Saturday, 29 March 2014

नववर्ष के विविध रूप

नववर्ष के विविध रूप

CHAVINDER SHARMA 9418131366
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संपूर्ण भारत में नवसंतत्सर चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से मनाया जाता है। हालांकि देश के विभिन्न भागों में इसे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।  आंध्रप्रदेश में युगदि या उगादि तिथि कहकर इस सत्य की उद्घोषणा की जाती है। वीर विक्रमादित्य की विजय गाथा का वर्णन अरबी कवि जरहाम किनतोई ने अपनी पुस्तक शायर उल ओकुल में किया है। उन्होंने लिखा है वे लोग धन्य हैं जिन्होंने सम्राट विक्त्रमादित्य के समय जन्म लिया। सम्राट पृथ्वीराज के शासन काल तक विक्त्रमादित्य के अनुसार शासन व्यवस्था संचालित रही जो बाद में मुगल काल के दौरान हिजरी सन् का प्रारंभ हुआ। किंतु यह सर्वमान्य नहीं हो सका, क्योंकि ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य सिद्धांत का मान गणित और त्योहारों की परिकल्पना सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण का गणित इसी शक संवत्सर से ही होता है। जिसमें एक दिन का भी अंतर नहीं होता। सिंधु प्रांत में नव संवत्सर को ‘चेटी चंडो’ चैत्र का चंद्र नाम से पुकारा जाता है जिसे सिंधी हर्षोल्लास से मनाते हैं। कश्मीर में यह पर्व नौरोज के नाम से मनाया जाता है जिसका उल्लेख पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वर्ष प्रतिपदा नौरोज यानी नवयूरोज अर्थात नया शुभ प्रभात जिसमें लड़के-लड़कियां नए वस्त्र पहनकर बड़े धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू संस्कृति के अनुसार नव संवत्सर पर कलश स्थापना कर नौ दिन का व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ कर नवमीं के दिन हवन कर मां भगवती से सुख-शांति तथा कल्याण की प्रार्थना की जाती है। जिसमें सभी लोग सात्विक भोजन व्रत उपवास, फलाहार कर नए भगवा झंडे तोरण द्वार पर बांधकर हर्षोल्लास से मनाते हैं। इस तरह भारतीय संस्कृति और जीवन का विक्रमी संवत्सर से गहरा संबंध है। इन दिनों में लोग तामसी भोजन, मांस मदिरा का त्याग भी कर देते हैं। गुड़ी पड़वा हिंदू नववर्ष के रूप में भारत में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य, नीम पत्तियां,अर्घ्य, पूरनपोली, श्रीखंड और ध्वजा पूजन का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि चैत्र माह से हिंदूओं का नववर्ष आरंभ होता है।  सूर्योपासना के साथ आरोग्य, समृद्धि और पवित्र आचरण की कामना की जाती है। इस दिन घर-घर में विजय के प्रतीक स्वरूप गुड़ी सजाई जाती है। उसे नवीन वस्त्राभूषण पहना कर शकर से बनी आकृतियों की माला पहनाई जाती है। पूरनपोली और श्रीखंड का नैवेद्य चढ़ा कर नवदुर्गा, श्रीरामचंद्र जी एवं राम भक्त हनुमान की विशेष आराधना की जाती है। यूं तो पौराणिक रूप से इसका अलग महत्व है लेकिन प्राकृतिक रूप से इसे समझा जाए तो सूर्य ही सृष्टि के पालनहार हैं। अतः उनके प्रचंड तेज को सहने की क्षमता हम पृथ्वीवासियों में उत्पन्न हो ऐसी कामना के साथ सूर्य की अर्चना की जाती है। इस दिन सुंदरकांड, रामरक्षास्तोत्र और देवी भगवती के मंत्र जाप का खास महत्व है। यह संक्रमण काल की वेला होती है और ऐसे समय में शक्ति साधना स्वाभाविक ही है।

मनु मंदिर, मनाली sujinder thakur manali

मनु मंदिर, मनाली

sujinder thakur manali
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मनु की प्रतिमा के साथ मंदिर में महिषासुरमर्दिनी और भगवान शिव की प्रतिमा है। मंदिर के पीछे देवी और भगवान विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर पुराने मनाली क्षेत्र के व्यास नदी के तट पर स्थित है मुख्य बाजार से इस मंदिर की दूरी 3 किमी है…
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू घाटी में बसा है मनाली। प्रकृति की गोद में बसा मनाली अपने अंदर मानव जीवन के उस इतिहास को समेट कर बैठा है जिसका वर्णन पुराणों में किया गया है। मनाली शहर का इतिहास बताता है कि मानव की कल्पना मनाली के बिना अधूरी है क्योंकि, मनाली ही वह स्थान है जहां से सृष्टि में मनुष्य का जन्म और विकास की शुरूआत हुई। माना जाता है कि प्रलय काल में जब संपूर्ण पृथ्वी जल में समा रही थी उस समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया। भगवान विष्णु के अनन्य भक्त मनु ने एक बड़ी नौका तैयार की। मत्स्य रूप में भगवान विष्णु ने इस नौका की रक्षा की और हिमालय की चोटियों पर नौका को पहुंचा दिया। प्रलय समाप्त होने के बाद मनु ने उस स्थान पर शरण लिया जहां आज मनाली है। मनु के निवास के कारण ही इस स्थान का नाम मनाली पड़ा। मनु को सृष्टि का प्रथम मनुष्य माना जाता है क्योंकि इन्हीं से मनुष्य जाति का जन्म हुआ। मनाली बाजार से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर मनु का प्राचीन मंदिर है। मंदिर में मनु की एक पाषाण मूर्ति है। मंदिर में स्थित मूर्ति के संदर्भ में एक दंत कथा है कि धौणाचाणी वंश की एक कन्या जिसका नाम गौरी था। इनके समक्ष एक साधु प्रकट हुए। साधु ने कन्या से दूध की भिक्षा मांगी। कन्या ने भिक्षा देने में असमर्थता व्यक्त की। इसके बाद साधु ने एक बछिया को दूहने के लिए कहा। कन्या ने बछिया को दूहना शुरू किया तो दूध निकल आया। दूसरे पात्र में दूध को रखते ही वह दही बन गया। कन्या को यह सब देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने साधु से पूछा कि आप कौन हैं। साधु ने कहा कि मैं मनु हूं। इस क्षेत्र में रहता हूं। इसके बाद मनु ने कन्या से कहा कि इस जमीन के नीचे मेरी एक प्रतिमा है इसे निकालकर स्थापित करो। कन्या ने सारी घटना अपने माता-पिता को बताई। मनु द्वारा बताए गए स्थान से एक प्रतिमा निकल आई। इसे  मंदिर में स्थापित कर दिया गया। मनु की प्रतिमा के साथ मंदिर में महिषासुरमर्दिनी और भगवान शिव की प्रतिमा है। मंदिर के पीछे देवी और भगवान विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर पुराने मनाली क्षेत्र के व्यास नदी के तट पर स्थित है मुख्य बाजार से इस मंदिर की दूरी 3 किमी है।

Jagatsukh Ancient Temples of Himachal

Jagatsukh Ancient Temples of Himachal

GAURI SHANKAR KULLU
Jagatsukh the erstwhile capital of Kullu, is one of the biggest villages in Kullu district located 6 km south of Manali and is known to serve as excellent base for trekking. This beautiful hamlet is dotted with numerous old temples built with Shikhara style. Shiva temple is the main attraction of the village. The Jagatsukh Shiva Temple is an ancient temple built during the 8th century. It is best to visit the place during May to October and it will take around 2 to 3 hours to explore the region. Quaintly located guest houses, fruit orchards and the annual Chachohli Jatra Festival are some attractions that too helped the village craft a place for itself in any tourist holiday circuit. Gaurishankar and the Chatet-roofed temple are some of the nearby attractions which are also worth visiting.
How to Reach
By Road: It is well connected by road from Chandigarh and Delhi. Regular buses, coaches and taxies ply from Delhi and Chandigarh.
By Train: The nearest rail head is Chandigarh which is 320 km away.
By Air: The nearest airport is Bhunter which is about 50 km and 10 Km beyond Kullu.
Gaurishankar Temple
Gaurishankar TempleDedicated to Shiva and Parvati, Gaurishankar Temple is an ancient stone temple located at Dashal village in Kullu District and is 8 km from Manali. A veritable showpiece in a tranquil setting, this Shaivite temple dates back to 12th century AD and is a fine specimen of the “Shikhara Style”, a rare form of architecture in this part of the country.
  Manu Temple
Manu TempleThis is dedicated to the sage Manu. Just near the Hadimba Temple flows the Manalsu river, that culminates in the main Beas river. Across the Manalsu river is the original village of Manali that houses the ancient temple of the sage Manu. Manali itself is named after Manu, who is said to have dwelt here.
 Jagatsukh Shiva Temple
Jagatsukh Shiva TempleJagatsukh Shiva Temple is a Shikhara style shrine situated at Jagatsukh, which is 6 km from Manali, in Himachal Pradesh. Built around the early 8th century, it has a tri-ratha sanctum roofed by a Shikhara. The temple is of similar architecture as that of the Naresar group of temples.

Promote Local Talent in Himachal’s Fairs

Promote Local Talent in Himachal’s Fairs

SHIVRAJ  SHARMA 9418081247
ANNITHISWEEK.IN
Fairs and festivals are integral part of cultural heritage of Himachal as they help in social cooperation maintaining brotherhood. The format of these fairs and festivals has assumed commercial nature as earlier they were envisaged to conserve cultural legacy and for attracting tourists towards Indian and hilly culture. Ironically, a big chunk of people’s earning are spent on organizing star nights and inviting Bollywood stars performing for few hours. Social harmony has been the mainstay of fairs and festivals of all levels. At least one fair or festival is organised in almost every village of Himachal annually with most of them being religious in nature. In fact every fair becomes hub of trade activities. International Kullu Dussehra of Himachal attracts numerous local deities of Kullu Valley besides witnessing massive sale and purchase of hill products. Folk dances, wrestling competitions mark Sujanpur Holi Festival whereas Lavi Fair witnesses commercial business of woolen garments in Rampur. There are so many fairs and festivals of different natures organised across the state that attract huge gatherings. These fairs also help unemployed youth to earn their livelihood by engaging themselves in different trade and other activities during such occasions. They are also a powerful medium to popularize developmental schemes of the state government through holding of exhibitions. Commercial activities and sports activities during the daytime and cultural evenings are held in the evening during such fairs. However, Pahari folk songs like Phulmu Ranjhu, Kunju Chanchalo, Mohna Mangi and playing of traditional instruments like khanjari-ruwana, shehnai and tamak are becoming a thing of past now during such fairs. Himachal’s local artists also perform during such fairs but people’s mindset has changed under the influence of western culture. The state government must promote participation of local artists in fairs to conserve hilly traditions and culture

Friday, 28 March 2014

सुदर्शन जीवनशैली के श्रीश्री रविशंकर

सुदर्शन जीवनशैली के श्रीश्री रविशंकर

cereerहाल ही में पाकिस्तान स्थित आर्ट ऑफ लिविंग के एकमात्र आश्रम पर हुए हमले के बाद श्रीश्री रविशंकर और उनका संगठन चर्चा में हैं। उनके भक्त उन्हें आदर से प्रायः श्रीश्री अथवा गुरु जी के नाम से पुकारते हैं। वह आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक हैं।
जीवन परिचय
श्रीश्री रविशंकर का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य में 13 मई, 1956 को हुआ। उनके पिता का नाम वेंकेट रतनम था जो भाषाविद् थे। उनकी माता श्रीमती विषलाक्षी सुशील महिला थीं। आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए उनके पिता ने उनका नाम रखा शंकर। शंकर शुरू से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। मात्र चार साल की उम्र में वह भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे। बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था। उनके शिष्य बताते हैं कि फिजिक्स में अग्रिम डिग्री उन्होंने 17 वर्ष की आयु में ही ले ली थी। उन्होंने अपने नाम रवि शंकर के आगे श्रीश्री जोड़ लिया जब प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया कि वह उनके नाम की कीर्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। रवि शंकर लोगों को सुदर्शन क्रिया सिखाते हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना
1982 में श्री श्री रवि शंकर ने आर्ट ऑफ  लिविंग की स्थापना की। 1997 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फार ह्यूमन वैल्यू की स्थापना की, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ते हैं॒।
दर्शन
श्रीश्री रवि शंकर कहते हैं कि सांस शरीर और मन के बीच एक कड़ी की तरह है, जो दोनों को जोड़ती है। इसे मन को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वह इस बात पर भी जोर देते हैं कि ध्यान के अलावा दूसरे लोगों की सेवा भी इनसान को करनी चाहिए। वह विज्ञान और अध्यात्म को एक-दूसरे का विरोधी नहीं, बल्कि पूरक मानते हैं। प्राकृतिक आपदाओं के समय भी संगठन के कार्यकर्ता सक्रिय रहते हैं।  दुनिया भर के कैदियों के उत्थान के लिए भी संस्था निरंतर कार्य करती रहती है।
सुदर्शन क्रिया
सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ  लिविंग कोर्स का आधार है। सुदर्शन क्रिया शरीर, मन और भावनाओं को ऊर्जा से भर देती है तथा उन्हें प्राकृतिक स्वरूप में ले आती है।
इससे जुड़ी संस्थाएं
* वेद विज्ञान विद्यापीठ
* श्रीश्री सेंटर फार मीडिया स्टडीज
* श्रीश्री कालेज और आयुर्वेदिक साइंस एंड रिसर्च
अवार्ड
* नेशनल वेटरेन्स फाउंडेशन अवार्ड अमरीका 2007
* कन्नडिगा ईटीवी- 2007
* मंगोलिया का आर्डर पोल  स्टार- 2006 पुरस्कार

राजकीय बहुतकनीकी संस्थान बनीखेत


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राजकीय बहुतकनीकी संस्थान बनीखेत

cereerयह संस्थान हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटन नगरी डलहौजी के मुख्य द्वार बनीखेत के पास स्थापित है। वर्ष 2007 में किराए के कमरों में मात्र 74 विद्यार्थियों के दाखिले के साथ शुरू हुआ यह संस्थान आज प्रदेश के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में शुमार हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं विशेषकर लड़कियों के लिए वरदान सिद्ध हुए इस संस्थान में  वर्तमान समय में छात्रों की संख्या 254 तक पहुंच गई है। इस संस्थान के लिए भवन का निर्माण कार्य बनीखेत में ही कंडा नामक स्थान पर चल रहा है। सितंबर 2007 में स्थापित यह शिक्षण संस्थान अपनी उच्चस्तरीय व गुणात्मक शिक्षा व इससे जुड़ी बेहतरीन तकनीकी द्वारा सफलता के नए आयाम स्थापित कर चुका है और कम समय में अच्छा नाम कमा चुका है। राजकीय बहुतकनीकी संस्थान, बनीखेत की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को शिक्षा के सुनहरे अवसर प्रदान करना है। उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रणाली व बच्चों में पर्सनेलिटी डिवेलपमेंट ही इस शिक्षण संस्थान का मुख्य उद्देश्य है। संस्थान का  मानना है कि शिक्षा कुछ इस प्रकार की होनी चाहिए कि जिसको ग्रहण करके विद्यार्थी अपनी एक अलग पहचान बना सके और भविष्य में आने वाली कड़ी प्रतिस्पर्धा के साथ कदम मिलाकर चल सके।  कर्मठ स्टाफ  व बेहतर परिणाम के कारण यह संस्थान प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से विद्यार्थियों को आकर्षित करने में सफल रहा है। यहां पर प्रधानाचार्य एचके भट्टी के सौहार्दपूर्ण रवैये के चलते शैक्षणिक माहौल भी काफी अच्छा बना हुआ है। राजकीय  संस्थान अपने यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए प्लेसमेंट के उद्देश्य से देश के कोन-कोने से नामी-गिरामी कंपनियों के साथ सामंजस्य स्थापित कर संस्थान में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को उचित रोजगार मुहैया करवाने में विशेष भूमिका निभा रहा है।
प्रिंसीपल के विचार
राजकीय बहुतकनीकी बनीखेत शिक्षण संस्थान के प्रिंसपील एचके भट्टी के अनुसार इस शिक्षण संस्थान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की युवा पीढ़ी को गुणात्मक शिक्षा के साथ-साथ पर्सनेलिटी डिवेलपमेंट पर ध्यान देकर युवाओं में आत्मविश्वास पैदा करना है। जैसा कि आज के युग में उच्च शिक्षा के साथ- साथ आकर्षक व्यक्तित्व का निर्माण होना भी आवश्यक है जिससे आज के युग में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच युवा अपनी अलग पहचान बना सकें। अतः संस्थान का मुख्य उद्देश्य छात्रों का चहुंमुखी विकास और उन्हें संपूर्ण ज्ञान देना है।  संस्थान को नई ऊंचाई प्रदान करने के लिए कर्मठ स्टाफ  भी दिन-रात मेहनत और लगन से इसके विकास में लगा हुआ है। संस्थान की महत्ता को स्वीकार करते हुए यहां अध्ययनरत छात्रों को हर आवश्यक सुविधा तथा  बेहतर शिक्षा उपलब्ध करवाने हेतु प्रयासरत हैं तथा विभाग व प्रदेश सरकार के साथ सामंजस्य कर कमियों को पूरा करने हेतु प्रयत्नशील हैं ।
संस्थान में पाठ्यक्रम
संस्थान में आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त सिविल इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध है। भवन निर्माण का कार्य पूरा होने के पश्चात इस संस्थान में तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्सेज में ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन और मेकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम भी आरंभ करवा दिए जाएंगे। संस्थान में अन्य सुविधाओं के अलावा छात्रों के लिए लाइब्रेरी की व्यवस्था की गई है, जिसमें पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अलावा विभिन्न प्रकार की पुस्तकें हैं। छात्र अपने खाली समय में इस सुविधा का लाभ उठाते हैं। संस्थान में कम्प्यूटर लैब भी है। इसके अलावा संस्थान के साथ सटे पद्धर मैदान में छात्रों की खेल संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। इसी के चलते पढ़ाई के साथ  संस्थान ने खेल के क्षेत्र में भी कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इसमें छात्रों ने इंटर पोलटेक्नीक प्रतियोगिता में कब्बडी व वालीबाल में प्रथम स्थान हासिल कर संस्थान व पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
भविष्य का लक्ष्य
संस्थान का लक्ष्य यही है कि वह देश के लिए अच्छे नागरिक तैयार करे, जिस से वे संस्थान के साथ-साथ अपने प्रदेश का भी नाम रोशन करें। संस्थान का लक्ष्य छात्रों को ऐसी शिक्षा देना है, जो उनके व्यावहारिक जीवन में भी उपयोगी साबित हो सके। इसी उद्देश्य को लेकर संस्थान आगे बढ़ रहा है।

कृषि से करें, कैरियर का प्रबंधन

कृषि से करें, कैरियर का प्रबंधन

वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में हर क्षेत्र में बड़ी तेजी से बदलाव हो रहे हैं और कृषि सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है। इस वजह से कृषि सेक्टर का प्रबंधन भी जरूरी हो गया है। इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की खातिर केवल एग्रीकल्चर ग्रेजुएट बनना ही काफी नहीं है…
cereerहमारी अर्थ व्यवस्था में कृषि का अहम योगदान है। किसी भी देश की प्रगति उसकी कृषि पर निर्भर करती है।यदि कृषि को देश की सुरक्षा और विकास की रीढ़ कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगा। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में हर क्षेत्र में बड़ी तेजी से बदलाव हो रहे हैं और कृषि सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है। इस वजह से कृषि सेक्टर का प्रबंधन भी जरूरी हो गया है। इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के खातिर केवल एग्रीकल्चर ग्रेजुएट बनना ही काफी नहीं है। आज इस सेक्टर में ऐसे लोगों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिन्हें इस क्षेत्र की बुनियादी जानकारी के अलावा मैनेजमेंट की भी अच्छी समझ हो। इस लिहाज से एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स करना युवाओं के लिए लाभदायक हो सकता है। युवा रोजगार का यह विकल्प चुनकर देश की कृषि का बेहतर प्रबंधन कर देश की आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं।
एग्री- बिजनेस में कैरियर की निर्भरता
एग्री- बिजनेस में कैरियर फार्मिंग से लेकर कमोडिटी ब्रोकर, कमोडिटी बायर, फूड ब्रोकर, सप्लाई प्लानर, मैनेजर परचेज एग्जीक्यूटिव, प्रोक्योरमेंट अफसर, लोन अफसर, मार्केटिंग रिसर्चर या स्पेशलिस्ट, प्रोडक्ट एनालिस्ट, परचेज एजेंट, स्टेटिस्टिशयन और होलसेलर तक के रूप में फैला हुआ होता है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
नौणी विश्वविद्यालय सोलन, हिमाचल प्रदेश
चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, हिप्र
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब
हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार
जीबी पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर
इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट, गुड़गांव
मिलेनियम अकादमी ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, नई दिल्ली
कोर्सेज
मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एग्री- बिजनेस)
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एग्री- बिजनेस
डिप्लोमा इन एग्री- बिजनेस एंड एग्री प्रोसेसिंग मैनेजमेंट
सर्टिफिकेट कोर्स इन एग्री- बिजनेस एंड एग्री प्रोसेसिंग मैनेजमेंट
कारेसपोंडेंस कोर्स इन एग्री बिजनेस मैनेजमेंट
बैचलर ऑफ एग्री- बिजनेस विद ऑनर्ज
बीएससी इन एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट
ग्रेजुएट कोर्स इन एग्री- बिजनेस
डिस्टेंट एजुकेशन एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट
एमएससी इन एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट
शैक्षणिक योग्यता

एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला लेने के लिए कृषि से संबंधित विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। एग्रीकल्चर, फूड टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, डेयरी टेक्नोलॉजी, एनिमल हस्बेंड्री, हार्टिकल्चर, फिशरीज या फोरेस्ट्री जैसे विषयों में स्नातक डिग्रीधारक छात्र इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। जिन छात्रों ने किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर में बैचलर की डिग्री हासिल की है, वे एग्री- बिजनेस से संबंधित कोर्सों में प्रवेश पा सकते हैं।
रोजगार के अवसर
ज्यादातर शिक्षण संस्थान अच्छे रोजगार के विकल्प प्रदान करते हैं। आज एग्री- बिजनेस में रोजगार के अवसर विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध होते हैं, जैसे- वेयर हाउसिंग, रिटेल सेक्टर, सीड कंपनियों, पेस्टीसाइड कंपनियों, फर्टिलाइजर कंपनियों, फाइनांस सर्विसेज, बैंकों और इंश्योरेंस के क्षेत्र में प्राप्त होते हैं। एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट में आपरेशंज के विभिन्न क्षेत्रों में योग्य मानव शक्ति के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इन सब से अलग एग्री- बिजनेस में कुछ और आवश्यक क्षेत्र भी  हैं, जो कैरियर के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं, जैसे- एग्रीकल्चर कंसल्टेंसी, जर्नलिज्म, एग्री बैंकिंग, हाईटेक फार्मिंग एग्रीकल्चर कंजरवेशन, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग। इसके अलावा अध्यापन के क्षेत्र में भी अच्छे अवसर मौजूद हैं।
चयन की प्रक्रिया
अधिकतर शिक्षण संस्थान प्रवेश परीक्षा के माध्यम से छात्रों का चयन करते हैं। प्रवेश परीक्षा अकसर दो चरणों में होती है। प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। इसके बाद ही अंतिम रूप से छात्रों का चयन किया जाता है। इस कोर्स के माध्यम से छात्र जनरल मैनेजमेंट, संस्थागत व्यवहार, वित्तीय प्रबंधन, मार्केटिंग ऑफ एग्रीकल्चरल इनपुट्स, एग्रीकल्चरल आउटपुट मार्केटिंग, बिजनेस संबंधी नियम- कायदे तथा आर्थिक माहौल तथा नीतियों के बारे में सीखते हैं। इसके अलावा उन्हें कृषि सेक्टर से जुड़ी आधुनिक तकनीकों व प्रबंधन के तौर तरीकों को जानने में मदद मिलती है, जिन्हें वे प्रोडक्शन, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, हार्वेस्ट मैनेजमेंट सहित अन्य कई कामों में लागू कर सकते हैं।
वेतनमान
एग्री- बिजनेस में कोर्स करने के बाद छात्र सरकारी, निजी या कारपोरेट सेक्टर में काम कर बेहतर वेतनमान प्राप्त कर सकते हैं। वेतनमान  शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और संबंधित क्षेत्र में निपुणता आदि पर निर्भर करता है। सरकारी क्षेत्र में सरकारी मानकों के अनुसार वेतन मिलता है जबकि निजी क्षेत्र में यह कंपनी के ऊपर निर्भर है। अमूमन 15 से 35 हजार तक वेतन मिलता है।

Tuesday, 25 March 2014

युवा दीवनराजा ने पंचायतीराज विभाग की परीक्षा में प्रथम

हिमाचल प्रदेश में शिक्षा और सभी विधायों में देवभूमि आनी के युवा सबसे आगे बढ़ रहे है
आनी के निपुण समाजसेवी युवा दीवनराजा ने पंचायतीराज विभाग की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया है 

Saturday, 22 March 2014

Himachal’s Shivani

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Himachal’s Women Hockey Team Enters National Division A

Vijay Thakur
 Himachal This WeekAssam clinched the 4th Hockey India Senior Women National Championship 2014 (Division B) by beating Himachal Pradesh in a hard fought final by 3-2 at the Aish Bagh Stadium in Bhopal. Though Himachal could not emerge as winner but it got entry into the National Hockey Championship (Division A) in which eight teams would participate. It is for the first time after 1996 when Himachal got a chance to play in Division A championship. In the final match, Himachal Pradesh gave a started on a promising note when Ravita Chauhan opened team’s account in 4th minute of the game. Assam took no time in returning the favour and scored two goals back to back in the 6th and 8th minutes through Dolly Yadav and Maully Yadav, respectively.  Himachal trailed by 2-1 at half time. Assam’s third goal came through captain Minni in 44th minute and increased the lead further to by 3-1. Himachal Pradesh’s Balwinder Rana scored in 59th minute but the team failed to get further goals and lost to Assam by 3-2. In another  match, Delhi defeated Tamil Nadu by 2-0 and secured the third position in the championship.
Himachal Team
Rachna (Captain), Tara Devi (Goal-keeper), Ritu, Bharati, Rina, Sonia, Balwinder, Ravita, Pooja, Judhya, Nikita, Shalini, Sonia and Paru.
Himachal Athletes Dazzle in Special Olympic National Event
 Himachal This Week Team
 Himachal This WeekHimachal athletes proved their mettle by winning 20 medals in the recently concluded Special Olympics National Athletics Championships, organised by the Special Olympics Bharat (SOB) in New Delhi. A total of 12 athletes participated in this championship from Himachal, including six girls and six boys. In different games athletes won eight golds, eight silvers and four bronze medals. Coach Anuradha Sharma, Murali Lal and Vinod Kumar led Himachal team. Special children from Chetna Association of Bilaspur were also included in Himachali team and they won six medals during the championship.  Around 800 athletes, 150 coaches and 150 volunteers from 26 states participated in the National Athletics Championship. Himachali players proved their superiority in long-jump, shot-put, broad-jump and softball. Coach Anuradha Sharma told that three players from Bilaspur Ashish Kumar, Sunil Kumari and Radha Devi clinched seven gold medals. Other medal winners included Palak (three golds), Vishakha (two golds), Sunil Kumari (two golds), Nandini (one silver), Ashish (three silvers), Panna Lal (one silver), Rahul Thakur (one silver and two bronze) and Anchal (one bronze).
Himachal’s Shivani in Open National Weightlifting Championship
Deepak Sharma
 Himachal This WeekHimachal’s weightlifter, Shivali Sharma proved her mettle in the recently concluded All India Inter-University Weightlifting Championship by winning a silver medal. She participated in this championship while representing Panjab University, Chandigarh. Now Shivali will participate in Open National Weightlifting Championship to be held from March 28 at Nagpur. She will represent Himachal in this championship. In the inter-university championship, she lifted 185 kg weight and got a silver medal. While talking to anni this week Shivani told that she practiced hard for this championship and preparing to participate in national weightlifting championship.

Wednesday, 19 March 2014

आनी के टॉपर स्टूडेंट हिमेश को 50 हजार का इनाम मिला है

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आनी के टॉपर स्टूडेंट हिमेश को 50 हजार का इनाम मिला है

आनी के वीरेंद्र ने जीता गोल्ड मेडल


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आनी के वीरेंद्र ने जीता गोल्ड मेडल
आनी — देवभूमि आनी की ग्राम पंचायत चवाई के अंतर्गत गांव के धोगीधार के युवा वीरेंद्र सिहं पुत्र ताबेराम को बुधवार 19 मार्च को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह में मनोविज्ञान में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक से महामहिम दलाईलामा ने नवाजा। गोल्ड मेडल से सम्मानित वीरेंद्र सिंह ने बताया कि इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता की मेहनत करने की सीख तथा अध्यात्म गुरु आशुतोष महाराज द्वारा सिखाई गई ध्यानविधि को जीवन में सफल होने का मूलमंत्र मानते हैं। इसके अलावा अपने गुरुजन डा. घोष, डा. सुनील, डा. गायत्री, डा. अनीतात्र डा. जिंटा तथा डा. मल्होत्रा को मानते हैं। वीरेंद्र सिंह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध पढ़ चुका है। आज के परिवेश में मानसिक स्वास्थ्य का होना बहुत जरूरी है, जिसको मन की दशा का संतुलित करके ही पाया जाता है। आनी का होनेहार युवा वीरेंद्र सिंह मानसिक विकलांग तथा पूनर्वास संस्थान ऊना हिमाचल प्रदेश में मनोविज्ञान विशेषज्ञ के पद पर कार्यरत है। आनी का होनहार युवा वीरेंद्र सिंह ने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल च्वाई व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी और बीएससी संजौली शिमला कालेज से की है। वीरेंद्र सिंह एक गरीब परिवार से संबंध रखता है। आज हर मजबूर असहाय लोगों की मदद के लिए हमेशा काम करता है। आनी की सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं हिम संस्कृति, देवभूमि विकास परिषद, युवा मंडल एवं दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आनी व व्यापार मंडल ने आनी व प्रदेश के नाम को रोशन करने वाले युवा को बधाई दी।

Tuesday, 18 March 2014

देश में 90 करोड़ के पास मोबाइल

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देश में 90 करोड़ के पास मोबाइल

ट्राई ने जारी किए जनवरी 2014 के आंकड़े
newsमोबाइल फोन ग्राहकों की संख्या इस वर्ष जनवरी में 70 लाख बढ़कर 89.33 करोड़ पर पहुंचने के साथ ही देश में लैंड लाइन और मोबाइल फोन ग्राहकों की कुल संख्या 92.20 करोड़ पहुंच गई है। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में मोबाइल फोन ग्राहकों की संख्या में दिसंबर 2013 की तुलना में जनवरी 2014 में 0.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस महीने में सक्रिय ग्राहकों की संख्या 77.265 करोड़ थी, जो कुल ग्राहकों का 86.49 प्रतिशत है। जनवरी 2014 में देश में दूरसंचार घनत्व बढ़कर 74.5 प्रतिशत पर पहुंच गया। इस महीने में मोबाइल दूरसंचार घनत्व 72.18 प्रति सैंकड़ा पहुंच गया। शहरी क्षेत्रों में प्रति एक सौ आबादी पर 139.42 मोबाइल ग्राहक हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 42.43 है। जनवरी में 25.6 लाख ग्राहकों ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सेवा का उपयोग कर अपने आर्पेटर बदले हैं। जनवरी 2014 तक देश में ब्राडबैंड कनेक्शन की संख्या बढ़कर 5.69 करोड़ पर पहुंच गई। इनमें से 4.235 करोड़ वायरलेस कनेक्शन हैं, जबकि 1.455 करोड़ फिक्सड लाइन ब्राडबैंड के ग्राहक हैं। इस वर्ष जनवरी में देश में फिक्सड लाइन टेलीफोन ग्राहकों की संख्या घटकर दो करोड़ 78 लाख 20 हजार रह गई, जबकि इससे पिछले महीने में यह दो करोड़ 88 लाख 90 हजार रही थी। दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने वाली देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी भारती एयरटेल के ग्राहकों की संख्या जनवरी 2014 में 24.30 लाख बढ़कर 20 करोड़ के पार पहुंच गई। इसके साथ ही वह देश में 20 करोड़ मोबाइल फोन ग्राहकों वाली पहली कंपनी बन गई है।

Chavinder sharma 9418131366 शारीरिक शिक्षा का शानदार कैरियर

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राजकीय संस्कृत महाविद्यालय क्यारटू, ठियोग

cereercereerसंस्कृत महाविद्यालय क्यारटू के भवन को लोक निर्माण विभाग ने इस समय अनसेफ  घोषित किया हुआ है। यहां पर कहने को तो आठ कमरे हैं, लेकिन उपयोग में मात्र चार कमरे ही आ रहे हैं जबकि चार अन्य में बैठना जान जोखिम में डालने के बराबर है…
ठियोग के मधान क्षेत्र के क्यारटू में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय वैसे तो सरकारी उपेक्षा का शिकार है, लेकिन यहां पर बेहद कम सुविधाओं के चलते हुए बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कालेज प्रशासन द्वारा किया जा रहा है।
स्थापना
सन् 1965 में इस कालेज का प्रदेश सरकार ने अधिग्रहण किया था, जबकि यह कालेज इससे पहले निजी हाथों में ही था।
भवन की स्थिति
संस्कृत महाविद्यालय, क्यारटू के भवन को लोक निर्माण विभाग के द्वारा इस समय अनसेफ  घोषित किया हुआ है। यहां पर कहने को तो आठ कमरे हैं, लेकिन उपयोग में मात्र चार कमरे ही आ रहे हैं जबकि चार अन्य में बैठना जान जोखिम में डालने के बराबर है। इसके लिए प्रदेश सरकार से बार- बार आग्रह के बाद लोक निर्माण विभाग को इसके नए भवन के लिए एस्टीमेट तैयार किए जाने के आदेश हुए हैं, जिस पर विभाग कार्य कर रहा है।
छात्रों व शिक्षकों की संख्या
यहां पर 50 छात्र-छात्राएं हैं जबकि 6 प्राध्यापक तथा 6 गैर शिक्षक कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
यहां पर पढ़ाए जाने वाले विषय
संस्कृत महाविद्यालय क्यारटू में 12 विषय पढ़ाए जा रहे हैं और इनमें  संस्कृत विषयों के अलावा अंग्रेजी, हिंदी, इतिहास, शारीरिक शिक्षा के अलावा म्यूजिक की भी यहां पर छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे है।
खेलने के लिए मैदान
महाविद्यालय में खेलकूद के लिए मैदान तो है लेकिन यह नाममात्र ही है। हालांकि पंचायत की ओर से सड़क का निर्माण किया गया है, जिससे कि महाविद्यालय के लिए आने- जाने की सुविधा मिली है।
कम्प्यूटर लैब
महाविद्यालय में कम्प्यूटर लैब तो है, पर यहां पर इसके लिए अध्यापक नहीं है, जिससे कि छात्रों को यह सुविधा मिल सके।
क्या है खास
संस्कृत महाविद्यालय क्यारटू एकांत स्थान पर है जिससे कि यहां पर छात्रों को पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल मिल रहा है और यहां से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र हमेशा अव्वल रहते हैं।
प्रधानाचार्य का सौहार्दपूर्ण रवैया
यहां पर प्रधानाचार्य प्रवीण कुमार के सौहार्दपूर्ण रवये के चलते ही यहां पर शैक्षिणिक माहौल काफी अच्छा बना हुआ है।
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शारीरिक शिक्षा का शानदार कैरियर

विश्वविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थाओं ने भी खेल एवं शारीरिक शिक्षा को एक बेहतर पाठ्यक्रम के रूप में मान्यता देनी शुरू कर दी है। स्वास्थ्य के प्रति हमारे अंदर आई जागरूकता के कारण हम जिम, योग आदि के प्रति सजग हो रहे हैं और इनको अपना रहे हैं। ऐसे में योग जैसी प्राकृतिक पद्घतियों के विशेषज्ञों की भी आज काफी मांग है…
cereercereerखेल एवं शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ रही संभावनाओं को देखते हुए यह कैरियर की दृष्टि से एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। देश के कुछ जाने-माने विश्वविद्यालयों ने इस तरह के नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है। देशवासियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ने शारीरिक शिक्षा और खेल के प्रति रुचि में बढ़ोतरी हुई है। विश्वविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थाओं ने भी खेल एवं शारीरिक शिक्षा को एक बेहतर पाठ्यक्रम के रूप में मान्यता देनी शुरू कर दी है। आजकल स्वास्थ्य के प्रति हमारे अंदर आई जागरूकता के कारण हम जिम, योग आदि के प्रति सजग हो रहे हैं और इनको अपना रहे हैं। ऐसे में योग जैसी प्राकृतिक पद्घतियों के विशेषज्ञों की आज काफी मांग है। शारीरिक शिक्षा प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के समय में पढ़ाया जाने वाला एक पाठ्यक्त्रम है। इस शिक्षा से तात्पर्य उन प्रक्रियाओं से है जो मनुष्य के शारीरिक विकास तथा कार्यों के समुचित संपादन में सहायक होती है।
परिचय
वर्तमान काल में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अंतर्गत व्यायाम, खेलकूद, मनोरंजन आदि विषय आते हैं। साथ- साथ वैयक्तिक स्वास्थ्य तथा जनस्वाथ्य का भी इसमें स्थान है। कार्यक्रमों को निर्धारित करने के लिए शरीर रचना तथा शरीर क्रिया विज्ञान, मनोविज्ञान तथा समाज विज्ञान के सिद्धांतों से अधिकतम लाभ उठाया जाता है। वैयक्तिक रूप में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शक्ति का विकास और नाड़ी स्नायु संबंधी कौशल की वृद्धि करना है तथा सामूहिक रूप में सामूहिकता की भावना को जागृत करना है।
इतिहास
संसार के सभी देशों में शारीरिक शिक्षा को महत्त्व दिया जाता रहा है। ईसा से 2500 वर्ष पहले चीन देशवासी बीमारियों को दूर भगाने के लिए व्यायाम में भाग लेते थे। ईरान में युवकों को घुड़सवारी, तीरंदाजी तथा सत्यप्रियता आदि की शिक्षा प्रशिक्षण केंद्रों में दी जाती थी। यूनान में खेलकूद की प्रतियोगिताओं का बड़ा महत्त्व होता था। शारीरिक शिक्षा से मानसिक शक्ति का विकास होता था। सौंदर्य में वृद्धि होती थी तथा रोगों का निवारण होता था। स्पार्टा में जगह जगह व्यायामशाला बनी हुई थी। रोम में शारीरिक शिक्षा, सैनिक शिक्षा तथा चारित्रिक शिक्षा में परस्पर घनिष्ट संबंध था और राष्ट्र की रक्षा करना इन सबका उद्देश्य था। पाश्चात्य देशों के धार्मिक विचारों में परिवर्तन होने के कारण तपस्या तथा शारीरिक यातनाओं पर बल दिया जाने लगा। किंतु आगे चलकर खेल- कूद, तैराकी, व्यायाम तथा अस्त्र-शस्त्र के अभ्यास में लोगों की अभिरुचि पुनः जगी। इस काल के माइकिल ई मांटेन, जेजे रूसो, जॉन लॉक तथा कमेनियस आदि शिक्षा शास्त्रियों ने शारीरिक शिक्षा पर जोर दिया।
भारत में अभ्युदय
भारतवर्ष में शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय व्यायाम पद्धति का प्रमुख स्थान है। यह विश्व की सबसे पुरानी व्यायाम प्रणाली है। जिस समय यूनान, स्पार्टा ओर रोम में शारीरिक शिक्षा के झिलमिलाते हुए तारे का अभ्युदय हो रहा था उस समय भी भारतवर्ष में वैज्ञानिक आधार पर शारीरिक शिक्षा का ढांचा बन चुका था और उस ढांचे का प्रयोग भी हो रहा था। आश्रमों तथा गुरुकुलों में छात्रगण तथा अखाड़ों और व्यायामशालाओं में गृहस्थ जीवन के प्राणी उपयुक्त व्यायाम का अभ्यास करते थे। इन व्यायामों में दंड बैठक, मुगदर, गदा, नाल, धनुर्विद्या, मुष्टी,वज्रमुष्टी, आसन, प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, नौली, नेती, धौती,वस्ती इत्यादि प्रक्रियाएं प्रमुख थीं।
विशेषता और विकास
भारतीय व्यायाम पद्धति में सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस पद्धति के द्वारा ध्यान को एकाग्र करना, चित्तवृत्ति का निरोध करना तथा स्मरण शक्ति आदि की वृद्धि करना सुगमतया संभव है। इसी विशेषता से आकर्षित होकर अन्य देशों में इन व्यायामों का बड़ी तीव्र गति से प्रचार और प्रसार हो रहा है। यही नहीं, कहीं- कहीं पर तो इन व्यायामों के विभिन्न अनुसंधान केंद्र स्थापित कर दिए गए हैं। मनोविज्ञान के युग का प्रारंभ होते ही शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम तथा संगठन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश हुआ। फलतः बच्चों की अभिरुचि, प्रवृत्ति, उम्र तथा क्षमता को ध्यान में रखकर शारीरिक शिक्षा के पाठों का निर्माण हुआ। शैशव काल में ड्रिल को हटाकर छोटे- छोटे यांत्रिक खेल तथा कसरतों पर अधिक बल दिया गया। इसके बाद जिम्नास्टिक्स की ओर युवकों को आकर्षित किया गया। सारी कसरतें संगीत की लय पर युवकों में अधिक सुखद और रुचिकर बनाने के प्रयास हुए। शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बहुत विस्तृत बना दिया गया। आज यह विषय अंतरराष्ट्रीय आदान- प्रदान का एक सुलभ साधन हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
सभी प्रगतिशील देशों में इस शिक्षा के कार्यक्रमों की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तथा समारोहों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इस विषय में प्रशिक्षण देने के लिए शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय खुले हैं जहां पर अध्यापक तथा अध्यापिकाएं प्रावधान के अनुसार तीन वर्ष दो वर्ष या एक वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। ये संस्थाएं समय- समय पर प्रादेशिक, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी आयोजित करती हैं। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रतियोगियों को विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जाता है। यही कारण है कि वैश्विक प्रतियोगिताओं में दिनोंदिन प्रगति होती जाती है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला  गुरु नानकदेव यूनिवर्सिटी, अमृतसर  लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक संस्थान ग्वालियर(एशिया का एकमात्र डीम्ड विश्वविद्यालय)  उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद  कालेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन पुणे, महाराष्ट्र  इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस, नई दिल्ली  विवेकानंद रूरल एजुकेशन सोसायटी कालेज आफ फिजिकल एजुकेशन, रैचुर कर्नाटक  वीएनएस कालेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड मैनेजमेंट, भोपाल(मप्र)
शैक्षणिक योग्यता और कोर्स   
शारीरिक शिक्षा में प्राथमिक योग्यता दस जमा दो के बाद सीपीएड है। दस जमा दो के बाद ही शारीरिक शिक्षा में तीन वर्षीय डिग्री बीपीई होती है। स्नातकों के लिए एक वर्ष की बीपीएड डिग्री करवाई जाती है। स्नातक दो साल की एमपीएड भी कर सकते हैं।
प्रवेश परीक्षा एमपीएड
एमपीएड में प्रवेश हेतु लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें बीपीएड और बीपीई स्तर के छात्र भाग लेते हैं जिन्हें खेल कूद से संबंधित सामान्य ज्ञान तथा अन्य गुणात्मक वस्तुनिष्ठ परक प्रश्न पूछे जाते हैं।
एमफिल- पीएचडी
प्रवेश परीक्षा के लिए एमपीएड, एमपीईडी स्तर के बहुउत्तरीय  प्रश्न लिखित परीक्षा में पूछे जाते हैं, जिसमें अनुसंधान विधियां, प्रारंभिक सांख्यिकी, शारीरिक विज्ञान का अभ्यास, शारीरिक शिक्षा में मापन व मूल्यांकन, जैव यांत्रिकी तथा गति विज्ञान, शारीरिक शिक्षा का इतिहास प्रशिक्षण विधि तथा खेलकूद व क्रीड़ा से संबंधित सामान्य ज्ञान इत्यादि विषयों से सम्बंधित प्रश्न होते हैं।
वेतनमान
शारीरिक शिक्षा में कोर्स करने के बाद योग्यतानुसार स्कूल में दस हजार और  अच्छे कोर्स करने के बाद कालेज में लगने पर 40 हजार तक आरंभिक वेतन मिलता है। इसके अलावा निजी क्षेत्र में हैल्थ क्लब और जिम्नेजियमों में भी आकर्षक वेतन पर इन्हें रखा जाता है।
भारतीय खेल प्राधिकरण
भारतीय खेल प्राधिकरण भारत के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय का महत्त्वपूर्ण अंग है । अपनी खेल प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से भारतीय खेल प्राधिकरण युवाओं में प्रतिभा उत्पन्न करने और उसे निखारने का काम करता है।
शारीरिक शिक्षा का महत्त्व
छात्रों को शरीर के अंगों का ज्ञान, उनकी रचना और कार्यों का बोध कराने के लिए शारीरिक शिक्षा महत्त्वपूर्ण है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार के खेल हैं, जैसे बालीबाल, फुटबाल, हाकी, बास्केटबाल, टेबल टेनिस, लान टेनिस,कबड्डी, खो-खो, बेडमिंटन, क्रिकेट, कैरमबोर्ड और शतरंज आदि। प्रत्येक स्कूल में एक शारीरिक शिक्षक उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना पढ़ाने वाला शिक्षक। शारीरिक शिक्षक से बालक का मानसिक विकास तो होता ही है साथ ही शारीरिक विकास भी सही गति से होता है। बच्चों को शिक्षा के साथ खेलकूद में भाग लेना चाहिए, जिससे उनके अंदर खेल के प्रति पूरा सम्मान उत्पन्न हो।

Monday, 17 March 2014

हाली के रंग और पानी की जंग

annithisweek magazine

hamari holi 2014

हाली के रंग और पानी की जंग

पर्यावरण की स्थिति जिस तेजी से बिगड़ रही है, दुनिया में जल संकट जिस तेजी से बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन की समस्या जिस भयावहता के साथ हमारे द्वार पर दस्तक दे रही है, उसमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाले किसी भी तथ्य और तर्क का स्वागत होना चाहिए। लेकिन ऐसे तर्क यदि बौद्धिक बेईमानी के साथ दिए जाते हैं तो उनका विरोध भी किया जाना चाहिए और समग्र पक्ष को लोगों के सामने रखा जाना चाहिए
utsavहोली प्रेम और समरसता का त्योहार है। यह अधिकांश लोगों को रोमांचित करता है, लेकिन कुछ लोगों को कोई भी भारतीय चीज अच्छी नहीं लगती। ऐसे लोग होली को भी नापसंद करते हैं और इसके लिए एक नया तर्क गढ़ा गया है कि इस दिन पानी की बहुत बर्बादी होती है। यही लोग दीपावली से भी नाक-भौं सिकोड़ते हैं और कहते हैं कि इस दिन प्रदूषण चरम पर होता है। निश्चित रूप से इन दोनों तर्कों को एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता। पर्यावरण की स्थिति जिस तेजी से बिगड़ रही है, दुनिया में जल संकट जिस तेजी से बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन की समस्या जिस भयावहता के साथ हमारे द्वार पर दस्तक दे रही है, उसमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाले किसी भी तथ्य और तर्क का स्वागत होना चाहिए। लेकिन ऐसे तर्क यदि बौद्धिक बेईमानी के साथ दिए जाते हैं तो उनका विरोध भी किया जाना चाहिए और समग्र पक्ष को लोगों के सामने रखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए होली और पानी संकट के मुद्दे को ही लें। होली को जलसंकट का कारण मानने वाले लोग इस समस्या को जीवनशैली और उपभोक्तावाद से जोड़ने से बचते हैं। हम एक ऐसी जीवनशैली जी रहे हैं जिसमें पानी की ज्यादा खपत करने वाले उत्पादों का अधिक उपभोग होता है। विज्ञान की भाषा में कहें तो हमारी जीवनशैली अधिक वाटर फुटप्रिंट वाले उत्पादों के उपभोग को तरजीह देती है। विज्ञान में किसी  भी उत्पाद को अंतिम रूप से बनने में जितने पानी की खपत होती है उसे वाटर फुटप्रिंट कहा जाता है। इसके बारे में हमारी जानकारी बहुत कम है। कुछ वस्तुओं के वाटर फुटप्रिंट दिए जा रहे हैं-
शराब
1 किलोग्राम अंगूर के उत्पादन के लिए औसतन 610 लीटर पानी खर्च होता है। 1 किलोग्राम अंगूर से 0.7 लीटर शराब बनती है। इस तरह एक लीटर शराब बनाने के लिए 870 लीटर पानी की जरूरत होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो 125 मिली शराब बनाने के लिए 110 लीटर पानी खर्च होता है।
गौमांस
1 किलो गाय के मांस के उत्पादन के लिए 15400 लीटर पानी की खपत होती है।
बीयर
1किलो जौ के उत्पादन के लिए 14200 लीटर पानी खर्च होता है। जौ से बनने वाली 1 गिलास बीयर के लिए लगभग 74 लीटर पानी खर्च होता है।
ब्रेड
2 किलोग्राम गेहूं के उत्पादन में 1827 लीटर पानी की खपत होती है। 1 किलोग्राम गेहूं के उत्पादन में लगभग 1850 लीटर पानी की खपत होती है। 1 किलो ग्राम आटे से 1ः15 ग्राम आटा बनता है। इस तरह 1 किलो ब्रेड बनाने के लिए 1608 लीटर पानी की खपत होती है।
पत्तागोभी
1 किलोग्राम पत्ता गोभी के उत्पादन में लगभग 280 लीटर पानी की खपत होती है।
कॉफी
1 कप काफी बनाने के लिए 130 लीटर पानी की खपत होती है।
चिकन
1 किलोग्राम मुर्गे के मांस के उत्पादन के लिए 4433 लीटर पानी की खपत होती है। जबकि 1 किलोग्राम गौमांस मांस के लिए 15400 लीटर, भेड़ के मांस के लिए 10400 लीटर , सूअर के मांस के लिए 6000 लीटर, और बकरी के मांस के लिए 5500 लीटर जल की खपत होती है।
चॉकलेट
100 ग्राम का चॉकलेट बनाने के लिए लगभग 1700 लीटर पानी की खपत होती है।
कपास
250 ग्राम पानी कॉटन शर्ट को बनाने में 250 लीटर पानी की खपत होती है। 800 ग्राम के जींस को बनाने में 800 लीटर पानी की खपत होती है।
चमड़ा
1 किलो चमड़े के उत्पादन में लगभग 17000 लीटर पानी की खपत होती है
मक्का
1 किलो मक्के के उत्पादन में 1220 लीटर पानी की खपत होती है।
आम और अमरूद
1 किलो आम अमरूद के उत्पादन में 1800 लीटर पानी की खपत होती है।
यदि हम अपनी जीवनशैली में इनमें से कुछ वस्तुओं के अंधाधुंध उपयोग को नियंत्रित कर सकें अथवा कम वाटर फुटप्रिंट वाली वस्तुओं के उपयोग को तरजीह दे सकें, तो इस नीले ग्रह का पानी बचा रहेगा और हम होली को गाली देने की आदत का शिकार होने से भी बच सकेंगे।

Saturday, 15 March 2014

हिमाचल की शान

हिमाचल की शान 
रामपुर के राजा वीरभद्र सिंह 
हमीरपुर के प्रोफेसर प्रेमकुमार धूमल

Monday, 10 March 2014

देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी

Bisheshwar negi  rampur

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देश के पहले वोटर सरकार चुनने को तैयार

newsरिकांगपिओ — देश के पहले वोटर 98 वर्षीय श्याम सरन नेगी 16वीं लोकसभा के चुनाव में भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके लिए वह खासे उत्सुक भी हैं। श्याम शरण नेगी की लोकतंत्र प्रणाली के प्रति रुचि को देखते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त किन्नौर डीडी शर्मा ने सोमवार को उनके कल्पा स्थित आवास पर मुलाकत कर लोकतंत्र प्रणाली पर बातें साझा कीं। चर्चा के दौरान उपायुक्त किन्नौर व श्याम शरण नेगी के बीच लोकतंत्र में पहली बार लागू नोटा जैसे अधिकारों पर लंबी चर्चा हुई। इस अवसर पर एसपी किन्नौर अजय बौद्ध, एसडीएम कल्पा प्रशांत देष्टा, अतिरिक्त उपायुक्त किन्नौर मेजर विशाल शर्मा, पीओआईटीडीपी पंकज शर्मा सहित पत्रकारों का एक दल भी मुख्य रूप से उपस्थित था। परिधि गृह कल्पा में पत्रकार वार्ता में जिला निर्वाचन अधिकारी डीडी शर्मा ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक प्रणाली के लागू होते ही 1992 में सबसे पहले हुए मतदान के दौरान पहला मतदान करने का सौभाग्य किन्नौर जिला के कल्पा निवासी श्याम शरण नेगी को प्राप्त हुआ था। तब वह शिक्षक थे और तभी से वह न केवल लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भाग ले रहे हैं, बल्कि पंचायत स्तर के हर चुनावों में भी हिस्सा लेते हैं। उन्होंने कहा कि देश के हर मतदाता को लोकतंत्र के प्रति निष्ठा रखने वाले ऐसी शख्सियत से पे्ररणा लेने की जरूरत है।

मेरी कलम से```````````````शिवराजशर्मा लेखक एवं पत्रकार 9418081247

मेरी कलम से```````````````शिवराजशर्मा लेखक एवं पत्रकार 9418081247
हिमाचल की शान
हिमाचल गौरव पुरस्कार से समानित शास्त्री लोकनाथजी मिश्रा एक समाजसेवी लेखक एवं साहित्यकार मिलनसार गुरु के रूप में पहचाने जाते है
शास्त्री लोकनाथ जी  मिश्रा ने सतलुज घाटी की सांस्कृतिक पृष्टभूमि नामक पुस्तक लिखी है
जिसमे मेलों उत्सवों आधार भिति स्थान ठहरी स्थापना आउटर सिराज निरमण्ड का निरूपण विशिष्ट प्रसंग देव निरूपण मेलों का बर्णन आदी महतवपूर्ण जानकारी लिखी गई है
स्वॉगिये शास्त्री लोकनाथ मिश्रा जी कि कलम से लिखी गई अनमोल पुस्तकें
1   सतलुज घाटी की सांस्कृतिक पृष्ठ भूमि
2  अम्बिका स्त्रोतम
3  श्रदांजलि
माता भीमाकाली
प्रारम्भिक स्थल
भण्डासुर कथानक
शोणितपुर
कामरू विषहर राज्य की स्थापना
सराहन
बशाहरू देव
देवताजाक
प्रयुमन के वंशज
सतलुज घाटी की सभ्यता
लोगो का रहन सहन
परशुरामा अवतार
निरमण्ड के पांच मोहले
पहाड़ की काशी
माता अम्बिका मन्दिर
ताम्रपत्र
भुण्डा यज्ञ क्रम
निरमण्ड का युग परिवर्तन
पुस्तक में 102 लेख़ समलित है



Saturday, 8 March 2014

महिला मंडलों की तर्ज पर युवा मंडलों को मिलेगा फंड

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CHAVINDER SHARMA

महिला मंडलों की तर्ज पर युवा मंडलों को मिलेगा फंड

शिमला  — लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने के लिए युवा कांग्रेस ने कमर कस ली है। युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने ‘दिव्य हिमाचल’ के साथ विशेष बातचीत कर अपनी योजनाओं को साझा किया। उनका कहना है कि भाजपा को चुनाव में मात देने के लिए कांग्रेस की उपलब्धियां ही काफी हैं। उन्होंने बताया कि वह हर विधानसभा क्षेत्र में खुद एक-एक दिन प्रचार के लिए पहुंचेगे। पंजीकृत युवक मंडल के पदाधिकारियों के साथ बैठकें की जाएंगी। सोशल मीडिया के जरिए भी युवाआें से संपर्क साधा जाएगा। पेश है बातचीत के कुछ अंश…..
दिहिः लोकसभा चुनावों में युवा कांग्रेस की क्या रणनीति रहेगी?
himachal pradesh newsविक्रमादित्य सिंहः प्रदेश के युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए युवा कांग्रेस जन संपर्क अभियान चलाएगी। युकां ने विभिन्न कमेटियों का गठन किया है। खुद 68 विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक दिन दौरा कर लोगों से मिलूंगा। युवा कांग्रेस ‘कैंपस डिबेट’ नाम से कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। राज्य के निजी विश्वविद्यालयों व निजी कालेजों में कैंपस डिबेट के दौरान युवाओं से सीधे रू-ब-रू होंगे। युवाओं की राय जानी जाएगी वह क्या चाहते हैं, उनकी क्या समस्याएं हैं, वे क्या चाहते हैं, उनकी जुबानी सुनकर उसका समाधान करवाया जाएगा। सरकारी विवि व कालेजों में आचार संहिता लग जाने के कारण यह कार्यक्रम संभव नहीं है।
दिहिः किन मुद्दों को लेकर युवा कांग्रेस जनता के बीच जाएगी?
विक्रमादित्य सिंहः कांग्रेस पार्टी कभी क्षेत्रवाद व जाति आधारित राजनीति नहीं करती। भाजपा को मात देने के लिए राज्य व केंद्र सरकार के विकास कार्यों की उपलब्धियां ही काफी हैं। राज्य सरकार ने बजट में युवाओं के लिए कई घोषणाएं की हैं। राज्य सरकार ने युवाओं को कौशल विकास भत्ता दिया है।
दिहिः प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए युवा कांग्रेस की क्या सोच है?
विक्रमादित्य सिंहः प्रदेश में पर्यटन व हाइड्रो इंजीनियरिंग से संबंधित कालेज खुले इसका प्रयास किया जाएगा।
दिहिः आप एक राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं, आप के पिता प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और माता मंडी से प्रत्याशी, प्रचार अभियान मंडी तक ही तो सीमित होकर नहीं रह जाएगा?
विक्रमादित्यः यह सत्य है कि मंडी संसदीय क्षेत्र मेरा पारिवारिक दायित्व है, लेकिन इसका प्रचार अभियान पर जरा भी असर नहीं पड़ेगा।
राजनीतिक कैरियरः
18 नवंबर 2013 को युवा कांगे्रस के अध्यक्ष बने। इससे पहले युवा कांग्रेस के सदस्य व ब्लॉक सदस्य रहे। हिमाचल प्रदेश स्पोर्ट्स कल्चरल एंड एन्वायरनमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, जो हर साल महाराजा पद्म सिंह क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन करवाती है इस में देश के नामी क्रिकेट भाग लेने आते हैं।

संजना-सरवरी मंडल को राज्य पुरस्कार

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संजना-सरवरी मंडल को राज्य पुरस्कार

NEWSशिमला — अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संजना गोयल और महिला कल्याण मंडल सरवरी को सामाजिक क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया। शिमला में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त सचिव पीसी कपूर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया। शिमला के पीटरहॉफ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इस दौरान महिला विकास प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत संजना गोयल को स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्यों के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया। वहीं महिला कल्याण मंडल सरवरी जिला कुल्लू को सामाजिक सेवा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया, जिसके तहत विजेताओं को 21 हजार रुपए की राशि व प्रशस्ति पत्र दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी प्रशस्ति पत्र व पांच हजार रुपए की नकद राशि देकर पुरस्कृत किया गया, जिसमें मीरा देवी आंगनबाड़ी केंद्र बैरी जिला मंडी, कमलेश आंगनबाड़ी शरैर जिला सोलन, चंपा वर्मा आंगनबाड़ी कंडयाली जिला शिमला, तृप्ता देवी आंगनबाड़ी बढेडा जिला ऊना, सोमना देवी आंगनबाड़ी तोप की बेड जिला सोलन, विमला देवी, आंगनबाड़ी डमधार, जिला सोलन, सुनीता शर्मा, आगंनबाड़ी हनुमान बड़ोग, जिला सोलन, आरती, आंगनबाड़ी गोविंद नगर, जिला शिमला, कौशल्या देवी, आंगनबाड़ी पुजारली, जिला शिमला सुंभा शर्मा, बजौरा, कुल्लू व सुमन लता, आंगनबाड़ी एक नालू, जिला किन्नौर। राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए डा. पीसी कपूर ने कहा कि घरेलू हिंसा और महिला प्रताड़ना मुक्त समाज के माध्यम से ही  महिला सशिक्तकरण का ध्येय पूरा होगा। महिला सम्मान की रक्षा करना सभी का दायित्व है, जिसके निर्वाण के लिए हमें आगे आना होगा। समारोह में जैनब चंदेल, श्यामा डोगरा, राजकुमारी सोनी, टिकेंद्र, शरभ नेगी, डा. एमपी सूद व रामेश्वर शर्मा भी उपस्थित थे।

ईशरा देवी-वंदना को बहादुरी सम्मान

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ईशरा देवी-वंदना को बहादुरी सम्मान

आनी — शनिवार को एसडीएम सभागार में खंड स्तरीय महिला दिवस बाल विकास परियोजना विभाग एंव स्वास्थ्य विभाग आनी का संयुक्त तत्त्वावधान में मनाया गया, जिसमें आनी खंड की 32 ग्रांम पंचायतों की आगंनबाड़ी कार्यकर्ता व महिला मंडल आदि महिला समूह के 500 महिलाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की मुख्यातिथि डा. नदनी सूद शामिल हुई। महिला दिवस में महिलाओं को सरकारी याजनाओं की जानकारी दी गई और महिला मंडलों आगंनबाड़ी समूहों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया महिला शिक्षा अधिकारी उषा शर्मा ने महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जाने वाले सेवा बारे बताया, जिसमें उन्हें आहार व शिशु की देखभाल बारे विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं को जागरूक रहने व घर की साफ -सफाई गर्भवती महिलाओं की देखभाल दवाइयां संबंधी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दी जा रही महिलाओं को सुविधाएं हर महिला को पता होनी चाहिए। गांव की महिलाएं जब भी बीमार या बीमारी की जांच करना चाहती हो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में अवश्य जाएं। चिकित्सक की सलाह अवश्य लें अपने आप घर में घरेलू इलाज न करेें। कार्यक्रम की मुख्यातिथि डा. नदनी सूद ने कहा कि प्रदेश सरकार हर परिवार हर घर को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवा रही है, जिसका लाभ ग्रामीण महिलाओं को लेना चाहिए। कार्यक्रम में साहसिक कार्य करने एवं गांव में आग से कई जिंदगियों को बचाने के लिए कमांद की महिला ईशरादेवी और वंदना को बहादुरी के लिए महिला दिवस पर पुरस्कार दिया गया इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बेस्ट वर्कर चांद कुमारी, मंजुला शर्मा, नीकी देवी को भी पुरस्कृत किया गया। संस्कृत महाविद्यालय की छात्राओं व महिला मंडल बुच्छैर को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बेहतर प्रदर्शन के लिए पुरस्कार बांटे गए हैं। इस कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना अधिकारी एसआर ठाकुर, हैल्थ ऐजुकेटर उषा शर्मा, सुपरवाइजर मंजुला शर्मा, स्नेहलता, मंच संचालक मनोज कुमार, एडीओ योगराज शर्मा, उद्यान विभाग के बलवीर चौहान, पुलिस विभाग के हंसराज, नरेंद्र,आदि सहित आंगबाड़ी एवं महिला मंडलों के सदस्य उपस्थित थे।

बिना गुरु कैसे पढ़ें चेले

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बिना गुरु कैसे पढ़ें चेले

आनी — प्रदेश सरकार शिक्षा के विस्तारीकरण के लिए स्कूल तो रेवड़ी की तरह बांट रही है, मगर स्कूल में स्टाफ के नाम पर सरकार कोई भी ध्यान नहीं दे रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं की शिक्षा बाधित हो रही है। ऐसा ही आनी खंड के कश्टा में भी है। जहां तीन अध्यापकों के पद वर्ष 2009 से रिक्त पड़े हैं। स्कूल प्रबंधन समिति की अध्यक्ष ममता चौहान का कहना है कि राजकीय माध्यमिक पाठशाला कश्टा में विज्ञान प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक, ड्राइंग अध्यापक व शास्त्री जैसे महत्त्वपूर्ण पद वर्ष 2009 से रिक्त पड़े हैं, जिसके कारण यहां अध्ययनरत बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। ममता चौहान का कहना है कि सही शिक्षा के अभाव में कई बच्चे मजबूरन स्कूल छोड़ने को विवश हो रहे हैं। अध्यापकों के अभाव में शिक्षा का अधिकार कानून को खुलेआम हनन हो रहा है और सरकार के दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। एसएमसी की अध्यक्ष ने सरकार से मांग की है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में सरकार वोट मांगने से पहले स्कूलों में रिक्त पदों पर अध्यापकों की तैनाती जल्द करें। अन्यथा क्षेत्र के लोग रोष स्वरूप अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं भी कर सकते हैं।

सीपीईएड ने मांगी नौकरी

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सीपीईएड ने मांगी नौकरी

आनी — शनिवार को विश्राग गृह आनी में खंड के सीपीईएड प्रशिक्षितों ने एक बैठक की। बैठक की अध्यक्षता सीपीईएड संघ के अध्यक्ष सुभाष शर्मा ने की। संघ के सचिव शेर सिंह ने बताया कि 2005 में काग्रेंस सरकार ने एससीवीटी कोर्स चलाए थे, जिसमें विभिन्न कोर्स चलाएं गए आयुर्वेदिक फार्मस्टि व डीएम को मान्यता दी गई है। प्रदेश में प्रशिक्षितों को सरकारी नौकरी भी दी गई, परंतु सीपीईडी वालों को अयोग्य घोषित किया गया, जिससे प्रदेश के युवा बेराजगारी झेल रहे हैं। सीपीईडी संघ ने सरकार से मांग की है कि सरकार प्रदेश के सभी सीपीईडी को कमीशन और बैच वाइज भर्ती के लिए मान्यता दें जिस तरह से सरकार ने एससीवीटी के अन्य ट्रेड को मान्यता दी है। 2012 में कमीशन व बैच वाइज भर्ती के लिए योग्य माना गया था। उस समय ओल्ड एंड न्यू आरपी रूल अपनाए गए थे। इसके बाद सीपीईएड प्रशिक्षितों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सघं सरकार से मांग करती है कि सीपीईडी प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगारों को वेच और कमीशन के लिए योग्य किया जाएं संघ ने निर्णय लिया है कि अपनी मांगों बारे 22 मार्च को आनी में विशेष बैठक का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आनी निरमंड क्षेत्र के सभी सीपीईएड सदस्य शामिल होंगे संघ ने सभी सदस्यों को बैठक में शामिल होने का आग्रह भी किया है। संघ ने निर्णय लिया कि सरकार हमें नहीं सुनती तो संघ न्यायालय में जाने की तैयारी की जाएगी।

Friday, 7 March 2014

शिखर पर हिमाचली बेटी epaper annithisweek.blogspot.in

इ पेपर आनी दीस वीक 

महिला दिवस 


शिखर पर हिमाचली बेटी

नारी, जिसने हमें दुनिया दिखाई, इस महान समाज से रू-ब-रू करवाया। डोरी के रिश्ते में भाई-बहन का पवित्र  मतलब समझाया। जीवन संगिनी बन खुशी-गम में साथ निभाया और जब देश की बात आई तो हर मोर्चे पर अपना लोहा मनवाया। ‘महिला दिवस’ पर हिमाचल की हर नारी को सलाम…
आज की नारी हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे बढ़ रही है। खेल के मैदान से राजनीति के मुकाम तक हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। महिलाओं ने न केवल अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है, बल्कि प्रदेश का नाम भी देश व विदेश में चमकाया है। हिमाचल की कुल आबादी 6864602 है। इन में 3481873 पुरुष व 3382729  महिलाएं हैं।  प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या का लिंगानुपात 972 है। प्रदेश से संबंध रखने वाली महिलाओं ने खेल के क्षेत्र हिमाचल का नाम देश व विदेश में रोशन किया है। शिमला जिला के तहत पड़ने वाले सुन्नी की धरोगड़ा गांव की सुषमा महिला क्रिकेट टीम में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। सीनियर टीम के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी उनका चयन हुआ है। छोटे से गांव से संबंध रखने वाली सुषमा ने हिमाचल का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया है। सिरमौर जिला से संबंध रखने वाली प्रियंका नेगी कबड्डी वर्ल्ड कप टीम में कप्तानी कर चुकी हैं।  उन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश का नाम विश्वभर में रोशन किया। ऋतु नेगी भी कबड्डी की राष्ट्रीय टीम से खेल चुकी हैं। किन्नौर जिला से संबंध रखने वाली शशिकला नेगी ने बॉक्सिग में प्रदेश का नाम विश्वभर में रोशन किया है। बॉक्सिंग की अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के लिए उनका चयन हुआ है। सिरमौर जिला से संबंध रखने वाली आंचल राणा शूटर हैं। बालीवुड की यदि बात की जाए तो प्रिटी जिंटा, कंगना रणौत का नाम सबसे पहले आता है। शिमला जिला से संबध रखने वाली प्रिटी जिंटा कई फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं।  बालीवुड के बाद वह आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब की मालिकिन भी हैं। मंडी जिला के सरकाघाट के तहत भावंला गांव से संबंध रखने वाली कंगना रणौत बालीवुड में जाना पहचाना नाम है। उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है।  शिमला की शिप्रा खन्ना मास्टर शेफ का खिताब जीत चुकी हैं। इस खिताब को जीत कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि प्रदेश की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।
3382729 महिलाएं हिमाचल में
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी 6864602 है। इनमें 3481873 पुरुष व 3382729 महिलाएं है। प्रदेश में कुल जनसंख्या का लिंगानुपात 972 है। ग्रामीण क्षेत्रों में 986 व शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात 853 है। यदि देश के लिंगानुपात पर नजर डालें तो 943 है। इनमें शहरी क्षेत्रों में 900 व ग्रामीण क्षेत्रों में 946 हैं।
44.8 फीसदी महिला कर्मी
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में महिला कर्मचारियों की संख्या 44.8 फीसदी है। महिलाएं आज हर क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं। सबसे ज्यादा महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में हैं। राज्य में 70-80 हजार के करीब महिलाएं शिक्षिक हैं। चिकित्सा व पुलिस विभाग में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
लिंग अनुपात
हमीरपुर1095
कांगड़ा1012
मंडी1007
चंबा986
बिलासपुर981
ऊना976
कुल्लू942
सिरमौर918
शिमला915
लाहुल-स्पीति903
सोलन880
किन्नौर819
75.9 साक्षरता दर
हमीरपुर82.6
ऊना81.1
कांगड़ा80
बिलासपुर78
शिमला77.1
सोलन77
मंडी73.7
सिरमौर71.4
किन्नौर71
लाहुल-स्पीति66.8
कुल्लू70.9
चंबा61.7
कितनीं मुलाजिम
चंबा52.5
कांगड़ा35.7
लाहुल-स्पीति57
कुल्लू56.6
मंडी54.9
हमीरपुर51.8
ऊना28.6
बिलासपुर49.9
सोलन40
सिरमौर43.7
शिमला44.3
किन्नौर59.2

कब से हुई शुरुआत
महिला दिवस आठ मार्च को मनाया जाता है। अमरीका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर सबसे पहले यह दिवस 28 फरवरी, 1909 में मनाया गया। इसके बाद इसे फरवरी के आखरी रविवार को मनाया जाने लगा। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस वक्त कई देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था। 1917 में रुस की महिलाओं ने महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिए हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी। जार ने सत्ता छोड़ी और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। उस समय रुस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अंतर है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखरी रविवार 23 फरवरी को था, जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन आठ मार्च था। मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया में यहां तक कि रूस में भी अब ग्रेगेरियन कैलेंडर चलता है। इसलिए आठ मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
पहली महिला सैन्य अधिकारी हिमाचल से
यह बात शायद कुछ ही लोगों को पता होगी कि पहली भारतीय महिला सैन्य अधिकारी हिमाचल से ही संबंध रखती हैं। शिमला की रहने वाली प्रिया झींगन पहली भारतीय सैन्य महिला अधिकारी हैं। यही नहीं, उन्हें सेना में पहली महिला मेजर बनने का भी गौरव प्राप्त है। सेना से रिटायरमेंट के बाद आजकल वह सनावर स्कूल में टीचर हैं।
जानी-मानी हस्तियां
युवा सेवाएं एवं खेल विभाग की संयुक्त निदेशक सुमन रावत जानी-मानीं हस्तियों में से एक हैं। अर्जुन अवार्ड से सम्मानित होने वाली पहली महिला का गौरव इन्हें ही प्राप्त है। खेलकूद में वह हिमाचल का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर चुकी हैं। पुलिस विभाग में आईजी साइबर क्राइम सतवंत अटवाल बिलासपुर से संबध रखती हैं। पुलिस विभाग में वह विभिन्न पदों पर सेवाएं दे चुकी हैं।
खेल जगत
शिमला जिला की सुन्नी की सुषमा महिला क्रिकेट टीम में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। सीनियर टीम के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी उनका चयन हुआ है। कबड्डी में प्रियंका नेगी वर्ल्ड कप की कप्तान रह चुकी हैं। ऋतु नेगी भी कबड्डी की राष्ट्रीय टीम से खेल चुकी हैं। बॉक्सर शशिकला नेगी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भारतीय उम्मीदों को पंख लगाती हैं।
चर्चित चेहरे
शालिनी अग्निहोत्री हाल ही में आईपीएस अफसर बनी हैं। हिमांशु ठाकुर का चयन स्कीइंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है। आंचल राणा शूटर हैं। शिवि कश्यप बालीवुड में म्यूजिक डायरेक्टर हैं।
नौकरियों में पुरुषों को पछाड़ा
घरेलू कामकाज के दायरे में सिमटी हिमाचल प्रदेश की महिलाएं अब नौकरी पाने के मामले में पुरुष प्रधान समाज को कड़ी टक्कर दे रही हैं। पिछले एक साल में सरकारी नौकरी के लिए डेढ़ लाख महिलाआें ने अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड के कार्यालय में आवेदन किया है। इनमें विभिन्न सरकारी विभागों के कुल 1400 पदों पर हुई भर्ती में 650 पद महिलाआें ने झटके हैं। इन पदों के लिए अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड को दो लाख 76 हजार कुल आवेदन मिले थे। अहम है कि आवेदकों में महिलाआें की संख्या अधिक रही है। शिक्षा विभाग की टीजीटी पदों तथा क्लर्क भर्ती में अब महिलाआें का हौंसला पहाड़ से भी ऊंचा साबित हो रहा है। इन पदों की भर्ती के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 70 फीसदी आवेदन कर रही हैं। इतना ही नहीं लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार के आधार पर बनने वाली मैरिट में भी महिलाएं टीजीटी तथा क्लर्क के 60 फीसदी पदों में बाजी मार लेती हैं। सरकारी नौकरियों में पुरूषों को टक्कर दे रही महिलाएं अब सिविल इंजीनियर बनकर फील्ड का मोर्चा संभालने को तैयार हैं। दो सालों में एचएएस के 65 फीसदी पद महिलाएं झटक रही हैं।
उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को घर
उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के लिए प्रदेश में होम स्टे योजना शुरू होगी। इसके लिए महिला एवं विकास विभाग तैयारियों में जुट गया है। हिमाचल में बढ़ते मामलों को देखते हुए ब्लॉक स्तर पर होम खुलेंगे। विभाग इस पर स्पेशल बजट खर्च करेगा। पहली बार इस तरह की कवायद शुरू की जा रही है। यदि जिलों में महिला उत्पीड़न के मामले सामने आते हैं तो पीडि़ता को दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा। हाल ही में इस बाबत आला अधिकारियों की बैठक हुई है, जिसमें होम योजना पर विस्तृत चर्चा हुई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में उत्पीड़न के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में यदि महिलाएं अपना घर छोड़ती भी हैं तो उसको रहने के लिए किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके लिए सभी ब्लॉक अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि इसमें विभाग स्पेशल होम नहीं बनाएगा। बल्कि यदि कोई महिला अकेली रहती है तो उसका घर विभाग रेंट पर लेगा, ताकि बेसहारा महिलाओं को सहारा मिल सके। इसके अलावा प्रदेश में होम स्टे योजना को सफल बनाने के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठित होगी, जो हर महीने विभाग को इसकी रिपोर्ट सौंपेगी। गौरतलब है कि जिलों में यदि पुलिस में इस तरह के मामले सामने आते थे तो महिलाओं को ठहराने की काफी दिक्कतें उठानी पड़ती थीं, लेकिन अब इस तरह की दिक्कतें पेश नहीं आएंगी। इसके अलावा विभाग उन्हीं घरों को रेंट पर लेगा जहां पर महिलाओं की संख्या या तो अधिक है या फिर अकेली महिला रहती हो।
महिलाओं की सुरक्षा आज भी हाशिए पर
आज पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाएंगे और किए जाते रहे हैं। सच में महिलाओं की सुरक्षा का आईना क्या है, यह पुलिस में दर्ज महिला अपराध के आंकड़ों से पता चलता है। शांत हिमाचल में 21वीं सदी में भी महिलाओं की सुरक्षा हाशिए पर है। महिलाएं घर या बाहर कहीं भी महफूज नहीं हैं। महिलाओं पर हो रही आपराधिक वारदातों को लेकर प्रदेश पुलिस कितनी सजग है, इसका खुलासा पुलिस डायरी में दर्ज मामलों से होता है। शांत देवभूमि में वर्ष 2013 में 28 महिलाओं को मौत के घाट उतारा गया और 250 महिलाओं की आबरू लूटी गई। महिलाओं पर जुर्म का यह ज्वालामुखी यही नहीं थमा, बल्कि जान व इज्जत गंवाने के अलावा 288 महिलाओं का अपहरण किया गया, 328 महिलाओं पर अत्याचार किया गया। साल भर 493 महिलाओं की इज्जत पर डाका डालने का प्रयास किया गया तो वहीं 105 महिलाओं के साथ छेड़खानी कर उनकी लज्जा भंग करने की कोशिश की गई। पुलिस डायरी पर नजर दौड़ाई जाए तो पिछले वर्ष 1596 महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाएं पेश आ चुकी हैं। प्रदेश में हर माह दो महिलाओं का खून बहाया जा रहा है तो हर दूसरे दिन उनकी इज्जत लूटी जा रही है और हर दूसरे रोज महिलाएं अपहरण का शिकार हो रही हैं। पुलिस में दर्ज इस वर्ष जनवरी माह के महिला अपराधों पर नजर दौड़ाएं तो एक महीने में एक महिला का कत्ल,16 का बलात्कार, 14 का अपहरण, 25 से छेड़छाड़, 30 महिलाओं पर अत्याचार के मामले सामने आ चुके हैं। कुल मिलाकर जनवरी माह में 94 महिलाओं पर विभिन्न वारदातों के तहत घटनाएं पेश आ चुकी हैं। यहां बताते चलें कि प्रदेश में रोजाना महिलाएं आपराधिक वारदातों का शिकार हो रही हैं, लेकिन पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। आलम यह है कि घर हो या बाहर महिलाओं पर अत्याचार की वारदातें थम नहीं रही हैं।
दिल्ली गैंगरेप के बाद जागी पुलिस
दिल्ली गैंगरेप के बाद प्रदेश पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के लिए सजग हुई है। महिलाओं से संबंधित मामलों के लिए जिला स्तर पर एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग सैल और वूमन सैल का गठन किया गया है। थानों में आने वाली पीडि़त महिलाओं के लिए महिला कर्मचारी तैनात की गई है। शहरों में महिला कर्मचारी गश्त पर लगाई गई हैं।
त्वरित बल का गठन
हिमाचल पुलिस ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए  महिला त्वरित बल का गठन किया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए निगरानी सैल बनाया गया है। यही नहीं, महिलाओं की सुरक्षा को सार्वजनिक स्थलों व गली-महोल्लों में सुनिश्चित करने के लिए मोटर साईकिल पैट्रोलिंग गश्त लगाई गई हैं।
1596 वारदातें एक साल में
28 कत्ल 2013 में
288 महिलाओं का अपहरण
497 से छेड़छाड़
328 पर अत्याचार
105 से ईव टीजिंग

क्युकि हम वोटर है

केँद्र सरकार ने 30 अरब रूपये आधार कार्ड बनाने में खर्च किये 
जिसमे भारत  के 50 प्रतिशत लोगो के आधार कार्ड बन पाये है 
आधार कार्ड के चकर में गाँव के गरीबो का बुरा हाल हुआ है 
जिससे गाँव कि जनता में भारी रोष है 
राशन कार्ड महिला के नाम इस झंझट की अभी शुरुआत है गाँव के लोग इस से भी दुःखी है 
इस बार जनता लोकसभा चुनाब में अपना जबाब देगी 
गैस सिलेंडर की सब्सीडी के इंतजार में महीनो बीत गए 
आनी में गैस सिलेण्डर मिटी का तेल डिपो की राशन महंगाई परेशानी हर रोज झेलनी पड़ेगी 
क्युकि हम वोटर है 

पढ़ाई में बेटियों का दबदबा epaper annithisweek.blogspot.in

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Shivraj sharma

पढ़ाई में बेटियों का दबदबा

news—  आज के दौर में लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों को बराबर की टक्कर दे  रही हैं। घरों की चारदीवारी से निकलकर महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलकर कार्य कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश की युवतियों ने पढ़ाई के क्षेत्र में अपना दबदबा कायम कर लिया है। पिछले दस वर्षों की बोर्ड परीक्षाओं के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो लड़कियों के मुकाबले लड़के फिसड्डी ही रहे हैं।  प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाआें में प्रत्येक वर्ष मैरिट सूची में लड़कियां अपना नाम दर्ज करवाती हैं। पिछले दस सालों में शिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणाम की मैरिट सूची में अधिकतर लड़कियां ही हैं। ऐसा एक दो विषयों नहीं बल्कि विज्ञान, कॉमर्स और आर्ट्स हर संकाय में युवतियों ने झंडे ही गाड़े हैं। पिछले एक दशक से युवक चाहकर भी उनके आगे निकलने के रथ को रोक नहीं पा रहे हैं। स्कूली शिक्षा में युवाओं को पछाड़ कर आगे बढ़ने वाली युवतियां अब नौकरी पाने और राजनीति सहित अन्य क्षेत्रों में भी लगातार आगे बढ़ रही हैं।
दसवीं की टॉपर
वर्ष  -  कुल टॉपर- लड़कियां 
2004-     23      -    09
2005-     15      -    09
2006-     16      -    09
2007-     15      -    10
2008-     17      -    07
2009-     14      -    10
2010-     15      -    12
2011-     16      -    11
2012-     35      -    25
2013-     32      -    23
जमा दो की मैरिट लिस्ट
2004-     15      -    07
2005-     13      -    07
2006-     11      -    06
2007-     16      -    05
2008-     13      -    08
2009-     13      -    02
2010-     15      -    03
2011-     17      -    08
2012-     26      -    12
2013-     63      -    30