annithisweek magazine
हाली के रंग और पानी की जंग
पर्यावरण की स्थिति जिस तेजी से बिगड़ रही है, दुनिया में जल संकट जिस तेजी से बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन की समस्या जिस भयावहता के साथ हमारे द्वार पर दस्तक दे रही है, उसमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाले किसी भी तथ्य और तर्क का स्वागत होना चाहिए। लेकिन ऐसे तर्क यदि बौद्धिक बेईमानी के साथ दिए जाते हैं तो उनका विरोध भी किया जाना चाहिए और समग्र पक्ष को लोगों के सामने रखा जाना चाहिए…
होली प्रेम और समरसता का त्योहार है। यह अधिकांश लोगों को रोमांचित करता है, लेकिन कुछ लोगों को कोई भी भारतीय चीज अच्छी नहीं लगती। ऐसे लोग होली को भी नापसंद करते हैं और इसके लिए एक नया तर्क गढ़ा गया है कि इस दिन पानी की बहुत बर्बादी होती है। यही लोग दीपावली से भी नाक-भौं सिकोड़ते हैं और कहते हैं कि इस दिन प्रदूषण चरम पर होता है। निश्चित रूप से इन दोनों तर्कों को एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता। पर्यावरण की स्थिति जिस तेजी से बिगड़ रही है, दुनिया में जल संकट जिस तेजी से बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन की समस्या जिस भयावहता के साथ हमारे द्वार पर दस्तक दे रही है, उसमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाले किसी भी तथ्य और तर्क का स्वागत होना चाहिए। लेकिन ऐसे तर्क यदि बौद्धिक बेईमानी के साथ दिए जाते हैं तो उनका विरोध भी किया जाना चाहिए और समग्र पक्ष को लोगों के सामने रखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए होली और पानी संकट के मुद्दे को ही लें। होली को जलसंकट का कारण मानने वाले लोग इस समस्या को जीवनशैली और उपभोक्तावाद से जोड़ने से बचते हैं। हम एक ऐसी जीवनशैली जी रहे हैं जिसमें पानी की ज्यादा खपत करने वाले उत्पादों का अधिक उपभोग होता है। विज्ञान की भाषा में कहें तो हमारी जीवनशैली अधिक वाटर फुटप्रिंट वाले उत्पादों के उपभोग को तरजीह देती है। विज्ञान में किसी भी उत्पाद को अंतिम रूप से बनने में जितने पानी की खपत होती है उसे वाटर फुटप्रिंट कहा जाता है। इसके बारे में हमारी जानकारी बहुत कम है। कुछ वस्तुओं के वाटर फुटप्रिंट दिए जा रहे हैं-
शराब
1 किलोग्राम अंगूर के उत्पादन के लिए औसतन 610 लीटर पानी खर्च होता है। 1 किलोग्राम अंगूर से 0.7 लीटर शराब बनती है। इस तरह एक लीटर शराब बनाने के लिए 870 लीटर पानी की जरूरत होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो 125 मिली शराब बनाने के लिए 110 लीटर पानी खर्च होता है।
गौमांस
1 किलो गाय के मांस के उत्पादन के लिए 15400 लीटर पानी की खपत होती है।
बीयर
1किलो जौ के उत्पादन के लिए 14200 लीटर पानी खर्च होता है। जौ से बनने वाली 1 गिलास बीयर के लिए लगभग 74 लीटर पानी खर्च होता है।
ब्रेड
2 किलोग्राम गेहूं के उत्पादन में 1827 लीटर पानी की खपत होती है। 1 किलोग्राम गेहूं के उत्पादन में लगभग 1850 लीटर पानी की खपत होती है। 1 किलो ग्राम आटे से 1ः15 ग्राम आटा बनता है। इस तरह 1 किलो ब्रेड बनाने के लिए 1608 लीटर पानी की खपत होती है।
पत्तागोभी
1 किलोग्राम पत्ता गोभी के उत्पादन में लगभग 280 लीटर पानी की खपत होती है।
कॉफी
1 कप काफी बनाने के लिए 130 लीटर पानी की खपत होती है।
चिकन
1 किलोग्राम मुर्गे के मांस के उत्पादन के लिए 4433 लीटर पानी की खपत होती है। जबकि 1 किलोग्राम गौमांस मांस के लिए 15400 लीटर, भेड़ के मांस के लिए 10400 लीटर , सूअर के मांस के लिए 6000 लीटर, और बकरी के मांस के लिए 5500 लीटर जल की खपत होती है।
चॉकलेट
100 ग्राम का चॉकलेट बनाने के लिए लगभग 1700 लीटर पानी की खपत होती है।
कपास
250 ग्राम पानी कॉटन शर्ट को बनाने में 250 लीटर पानी की खपत होती है। 800 ग्राम के जींस को बनाने में 800 लीटर पानी की खपत होती है।
चमड़ा
1 किलो चमड़े के उत्पादन में लगभग 17000 लीटर पानी की खपत होती है
मक्का
1 किलो मक्के के उत्पादन में 1220 लीटर पानी की खपत होती है।
आम और अमरूद
1 किलो आम अमरूद के उत्पादन में 1800 लीटर पानी की खपत होती है।
यदि हम अपनी जीवनशैली में इनमें से कुछ वस्तुओं के अंधाधुंध उपयोग को नियंत्रित कर सकें अथवा कम वाटर फुटप्रिंट वाली वस्तुओं के उपयोग को तरजीह दे सकें, तो इस नीले ग्रह का पानी बचा रहेगा और हम होली को गाली देने की आदत का शिकार होने से भी बच सकेंगे।
No comments:
Post a Comment