annithisweek.blogspot.in
बिलासपुर में भगवान को जमीन की तलाश
बिलासपुर — भगवान को बसाने के लिए बिलासपुर में जमीन ही मयस्सर नहीं हो पा रही है। आर्कियोलॉजिकल आफ इंडिया (एएसआई) की ओर से किए गए तमाम सर्वे अभी तक कोई भी रंग नहीं दिखा पाए हैं। शताब्दी पुराने गोबिंदसागर झील में जलमग्न मंदिरों को सुरक्षित जगह पर बसाने की योजनाएं महज छलावा ही साबित हुई हैं। जमीन उपलब्ध न होने से सागर की गाद में अस्तित्व की जंग लड़ रहे मंदिरों के पुनः बसाव की योजना भी दफन होकर रह गई है। लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे पर जनता राजनीतिक दलों को घेरने की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक भाखड़ा विस्थापितों की स्मृतियों के अवशेष सांढू मैदान में स्थापित पौराणिक मंदिरों के पुनर्स्थापन को लेकर सालों से योजनाएं बन रही हैं। विडंबना यह है कि बार बार सर्वेक्षण करवाए जाने के बाद रिपोर्ट तैयार होने पर भी आगे कुछ भी नहीं हो सका है। हालांकि सरकार ने शहर में चार-पांच जगहों का चयन भी किया था, जिसमें एक बिलासपुर की रानी की जमीन शामिल थी, लेकिन बाद में योजना पर कार्य शुरू नहीं हो सका। इन मंदिरों के पुनर्स्थापन को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी है। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद मंदिरों की स्थापना को लेकर दावा किया है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं हो सके हैं। उधर, हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने यह मसला लोकसभा में उठाया है, जिसके जबाव में केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कहा है कि बिलासपुर के जलमग्न मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक नहीं हैं।
No comments:
Post a Comment