तरक्की के लिए पर्यावरण का बलिदान
कुल्लू के विकास की कहानी 1883 से शुरू होती है। यहां पर बाकायदा पोस्ट आफिस था और बंजार के पलाच और नग्गर में इसकी शाखाएं संचालित होने लगीं। सेब के किल्टों के जरिए डाक का आबंटन होता था। 1897 में कुल्लू और अमृतसर के बीच टेलीग्राम सेवा का आगाज हो गया। तीन अक्तूबर, 1959 को भुंतर एयरपोर्ट पर पहली बार जहाज उतरा। 800 और 500 मेगावाट की एनएचपीसी पार्वती चरण दो और तीन, 192 मेगावाट के एडी, 126 मेगावाट लारजी, 100 और 80 मेगावाट के मलाणा एक और दो के साथ ही दर्जन भर मिनी हाइडल प्रोजेक्ट प्रदेश की आर्थिकी का अहम हिस्सा तो बने हैं, लेकिन प्रोजेक्टों के लिए हो रहे अंधाधुंध अवैज्ञानिक खनन से वादी का पर्यावरण संतुलन लगातार बिगड़ता जा रहा है। हिमाचल के नंबर वन टूरिस्ट डेस्टिनेशन का गौरव हासिल होने के बावजूद मनाली में अंतरराष्ट्रीय स्तर की पर्यटक सुविधाएं जुटाने की ओर अब तक की किसी सरकार ने गंभीर प्रयास नहीं किए। तकनीकी कारणों से 44 सीटर एयरक्राफ्ट दिल्ली से 25 यात्री लेकर ही भुंतर एयरपोर्ट पर लैंडिंग करता आया है। सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की सेवा कभी नियमित नहीं रही। इस पर हाल यह है कि दिल्ली से भुंतर के मुकाबले में दिल्ली से बैंकाक का हवाई सफर कहीं सस्ता पड़ता है। ब्यास की धारा में राफ्टिंग करने वाले सैलानी आए दिन हादसों का शिकार होकर जान गंवा रहे हैं। चंडीगढ़-मनाली एनएच-21 की दरअसल कुल्लू के प्रवेश द्वार बजौरा से आगे मनाली तक डिवेलपमेंट ही नहीं हो पाई है, वहीं कीरतपुर से लेकर गड़ामोड़ तक एनएच की बेहद खस्ता हालत सैलानियों को मुंह चिढ़ाती रही है। पतलीकूहल में एचपीएमसी का कोल्ड स्टोर महज सफेद हाथी बनकर रह गया है। चंडीगढ़ मनाली एनएच को फोर लेन बनाने का काम मंडी के नेरचौक से आगे न बढ़ पाना भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। एक सर्वेक्षण में तो मंडी से आगे मनाली तक फोरलेन की फिजिबिलिटी ही नहीं बन रही। मामले के जानकारों की मानें तो सर्वेक्षण में पंडोह से पनारसा तक लंबी टै्रफिक टनल बनाना बेहद खर्चीला प्रोजेक्ट है, लिहाजा फोरलेन के भविष्य को लेकर कई तरह की शंकाएं भी अब जन्म लेने लगी हैं। हालांकि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के दावों पर यकीन किया जाए तो कुल्लू से मनाली तथा लेफ्ट बैंक से होकर फोरलेन (दोनों तरफ टू लेन) का निर्माण किया जाएगा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी स्पष्ट तौर पर इस बारे संकेत दे चुके हैं।
स्की विलेज-हेलि स्कीइंग सपना
मनाली में विदेशी निवेश वाले प्रस्तावित स्की विलेज की स्थापना का मसला राजनीतिक पालने में झूलता आ रहा है तो हेलि स्कीइंग की योजना भी महज सपना भर बनकर रह गई है। मनाली से पलचान तथा कुल्लू से बिजली महादेव के लिए बनने वाले रोप-वे कागजी फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक घोषित मनाली के ढुंगरी स्थित देवी हिडिंबा मंदिर के विकास की कंकरीट योजना के सिरे चढ़ने का भी अभी इंतजार ही है।
मनु की नगरी में नैनीताल से ज्यादा प्रदूषण
पिछले कुछ समय से हाइडल प्रोजेक्टों के हब के रूप में उभरी कुल्लू घाटी को अब बिगड़ते प्रदूषण से इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। हालिया वैज्ञानिक सर्वेक्षण में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि नैनीताल के मुकाबले में मनु की नगरी कहीं ज्यादा प्रदूषित हो गई है। अठखेलियां करती नदियों और झरनों-नालों का पानी बेशक सोना साबित होने लगा है
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