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छात्रों ने जाना, क्या हैं पांडुलिपियां
सैकड़ों वर्ष पुरानी हस्त लिखित किताबों में छिपी है कई विषयों की जानकारी
आनी(कुल्लू)। आनी कॉलेज में हिम संस्कृति संस्था की ओर से एक दिवसीय पांडुलिपि शिविर का आयोजन किया गया । शिविर में आनी कॉलेज के छात्रों ने सैकड़ों वर्ष पुरानी हस्त लिखित किताबों के बारे जानकारी प्राप्त की। संस्था के उपाध्यक्ष छविंद्र शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत पूरे भारत में 50 लाख दुर्लभ पांडुलिपियां खोजी गई हैं। इनमें भारत के हर गांव, हर प्रदेश के इतिहास, देवी देवताओं, मेलों, त्योहारों और कर्म कांडों सहित महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लिखी गई है। उन्होंने कहा कि कई ऐसी पांडुलिपियां भी यहां हुआ करती थी, जिनमें रसायन विद्या जैसी अनमोल जानकारियां मौजूद थी, लेकिन युग परिवर्तन के साथ-साथ आज के युग में इन्हें पढ़ने वाले लोग नहीं रहे। उन्होंने कहा कि दो सौ साल पुरानी हस्तलिखित पुस्तकों को दिल्ली और शिमला भाषा एवं संस्कृति विभाग अकादमी द्वारा पुस्तकालय में स्थापित किया गया है। इन सभी दुर्लभ पांडुलिपियों की जानकारी हर स्कूल और कॉलेज में दी जा रही है। इसी कार्यक्रम के तहत वीरवार को आनी के महाविद्यालय हरिपुर में एक दिवसीय शिविर का ओयाजन किया गया। शिविर में कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र छात्राओं को 200 साल पुरानी हस्तलिखित पांडुलिपियां दिखाई गई और उनके विषयों में जानकारी दी गई। पांडुलिपि सर्वेक्षक एचके शर्मा ने बताया कि आनी के 20 गांवों और निरमंड के 12 गांवों में सर्वाधिक पांडुलिपियां खोजी गई थी। इन्हें अकादमी पुस्तकालय में शोधकर्ता एवं पाठकों के लिए रखा गया है। आनी क्षेत्र की सबसे अधिक पांडुलिपियां सर्वेक्षक फौजीलाल शर्मा ने खोजी हैं, जिन्हें विभाग ने साल 2010 में प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। इसके अलावा स्वरूप चंद शर्मा, दीवान चंद शर्मा, कपूर चंद शर्मा, हरिकृष्ण शर्मा, चंद्रप्रकाश, उमा शंकर दीक्षित, चमन शर्मा आदि लोग हिम संस्कृति संस्था द्वारा पांडुलिपि संरक्षण के लिए सम्मानित किए जा चुके हैं। हिम संस्कृति संस्था ने स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले सभी छात्रों को पांडुलिपि मिशन से जोड़ने का विशेष अभियान चलाया है। ताकि टांकरी, आदि लिपियों से नई पीढ़ी को अवगत करवाया जा सके। शिविर में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के प्रचारक दीवान राजा, हिम संस्कृति के सचिव यशपाल ठाकुर, कालेज के प्रवक्ता एलडी ठाकुर, रविंद्र कुमार, रवि उपस्थित थे।
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