Saturday, 6 December 2014

अनूठी परंपराओं और देव आस्था का प्रतीक कुल्लू


कुल्लू क्या खोया क्या पाया

अनूठी परंपराओं और देव आस्था का प्रतीक कुल्लू विश्व में खूबसूरत पहचान बनाए हुए है। सेब और पर्यटन के दम पर 1883 से तरक्की के लंबे डग भरते हुए यह जिला ऊर्जा क्षेत्र में भी कहीं आगे है। सबको अपनी सुंदरता से रिझाने वाला यह जिला अब नए पर्यटन स्थलों के साथ हवाई सेवा में भी नजर-ए-इनायत चाहता है, जबकि स्की विलेज और रोहतांग टनल को जल्द हकीकत में उतरता देखने की भी हसरत पाले हुए है…
सदियों से अक्षरशः चली आ रही अनूठी रिवायतों, तीज-त्योहारों और देवों के प्रभुत्व वाले कुल्लू यानी कुलूत की समृद्ध देव संस्कृति के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। जो भी नैसर्गिंक नजारों वाली इस वादी में आया, वह यहीं का होकर रह गया। भारतीय राजनीति के पुरोधा प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू हों या फिर कवि ह्दय अटल बिहारी वाजपेयी… सभी को कुल्लू भा गया।
रूस के महान चित्रकार प्रो. निकोलस रौरिक, रजतपट की महारानी देविका रानी के साथ और भी बहुत सी ऐसी नामचीन शख्सियतें रही हैं…जिनका घाटी के साथ अटूट संबंध रहा है। चीनी यात्री ह्यूनसांग अपने यात्रा वृत्तांत में खास तौर पर कुलूत का जिक्र करते हुए इसे महिमामंडित करना नहीं भूले हैं। वहीं द्वितीय शताब्दी के एक सिक्के पर अंकित कोलूतस्य वीरयश्सय…के आधार पर भी प्राचीनकाल में कुल्लू के स्वतंत्र देश और इसकी अपनी करंसी होने के प्रमाण मिले हैं। पौराणिक कथाओं में विहंगमणिपाल के कुल्लू राजवंश का प्रथम शासक होने का उल्लेख मिलता है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में कुल्लू के प्रताप सिंह के बलिदान को भला कौन भूल पाया है।
तीन अगस्त, 1857 को धर्मशाला के परेड ग्राउंड में प्रताप सिंह को सरेआम फांसी पर लटका दिया गया। आजादी के बाद की बात करें तो साठ के दशक में अविभाजित पंजाब के पहाड़ी भू-भाग कुल्लू और कांगड़ा आदि के हिमाचल में विलय में कुल्लवी संस्कृति के पुरोधा स्वर्गीय लालचंद्र प्रार्थी के योगदान को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। दरअसल, अपने गठन से लेकर कई उतार-चढ़ाव देखने वाला कुल्लू जिला राजनीति के विविध रंगों से सराबोर होकर गुजरा है।
कुल्लू राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले महेंद्र सिंह बंजार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े पर जीत न सके। हालांकि महेंद्र सिंह के दोनों पुत्रों महेश्वर सिंह और कर्ण सिंह सियासत के खेल में खुद को मंझे हुए खिलाड़ी साबित करने में काफी हद तक कामयाब रहे हैं। इत्तेफाक ऐसा है कि तीन दशकों से अधिक समय तक भाजपा में रहने और प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहने के बाद पिछले विधानसभा चुनाव में महेश्वर और कर्ण की जोड़ी एक साथ विधानसभा में धमाकेदार एंट्री करने में कामयाब रही है।
स्थानीय राजनीति की चर्चा बंजार के पहले विधायक दिलेराम शबाब, अपनी सादगी के लिए मशहूर पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजकृष्ण गौड़, पूर्व मंत्री स्वर्गीय ठाकुर कुंज लाल तथा पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर का जिक्र किए बिना अधूरी ही रहेगी। आरक्षित हलके आनी से रिकार्ड सात बार चुनाव जीतने वाले कांग्रेस नेता ईश्वर दास, बंजार से दो बार विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे पंडित खीमीराम शर्मा, मनाली के वर्तमान भाजपा विधायक गोबिंद ठाकुर, आनी से कांग्रेस विधायक खूबराम आनंद तथा कांग्रेस से अंदर बाहर होते रहे धुरंधर धर्मवीर धामी भी अकसर सुर्खियों में बने रहते आए हैं।
2012 के चुनाव में मनाली के रूप में कुल्लू जिला को चौथा हलका मिलने के बावजूद सियासी तौर पर झोली खाली ही चली है। यह भी कम हैरतअंगेज नहीं कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पसंद के बावजूद अब बंजार से कांग्रेस विधायक कर्ण सिंह की कैबिनेट में ताजपोशी का इंतजार लंबा हो चला है। उधर, शहर के गांधीनगर में सपनों का आशियाना सजाने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा कुल्लूवासियों के लिए इस रूप में बड़ी उम्मीद जगा रहे हैं।
बुनकरों के लिए योजनाओं की जरूरत
करीब 25 करोड़ रुपए के सालाना टर्न ओवर वाली भुट्टी वीवर्स को-आपरेटिव सोसायटी (भुट्टिको) के महाप्रबंधक रमेश ठाकुर कहते हैं कि सहकारिता आंदोलन का नारा बुलंद करने में कुल्लू के बुनकरों का बड़ा योगदान रहा है। हथकरघा उद्योग को प्रोमोट करने के लिए सरकार को ठोस योजनाएं धरातल पर उतारनी होंगी। बुनकरों के उत्थान के लिए नए प्रोजेक्टों की सख्त जरूरत है। छोटे बुनकरों के ऋण माफ करने पर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा।
जिला में नए पर्यटन स्थल खोले जाएं
मनाली होटलियर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप ठाकुर के मुताबिक जब तक कुल्लू-मनाली के नए टूरिस्ट डेस्टिनेशंज नहीं खोले जाते हैं, घाटी के  पर्यटन व्यवसाय के विकास की बात बेमानी होगी। मनाली में सैलानियों के पास फिलहाल रोहतांग पास का ही विकल्प है। जबकि अनछुए पर्यटक स्थलों भृगु लेक एरिया, हामटा पास, चंद्रखणी जोत, लामा डुग एरिया और रानी सूई लेक आदि को पर्यटकों के लिए खोलने में अब सरकार को देर नहीं करनी चाहिए।
कर्ज माफ हो
घाटी के प्रगतिशील बागबान नकुल खुल्लर कहते हैं कि सिंचाई के पर्याप्त बंदोबस्त के साथ ही सड़कों की हालत सुधारने की तरफ ध्यान दिया जाए, ताकि सेब और अन्य फसलों को समय पर मंडियों तक पहुंचाया जा सके। फर्टिलाइजर और कीटनाशक दवाइयों, स्प्रे तथा कार्टन्स में अनुदान को बढ़ाकर बागबानों को राहत दी जाए। छोटे बागबानों के ऋण माफ कर उन्हें बागबानी व्यवसाय में बने रहने का हौसला देना होगा।
जल ऊर्जा में जनसहयोग चाहिए
पार्वती चरण तीन हाइडल प्रोजेक्ट के महाप्रबंधक सत्यदेव प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान आए दिन के मजदूर आंदोलनों से कार्य प्रभावित होने से करोड़ों रुपए का नुकसान होने के साथ ही निर्माण लक्ष्य आगे खिसक जाता है। परियोजनाओं के निर्माण में जनसहयोग सबसे ज्यादा जरूरी है। जल ऊर्जा के दोहन से ही कुल्लू घाटी की तकदीर बदली जा सकती है।
घाटी की ओर ध्यान दे सरकार
कुल्लू के वरिष्ठ नेता धर्मवीर धामी कहते हैं कि सेब और पर्यटन ही घाटी की आर्थिकी का आधार हैं। सड़कों की दयनीय हालत किसी से छिपी नहीं है।  कुल्लू-मनाली में अंतरराष्ट्रीय स्तर की पर्यटन सुविधाओं की तरफ जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो इलाका पिछड़ जाएगा। भुंतर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का मसला 1980 से लटका है। सरकारी उदासीनता के चलते ही प्रदेश का नंबर वन टूरिस्ट डेस्टिनेशंज मनाली अपेक्षित विकास से महरूम है।
सेब
सेब और पर्यटन कुल्लू घाटी की आर्थिकी की रीढ़ रही है। घाटी के करीब 23200 हेक्टेयर में लगे सेब के बागीचों से 50 हजार से अधिक परिवार रोजगार कमा रहे हैं। औसतन डेढ़ से दो लाख मीट्रिक टन सेब की यहां पैदावार हो रही है, जिससे 600 से 700 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाया जाता है। यहां के सेब को देश भर की मंडियों में भिजवाने के लिए 20 हजार से अधिक ट्रकों की जरूरत पड़ती है। वर्ष 1870 में घाटी में सबसे पहले अंग्रेज अधिकारी कप्तान ली ने सेब का पहला बागीचा लगाया था।
पर्यटन
पर्यटन का आधारभूत ढांचा विकसित न होने के बावजूद सालाना 25 से 30 लाख देशी-विदेशी पर्यटक कुल्लू की नैसर्गिंक सैरगाहों का रुख करते हैं। पर्यटन नगरी मनाली में ही करीब 1200 छोटे बड़े होटल चल रहे हैं, इनमें से करीब 750 होटल सरकार से पंजीकृत हैं। एक अनुमान के तहत कुल्लू-मनाली की होटल इंड्रस्टी से सालाना 75 करोड़ से एक अरब रुपए का टर्न ओवर मिल रहा है।
जल संसाधन
ऊर्जा विभाग और हिम ऊर्जा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक घाटी में 180 छोटी बड़ी बिजली परियोजनाएं चिन्हित की जा चुकी हैं, जिनकी क्षमता 4050 मेगावाट के आसपास है। घाटी में हिम ऊर्जा विभाग की तरफ से पांच मेगावाट तक के करीब 150 प्रोजेक्ट आबंटित किए गए हैं। 192 मेगावाट का एलाइन दुहांगन प्रोजेक्ट, मलाणा प्रथम 86 मेगावाट, मलाणा चरण दो 100 मेगावाट, 520 मेगावाट का पार्वती चरण तीन, 10 मेगावाट का तोष, 10 मेगावाट का ब्यास कुंड प्रोजेक्ट चालू हो चुका है।
मत्स्य
कुल्लू घाटी में करीब 100 टन ट्राउट मछली का उत्पादन किया जा रहा है। 60 निजी ट्राउट पालक 230 रेसवेज में ट्राउट उत्पादित कर सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं।
चीनी यात्री ह्यूनसांग ने किया कुल्लूत का जिक्र
चीनी यात्री ह्यूनसांग अपने यात्रा वृतांत्त में खास तौर पर कुल्लूत का जिक्र करते हुए इसे महिमामंडित करना नहीं भूले हैं। वहीं द्वितीय शताब्दी के एक सिक्के पर अंकित कोलूतस्य वीरयश्सय…के आधार पर भी प्राचीनकाल में कुल्लू के स्वतंत्र देश और इसकी अपनी करंसी होने के प्रमाण मिले हैं।
सूत्रधार : सत्य महेश शर्मा

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