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चंबा में हैं कई खंडित मंदिर
चंबा में चम्पावती श्री चामुंडा देवी और श्री बज्रेश्वरी देवी के मंदिर प्रमुख हैं। इन मंदिरों का निर्माण शिखर शैली में हुआ है। जबकि चामुंडा मंदिर इससे अलग है। चंबा शहर के मध्य कई खंडित मंदिर हैं…
इस मैदान के मध्य खड़े होकर चंबा शहर के पुराने महल, प्राचीन मंदिर और कई कला-स्तंभ दिखाई देते हैं जो पुराने शासन की यादें ताजा करते हैं। इस शहर ने अपने आंचल में मरू वर्मन से लेकर राजा लक्ष्मण सिंह तक का विशाल राज्य तथा कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। चंबा अपने प्राकृतिक सौंदर्य, कलात्मक मंदिरों उत्कृष्ट विभूतियों, अनूठी संस्कृति, प्राचीन मेलों और परंपराओं के कारण ख्याति प्राप्त कर चुका है। चंबा चौगान में मिंजर मेला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। चौगान से ऊपर की ओर एक तरफ सूही देवी और दूसरी तरफ चामुंडा के मंदिर हैं। यहां पहुंच कर चंबा शहर और संपूर्ण रावी नदी का परिदृश्य भाव विभोर कर देता है। माता सूही देवी का मंदिर एक पहाड़ी की गोद में चारों तरफ से खुला है। जिसके मध्य माता सूही देवी की प्राचीन मूर्ति विद्यमान है। रानी सूही राजा साहिल वर्मा की रानी थी, जिसने चंबा शहर के लिए पेयजल लाने के लिए अपना बलिदान दे दिया। स्मृतियों को ताजा करने की दृष्टि से सूही मेला हर वर्ष 15 चैत्र से मनाया जाता है। चंबा के प्राचीन मंदिरों में चंबा का प्रसिद्ध कलात्मक शिखर शैली में निर्मित लक्ष्मी नारायण मंदिर दर्शनीय है। इसमें छः मंदिरों का समूह है। जिस कारण इसे लक्ष्मी नारायण मंदिर समूह कहा जाता है। इस परिसर का निर्माण दसवीं शताब्दी में राजा साहिब वर्मन ने करवाया। चंबा चम्पावती श्री चामुंडा देवी और श्री बज्रेश्वरी देवी के मंदिर प्रमुख हैं। इन मंदिरों का निर्माण शिखर शैली में हुआ है। जबकि चामुंडा मंदिर इससे अलग है। चंबा शहर के मध्य कई खंडित मंदिर हैं।