Friday, 7 March 2014

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इ पेपर आनी दीस वीक 

महिला दिवस 


शिखर पर हिमाचली बेटी

नारी, जिसने हमें दुनिया दिखाई, इस महान समाज से रू-ब-रू करवाया। डोरी के रिश्ते में भाई-बहन का पवित्र  मतलब समझाया। जीवन संगिनी बन खुशी-गम में साथ निभाया और जब देश की बात आई तो हर मोर्चे पर अपना लोहा मनवाया। ‘महिला दिवस’ पर हिमाचल की हर नारी को सलाम…
आज की नारी हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे बढ़ रही है। खेल के मैदान से राजनीति के मुकाम तक हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। महिलाओं ने न केवल अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है, बल्कि प्रदेश का नाम भी देश व विदेश में चमकाया है। हिमाचल की कुल आबादी 6864602 है। इन में 3481873 पुरुष व 3382729  महिलाएं हैं।  प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या का लिंगानुपात 972 है। प्रदेश से संबंध रखने वाली महिलाओं ने खेल के क्षेत्र हिमाचल का नाम देश व विदेश में रोशन किया है। शिमला जिला के तहत पड़ने वाले सुन्नी की धरोगड़ा गांव की सुषमा महिला क्रिकेट टीम में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। सीनियर टीम के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी उनका चयन हुआ है। छोटे से गांव से संबंध रखने वाली सुषमा ने हिमाचल का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया है। सिरमौर जिला से संबंध रखने वाली प्रियंका नेगी कबड्डी वर्ल्ड कप टीम में कप्तानी कर चुकी हैं।  उन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश का नाम विश्वभर में रोशन किया। ऋतु नेगी भी कबड्डी की राष्ट्रीय टीम से खेल चुकी हैं। किन्नौर जिला से संबंध रखने वाली शशिकला नेगी ने बॉक्सिग में प्रदेश का नाम विश्वभर में रोशन किया है। बॉक्सिंग की अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के लिए उनका चयन हुआ है। सिरमौर जिला से संबंध रखने वाली आंचल राणा शूटर हैं। बालीवुड की यदि बात की जाए तो प्रिटी जिंटा, कंगना रणौत का नाम सबसे पहले आता है। शिमला जिला से संबध रखने वाली प्रिटी जिंटा कई फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं।  बालीवुड के बाद वह आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब की मालिकिन भी हैं। मंडी जिला के सरकाघाट के तहत भावंला गांव से संबंध रखने वाली कंगना रणौत बालीवुड में जाना पहचाना नाम है। उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है।  शिमला की शिप्रा खन्ना मास्टर शेफ का खिताब जीत चुकी हैं। इस खिताब को जीत कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि प्रदेश की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।
3382729 महिलाएं हिमाचल में
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी 6864602 है। इनमें 3481873 पुरुष व 3382729 महिलाएं है। प्रदेश में कुल जनसंख्या का लिंगानुपात 972 है। ग्रामीण क्षेत्रों में 986 व शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात 853 है। यदि देश के लिंगानुपात पर नजर डालें तो 943 है। इनमें शहरी क्षेत्रों में 900 व ग्रामीण क्षेत्रों में 946 हैं।
44.8 फीसदी महिला कर्मी
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में महिला कर्मचारियों की संख्या 44.8 फीसदी है। महिलाएं आज हर क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं। सबसे ज्यादा महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में हैं। राज्य में 70-80 हजार के करीब महिलाएं शिक्षिक हैं। चिकित्सा व पुलिस विभाग में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
लिंग अनुपात
हमीरपुर1095
कांगड़ा1012
मंडी1007
चंबा986
बिलासपुर981
ऊना976
कुल्लू942
सिरमौर918
शिमला915
लाहुल-स्पीति903
सोलन880
किन्नौर819
75.9 साक्षरता दर
हमीरपुर82.6
ऊना81.1
कांगड़ा80
बिलासपुर78
शिमला77.1
सोलन77
मंडी73.7
सिरमौर71.4
किन्नौर71
लाहुल-स्पीति66.8
कुल्लू70.9
चंबा61.7
कितनीं मुलाजिम
चंबा52.5
कांगड़ा35.7
लाहुल-स्पीति57
कुल्लू56.6
मंडी54.9
हमीरपुर51.8
ऊना28.6
बिलासपुर49.9
सोलन40
सिरमौर43.7
शिमला44.3
किन्नौर59.2

कब से हुई शुरुआत
महिला दिवस आठ मार्च को मनाया जाता है। अमरीका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर सबसे पहले यह दिवस 28 फरवरी, 1909 में मनाया गया। इसके बाद इसे फरवरी के आखरी रविवार को मनाया जाने लगा। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस वक्त कई देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था। 1917 में रुस की महिलाओं ने महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिए हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी। जार ने सत्ता छोड़ी और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। उस समय रुस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अंतर है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखरी रविवार 23 फरवरी को था, जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन आठ मार्च था। मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया में यहां तक कि रूस में भी अब ग्रेगेरियन कैलेंडर चलता है। इसलिए आठ मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
पहली महिला सैन्य अधिकारी हिमाचल से
यह बात शायद कुछ ही लोगों को पता होगी कि पहली भारतीय महिला सैन्य अधिकारी हिमाचल से ही संबंध रखती हैं। शिमला की रहने वाली प्रिया झींगन पहली भारतीय सैन्य महिला अधिकारी हैं। यही नहीं, उन्हें सेना में पहली महिला मेजर बनने का भी गौरव प्राप्त है। सेना से रिटायरमेंट के बाद आजकल वह सनावर स्कूल में टीचर हैं।
जानी-मानी हस्तियां
युवा सेवाएं एवं खेल विभाग की संयुक्त निदेशक सुमन रावत जानी-मानीं हस्तियों में से एक हैं। अर्जुन अवार्ड से सम्मानित होने वाली पहली महिला का गौरव इन्हें ही प्राप्त है। खेलकूद में वह हिमाचल का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर चुकी हैं। पुलिस विभाग में आईजी साइबर क्राइम सतवंत अटवाल बिलासपुर से संबध रखती हैं। पुलिस विभाग में वह विभिन्न पदों पर सेवाएं दे चुकी हैं।
खेल जगत
शिमला जिला की सुन्नी की सुषमा महिला क्रिकेट टीम में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। सीनियर टीम के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी उनका चयन हुआ है। कबड्डी में प्रियंका नेगी वर्ल्ड कप की कप्तान रह चुकी हैं। ऋतु नेगी भी कबड्डी की राष्ट्रीय टीम से खेल चुकी हैं। बॉक्सर शशिकला नेगी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भारतीय उम्मीदों को पंख लगाती हैं।
चर्चित चेहरे
शालिनी अग्निहोत्री हाल ही में आईपीएस अफसर बनी हैं। हिमांशु ठाकुर का चयन स्कीइंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है। आंचल राणा शूटर हैं। शिवि कश्यप बालीवुड में म्यूजिक डायरेक्टर हैं।
नौकरियों में पुरुषों को पछाड़ा
घरेलू कामकाज के दायरे में सिमटी हिमाचल प्रदेश की महिलाएं अब नौकरी पाने के मामले में पुरुष प्रधान समाज को कड़ी टक्कर दे रही हैं। पिछले एक साल में सरकारी नौकरी के लिए डेढ़ लाख महिलाआें ने अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड के कार्यालय में आवेदन किया है। इनमें विभिन्न सरकारी विभागों के कुल 1400 पदों पर हुई भर्ती में 650 पद महिलाआें ने झटके हैं। इन पदों के लिए अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड को दो लाख 76 हजार कुल आवेदन मिले थे। अहम है कि आवेदकों में महिलाआें की संख्या अधिक रही है। शिक्षा विभाग की टीजीटी पदों तथा क्लर्क भर्ती में अब महिलाआें का हौंसला पहाड़ से भी ऊंचा साबित हो रहा है। इन पदों की भर्ती के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 70 फीसदी आवेदन कर रही हैं। इतना ही नहीं लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार के आधार पर बनने वाली मैरिट में भी महिलाएं टीजीटी तथा क्लर्क के 60 फीसदी पदों में बाजी मार लेती हैं। सरकारी नौकरियों में पुरूषों को टक्कर दे रही महिलाएं अब सिविल इंजीनियर बनकर फील्ड का मोर्चा संभालने को तैयार हैं। दो सालों में एचएएस के 65 फीसदी पद महिलाएं झटक रही हैं।
उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को घर
उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के लिए प्रदेश में होम स्टे योजना शुरू होगी। इसके लिए महिला एवं विकास विभाग तैयारियों में जुट गया है। हिमाचल में बढ़ते मामलों को देखते हुए ब्लॉक स्तर पर होम खुलेंगे। विभाग इस पर स्पेशल बजट खर्च करेगा। पहली बार इस तरह की कवायद शुरू की जा रही है। यदि जिलों में महिला उत्पीड़न के मामले सामने आते हैं तो पीडि़ता को दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा। हाल ही में इस बाबत आला अधिकारियों की बैठक हुई है, जिसमें होम योजना पर विस्तृत चर्चा हुई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में उत्पीड़न के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में यदि महिलाएं अपना घर छोड़ती भी हैं तो उसको रहने के लिए किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके लिए सभी ब्लॉक अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि इसमें विभाग स्पेशल होम नहीं बनाएगा। बल्कि यदि कोई महिला अकेली रहती है तो उसका घर विभाग रेंट पर लेगा, ताकि बेसहारा महिलाओं को सहारा मिल सके। इसके अलावा प्रदेश में होम स्टे योजना को सफल बनाने के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठित होगी, जो हर महीने विभाग को इसकी रिपोर्ट सौंपेगी। गौरतलब है कि जिलों में यदि पुलिस में इस तरह के मामले सामने आते थे तो महिलाओं को ठहराने की काफी दिक्कतें उठानी पड़ती थीं, लेकिन अब इस तरह की दिक्कतें पेश नहीं आएंगी। इसके अलावा विभाग उन्हीं घरों को रेंट पर लेगा जहां पर महिलाओं की संख्या या तो अधिक है या फिर अकेली महिला रहती हो।
महिलाओं की सुरक्षा आज भी हाशिए पर
आज पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाएंगे और किए जाते रहे हैं। सच में महिलाओं की सुरक्षा का आईना क्या है, यह पुलिस में दर्ज महिला अपराध के आंकड़ों से पता चलता है। शांत हिमाचल में 21वीं सदी में भी महिलाओं की सुरक्षा हाशिए पर है। महिलाएं घर या बाहर कहीं भी महफूज नहीं हैं। महिलाओं पर हो रही आपराधिक वारदातों को लेकर प्रदेश पुलिस कितनी सजग है, इसका खुलासा पुलिस डायरी में दर्ज मामलों से होता है। शांत देवभूमि में वर्ष 2013 में 28 महिलाओं को मौत के घाट उतारा गया और 250 महिलाओं की आबरू लूटी गई। महिलाओं पर जुर्म का यह ज्वालामुखी यही नहीं थमा, बल्कि जान व इज्जत गंवाने के अलावा 288 महिलाओं का अपहरण किया गया, 328 महिलाओं पर अत्याचार किया गया। साल भर 493 महिलाओं की इज्जत पर डाका डालने का प्रयास किया गया तो वहीं 105 महिलाओं के साथ छेड़खानी कर उनकी लज्जा भंग करने की कोशिश की गई। पुलिस डायरी पर नजर दौड़ाई जाए तो पिछले वर्ष 1596 महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाएं पेश आ चुकी हैं। प्रदेश में हर माह दो महिलाओं का खून बहाया जा रहा है तो हर दूसरे दिन उनकी इज्जत लूटी जा रही है और हर दूसरे रोज महिलाएं अपहरण का शिकार हो रही हैं। पुलिस में दर्ज इस वर्ष जनवरी माह के महिला अपराधों पर नजर दौड़ाएं तो एक महीने में एक महिला का कत्ल,16 का बलात्कार, 14 का अपहरण, 25 से छेड़छाड़, 30 महिलाओं पर अत्याचार के मामले सामने आ चुके हैं। कुल मिलाकर जनवरी माह में 94 महिलाओं पर विभिन्न वारदातों के तहत घटनाएं पेश आ चुकी हैं। यहां बताते चलें कि प्रदेश में रोजाना महिलाएं आपराधिक वारदातों का शिकार हो रही हैं, लेकिन पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। आलम यह है कि घर हो या बाहर महिलाओं पर अत्याचार की वारदातें थम नहीं रही हैं।
दिल्ली गैंगरेप के बाद जागी पुलिस
दिल्ली गैंगरेप के बाद प्रदेश पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के लिए सजग हुई है। महिलाओं से संबंधित मामलों के लिए जिला स्तर पर एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग सैल और वूमन सैल का गठन किया गया है। थानों में आने वाली पीडि़त महिलाओं के लिए महिला कर्मचारी तैनात की गई है। शहरों में महिला कर्मचारी गश्त पर लगाई गई हैं।
त्वरित बल का गठन
हिमाचल पुलिस ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए  महिला त्वरित बल का गठन किया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए निगरानी सैल बनाया गया है। यही नहीं, महिलाओं की सुरक्षा को सार्वजनिक स्थलों व गली-महोल्लों में सुनिश्चित करने के लिए मोटर साईकिल पैट्रोलिंग गश्त लगाई गई हैं।
1596 वारदातें एक साल में
28 कत्ल 2013 में
288 महिलाओं का अपहरण
497 से छेड़छाड़
328 पर अत्याचार
105 से ईव टीजिंग

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