सरकार से बात की है और केंद्र से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि अब बाकी विद्यार्थियों और अध्यापकों को घर पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है और इस सारे मामले में राज्य सरकार ने जांच के भी आदेश दिए हैं। उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें स्थानीय लोगों ने बताया कि लारजी डैम के बाद नीचे ब्यास नदी के पास सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं, जबकि यहां पर एक प्राइमरी और वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भी है। स्कूल के बच्चे भी खेलने के उद्देश्य से नदी किनारे चले जाते हैं। उसी प्रकार कुल्लू-मनाली घूमने जाने वाले पर्यटक भी अकसर नदी किनारे चले जाते हैं। उन्हें इस बात का बिलकुल पता नहीं होता है कि डैम से कब पानी छोड़ दिया जाएगा। ऐसा ही कुछ रविवार शाम हैदराबाद के उन छात्रों के साथ भी हुआ। स्मृति ईरानी ने कहा कि लोगों ने बताया है कि परियोजना प्रबंधन का सायरन सिस्टम भी ठीक नहीं है। पानी छोड़ने से पहले चेतावनी के रूप में जब इसे बजाया जाता है तो यह सुनाई भी नहीं देता है। राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इस मौके पर पूर्व मंत्री जयराम ठाकुर , खीमी राम, प्रदेश सचिव पायल वैद्य, प्रवीण शर्मा, जिला भाजपा अध्यक्ष जवाहर ठाकुर, पंकज कपूर, भुवनेश्वरी कपूर आदि भी मौजूद थे।

प्रदेश बिजली बोर्ड के दो इंजीनियरों समेत तीन सस्पेंड

newsशिमला, कुल्लू — लारजी पन विद्युत परियोजना के डैम से पानी छोड़ने के बाद हैदराबाद के छात्रों के बहने की घटना के मामले में बिजली बोर्ड ने अपने दो इंजीनियरों समेत तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड हुए कर्मचारियों में आवासीय अभियंता मनदीप, एक्सईएन सिविल एमएस डढवालिया व फीटर हरबंस शामिल हैं। एक तरफ सरकार ने मामले की जांच बिठाई है तो दूसरी ओर बिजली बोर्ड ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। बोर्ड की जांच रिपोर्ट में किसी भी कोताही से इनकार किया गया है। बिजली बोर्ड की जांच रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि नॉर्थ ग्रिड से स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर को लोड घटाने के लिए कहा गया था, क्योंकि नॉर्थ ग्रिड की फ्रिक्वेंसी बढ़ गई थी। यदि हिमाचल बिजली बोर्ड उस समय उत्पादन को कम नहीं करता तो नॉर्थ ग्रिड कोलैप्स हो सकता था, जिससे पूरा उत्तर भारत बिजली संकट में आ जाता। सूत्रों के अनुसार बोर्ड की जांच रिपोर्ट में साफ किया गया है कि नॉर्थ ग्रिड के कहने पर एसएलडीसी ने लोड घटाने को जब कहा तो बोर्ड ने लारजी, बस्सी, भावा, बसपा परियोजनाआें में उत्पादन को लगभग रोक दिया। बोर्ड ने उस समय कुल 260 मेगावाट बिजली का उत्पादन रोक दिया था। इसमें 140 मेगावाट बिजली शेयर की थी, जिसे भी रोक दिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि तापमान अधिक होने से ग्लेशियर तेजी के साथ पिघले और नदियों में जलस्तर एकदम बढ़ गया। लारजी से पहले पार्वती परियोजना से भी पानी छोड़ा गया था, जिसके बाद लारजी डैम में पानी डेंजर जोन से ऊपर चला गया। उससे पहले एसएलडीसी से निर्देश आए जिस पर गेट खोलकर पानी छोड़ा गया। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो डैम तबाह हो सकता था, वहीं तुरंत बिजली उत्पादन भी बंद करना पड़ा। मौके पर लोगों को सचेत करने के लिए हूटर बजाए गए, जोकि रूटीन में पानी छोड़ते वक्त किया जाता है। यहां से तीन चरणों में पानी छोड़ा गया, जिसमें सर्वप्रथम 50 क्यूमेक्स पानी, फिर 150 क्यूमेक्स पानी व 250 क्यूमेक्स पानी को छोड़ा गया। यही पानी आगे चलकर हादसे का कारण बना।

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