Saturday, 26 April 2014

1951 में हर प्रत्याशी की थी अलग मत पेटी

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1951 में हर प्रत्याशी की थी अलग मत पेटी

newsरिकांगपिओ — 1951 में जब पहली बार वोटिंग हुई थी तो उस समय हर प्रत्याशी की अलग-अलग मत पेटी हुआ करती थी। यानी कि जिस प्रत्याशी को वोट डालना होता था, वोटर उसी प्रत्याशी की मत पेटी में पर्ची डालता था। यही नहीं, चुनाव प्रक्रिया में लगे कर्मचारियों को लगभग उसी दिन पता चल जाता था कि किस प्रत्याशी को कितने अधिक मत पडे़ हैं। श्याम सरन नेगी ने जब 1951 में पहला मतदान कर देश का पहला वोटर बनने का गौरव हासिल किया था, तब वह किन्नौर के मूरंग में तैनात थे। इस दौरान उनकी ड्यूटी पोलिंग पार्टीज के साथ लगी। उन्होंने बताया कि जिस तरह मौजूदा समय में गांव-गांव में पोलिंग बूथ स्थपित कर अलग-अलग पोलिंग पार्टियां तैनात की जाती हैं, 1951 में ऐसा नहीं होता था। उस समय पोलिंग पार्टीज को मतदान पेटियां लेकर गांव-गांव जाना पड़ता था। 1951 में देश में पहली बार हुए चुनाव के दौरान उनकी ड्यूटी पोलिंग पार्टीज के साथ शौंगठोंग, पूर्वनी, रिब्बा, मूरंग व नेसंग में लगी थी। शौंगठंग में मतदान शुरू करने से पहले उन्होंने ड्यूटी से छुट्टी लेकर अपने गांव कल्पा आए और मतदान कर फिर शौंगठोंग ड्यूटी पर लौट गए। शौंगठोंग से नेसंग तक की यह चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने में दस दिन का समय लगा था। श्री नेगी यह भी बताते हैं कि उस दौरान चुनाव में जितने प्रत्याशी मैदान में खडे़ होते थे, उतनी ही मत पेटियां हुआ करती थीं। यानी की प्रत्येक प्रत्याशी की अलग-अलग मत पेटी हुआ करती थी। जो मतदाता जिस प्रत्याशी को मत देता था, उसी प्रत्याशी के मत पेटी में मतदान की गई पर्ची डालता था। श्री नेगी आज के दौर में चुनाव आयोग द्वारा आधुनिक तरीके से की जा रही गुप्त मतदान प्रक्रिया को तब की अपेक्षा सही व बेहतर बता रहे हैं।

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