मनु मंदिर, मनाली
sujinder thakur manali
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मनु की प्रतिमा के साथ मंदिर में महिषासुरमर्दिनी और भगवान शिव की प्रतिमा है। मंदिर के पीछे देवी और भगवान विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर पुराने मनाली क्षेत्र के व्यास नदी के तट पर स्थित है मुख्य बाजार से इस मंदिर की दूरी 3 किमी है…
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू घाटी में बसा है मनाली। प्रकृति की गोद में बसा मनाली अपने अंदर मानव जीवन के उस इतिहास को समेट कर बैठा है जिसका वर्णन पुराणों में किया गया है। मनाली शहर का इतिहास बताता है कि मानव की कल्पना मनाली के बिना अधूरी है क्योंकि, मनाली ही वह स्थान है जहां से सृष्टि में मनुष्य का जन्म और विकास की शुरूआत हुई। माना जाता है कि प्रलय काल में जब संपूर्ण पृथ्वी जल में समा रही थी उस समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया। भगवान विष्णु के अनन्य भक्त मनु ने एक बड़ी नौका तैयार की। मत्स्य रूप में भगवान विष्णु ने इस नौका की रक्षा की और हिमालय की चोटियों पर नौका को पहुंचा दिया। प्रलय समाप्त होने के बाद मनु ने उस स्थान पर शरण लिया जहां आज मनाली है। मनु के निवास के कारण ही इस स्थान का नाम मनाली पड़ा। मनु को सृष्टि का प्रथम मनुष्य माना जाता है क्योंकि इन्हीं से मनुष्य जाति का जन्म हुआ। मनाली बाजार से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर मनु का प्राचीन मंदिर है। मंदिर में मनु की एक पाषाण मूर्ति है। मंदिर में स्थित मूर्ति के संदर्भ में एक दंत कथा है कि धौणाचाणी वंश की एक कन्या जिसका नाम गौरी था। इनके समक्ष एक साधु प्रकट हुए। साधु ने कन्या से दूध की भिक्षा मांगी। कन्या ने भिक्षा देने में असमर्थता व्यक्त की। इसके बाद साधु ने एक बछिया को दूहने के लिए कहा। कन्या ने बछिया को दूहना शुरू किया तो दूध निकल आया। दूसरे पात्र में दूध को रखते ही वह दही बन गया। कन्या को यह सब देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने साधु से पूछा कि आप कौन हैं। साधु ने कहा कि मैं मनु हूं। इस क्षेत्र में रहता हूं। इसके बाद मनु ने कन्या से कहा कि इस जमीन के नीचे मेरी एक प्रतिमा है इसे निकालकर स्थापित करो। कन्या ने सारी घटना अपने माता-पिता को बताई। मनु द्वारा बताए गए स्थान से एक प्रतिमा निकल आई। इसे मंदिर में स्थापित कर दिया गया। मनु की प्रतिमा के साथ मंदिर में महिषासुरमर्दिनी और भगवान शिव की प्रतिमा है। मंदिर के पीछे देवी और भगवान विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर पुराने मनाली क्षेत्र के व्यास नदी के तट पर स्थित है मुख्य बाजार से इस मंदिर की दूरी 3 किमी है।
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