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हिमाचल में बंद हुए लेखक गृह
हिमाचल साहित्य कला के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है। सरकार की जो योजनाएं पहले लेखकों के लिए चल रही थीं, वे भी पिछले 12 वर्षों से बंद पड़ी हैं। धर्मशाला, कुल्लू, चंबा और शिमला में लेखनी सृजन के लिए लेखक गृह तो खुले, लेकिन सरकार ने इन्हें बंद कर दिया। यही नहीं, पहले बेहतर लेखनी के लिए साहित्यकारों को मंच देने के लिए सरकार ने ये पुरस्कार की घोषणा की थी। कुछ समय तक तो पुरस्कार दिए गए, लेकिन 2000 से राज्य सरकार ने यह पुरस्कार लेखकों को देने बंद कर दिए ,जिससे लेखक अपनी लेखनी में और आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। हैरत की बात यह है कि हिमाचल के भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग व भाषा अकादमी में लेखक का कोई स्थान नहीं है। अन्य राज्यों में देखा जाए तो इन विभागों में उच्च पदों पर लेखक की नियुक्तियां की गई हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नवाजा गया है, जबकि हिमाचल में इन महत्त्वपूर्ण पदों पर एचएएस और अन्य कई आला अधिकारियों को बैठाया जाता है। यही नहीं हिमाचल में कोई विशेष साहित्यकार सम्मेलन नहीं हुआ है। साहित्यकार लंबे समय से पहाड़ी अकादमी खोलने की मांग कर रहे थे, ताकि पहाड़ी भाषा को विशेष दर्जा मिले। साथ ही इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी दर्जा दिया जाए, लेकिन हिमाचल में अभी तक इस पर सरकार गंभीर नहीं हो पाई है। वर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2013 में साहित्यकारों के लिए निःशुल्क यात्रा की घोषणा की थी, जो केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है।
* लेखकों को 12 साल से नहीं मिला पुरस्कार
* मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी शुरू नहीं हुई निःशुल्क यात्रा
* भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग व भाषा अकादमी में लेखकों को तैनाती नहीं
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