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हर क्षेत्र में जगमगाती ज्योति
हिमाचल प्रदेश सरकार में बतौर एसडीएम नाहन में सेवाएं दे रही देवभूमि की बेटी ज्योति राणा ने इस बात को साबित कर दिया है कि यदि इनसान चाहे तो आसमां को भी फतह कर सकता है। ज्योति राणा प्रदेश की ऐसी बेटी है जो मिस इंडिया के मंच पर प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी है, वहीं मॉडलिंग की चमक – दमक के साथ ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए पहले ही प्रयास में आईएएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है…
कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता, तबीयत से एक पत्थर तो उछालो यारो। इस बात को साबित किया है हिमाचल की एक होनहार बेटी ने मॉडलिंग की दुनिया की चमक -दमक व रैंप पर कैटवॉक के माध्यम से अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाने के बाद एक आला प्रशासनिक अधिकारी के रूप में वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सरकार में बतौर एसडीएम नाहन में सेवाएं दे रही देवभूमि की बेटी ज्योति राणा ने इस बात का साबित कर दिया है कि यदि इनसान चाहे तो आसमां को भी फतह कर सकता है। ज्योति राणा प्रदेश की ऐसी बेटी है जो मिस इंडिया के मंच पर जहां प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी है, वहीं मॉडलिंग की चमक-दमक के साथ ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए पहले ही प्रयास में आईएएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। हिमाचल के मंडी जिला की तहसील मंडी के गांव गागल निवासी पूर्व आईपीएस अधिकारी जगजीत कुमार व श्रीमती हरिंद्र के घर ज्योति राणा का जन्म 14 नवंबर, 1974 को हुआ। दो भाई-बहनों में बड़ी ज्योति राणा अपने पिता की सेवा पुलिस में होने के कारण अपने पैतृक जिला में कम ही रही हों, परंतु हिमाचल के किन्नौर, पालमपुर, नाहन, शिमला और कुल्लू आदि जिला में अपना बचपन स्थानीय युवक-युवतियों के साथ बिताते हुए वह अपने माता-पिता के मार्गदर्शन पर आगे बढ़ती गइर्ं। किन्नौर से दसवीं की शिक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ज्योति राणा ने कुल्लू से जमा दो की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा बीए की पढ़ाई करने वह चंडीगढ़ चली गईं। इस बीच चंडीगढ़ में एक मॉडलिंग की प्रतियोगिता हो रही थी, तो ज्योति राणा ने भी अपने दोस्तों के साथ मॉडलिंग का फार्म भर दिया तथा पहले ही प्रयास में वर्ष 1993 में वह मिस चंडीगढ़ चुनी गई। ज्योति राणा को मॉडलिंग के क्षेत्र में मिली इस पहली सफलता के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा तथा अगले ही वर्ष 1994 में वह मिस नार्थ इंडिया चुनी गईं। 1996 में ज्योति राणा ने फैमिना मिस इंडिया के टॉप पांच फाइनलिस्ट में जगह बनाई। उस दौरान ज्योति राणा ने डिजाइनर के रूप में स्नातक के बाद कार्य करना शुरू किया तथा मदर टेरेसा के मार्गदर्शन में कोलकाता में दीन-दुखियों की सेवा भी की। इस बीच उनके मन में इच्छा हुई कि मॉडलिंग के क्षेत्र से वह आम लोगों व जरूरतमंदों की सहायता नहीं कर सकती हैं इसलिए पिता वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जगजीत कुमार की हसरतों के मुताबिक उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने का मन बनाया। ज्योति राणा ने वर्ष 1998 में भारतीय प्रशासनिक सेवा आईएएस की परीक्षा पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण की, परंतु मनपसंद क्षेत्र न मिलने के कारण उन्होंने हिमाचल में ही सेवा का मन बनाया। उसके पश्चात 1999 में उन्होंने हिमाचल प्रशासनिक सेवा की एचएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा बतौर तहसीलदार शिमला में हिमाचल प्रदेश सरकार की सेवा ज्वाइन की। करीब सात वर्ष तक ज्योति राणा ने बतौर तहसीलदार काम किया। उसके पश्चात चार साल तक उन्होंने बतौर डीआरओ काम किया। नाहन में जिला राजस्व अधिकारी के पद पर कार्य करने के पश्चात ज्योति राणा ने कुछ समय सोलन में बतौर एसी टू डीसी भी काम किया तथा वर्तमान में वह नाहन में बतौर एसडीएम तैनात हैं। ज्योति राणा प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ अपने परिवार का भी पूरा ख्याल रखती हैं, जिनमें उनके दो बच्चे, जिसमें 11 वर्ष की बेटी व आठ वर्ष का बेटा है। उनका प्रयास रहता है कि अधिकांश समय अपने बच्चों के साथ बिताए तथा स्वयं ही अपना तथा अपने बच्चोंं का खाना बनाए। ज्योति राणा को इस बात का दुख है कि उनके माता-पिता का साथ बीच में ही उनसे छूट गया। ज्योति राणा के पति इंद्रवीर राणा भारतीय सेना में बतौर कर्नल सेवाएं दे रहे हैं। ज्योति राणा का विवाह देहरादून में हुआ है।
छोटी सी मुलाकात
मॉडलिंग से प्रशासनिक सेवा की तरफ रुझान कैसे हुआ ?
कालेज के समय मॉडलिंग की ओर रुझान रहा तथा इस क्षेत्र में काफी सफलता भी मिली। बाद में महसूस हुआ कि जन सेवा का काम मॉडलिंग के क्षेत्र में रहकर नहीं हो सकता। इसलिए पिता के सपने को साकार करते हुए मैं प्रशासनिक सेवा में आई।
महिला होने के नाते क्या कोई परेशानी आती है?
मैं विभिन्न पदों पर प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य कर रही हूं। इसमें मजिस्ट्रेट का भी कार्य होता है, परंतु किसी भी प्रकार की कठिनाई सामने नहीं आती है।
महिला होने के नाते प्रदेश की महिलाओं को संदेश।
आज महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर रही हैं तथा नियमित रूप से आगे भी बढ़ रही हैं। जब महिलाएं सेना, प्रशासनिक सेवा, न्यायपालिका व राजनीति में किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं तो फिर समाज में कन्या भू्रण हत्या जैसे जघन्य अपराध क्यों हो रहे हैं।
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