Tuesday, 10 June 2014

राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर

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राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर

cereerहिमाचल प्रदेश की कई छोटी छोटी रियासतों में सुकेत रियासत का ही एक भाग सुंदरनगर है। यहीं अवस्थित हैं राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर।   प्रबुद्ध पंडित श्री सूरजमणि सूरी ने सन् 1923 को यहां संस्कृत पाठशाला का शुभारंभ किया। सनातन धर्म सभा द्वारा प्रार्थित श्री सूरजमणि, श्री कन्हैया लाल, श्री अनंत राम, श्री दाता राम जैसे विद्वानों के सौजन्य एवं पूर्ण आचार्यत्व कार्य वर्षो तक निबार्ध चलता रहा। सन् 1948 में भारत सरकार द्वारा अधिगृहीत इस राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रथम प्राचार्य नियुक्त हुए श्री भक्त राम जी शास्त्री, जो उन्हीं दिनों लाहौर से शास्त्री की उपाधि प्राप्त करके लौटे थे। स्वतंत्रता की इस सुनहली भोर से लेकर आज तक यह महाविद्यालय हिमाचल भर में ही नहीं बल्कि हिमाचल के बाहर भी छात्र संख्या के आधार पर ही नहीं, गुणवता के आधार पर भी श्रेष्ठता के कारण अग्रणी रहा है। जिसके लिए संस्था ऋणी है श्री वीके पांडेय, श्री हरमणि पुरोहित, श्री शालीग्राम आचार्य जैसे प्रतिभा  ज्ञान संपन्न दिग्गज विद्वानों की।  यह राजकीय संस्कृत महाविद्यालय उत्तरी भारत के श्रेष्ठ एवं प्रमुख संस्कृत संस्थाओं में अग्रगण्य है। यहां आज भी असंख्य विद्यार्थी प्राच्य प्रद्धति से स्नातक एवं स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस महाविद्यालय का अपना भवन और विशाल परिसर है। पिछले दो वर्षों से महाविद्यालय ने हर क्षेत्र में उन्नति की है। पिछले वर्ष महाविद्यालय के मैदान के साथ मंच के पीछे भरतमुनि प्रकोष्ठ नामक बड़े हाल का निर्माण हुआ है। जिसमें पौने दो सौ के करीब छात्रों के बैठने की व्यवस्था है। मंच के दूसरी ओर पाणिनि प्रकोष्ठ नामक नवीन भवन का निर्माण हुआ है। इसमें दो बड़े कमरे है। जिनमें तीन सौ के करीब छात्रों के बैठने की व्यवस्था है। इसी वर्ष मंच के साथ स्टेडियम का भी निर्माण हुआ है। ये सभी मिलकर महाविद्यालय की सुंदरता  बनते हैं। कालेज के दूसरे मैदान के साथ राजकीय माध्यामिक विद्यालय पुराना बाजार का भवन महाविद्यालय को मिला है। इसमें इस वर्ष से केवल छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था की गई है। संभवतः इसी वर्ष पृथक रूप में जनजातीय छात्राओं के रहन-सहन की व्यवस्था भी परिपूर्ण हुई है जोकि जल्द ही सुचारू भी करवा दी जाएगी। पिछले वर्ष महाविद्यालय के साथ लगने वाली कुछ सरकारी भूमि के महाविद्यालय को मिलने से महाविद्यालय की उन्नति के संकेत है। इस भूमि पर करीब 40 हजार वर्ग फुट विशाल मैदान पिछले वर्ष तैयार किया गया हे। महाविद्यालय में समृद्ध पुस्तकालय  सुयोग्य शिक्षक एवं अनुशासित व व्यवस्थित वातावरण इस महाविद्यालय की विशेषता है। यह महाविद्यालय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से संबद्ध है तथा व्यवस्था हिप्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा निर्देशों  के अनुसार ही चलती है। महाविद्यालय के पाठ्यक्रम में संस्कृत विषयों के अलावा अंग्रेजी, हिंदी इतिहास और राजनीति शास्त्र जैसे आधुनिक विषयों का भी समावेश है। जो अन्य महाविद्यालयों की त्रिवर्षीय उपाधि का ही पाठयक्रम है। इस नवीन पद्धति से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को विशिष्ट शास्त्री की उपाधि प्रदान की जाती है तथा ऐसा स्नातक प्रादेशिक एवं अखिल भारतीय स्तर की प्रशासनिक परीक्षाओं तक सम्मिलित होने की पात्रता रखता है। भारतीय संस्कृति, सभ्यता और भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा के लिए संस्कृत की अध्ययन परंपरा का प्रचनल इस महाविद्यालय का सामान्य उद्देश्य है। विद्यार्थियों में नैतिक शिक्षा द्वारा देश प्रेम, बड़ों के सम्मान, विनम्रता, सामाजिक कर्त्तव्य और सदाचार की भावना को उत्पन्न व दृढ़ करना है। इसी पर्वतीय प्रदेश में संस्कृत के ज्ञान का प्रचार व प्रसार करना, मानसिक शांति व आध्यात्मिक  ज्ञान की प्राप्ति कराना, वर्तमान काल में अर्थोपार्जन भी एक मुख्य उद्देश्य है। उत्तर भारत में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर एकमात्र ऐसा संस्कृत शिक्षण संस्थान है जहां से हजारों बच्चों ने अध्ययन कर संस्कृत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जो प्रदेश के लिए गौरव की बात है। महाविद्यालय के छात्र- छात्राएं विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर महाविद्यालयीय प्रतियोगिताओं में विभिन्न स्तरें पर स्वर्ण पदक, रजत पदक और कांस्य पदक प्राप्त करते हैं। इस कालेज में प्रथम बार अंतर विद्यालयीय प्रतियोगिताएं आयोजित करवाने का अवसर वर्तमान में इस महाविद्यालय  में साढ़े तीन से लेकर चार विद्यार्थी अध्यापन कर रहे हैं। इस महाविद्यालया में प्रशासन विभाग के पास प्रशासन के लिए 13 व्यक्ति उपलब्ध है। जिनमें प्राचार्य, प्राध्यापक एक प्रवक्ता एक लिपिक एचं चार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। इसके अलावा महाविद्यालय में 13 कम्प्यूटर सहित एक कंप्यूटर लैब भी है, जो कि छात्रों एवं प्राध्यापकों के लिए उपयोगी है।
जसवीर सिंह, सुंदरनगर

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