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जंतु विज्ञान में जीवंत कैरियर
कई जंतुओं की शारीरिक संरचना मनुष्य से मिलती जुलती है। इसके अतिरिक्त मनुष्य के जीवन को सहज और सुविधाजनक बनाने में भी जीव-जंतुओं की अहम भूमिका होती है , इसलिए उनपर अनुसंधान और शोध होने लगे। इस तरह जंतु विज्ञान का एक विस्तृत पाठ्यक्रम तैयार गया…
सभ्यता के विकास के साथ मानवीय ज्ञान का विस्तार होता गया और इसी के साथ मनुष्य ने खुद को सुरक्षित और दीर्घायु बनाने के कई उपाय प्रारंभ किए। अपने आप को रोगों से बचाने के लिए चिकित्सा क्षेत्र विकसित किया। चिकित्सा क्षेत्र में नए-नए अनुसंधान और शोध के लिए प्रयोगों की आवश्यकता थी। इसलिए उन प्राणियों की पहचान का काम शुरू हुआ, जिनकी शारीरिक संरचना मनुष्यों से मिलती -जुलती है। इस तरह जंतु विज्ञान अस्तित्व में आया। जंतुओं पर अनुसंधान और शोध होने लगे। इस तरह जंतु विज्ञान का एक विस्तृत पाठ्यक्रम तैयार किया गया। जंतु विज्ञान कई क्षेत्रों में सेवाएं देने में सक्षम है। युवा इस क्षेत्र को अपनाकर अपने भविष्य को आकार दे सकते हैं।
प्राणी की परिभाषा
प्राणी ऐसे जीव हैं जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का सृजन तो नहीं करते, पर जीवनयापन के लिए इन पर निर्भर करते है। इन पदार्थों को प्राणी बाह्य स्रोत से ही प्राप्त करता है।
शैक्षणिक योग्यता
प्राणी विज्ञान को कैरियर के रूप में अपनाने वाले अभ्यर्थी को साइंस संकाय (जीव विज्ञान) से दस जमा दो उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसके बाद इस क्षेत्र में बीएससी, एमएससी आदि उच्च डिग्रियों को किया जा सकता है। जंतु विज्ञान में कैरियर बनाने के लिए छात्र की शैक्षणिक योग्यताओं में पीजी,एमफिल और पीजीटी अनिवार्य है।
जंतु विज्ञान की शाखाएं
प्राणी विज्ञान का विस्तार आज बहुत बढ़ गया है। सम्यक अध्ययन के लिए इसे कई शाखाओं में विभाजित करना आवश्यक हो गया है। ऐसे अंतर्विभागों में मुख्य हैं- आकारिकी, सूक्ष्म ऊतक विज्ञान, कोशिका विज्ञान, भ्रूण विज्ञान, जीवाश्म विज्ञान, विकृति विज्ञान, वर्गीकरण विज्ञान, आनुवांशिक विज्ञान, जीव विकास पारिस्थितिकी, पंछी विज्ञान।
परिभाषा
प्राणी विज्ञान या जंतु विज्ञान जीव विज्ञान की एक शाखा है, जिस में जानवरों और उनके जीवन, शरीर, विकास और वर्गीकरण से संबंधित अध्ययन किया जाता है ।
रोजगार के अवसर
रोजगार के अवसर विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्रों में उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा अध्यापन के क्षेत्र में भी अच्छे अवसर मौजूद हैं। पारिस्थितिकीय विज्ञानी,पर्यावरण सलाहकार, फील्ड परीक्षण अधिकारी, समुद्री वैज्ञानिक, प्रकृति संरक्षण अधिकारी और रिसर्च साइंटिस्ट के विकल्प इस क्षेत्र में अपनाए जा सकते हैं।
वेतनमान – प्राणी विज्ञान में कोर्स करने के बाद छात्र सरकारी या निजी क्षेत्र में बेहतर वेतनमान प्राप्त कर सकते हैं। सरकारी क्षेत्र में सरकारी मानकों,पद और वरीयता के अनुसार वेतन मिलता है। निजी क्षेत्र में वेतनमान अनुभव और योग्यता के अनुसार एजेंसी निर्धारित करती है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
* हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला, हिमाचल प्रदेश
* गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
* दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
* अलीगढ़ यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ (उप्र)
* इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
* कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र
* अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु
* बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
* जम्मू यूनिवर्सिटी, जम्मू
* आंध्र प्रदेश यूनिवर्सिटी
इतिहास
प्राणियों का अध्ययन बहुत प्राचीन काल से होता आ रहा है। इसका प्रमाण वे प्राचीन गुफाएं हैं, जिनकी पत्थर की दीवारों पर पशुओं की आकृतियां आज भी पाई जाती हैं। यूनानी दार्शनिक अरस्तु ने ईसा के 300 वर्ष पूर्व जंतुओं पर एक पुस्तक लिखी थी। गैलेना एक रोमन वैद्य थे, जिन्होंने दूसरी शताब्दी में पशुओं की अनेक विशेषताओं का बड़ी स्पष्टता से वर्णन किया है। यूनान और रोम के अन्य कई ग्रंथकारों ने प्रकृति विज्ञान पर पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें जंतुओं का उल्लेख है। बाद में लगभग हजार वर्ष तक प्राणी विज्ञान भुला दिया गया था। 16वीं सदी में लोगों का ध्यान फिर इस विज्ञान की ओर आकर्षित हुआ। उस समय चिकित्सा विद्यालयों के अध्यापकों का ध्यान इस ओर विशेष रूप से गया और वे इसके अध्ययन में प्रवृत्त हुए। 17वीं तथा 18वीं शताब्दी में इस विज्ञान की विशेष प्रगति हुई। सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार के बाद इसका अध्ययन बहुत व्यापक हो गया। आधुनिक प्राणी विज्ञान में जंतुओं के नामकरण और आकारिकी की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। लिनियस ने दि सिस्टम ऑफ नेचर (1735 ई.) नामक पुस्तक में जंतुओं के नामकरण का वर्णन किया है। उस समय तक ज्ञात जंतुओं की संख्या बहुत अधिक हो गई थी और उनका वर्गीकरण आवश्यक हो गया था।
महत्त्व
प्राणी विज्ञान का अध्ययन मनुष्य के लिए बड़े महत्त्व का है। मनुष्य के चारों ओर नाना प्रकार के जंतु रहते हैं। वह उन्हें देखता है और उसे उनसे बराबर काम पड़ता है। कुछ जंतु मनुष्य के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं। अनेक जंतु मनुष्य के आहार होते हैं। जंतुओं से हमें दूध प्राप्त होता है। कुछ जंतु ऊन प्रदान करते हैं, जिनसे बहुमूल्य ऊनी वस्त्र तैयार होते हैं। जंतुओं से ही रेशम, मधु, लाख आदि बड़ी उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती हैं। जंतुओं से ही अधिकांश खेतों की जुताई होती है। बैल, घोड़ा, खच्चर तथा गदे इत्यादि परिवहन का काम करते हैं। कुछ जंतु मनुष्य के शत्रु भी हैं और ये मनुष्य को कष्ट पहुंचाते, फसल नष्ट करते, पीड़ा देते और कभी-कभी मार भी डालते हैं। अतः प्राणी विज्ञान का अध्ययन हमारे लिए महत्त्व रखता है। बौद्धिक विकास के कारण मनुष्य अन्य प्राणियों से भिन्न होता है, पर शारीरिक बनावट और शारीरिक प्रणाली में अन्य कुछ प्राणियों से बड़ी समानता रखता है। इन कुछ प्राणियों की इद्रियां और कार्यप्रणाली मनुष्य की इंद्रियों और कार्यप्रणाली से बहुत मिलती-जुलती हैं। इससे अनेक नई औषधियों के प्रभाव का अध्ययन करने में इन जंतुओं से लाभ उठाया गया है और अनेक नई- नई औषधियों के आविष्कार में सहायता मिली है।
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