Monday, 3 March 2014

अगर, मगर, वरना, लेकिन…

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question
ल्पना करें कि किसी सुबह आपको ये फ़रमान सुनने को मिले कि दिनभर आप जो भी बोलेंगे, उसमें ‘अगर’, ‘मगर’, ‘वरना’ या ‘लेकिन’ का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो क्या इसे मंजूर कर लेंगे? व्यक्तिगत रूप से मैं इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर पाऊंगा। यह नामुमकिन है। ये जानकर भी ताज्जुब हो सकता है कि ‘अगर’, ‘मगर’, ‘लेकिन’ या ‘वरना’ हिन्दी के अपने नहीं बल्कि फ़ारसी से आयातित अव्यय हैं। यही नहीं, ‘मगर’ तो फ़ारसी-अरबी का संकर है। इन शब्दों के आसान हिन्दी पर्याय यदि, किन्तु, परन्तु, अन्यथा हैं पर इनका प्रयोग अगर’, ‘मगर’ या‘वरना’ की तुलना में काफ़ी कम है। आप जब ये चुनौती स्वीकार करेंगे, तब इसकी आज़माइश भी हो जाएगी।

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