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अपनी दौलत से बेखबर हिमाचल
अरबों का पर्यटन और करोड़ों रुपए की बागबानी हिमाचल की रीढ़ है। सकल घरेलू उत्पाद में इनका अहम रोल है, फिर भी सरकारें इस दौलत को समझ नहीं पा रहीं। किसान-बागबान औने-पौने दाम में फसल बेचने को मजबूर हैं। पर्यटन व्यवसायी रेल-एयर नेटवर्क की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं, पर मजाल है कि सरकार अपने आर्थिक क्षेत्र की अहमियत समझे…
पर्यटन में रेल-एयर नेटवर्क अडंगा
हिमाचली पर्यटन अरबों रुपए का है। पहाड़ी प्रदेश में सरकारी व निजी क्षेत्र में 2300 के करीब होटल पंजीकृत हो चुके हैं। इनमें स्तरीय होटल भी काफी संख्या में हैं। जरूरत है तो मात्र एयर व रेलवे कनेक्टिविटी की। सत्ता में रही प्रदेश सरकारों ने इन दिक्कतों के सुधार के लिए हरसंभव प्रयास किए, मगर बात नहीं बन पाई। हर बार केंद्र का रवैया हिमाचली हितों की अनदेखी करता रहा। केंद्र का सौतेला रवैया हिमाचल को पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर कोई ऐसा पैकेज भी नहीं दे पाया, जिसके बूते हेलिटैक्सी सेवा परवान चढ़ पाती। दरअसल, पर्यटन सीजन के दौरान तो हिमाचल में एयर सर्विसेज संचालित करने वाले आपरेटरों को सरलता रहती है, मगर बगैर सीजन के आक्यूपेेंसी की भी दिक्कतें पेश आती हैं। दूसरे हिमाचल में बड़े हवाई अड्डे नहीं बन सके हैं। गगल, भुंतर और जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डे छोटे स्तर के हैं। इनके विस्तार की कई बार फाइलें घूमीं, मगर गंभीरता कभी भी नहीं दिखी। यहां तक कि मंडी, ऊना, कांगड़ा और सोलन में नए हवाई अड्डे तैयार करने की भी जद्दोजहद हुई, मगर सिरे कोई भी नहीं चढ़ पाया। हेलिटैक्सी का भी यही हश्र हुआ। कंपनियां तो पांच आईं, मगर खर्चीली सेवा के लिए न तो पर्यटक न ही स्थानीय लोग तैयार हुए। आर्थिक सहायता के लिए प्रोजेक्ट केंद्र को भेजा गया, ताकि पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर हिमाचल को भी लाभ मिल सके मगर इसे नामंजूर कर दिया गया। प्रदेश ने वाइबिलिटी गैप फडिंग के तहत सहायता मांगी थी। बहरहाल, प्रदेश में यदि रेलवे व एयर कनेक्टिविटी के लिए केंद्र उदार रुख दिखाए तो हिमाचल का पर्यटन पूरे देश में अलग शक्ल ले सकता है।
10 लाख पर्यटन व्यवसायी
एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में दस लाख से भी ज्यादा लोग पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हैं। इनमें होम स्टे, पर्यटन व्यवसायी जिनमें ट्रैवल एजेंट, वाहन आपरेटर, होटल मालिक, फास्ट फूड व्यवसायी, गाइड्स व ऐसे ही व्यवसायों पर आधारित अन्य लोग शामिल हैं।
बेजोड़ सुंदरता और शांति
प्राकृतिक सुंदरता व अमन शांति के लिहाज से हिमाचल देश में अव्वल है। इसे पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाता है। हर साल डेढ़ से पौने दो करोड़ की पर्यटक आमद इसी वजह से हो रही है। जानकारों की राय में यदि एयर व रेलवे कनेक्टिविटी की सुविधा मिल जाए तो हिमाचल विश्व का दूसरा स्विट्जरलैंड साबित होगा।
टूरिज्म का सकल घरेलू उत्पाद में 9.75 फीसदी की दर से योगदान
हिमाचल में पर्यटन साल दर साल किस तरह विकसित हो रहा है, इसकी मिसाल यहीं से ली जा सकती है कि पर्यटन से हिमाचल को 9.75 फीसदी की दर से सकल घरेलू उत्पाद में योगदान मिल रहा है।
खराब सड़कों ने सताए पर्यटक
अत्यधिक बरसात व बर्फबारी के कारण सड़कों की हालत बदतर हो जाती है। सड़क विशेषज्ञ हमेशा से सलाह देते रहे हैं कि हिमाचल में सड़कों की दशा सुधारने के लिए नए मापदंड निर्धारित होने चाहिएं। इसके लिए मुद्दा केंद्र से भी उठाया जा सकता है। वरना पर्यटन सीजन के दौरान सड़कें व पेयजल दिक्कतें हिमाचल की भद्दी तस्वीर पेश कर सकती हैं।
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