Sunday, 25 May 2014

बीस साल में खोजे जाएंगे एलियंस!

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बीस साल में खोजे जाएंगे एलियंस!

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि पृथ्वी के अलावा कहीं जीवन है या नहीं, तो इस सवाल के जवाब के लिए आपको सिर्फ 20 साल इंतजार करना होगा। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के अलावा आधा दर्जन अन्य विश्व में जिंदगी का अस्तित्व हो सकता है और इसकी खोज में दो दशक का समय लग सकता है। कैलिफोर्निया स्थित एसईटीआई संस्थान के वरिष्ठ खगोलविद सेथ शोस्ताक ने सदन की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समिति के सामने सुनवाई के दौरान कहा कि वैज्ञानिक पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर जिंदगी की खोज के लिए तीन तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। एक तरीका परग्रही सूक्ष्मजीव या उनके अवशेष खोजने से जुड़ा है। खबर के अनुसार एलियंस के जीवन का पता लगाने के लिए ज्यादातर प्रयासों का केंद्र मंगल और बाहरी सौर प्रणाली में जीवन की संभावना वाले चंद्रमा हैं।

शिव के रंग में रंगा आनी

शिव के रंग में रंगा आनी
कलशयात्रा के साथ रुद्र महायज्ञ और शिव महापुराण का आगाज

आनी (कुल्लू)। आनी के आराध्य शमशरी महादेव मंदिर में 11 दिवसीय रुद्र महायज्ञ एवं शिव महापुराण कथा का भव्य आयोजन शुरू हो गया है।
रविवार को जलयात्रा के साथ यज्ञ का का आगाज हो गया है। इस दौरान देवता शमशरी महादेव की भव्य शोभायात्रा शमशर मंदिर से आनी बाजार तक निकाली गई। शोभा यात्रा में करीब पांच हजार श्रद्धालुओं ने भाग लिया। शोभायात्रा में शिवभक्तों ने देवता के जमकर जयकारे लगाए, तो वहीं कई भक्त भगवान के भजनों को गाते-गाते आगे बढे़।
शोभायात्रा में जहां सुहागिन महिलाएं अपनी पारंपरिक वेशभूषा में थी, वहीं, देवता के तमाम प्रकार के वाद्य यंत्र शोभा में चार चांद लगा रहे थे। रविवार को जलयात्रा का विधिवत समापन हुआ और उसके बाद देवता के साथ आए देवलुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया।
इससे पूर्व डीएसपी आनी सुनील नेगी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। मंदिर कमेटी के सचिव मस्तराम ठाकुर ने बताया कि 11 दिवसीय महायज्ञ में सोमवार से वृंदावन के प्रसिद्ध आचार्य पंडित मनीष शंकर कथा प्रवचन करेंगे। वहीं, हर दिन भंडारे का आयोजन होगा।
इस अवसर पर देवता के कारदार संतोष ठाकुर, स्थानीय पंचायत प्रधान आत्मा राम, कमेटी अध्यक्ष कर्मचंद सहित देवता के 13 सियाने सहित देवता के हजारों भक्तों ने भाग लिया।
आनी बाजार में निकाली भव्य शोभायात्रा
शिव के भजनों और जयकारों से गूंजा परिवेश

jai shamshari mahadev 25--05--2014


shiv mahapuran katha 25--05--2014 to 05--06--2014

पहाड़ी प्रदेश हिमाचल मे युवतियों के लिए कब्बडी में मिसाल बन चुकी खिलाड़ी निर्मला

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नई राह गढ़ती निर्मला

utsavपहाड़ी प्रदेश हिमाचल मे युवतियों के लिए कब्बडी में मिसाल बन चुकी गिरिपार की तिकड़ी में शामिल एक खिलाड़ी निर्मला ने हौसलों की उड़ान को मजबूत करते हुए जिले की पहली महिला कब्बडी कोच बनने का गौरव हासिल किया है। कब्बडी में गजब की प्रतिभा व जुनून की धनी निर्मला ने कब्बडी कोच की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद भी कब्बडी खेलना नही छोड़ा। नतीजा यह कि आज वह इंडिया कैंप के लिए भी सेलेक्ट हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट प्रियंका नेगी व रितु नेगी के साथ एक ही बैच मे कब्बडी के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए बिलासपुर होस्टल पहुंची निर्मला ने क्षेत्र की बालाओं के लिए मिसाल कायम कर दी है कि लड़कियां सिर्फ  घास व गोबर ढोने के लिए ही नहीं जन्मी बल्कि वे ऐसे क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकती हैं, जिसे विशेषता पुरुषों की फील्ड कहा जाता था। आज इन्हीं का जुनून है कि गिरिपार में लड़कियां खाली समय में पुरुषों की गेम कही जाने वाली कब्बडी बड़े शौक से खेलती हैं। 30 मार्च, 1989 को क्षेत्र के सब काडर एरिया के कुहंठ गांव मे जगत सिंह व नागो देवी के घर जन्मी कब्बडी कोच निर्मला की प्रारंभिक पढ़ाई गांव में ही हुई। 8वीं की परीक्षा साथ लगते गांव टिम्बी से पास करने के बाद परिवार की माली हालत उसे आगे पढ़ने की इजाजत नहीं दे रही थी, परंतु बेटी के पढ़ाई के शौक को देखते हुए किसान पिता ने उसे आगे पढ़ाने का निर्णय लिया। पिता का यह निर्णय ही इस प्रतिभा के जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा। जमा दो तक की पढ़ाई पूरी करने के लिए शिलाई गई निर्मला को वहां कब्बडी खेलने का अवसर मिला। तत्कालीन दबंग व प्रसिद्ध पीईटी हीरा सिंह ठाकुर ने उसकी प्रतिभा परख कर उसे कब्बडी का पूरा ज्ञान दिया। निर्मला जब 12वीं में पढ़ती थी तो उसे बिलासपुर में आयोजित ट्रायल का मौका मिला, जहां से उसकी सिलेक्शन स्टेट होस्टल बिलासपुर के लिए हुई। निर्मला के मुताबिक कब्बडी में उसकी रुचि पहले से ही थी। जब वह 5वीं मे पढ़ती थी तो स्कूल में कब्बडी खेला करती थी। परन्तु शिलाई जाने के उपरांत व पीईटी हीरा सिंह ठाकुर की कोचिंग के बाद उसके खेल में निखार आया। बिलासपुर होस्टल में रहते हुए निर्मला ने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और इसी दौरान प्रदेश को अपनी प्रतिभा से दर्जनों  मेडल दिलवाए। निर्मला ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने कब्बडी हुनर का आगाज वर्ष 2005 में जूनियर नेशनल टूर्नामेंट खेलकर किया। वर्ष 2012-13 सत्र में कब्बडी कोच का डिप्लोमा पूर्ण कर चुकी निर्मला ने अभी तक करीब डेढ दर्जन सीनियर, जूनियर, बीच व वूमन नेशनल कब्बडी टूर्मामेंट खेले हैं, जिसमें वह प्रदश के लिए कई गोल्ड, सिल्वर व ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं।  निर्मला का इंडियन कब्बडी कैंप के लिए भी दो बार चयन हुआ, परंतु वजन कम होने के चलते उसका इंडिया टीम में सिलेक्शन नहीं हो पाया था। प्रदेश की तरफ से खेलते हुए निर्मला ने दिल्ली, चंडीगढ़, कर्नाटका, मुंबई, झारखंड, हरिद्वार, तमिलनाडु, मदुरै व उज्जैन आदि राज्यों में शानदार कब्बडी खेलते हुए प्रदेश की शान को चार चांद लगाए हैं। निर्मला इंडिया टीम में सिलेक्शन न होने से हताश नही हुई तथा अपने जैसे प्रतिभाशाली खिलाडि़यों को इंडिया टीम में पंहुचाने के सपने को लेकर कब्बडी कोच बनने का निर्णय लिया। यही नहीं, निर्मला ने कब्बडी खेलना नहीं छोड़ा और कब्बडी के प्रति लगन का फल उसे मिल गया और उसकी नेशनल कैंप के लिए सिलेक्शन हो गई। यह अलग बात है कि प्रदेश की झोली मे दर्जनो स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक डाल चुकीं शिलाई क्षेत्र की निर्मला की प्रदेश सरकार कोई सुध नही ले रही है। एक वर्ष पूर्व बंगलूर से कब्बडी कोच का डिप्लोमा पूरा कर चुकी कुमारी निर्मला रोजगार की तलाश में दर- दर भटक रही है, लेकिन प्रदेश का नाम रोशन करने वाली इस बाला को अपने प्रदेश ने ही जैसे बेगाना कर दिया है!
छोटी सी मुलाकात
कब्बडी के क्षेत्र मे कैसे प्रवेश किया ?
क्षेत्र के मशहूर खिलाड़ी व पूर्व डीपीई हीरा सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन से इस क्षेत्र में प्रवेश किया और यहां तक की यात्रा की।
पुरुषों के खेल कहे जाने वाले कबड्डी के खेल में प्रवेश करते समय परिवार के विरोध का सामना तो नही करना पड़ा ?
परिजन एक बार मना कर रहे थे परंतु मेरे शौक व जुनून के आगे उन्हें झुकना पड़ा।
अपने परिवार को कितना समय दे पाती हैंज्यादातर समय बाहर ही रही हूं आजकल इंडिया कैंप में हूं। कबड्डी कोचिंग पूरी करने के बाद काफ ी समय से घर पर रही और घर के काम में मां का पूरा हाथ बंटाया।
महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी।
पहाड़ की महिलाएं पहाड़ जैसी शक्तिशाली बनें। वे आत्म निर्भर बनें और हर फील्ड मे आगे बढ़कर पुरुषों की बराबरी कर प्रदेश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
-दिनेश पुंडीर, पांवटा साहिब

Friday, 23 May 2014

Virbhadra on Back Foot after LS Election Results

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Virbhadra on Back Foot after LS Election Results

 Himachal This Week, Shimla
Himachal is witnessing hectic political activities after Lok Sabha elections. Chief Minister Virbhadra Singh is seemingly on back foot after the Congress party’s candidates lost on all four parliamentary seats to the BJP in Himachal. Not only the opposition Bharatiya Janata Party leaders are firing salvos at him demanding his resignation on moral grounds, he is also reportedly under fire from his own party men, though, Himachal Cabinet has expressed solidarity in leadership of Virbhadra Singh. The Congress party suffered huge setback in Himachal as it lost all four seats. As a result, Virbhadra rushed to Delhi and met Congress national president Sonia Gandhi and vice- president Rahul Gandhi to apprise them of various issues. However, the focus was on reasons for party’s defeat in Himachal as Virbhadra also pointed towards activities of his opponents within the party, sources said. Chief Minister assured them to take every step for strengthening Congress party in Himachal. On the other hand Himachal Pradesh Congress Committee (HPCC) has sought detailed report within three days from the field on reasons behind party’s defeat. Thereafter HPCC president Sukhwinder Singh is convening a meeting of all block presidents on May 30 and later on of other office bearers. After seeking feedback he will discuss the report with Chief Minister Virbhadra Singh before submitting it to the high command. The feedback is aimed at strengthening the party’s organizational set up and ensuring better coordination between the government and party. HPCC president is also likely to visit Delhi to meet Central leaders. Meanwhile Leader of Opposition Prem Kumar Dhumal has launched a scathing attack on Chief Minister Virbhadra holding asking him to resign on moral grounds after Congress party’s defeat. “He was boasting of Congress wave during Lok Sabha election but now he is feeling Modi wave after the defeat. Dhumal also claimed that entire Congress, barring Virbhadra Singh, was in touch with him and anything can happen anytime. In yet another political development significant for Himachal, name of BJP’s former minister Jagat Prakash nadda is doing rounds for installation as national president of Bharatiya Janata party as present president Rajnath Singh is all set to join Modi government as cabinet minister.
 Chief Minister Virbhadra Singh was boasting of Congress wave during Lok Sabha election but now he is feeling Modi wave after the defeat
-Prem Kumar Dhumal,  Leader of Opposition

Poor Suffer Brunt of Caste based Reservation

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Poor Suffer Brunt of Caste based Reservation

Pooja Sharma
The Indian constitution has envisaged secular and casteless society as it provides right to equality without considering caste, gender and religion. The reservation policy is against the principle of social justice and equality. Our leaders had made a provision of reservation for ten years but the caste based reservation has not been stopped even after sixty four years. Affluent families of reserved categories are benefiting whereas poor families are not getting benefit of this reservation policy. The then Prime Minister Jawaharlal Nehru had written to chief ministers in a letter on June 27, 1961,”Following reservation is not only foolish but dangerous also.” Why mentality of affluent families of reserved categories is so mean that they are unable to digest the argument of extending reservation on economic status? Caste based reservation is pushing the country towards caste based conflicts and depriving the right to equality. Intelligent students of unreserved categories don’t get admission in professional courses despite getting good marks as compared to their counterparts belonging to affluent reserved categories. Reservation system should be abolished but if it has to be extended it should be on economic basis. The argument is that caste reservation benefit should not be extended to those sitting on high political and administrative posts as they don’t require reservation.             Other argument is that poor and helpless people of upper castes find themselves in a hapless condition but they are not extended reservation because of their upper castes. Many groups like Brahmin Sabha, Rajput Sabha, general categories, Karamchari Kalyan Sabha and others are raising the demand for reservation based on economic condition. It is also true that politicians will continue to utilize caste based reservation to achieve their political ends until unreserved categories untidily raise their demand for reservation based on economic condition.

Udaan Illuminating Lives of Special Children

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Udaan Illuminating Lives of Special Children

Kiran Sharma
HimachalThisWeekA Non Governmental Organization (NGO) is any non-profit, voluntary citizens’ group which is organized on a local, national or international level to plug in the gaps left by the government. Task-oriented and driven by people with a common interest, NGOs perform a variety of service and humanitarian functions, bring citizen concerns to Governments, advocate and monitor policies and encourage political participation through provision of information. Some are organized around specific issues, such as human rights, environment or health. India as a nation still has a large population that is vulnerable in terms of health, education, jobs and opportunities in general. This has also seen a large proliferation of NGOs. By some estimates, India has 3.3 million NGOs or one NGO for every 400 individuals. Out of it 312 NGOs operate in Himachal alone. Himachal This Week has tried to bring to fore the working of genuine NGOs who work for the welfare of masses. This week will find the mention of ‘Udaan, Shimla’ which is working for the welfare of special children.
Unique Initiative Brings Hope for Many Special Kids
HimachalThisWeekThe journey of Udaan is a story of invincible spirit and unflinching dedication. It’s about the experience of meeting the needs of children with ‘special needs’ and thus illuminating lives. Udaan, the parents and guardians’ society of mentally challenged children is an organisation committed for the cause of special kids and is running a day care centre, vocational centre and two respite care centres (residential facilities) for such children at Shimla since 2002. The project is one of its kinds in Himachal, which is being run in association with “National Trust for the Welfare of Persons with Autism, Cerebral Palsy, Mental Retardation and Multiple Disabilities.” The learning centre (TLC) of Bishop Cotton School, Shimla is also closely associated with Udaan. Initially, Udaan started as a pilot project for one year in Shimla in 2001 at the behest of the National Trust, and was left like an open-ended question with no future. Thereafter, with the exhortation of Mrs Mustafi, the then headmistress of Junior BCS, Udaan initiated as an NGO in 2002. Under the Sarva Shiksha Abhiyan, Udaan is also catering to people in Rohru and Kothkai blocks – a day care centre called Astitiva is being run in Rohru. At least 20 children are regularly attending this day care centre. Udaan is also running home-based programmes for bed-ridden special children in Shimla as well as Rohru and Kotkhai blocks, where special educators make frequent home visits. Special education is imparted in day care centres by qualified educators. In vocational centre children get the training of money concept, time concept, making paper bags and candle making skills. These skills enable them to earn their bread and butter. Last year these children sold candles of Rs.90,000 only at Auckland House School. The NGO also takes care of the health of special children and also equips their parents with the tips to tackle such persons at home. Every month a team of Dental doctors visit here for dental check up and advise the parents about oral hygiene. Dr. Sudhir Sharma Head of Neurology Department, IGMC Shimla too visits the school every month and advises the parents of these children about the health and give them the tips of handling such children at home.
 Our NGO is providing services in the public interest, especially to special children. It will continue its efforts to provide services in future also
-Lalita Rana, Chairman, Udaan
 Objectives of NGO
The main objectives of Udaan are:
* To work for the welfare of mentally challenged children
* To create proper infrastructure for their upliftment
* To undertake holistic and sustainable programmes for proper rehabilitation
* To create awareness among masses
What ails children at Udaan?
Children admitted here face conditions like have cerebral palsy, mental retardation, autism, down’s syndrome and multiple disability.
Activities at Udaan
Children in the day care centre have been divided into four groups according to their levels of IQ. The four groups comprise playgroup, pre-primary group, primary group and vocational group respectively. The idea of this concept is to make them first learn simple steps and then move on to more complicated steps involved in the skill.
Problems Udaan faces
Though Udaan is keen on providing hostel facilities to many more children belonging to the backward regions of Shimla, due to lack of space it presently can’t afford to house in more children. Lalita Rana, the administrator and one of the founder members of Udaan, and a mother of a differently abled child opines. “We do not want to compromise on the quality of living. We want to give our children the best of standards, so we have to keep many children waiting for such facilities,” said Lalita. Three centres of Udaan, namely the day care centre, the hostel and the vocational centre, are being run at three different places. Lack of consolidated space is one of the problems for Udaan.
Awards and Appreciation
Udaan was established in 2002 and since then this NGO is doing its best for the betterment of the special children in the society. In 2006 for its extraordinary work the NGO was awarded with Himachal Free Award which was presented by Sahitya, Sanskriti evam Jan Kalyan Smiti. Apart from this the NGO organise different types of camps for the free check-up of special children

Kargil War Hero Loses to Bureaucracy

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Kargil War Hero Loses to Bureaucracy

Y.S. Rana
Himachal This WeekYesteryears when his war cry in the battlefield rattled the enemies, now his voice is not being heard in a world where money makes the mare go. The real hero who deserves to be remembered lost in the present day economics. This is an irony of present time. People have a fad to forget many such heroes who have created a difference in the society with their heroic acts, the acts that entitle them the status of real hero. Can one recall– who is Dev Parkash? If you do not know, here is the answer. Dev Parkash is winner of Vir Chakra in Kargil War, who fought valiantly in Kargil for country’s honour. Now back from the olive green uniform is engaged in a different kind of battle which appears more difficult to him than the heights of Kargil. Today he finds himself at the receiving end of bureaucratic red tape. Notably, officials of his area including tehsildar and SDM do not know him while members of panchayat or a leader are well known to the officials. He has faced humiliation a number of times at the hands of civil administration, he complained. Sitting in his small house in village Dhundla on Una-Hamirpur highway, he seems to be a tired man. While talking to Himachal This Week he said that he made a number of sorties to DRM office at Ambala for renewal of his railway pass for the past seven years. He submitted copies of citation letter issued by the Ministry of Defence, Government of India recognising his act of gallantry performance and a copy of the Gazette of India (March 11, 2000) which states, “Naik Dev Parkash, section commander of 13 J and K Rifles, was tasked to assault Point 5140, a strategically important feature in Drass Sector during Op Vijay. He volunteered to move with his section and exhibiting excellent field craft, command and motivation which led to recapturing the strategically important feature.” Perhaps it was the quickest recapture of a post and that too without any injury and casualty to his men. His heroic effort fetched him the Vir Chakra. He said that the District Sainik Welfare Board, Una, paid him Rs 50,000 annually for his heroic achievement and Rs 2,000 per month by the Defence Ministry besides monthly pension. The official at DRM office did not accept these documents as ‘relevant’ and demanded full text of said gazette notification. He further rued that during his last visit to Ambala, the dealing hand while browsing through his documents suspected his identity.  He says he was tired of visiting the authorities and hence decided not to visit the DRM office again. Every visit cost him Rs 1,000. He has to spend from his own pocket to visit Jabalpur for the renewal of his railway pass.  “If a gallantry awardee is being treated like this for a small work, one can imagine what will happen to others ex-servicemen,” he remarked.  The only son of his parents, Dev was passionate about joining the Army right from his childhood. His father was also an ex-serviceman. Today, father of two sons and a daughter, Dev said that he wanted one of his sons should join the Army and serve the nation like him. In spite of tall promises made by the government, he has not been able to get his son into the Army. He further stated that there were provisions of reservation for war widow and war casualty but there was no provision of reservation for gallantry award winners. Burdened with many family liabilities, he is in dire need of a job for his son at this stage of life. “It is not possible to pull on with such a meager income when one has no other source of income,” he said and added earlier he ran a small shop selling small items to supplement his income but he closed the shop now. Another Kargil hero now fights a battle against bureaucratic red tape that has made him somewhat cynical

Will Modi Develop Himachal?

epaperannithisweek.in---Shivraj Sharma Chavinder Sharma Press Club Anni

Will Modi Develop Himachal?

             Cover Story
Himachal This WeekDuring run up to the Lok Sabha election, Narendra Modi had addressed four election rallies in Himachal, one each in four parliamentary constituencies of the state. Striking a chord with people of Himachal he had assured to solve various problems confronting different areas of this hilly state once the BJP led government assumes power in the Centre. Now, the Centre will have Narendra Modi led national Democratic Alliance (NDA) government. The Centre and Himachal have government of different parties though the hilly state did not benefit much during the 10 year rule of the United Progressive Alliance (UPA) government at the Centre. Himachal has not received any big package from the Centre after the then Atal Bihari Vajpayee led NDA government. Not only this, the Centre did not pay any heed in Himachal’s concerns during past one and a half year before Lok Sabha election, and the opposition Bharatiya Janata Party raked this as an issue. Himachal is hoping that Modi government would fulfill aspirations of common people by solving state’s pending issues speedily on the pattern of other states. Himachal is reeling under a debt of Rs. 29,000 crore and Himachal’s many mega projects are pending. The biggest issue is of state’s share in Bhakhra Beas Management Board (BBMB) projects as state is yet to get its due despite directions from the Supreme Court. Stand taken by Modi government can solve state’s problem on this aspect. Himachal’s dwindling economy can get a big boost if gets green bonus if Modi government announces separate package for Himalayan states.
Are Good Days Ahead?
Himachal This WeekAccording to the BJP announcements, good days are ahead. It remains to be seen whether Himachal will have good news on its pending issues or face political squabble. Earlier Dhumal government had been accusing Congress leaders of obstructing developmental projects being forwarded by the state for approval.
Industrial Package 
Himachal This WeekAtal Bihari Vajpayee led NDA government had granted special industrial package to Himachal with relief on central excise duty that attracted investors to set up their industrial units in a big way.  Himachal can progress in industrialization rapidly if the Centre’s new government shows its seriousness on this issue.
Himachal Lacks Connectivity
Himachal This WeekThis hilly state is lagging because of poor air connectivity as compared to Uttarakhand, Jammu & Kashmir or any other state. Himachal doesn’t have a big airport that creates hurdles in promotion of industrialization and tourism sectors. Himachal has failed to develop high end tourism primarily due to poor air connectivity.  It will be acid test for Modi government to come up to expectations of Himachal that has fully supported him.
Mono Rail or Rapid Transport System
The government has planned Mono rail project for Shimla and Dharamshala but Urban Development Minister Sudhir Sharma says that Centre is serious in implementing rapid transport system as many states have shown willingness for it. It is possible to introduce new technique at both the places to reduce traffic congestion, he added.
Himachal This WeekHeli Taxi Scheme for Tourism
Heli-taxi scheme was launched two years ago to boost tourism but could not succeed as it was expansive. Three out of five companies had agreed to run heli-taxis in Himachal but they had to be diverted towards religious places of the state though tourist destinations and 57 helipads were identified under the scheme. The Congress government has now initiated steps to revamp this scheme by making it less expensive and two meetings have already been held on the issue.
Himalayan Regiment
The BJP while in power in Himachal had been raising the issue of establishment of a Himalayan Regiment with the Centre. The problem was that different parties were ruling in Himachal and in Centre. Now the state faces similar situation but it can go a long way in removing unemployment if Modi fulfills his assurances to establish a Himalayan Regiment.
Financial Package
Himachal never got special package from the Centre after Atal Bihari Vajpayee government. Even different yardsticks were adopted while providing disaster relief to Himachal and Uttarakhand. It seems Prime Minister Relief Fund has been closed for this hilly state.
Will Development get Impetus?
Personal rapid transit (PRT) system pods project mooted by the Urban Development Department for Dharamshala and Shimla was sent to the Centre. On the other hand many other projects related to rural development are also awaiting clearance. Himachal will be curious to know the stand taken by the new government in the Centre.
Limited Use of PPP Mode
Public-Private-Partnership mode has been restricted to construction of bus stands only in Himachal. Efforts were made in PPP mode for Naina Devi Ropeway Project but this was shelved by the new government in the state. Previous Dhumal government had constituted Special Purpose Vehicle but this project is still pending. PPP mode has not been introduced in any other sector so far.
 Mega Projects Still a Distant Dream
Himachal This WeekMega projects in Himachal are dumped at a speed faster than they are envisaged. Not even a single mega project has been implemented in Himachal, thanks either due to indifferent attitude of the Centre of politicking in the state. Development of industrial and tourism sectors is going at a snail’s pace due to lack of political and lethargic bureaucratic approach. Projects worth crores of rupees announced for Pong Reservoir is yet to be implemented because of Centre’s neglect coupled with failure of state officials to plead the case strongly as the government kept on changing in Himachal. Though schemes funded by Asian Development Bank are being implemented but Rs. 1500 crore project for Pong Reservoir that could have revolutionized tourism in the area could not be translated into realty.Ski Village project is being talked about for the past 10 years but could not be implemented reportedly due to pressure from local people and environmentalists. This project is again in limelight but the official sources deny having received any proposal from the concerned company. The previous Congress government had signed MoU with the company for Ski Village Project but it has been delayed due to various reasons including opposition from locals, permission held due to lack of requite NOCs and others. There have been claims and counter claims on its impact on the environment but experts feel that this could boost tourism sector immensely, especially high end tourism.
Other Pending Projects
* Indoor Ice-skating Rink in Shimla
* Nine projects prepared for investors by Tata Consultancy in 2004 Tourism Conclave including five star hotels, resorts, medical tourism, amusement parks, Ramsar site in Pong area and others
* Joint project of Tourism Department and Railways for running Rail car
* Promotion of paragliding sites to promote adventure tourism
* Mono Rail project for Shimla
Heavy Administrative Machinery
Though the state is facing financial crunch, Himachal has big administrative set up.  Even as there are reports of shortage of officers but it is because most of them remain on Central deputation.
*  147 IAS   *  206 HAS      * 110 IFS
Industrial Policy on Anvil
It picked up pace after 2003 after central government announced a special package for Himachal. The state government has now chalked out a scheme for the benefit of new industries being established in Himachal. A new industrial policy will also be announced shortly that will decide the direction and pace of industrial development in this hilly state.
* Growth rate of the state estimated at 6.2% and per capita income estimated at Rs. 92,300 during 2013-14
* The agriculture sector in the state generates about 15% of the total Gross State Domestic Product
* Apple constitutes about 89% of total fruit production that was 8.28 lakh tones in 2013-2014
* 161.64 lakh tourists visited Himachal during 2012

चाइना बार्डर तक रेल लाइन का होगा विस्तार

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चाइना बार्डर तक रेल लाइन का होगा विस्तार

newsआनी-कुल्लू —  चाइना बार्डर तक रेललाइन बिछाने के प्रयास होंगे, एनएच के कार्याें में गति दिलाएंगे, टूरिज्म को बढ़ावा देने में कोई कसर नही छोडूंगा, यह बात आनी में भाजपा के सांसद रामस्वरूप शर्मा ने आनी में कही। मंडी संसदीय क्षेत्र के नवनिर्वाचित सांसद भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने शुक्रवार को चुनाव जीतने के बाद आनी में मतदाताओं का और भाजपा मंडल सहित सभी भाजपा कार्यकर्ताओं का उन्हें सांसद चुनने के लिए आभार जताया और आनी की जनता को भाजपा को 2531 मतों की बढ़त दिलवाने पर बधाई दी। आनी के राजा रघुबीर सिंह स्टेडियम में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीतने के बाद जब वह दिल्ली पहुंचे तो सबकी निगाहें केवल मंडी संसदीय क्षेत्र से जीत कर आए रामस्वरूप शर्मा को तलाश रही थीं कि आखिर ऐसा कौन शख्स है, जिसने न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी को हराया, बल्कि राजाओं के राज को भी समाप्त कर दिया तो वहीं नरेंद्र मोदी ने तो स्वयं उन्हें आवाज देकर कहा कि रामस्वरूप तुमने मंडी का किला जीता तो कैसे जीता। उन्होंने कहा कि मंडी संसदीय क्षेत्र की जनता ने जो सम्मान उन्हें दिल्ली में दिलवाया है,उसके लिए वह सदैव जनता के ऋणी रहेंगे। उन्होंने कहा कि आनी वालों ने उन्हें रोने नहीं दिया और जो प्यार उन्हें यहां की जनता ने दिया है, उस पर वह सदैव खरा उतरने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि वह चीन के बार्डर तक रेल लाइन पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और मंडी संसदीय क्षेत्र में उच्च मार्ग के जो भी कार्य लंबित पड़े हैं, उन्हें गति प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि आनी को कुल्लू मुख्यालय से 12 महीने सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए जलोडीजोत के नीचे प्रस्तावित सुरंग के निर्माण के लिए वह प्रयास करेंगे और आउटर सिराज के अंदर जो भी पर्यटन की दृष्टि से सुंदर स्थल है, उन स्थलों को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि मंडी संससदीय क्षेत्र में हवाई पट्टियों का विस्तार किया जाएगा। इससे पूर्व सराज के विधायक और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष जयराम ठाकुर, मंडी संसदीय क्षेत्र के संगठन मंत्री शिशु भाई धर्मा, भाजपा मंडलाध्यक्ष अमर ठाकुर, पूर्व विधायक किशोरी लाल सागर, पंचायत समिति अध्यक्ष अन्नू ठाकुर ने भी अपने विचार रखे और सभी कार्यकर्ताओं का आभार जताया और जीत पर सबको बधाई दी तथा कार्यक्रम के बाद प्रत्याशी रामस्वरूप शर्मा सहित तमाम भाजपाई ने विशाल नाटी डालकर जीत का जश्न मनाया। इस अवसर पर मंडल के महामंत्री दुनी चंद ठाकुर, जीवन चौहान, वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता गंगा राम चंदेल, तेज राम कश्यप, पूर्व मंडलाध्यक्ष कुशाल चौहान, योगेश परमार, शशि मल्होत्रा, रूप सिंह शर्मा, मोहर चंद भारद्वाज सहित कई अन्य लोग मौजूद थे।

Thursday, 22 May 2014

लगन और अभ्यास जरूरी फोटोग्राफी में कैरियर संबंधी विस्तृत जानकारी

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लगन और अभ्यास जरूरी

फोटोग्राफी में कैरियर संबंधी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने पीआर बाली से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश…
cereerफोटोग्राफी का आज के कम्प्यूटर युग में क्या महत्त्व है?
कम्प्यूटर के प्रचलन के साथ फोटोग्राफी का प्रयोग बढ़ा है। कैमरों के अलावा अब मोबाइल पर भी फोटोग्राफी होती है, जो कम खर्चीली है। पहले तो गिने चुने मौकों पर ही फोटो खींचे जाते थे, पर अब हर अवसर पर फोटोग्राफी का चलन बढ़ा है।
आरंभिक शैक्षणिक योग्यता क्या होती है?
फोटोग्राफी को कैरियर के तौर पर अपनाने के लिए कम से कम दस जमा होनी जरूरी है।फोटोग्राफी में डिप्लोमा या कोर्स के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है।
इस क्षेत्र में रोजगार के विकल्प क्या हैं?
फैशन इंडस्ट्रीज, कारपोरेट और इंडस्ट्रियल सेक्टर के विकसित होने से इस फील्ड में संभावनाएं बढ़ गई हैं। फैशन इंडस्ट्री के फलने-फूलने के साथ ही फैशन फोटोग्राफी में ग्लैमर जुड़ चुका है। आज हर कंपनी अपने प्रोडक्ट के साथ कैलेंडर, मैगजीन, विज्ञापन ब्रोशर प्रकाशित करती है। इनमें आकर्षक और स्टाइलिश फोटो की खास भूमिका होती है। इन सबके लिए फैशन फोटोग्राफर की बहुत जरूरत है। तकनीकी
रूप से सक्षम होने पर इस क्षेत्र में भविष्य बहुत उज्जवल है।
आरंभिक आय कितनी होती है?
शुरू में किसी के सहायक के तौर पर 6 से 7 हजार तक महीना मिलता है। आय आपकी असाइन्मेंट पर निर्भर है। स्थापित फोटोग्राफर 30 से 40 हजार रुपए महीना भी कमाता है।
फोटोग्राफी की ब्रांचें कौन-कौन सी हैं?
फोटोग्राफी की मुख्य ब्रांचें  प्रोडक्ट एंड स्टिल फोटोग्राफी, प्रेस फोटोग्राफी, एडवेंचर   फोटोग्राफी, नेचर एंड वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी, इवेंट फोटोग्राफी और ट्रैवल फोटोग्राफी आदि हैं।
फोटोग्राफी के कैरियर में चुनौतियां क्या  हैं?
फोटोग्राफी एक टफ टास्क है। इसके लिए बहुत ज्यादा प्रशिक्षण की जरूरत है। लगन और अभ्यास से ही इस फील्ड में सफलता पाई जा सकती है। कैमरे के साथ-साथ कम्प्यूटर का ज्ञान भी अहम है।

प्रसिद्ध फोटोग्राफर रघु राय

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करिश्माई कैमरे के रघु राय

cereerप्रसिद्ध फोटोग्राफर रघु राय का जन्म पंजाब के झांग (अब पाकिस्तान में) में सन् 1942 में हुआ। रघु राय ने सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद पंजाब में एक साल सरकारी नौकरी भी की, लेकिन नौकरी उन्हें रास नहीं आई। दिल्ली में उनके भाई  और उनके दोस्त हर समय फोटोग्राफी, कैमरा और लेंस की बातें किया करते थे। भाई के एक मित्र योग जॉय अपने गांव जा रहे थे, तो रघु भी उनके साथ जाने की  जिद करने लगे। भाई से एक कैमरा मांगा और गांव चले गए। गांव पहुंचते-पहुंचत शाम हो गई। वहां रघु गधे के एक छोटे से बच्चे की तस्वीर लेना चाहता थे, लेकिन वह भाग गया। रघु ने उसका पीछा किया और थक हारकर जब वह गधा रुक गया, तो उसकी तस्वीर खींच ली, जो बाद में लंदन टाइम्स में छपी। जैसे आज बच्चों में बचपन से ही प्रोग्रामिंग फिट कर दी जाती है।  रघु के साथ ऐसा नहीं था। न उनका फोटोग्राफर बनने का कोई इरादा था। उन पर फोटोग्राफर बनने का कोई दबाव भी नहीं था। पिछले 47 सालों से रघु राय प्रोफेशनल फोटोग्राफर के रूप में काम कर रहे हैं, जिसमें से करीब 20 साल तक पत्रकारिता में रहे। वह भारत के प्रधानमंत्रियों, इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और मनमोहन सिंह तक के पारिवारिक पलों को कैमरे में कैद करने के लिए जाने जाते हैं। फोटोग्राफी के अलावा वह भारतीय शास्त्रीय संगीत के भी शौकीन हैं। इसी शौक के चलते उन्होंने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और बांग्ला सिनेमा के प्रतीक सत्यजीत रॉय तक के अलग-अलग रंगों को कैमरे में कैद किया है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की महान हस्तियां उनकी कला और पारंपरिक तस्वीरों में भी उतनी ही जीवंत दिखती हैं, जितनी कि मंच पर और खासकर ऐसा तब होता है जब कैमरे के लैंस के पीछे होते हैं फोटोग्राफर रघु राय। उन्हेें शास्त्रीय संगीत पसंद था। उनके पिता सिविल इंजीनियरिंग विभाग में एक प्रशासक थे और उन्हें एक इंजीनियर बनाना चाहते थे, पर वह फोटोग्राफर बन गए। रघु राय ने फोटोग्राफी में हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल पैनोरमा में काफी कुछ दिखाने की गुंजाइश पैदा की है। वैसे तो फोटोग्राफी एक पल, एक क्षण को लेंस के जरिए कैद करने का हुनर है, लेकिन यही पल बाद में यादों की अनमोल विरासत और न बदलने वाला इतिहास बन जाता है।

राजकीय वल्लभ महाविद्यालय मंडी

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राजकीय वल्लभ महाविद्यालय मंडी

cereerराजकीय वल्लभ महाविद्यालय, मंडी  कालेज के इतिहास की बात की जाए तो यह प्रदेश का सबसे पहला कालेज है। यह कालेज अक्तूबर 1948 से शुरू हुआ। वर्तमान में महविद्यालय में प्रो एमएस जम्वाल प्राचार्य रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मंडी महाविद्यालय में इन दिनों 150 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनमें 85 प्राध्यापक और 50 के करीब गैर शिक्षक कर्मचारी शामिल हैं। मंडी कालेज शहर के पड्डल मोहल्ले में अंतरराज्यीय बस अड्डा के समीप ही एनएच- 21 पर स्थापित है। यहां पर हर वर्ष पांच हजार से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं।  मंडी महाविद्यालय में विज्ञान, कला और वाणिज्य संकाय के साथ साथ बीबीए, बीसीए, बीएड और अन्य सेल्फ फाइनांशियल कोर्स करवाए जा रहे हैं। महाविद्यालय में एमए अंग्रेजी, एमए हिंदी, एमए पोलिटीकल साइंस, एमए अर्थशास्त्र, एमकॉम और एमएससी मैथ की कक्षाएं चल रही हैं। इसके साथ ही महाविद्यालय में पीजीडीसीए की कक्षाएं भी शुरू हो गई हैं। आईआईटी मंडी भी पिछले चार साल से इसी कालेज कैंपस में ही चल रही है। वहीं कालेज ने दो होस्टल भी आईआईटी को प्रदान किए हैं। जिसमें दो सौ छात्र- छात्राओं की रहने की सुविधा उपलब्ध है। महाविद्यालय के पास करीब एक सौ कमरे हैं। प्रधानाचार्य कार्यालय परिसर अलग से है। पुस्तकालय में 38 हजार से अधिक किताबें उपलब्ध हैं। महाविद्यालय में हाइटेक सभागार है। जिसमें ऑडियो सिस्टम फिक्स है। महाविद्यालय में  फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉटनी, बायोटेक्नोलॉजी, ज्यूलॉजी की अलग- अलग लैब्स हैं। वहीं कम्प्यूटर की तीन लैब्स हैं, जिनमें दो सौ के करीब कम्प्यूटर लगे हैं। इंग्लिश स्किल को डिवेलप करने के लिए इंग्लिश लैंग्वेज लैब अलग से स्थापित की गई है, जो कि प्रदेश के सभी कालेज में सबसे पहली मंडी कालेज में स्थापित की गई। महाविद्यालय में संगीत विषय में  संगीत वाद्य और संगीत गायन के  अलग- अलग कक्ष हैं। महाविद्यालय परिसर में डाकघर शाखा बैंक शाखा भी खोली गई है। कैंटीन की सुविधा भी उपलब्ध है। महाविद्यालय में खेल-कूद को लेकर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है। महाविद्यालय में जिम्नेजियम भी खोला गया है। इसके साथ ही महाविद्यालय में खेल मैदान की भी सुविधा है। वहीं कालेज परिसर में रेस्लिंग रिंग भी स्थापित किया गया है। महाविद्यालय परिसर में 1988 से इग्नू का सेंटर चला हुआ है, जहां हर वर्ष साढ़े पांच सौ के करीब विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। महाविद्यालय में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए फार्मासिस्ट कार्यरत है। महाविद्यालय में एनसीसी आर्मी विंग और एयर विंग है, जो ब्वायज अैर गर्ल्ज दोनो में है। एनएसएस की तीन यूनिट हैं। जिसमें तीन सौ स्वयंसेवी शामिल होते हैं। महाविद्यालय की एजुकेशन सोसायटी बनी है, जिसके एजुकेशन मॉडल को पूरे प्रदेश में कालेजों में लागू किया गया है।
उपलब्धियां
राजकीय वल्लभ महाविद्यालय मंडी कालेज में पढ़े वैज्ञानिक, इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारी विदेशों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कारगिल हीरो ब्रिगेडियर कुशाल ठाकुर, मंडी जिला के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ पंडित सुखराम, ठाकुर कर्म सिंह, ठाकुर गुलाब सिंह, अनिल शर्मा, जयराम ठाकुर, कौल सिंह ठाकुर, प्रकाश चौधरी, रूप सिंह ठाकुर और प्रकाश चौधरी जैसे नेतओं ने मंडी कालेज में ही शिक्षा ग्रहण की है।
क्या कहते हैं प्राचार्य
प्रो. एमएस जम्वाल का कहना है कि महाविद्यालय सर्व सुविधाओं से परिपूर्ण हे। इस संस्थान का एकमात्र लक्ष्य है कि विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जाए जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो और उन्हें बेहतरीन शिक्षा के साथ रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।

कैरियर की सुंदर तस्‍वीर बनाती फोटोग्राफी

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कैरियर की सुंदर तस्‍वीर बनाती फोटोग्राफी

फोटोग्राफी व्यक्ति के अंदर छिपी कला और रचनात्मकता की अभिव्यक्ति का जरिया है। अपनी भावनाओं को चित्रित करने के लिए कुछ लोग शौकिया फोटोग्राफी करते हैं और आगे चलकर अकसर वे अपने इस शौक को ही अपना कैरियर बना लेते हैं। टेक्नोलॉजी की तरक्की के साथ ही कम्युनिकेशन के माध्यम विकसित हुए। इसी के साथ ही फोटोग्राफी का भी विकास हुआ…
cereerफोटोग्राफी खुद को व्यक्त करने का एक माध्यम है। फैशन फोटोग्राफर, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, इंडस्ट्रियल फोटोग्राफर, प्रोडक्ट फोटोग्राफी ट्रैवल एंड टूरिज्म फोटोग्राफी आदि न जाने कितने स्पेशलाइजेशन इस पेशे में हैं। फोटोग्राफी व्यक्ति के अंदर छिपी कला और रचनात्मकता की अभिव्यक्ति का जरिया है। अपनी भावनाओं को चित्रित करने के लिए कुछ लोग शौकिया फोटोग्राफी करते हैं और आगे चलकर अकसर वे अपने इस शौक को ही अपना कैरियर बना लेते हैं। टेक्नोलॉजी की तरक्की के साथ ही कम्युनिकेशन के माध्यम विकसित हुए। इसी के साथ ही फोटोग्राफी का भी विकास हुआ। आज हर छोटे-बड़े आयोजनों में, फैशन शो में, मीडिया क्षेत्र के अलावा अन्य जगह फोटोग्राफी का चलन बढ़ गया है। इन क्षेत्रों में डिजिटल फोटोग्राफी की मांग बढ़ी है। कहा जाता है कि एक फोटो दस हजार शब्दों के बराबर होती है। फोटोग्राफी एक कला है, जिसमें विजुअल कमांड के साथ-साथ टेक्निकल नॉलेज भी जरूरी है। फोटोग्राफी एक बेहतर कैरियर ऑप्शन साबित हो सकता है।
कल्पना ही कसौटी
नैसर्गिक फोटोग्राफर बनने के लिए जरूरी है कि आपमें माहौल को पढ़ने और अपनी रचनात्मकता के जरिए किसी क्षण को कैमरे में कैद करने की कला हो। इस क्षेत्र में ट्रेनिंग बेशक आपकी कला को निखारेगी, लेकिन फोटोग्राफी के लिए कल्पनाशीलता जैसे जन्मजात गुण आवश्यक हैं। एक प्रसिद्ध फोटोग्राफर का कहना है कि फोटोग्राफर बनते नहीं पैदा होते हैं। अगर आप के अंदर कल्पना शक्ति है तो आप एक कामयाब फोटोग्राफर बन सकते हैं। यह ऐसी फील्ड है जहां मुकाबला तगड़ा है, लेकिन आपके मौलिक विचार और कल्पना शक्ति आपको भीड़ से अलग कर देगी।
शैक्षणिक योग्यता
फोटोग्राफी के लिए कम से कम ग्रेजुएशन होना जरूरी है। देशभर में कई इंस्टीच्यूट फोटोग्राफी में डिग्री या सर्टिफिकेट कोर्स करवाते हैं। एक कामयाब फोटोग्राफर बनने के लिए डीप स्टडी और अच्छे विजन का होना जरूरी है।
सैलरी पैकेज
अभी तक यह क्षेत्र हमारे देश में ज्यादा फेमस नहीं था तो कमाई के साधन भी सीमित थे, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के बाद अब इस क्षेत्र में अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। किसी संस्थान से जुड़ने पर आसानी से 10 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह की कमाई हो सकती है। एक अनुभवी फोटोग्राफर प्रतिमाह आसानी से एक लाख रुपए कमा सकता है। इसके अलावा कुछ सीनियर फोटोग्राफर्ज भी अपने असिस्टेंट रखते हैं, जो न केवल सिखाते हैं बल्कि 10 से 12 हजार रुपए का स्टाइपंड भी देते हैं।
कोर्स और संस्थान
इंडियन इंस्टीच्यूट फॉर डिवेलपमेंट इन एजुकेशन एंड एडवांस्ड स्टडीज, अहमदाबाद
कालेज ऑफ  आर्ट्स, तिलक मार्ग, दिल्ली
एजेके मास कम्युनिकेशन सेंटर, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ  डिजाइन, अहमदाबाद
सेंटर फॉर रिसर्च आर्ट ऑफ  फिल्म्स एंड टेलीविजन, नई दिल्ली
दिल्ली स्कूल ऑफ  फोटोग्राफी
नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ  फोटोग्राफी, मुंबई
सर जेजे स्कूल ऑफ  एप्लाइड आर्ट, मुंबई।
जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद।
पैसा और शोहरत
प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट मीडिया में फोटो की अहम भूमिका होती है। अगर फोटोग्राफर अपनी रचनात्मकता के दम पर कुछ अलग करने की क्षमता रखता है तो उसके लिए धन और प्रसिद्धि की कोई कमी नहीं। मीडिया के जरिये फोटोग्राफर की कला और उसका नाम हजारों-लाखों लोगों तक पहुंचता है। मीडिया के अलावा कई अन्य संस्थान हैं, जहां फोटोग्राफी की जरूरत होती है।
योग्यता
यह पूरी तरह रचनात्मकता पर आधारित कार्य है। अगर आपमें फोटोग्राफी का जुनून है तो इसमें किसी तरह की औपचारिक डिग्री की आवश्यकता नहीं है, लेकिन फिर भी आपको ग्रेजुएट या समकक्ष होना जरूरी है। इसके बाद आप फोटोग्राफी के लिए अन्य डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा कम्प्यूटर पर आधारित फोटोशॉप संबंधी सॉफ्टवेयर का ज्ञान अतिरिक्त योग्यता दर्शाता है। जिसके बाद आपके लिए डिजिटल और सामान्य फोटोग्राफी में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं।
कैरियर संभावनाएं
फैशन इंडस्ट्रीज, कारपोरेट और इंडस्ट्रियल सेक्टर के विकसित होने से इस फील्ड में संभावनाएं बढ़ गई हैं। फैशन इंडस्ट्री के फलने-फूलने के साथ ही फैशन फोटोग्राफी में ग्लैमर जुड़ चुका है। आज हर कंपनी अपने प्रोडक्ट के साथ कैलेंडर, मैगजीन, विज्ञापन ब्रोशर प्रकाशित करती है। इनमें आकर्षक और स्टाइलिश फोटो की खास भूमिका होती है। इन सबके लिए फैशन फोटोग्राफर की बहुत जरूरत है। तकनीकी रूप से सक्षम होने पर इस क्षेत्र में भविष्य बहुत उज्जवल है।
फीस
गवर्नमेंट इंस्टीच्यूट और यूनिवर्सिटी में ये कोर्स काफी सस्ते होते हैं जिनकी अवधि 1 साल से 5 साल की होती है और इस कोर्स के लिए आपको लगभग 50 हजार तक फीस देनी पड़ती है। कोर्स के पहले आपको एक एंट्रेंस एग्जामिनेशन देना होता है जिसके बाद आपका चयन किया जाता है। प्राइवेट इंस्टीच्यूट में ये सभी कोर्स 1 महीने से लेकर 5 साल तक के  होते है और इसकी फीस 40000 से लाखों तक होती है।

TODAYNEWS ANNITHISWEEK.IN

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आनी में ओलावृष्टि से फसलें तबाह

आनी — कुल्लू जिला के आनी खंड की दुर्गम पंचायतों बुच्छैर, देवठी और शिल्ली में भारी ओलावृष्टि होने से किसानों और बागबानों की नकदी फसल सेब सहित गेहूं और जौ की फसल को भारी नुकसान हुआ है, जिसके कारण लोगों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है। देवठी पंचायत के राम सिंह, तेज राम, बुच्छैर पंचायत के मोहर सिंह, महेंद्र सिंह, गुमान सिंह, देवेंद्र कुमार, सहित सैकड़ों किसानों और बागबानों का कहना है कि लढ़ागी, बुच्छैर, तराला, देवठी, शिल्ली, जौह सहित कई ऊंचे इलाकों में करीब डेढ़ से तीन इंच तक ओलावृष्टि होने से सेब की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। सेब के पौधों के पते तक झड़ गए, जबकि गेहूं और जौ की खड़ी फसल भी तबाह हो गई। गौरतलब है कि इस बार मौसम की मार के कारण पहले ही सेब की फसल कम थी ऊपर से ओलावृष्टि ने किसानों और बागबानों की साल भर की मेहनत को मिट्टी में मिल गई है। प्रभावित लोगों ने सरकार से फसल के नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है। वहीं इस बारे में एसडीएम आनी नीरज गुप्ता ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में राजस्व विभाग के कर्मचारियों को नुकसान का आकलन करने को कहा है।

शमशर महादेव में सात साल बाद महायज्ञ

 आनी — आनी के प्राचीन एवं ऐतिहासिक महादेव मंदिर शमशर में सात साल के अंतराल बाद रुद्रमहायज्ञ एवं शिव महापुराण कथा का भव्य आयोजन 25 मई रविवार से पांच जून तक होगा। ग्राम पंचायत च्वाई के प्रधान ने बताया कि रुद्रमहायज्ञ में हवनकुंड खोला जाएगा, जिसके लिए क्षेत्र के पुजारी पुरोहितों को आमंत्रित किया गया है। दो हजार साल पुराने शमशर महादेव में मंदिर में एक पवित्र एवं ऐतिहासिक हवनकुंड स्थापित किया गया है, जिसे इस रुद्रमहायज्ञ में खोला जाएगा, जिसमें ब्राह्मण समुदाय के सैकड़ों पुरोहित पूजा-पाठ करके खोलेंगे। प्रधान ने कहा कि महादेव मंदिर शमशर जिला कुल्लू व हिमाचल प्रदेश का सबसे प्राचीन मंदिर है। हर गांव की कहानी में महादेव मंदिर भी  शामिल है। सरकार एवं पर्यटन विभाग के सौजन्य से मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, ताकि अधिक  श्रद्धालु एवं पर्यटक इस सथल की ओर आकर्षित हो सके। सभी को मंदिर में सुविधा मिल सके। सात साल के बाद रुद्रमहायज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है।

Monday, 19 May 2014

कुल्लू जिला परिषद देश में फर्स्ट

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कुल्लू जिला परिषद देश में फर्स्ट

कुल्लू — जिला परिषद कुल्लू को राष्ट्रीय स्तर पर तीसरी बार विशेष एवं सर्वश्रेष्ठ जिला पंचायत के रूप में राजीव गांधी भारत रत्न अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। यह जानकारी सोमवार को यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए जिला पंचायत अधिकारी गिरिश शर्मा ने दी। जिला पंचायत अधिकारी ने बताया कि जिला परिषद कुल्लू को पंचायत सशक्तिकरण जवाबदेह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत लगातार दो बार पहले भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला परिषद कुल्लू हिमाचल प्रदेश में एकमात्र जिला परिषद है, जिसको पंचायती राज के कार्यक्रमों को निष्ठापूर्वक पारदर्शी तथा जवाबदेही तरीके से लागू करने पर भारत सरकार की पंचायती मंत्रालय के पंचायत सशक्तिकरण जवाबदेह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस बार जिला परिषद कुल्लू को 50 लाख रुपए की राशि प्रथम व विशेष पुरस्कार के रूप में प्रदान की गई है। इस पुरस्कार के मूल्यांकन के लिए राज्य सरकार द्वारा एक कमेटी गठित की जाती है और इस कमेटी द्वारा जिला परिषद की गतिविधियों के रिकार्ड का भी अवलोकन किया जाता है। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी द्वारा भी जिला परिषद की गतिविधियों व रिकार्ड का अवलोकन किया जाता है। जिला परिषद कुल्लू में जिला में पर्यावरण संरक्षण, संपूर्ण स्वच्छता अभियान, पौधारोपण, सामाजिक न्याय के प्रति लोगों को जागरूक करवाना तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्यान अन्य जन समुदायों की समस्याओं से संबंधित विभागों के ध्यान में लाकर लोगों को सरकारी योजनाओं की सुविधाओं से जोड़ा। जब इस पुरस्कार के विषय में जिला परिषद अध्यक्ष कुल्लू हरिचंद शर्मा से चर्चा की गई तो उन्होंने कुल्लू जिला की जनता के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश की जनता, जिला परिषद की उपाध्यक्ष, समस्त जिला परिषद के सदस्य, सचिव जिला परिषद एवं समस्त कर्मचारी जिला परिषद कुल्लू, पंचायती राज के समस्त पदाधिकारियों एवं अधिकारियों तथा मीडिया कर्मियों को तीसरी बार पंचायती राज सशक्तिकरण एवं जवाबदेह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत पुरस्कार मिलने पर इसका श्रेय सभी के अथक प्रयासों को दिया जाता है।

Saturday, 17 May 2014

च्वाई में एकदिवसीय पांडुलिपि संरक्षण एवं प्रचार बारे शिविर

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छात्रों को पांडुलिपि पर टिप्स

आनी — राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के अंतर्गत कार्य कर रही हिम संस्कृति संस्था के तत्त्वावधान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला च्वाई में एकदिवसीय पांडुलिपि संरक्षण एवं प्रचार बारे शिविर लगाया गया, जिसमें मुख्य वक्ता  स्कूल प्रभारी कृष्ण ठाकुर ने स्कूली छात्रों को बताया कि पूरे भारतवर्ष में 50 लाख पांडुलिपियां सुरक्षित रखी गई हैं, जिनका अध्ययन जारी है। 200 साल पुरानी हस्तलिखित पांडुलिपियों का ज्ञान होना स्कूली छात्रों के लिए अनिवार्य है, ताकि हम अपनी प्राचीन संस्कृति इतिहास के बारे में जानकारी रख सकें। शिविर में राकेश शर्मा ने बताया कि संस्कृत भाषा हर भाषा की जननी है। राष्ट्रभाषा हिंदी हिमाचली भाषा राजाओं के समय से टांकरी, शारदा, पावची, पांडवानी, लिपियों में काम किया जाता था। हिमाचल प्रदेश के हर गांव, हर क्षेत्र में देवी-देवताओं का इतिहास, ज्योतिष विद्या, कर्मकांड, रामायण,महाभारत आदि सैकड़ों ग्रंथ लिखे गए हैं, जिन्हें टाकंरी आदि लिपि में लिखा गया है, जिनमें हमारी प्राचीन संस्कृति की महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई है, जिसका हमें ज्ञान होना चाहिए, परंतु आज हम नए युग में प्रवेश कर चुके हैं। हमे अपना इतिहास दुलर्भ पांडुलिपियों के समाप्त होने पर भूल चुके हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि हम प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों की जानकारी अवश्य रखें। इसके अलावा शिविर में हिम संस्कृति के सदस्य दीवान राजा ने भी पांडुलिपियों के अध्ययन बारे जानकारी दी। इस शिविर में प्रवक्ता हरीश कुमार, प्रकाश चंद, राकेश शर्मा, राजेंद्र ठाकुर,बीएस परमार, सुरेंद्र भारती, रविंद्र कुमार, रामुराम, रोशन लाल, चुनी लाल, हेमराज, तारा देवी, किरणलता, दीपिका ठाकुर, बेदप्रिया, सुनीता देवी आदि उपस्थित थे। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के प्रभारी दीवान राजा ने बताया आनी खंड की 20 स्कूलों के 700 विद्यार्थियों को पांडुलिपि की जानकारी दी जा चुकी है।

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GSSS CHOWAI CAMP 17--05---2014

पाण्डुलिपि शिविर आनी के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला च्वाइ  में हिमसंस्कृति ngo ने लगाया 

Friday, 16 May 2014

Multi Linguistic Cops to Help Tourists

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Multi Linguistic Cops to Help Tourists

HImachal This Week
Tourist spots of Himachal Pradesh will be more fascinating especially for foreign tourists, as there will be no more linguistic barriers for them. They will find multi-linguistic cops ever ready to help them when in need. Foreign tourists will definitely find them amazed when they will find out that cops of Himachal Police are talking to them in their mother tongue. Keeping linguistic problem of foreign tourists, who do not speak English, in view, the state police department has taken a bold and wise step. It has trained many cops to converse in different languages like Italian, Turkish, Nigerian, Austrian and Israleian etc. Notably many tourists of these countries visit Himachal every year. Apart from Indian languages most of them are not much comfortable in English as well. So they face many hurdles because of this language barrier. That is why police department has deputed cops after providing them training in tourist spots like Shimla, Kullu, Manali, Dharamshala and Dalhousie. These cops can exchange general information with the tourists in their own language. However the police department has not forgotten local tourist too, as the cops have not only been trained in foreign languages but also been trained to understand and speak obscure Indian languages as well to facilitate tourists of other states of the country. That is why cops have also been equipped with the knowledge of Indian languages like Telugu, Tamil, Bengali and Malyalam etc.  According to Traffic Tourist and Railways (TTR) Wing of Himachal Police Department, eleven specially trained cops have been deployed at Dharamshala, while 12 in Kullu, 14 in Manali, 16 in Shimla and six trained cops have been posted in tourist station Dalhousie to facilitate foreign and Indian tourists. On the same line keeping upcoming tourists season in view traffic police has also been alarmed to take things seriously. Traffic cops who have been stationed in tourist spots are asked to guide tourists properly. They even have been stationed for the purpose beforehand. Also police employees have specially been cautioned that honeymoon couples should not be disturbed at any cost and they should be protected by anti social elements

A Non Governmental Organization (NGO)

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‘PAPN’ Generating Awareness in Rural Areas


Non Governmental Organization (NGO) is any non-profit, voluntary citizens’ group which is organized on a local, national or international level to plug in the gaps left by the government. Task-oriented and driven by people with a common interest, NGOs perform a variety of service and humanitarian functions, bring citizen concerns to Governments, advocate and monitor policies and encourage political participation through provision of information. Some are organized around specific issues, such as human rights, environment or health. India as a nation still has a large population that is vulnerable in terms of health, education, jobs and opportunities in general. This has also seen a large proliferation of NGOs. By some estimates, India has 3.3 million NGOs or one NGO for every 400 individuals. Out of it 312 NGOs operate in Himachal alone. Himachal This Week has tried to bring to fore the working of genuine NGOs who work for the welfare of masses. This week will find the mention of ‘People’s Action For People in Need (PAPN), Sirmaur’ which is working for the welfare of poor and ignorant people in the remote areas of Sirmaur district by making them aware of several policies and schemes run by the state and centre government for their benefit.
‘PAPN’ Made Nirmla’s Life Easier
The NGO emerged as saviour to Nirmla Devi, hailing from a poor and underprivileged section of the society. Mother of eight kids, she however has married her four children. Her husband Zalim Singh is living with some other women for the past 16 years and does not give any money for running house. Life had become extremely difficult for her as she had the responsibility of food and education of her children. Nirmla came in contact with ‘PAPN’ in 2012-13 through the meetings conducted by the NGO. Members of the NGO encouraged her to register in MNREGA. Initially she was a little hesitant but agreed to work in MNREGA. She completed 100 days work under the scheme in 2012 and 2013 which helped her to run things properly and made herself self reliant.
Helping People by Creating Awareness of Government Run Schemes
People’s Action For people in Need (PAPN) has been working for the welfare of people residing in rural areas of Sangrah development block of Sirmaur district since 1983. The NGO makes the life of poor people living in remote areas of the district easier by making them aware of policies and schemes run by the state and centre government for their benefit. This is done by organising meetings with the rural community living in the villages, organizing workshops and by providing training. The NGO coordinates with the School Management Committees, elected representatives of Panchayati Raj, various organizations and Government employees and officials in its endeavour to extend maximum benefit to the people of Sirmaur. Members of the NGO aware people from remote area of the district about policies like MNREGA and encourage them to register in such policies to make their life easier and ensure financial empowerment. The NGO is working for women, children, underprivileged section of the society and other section of the society left from development.
PAPN at present is working on three projects:
Local Rural Project
Under the project, the NGO is working to generate awareness about Forest Right Act among people of Giripar area and rural areas in Paonta Sahib in association with Action Aid India. New Delhi. The objectives of the NGO in this project are:
* To work for socio-economic change in the area
* Creating awareness and sensitization to attain different rights under law
* To reduce disparity and bring uniformity in the society
* To extend benefits of various policy and schemes of the state and centre government to poor and exploited section of the society
* Extending reach of the community to various departments, government and media
* Imparting education about various rights like MNREGA, Food Security, RTI Act, Forest Right Act, Domestic Violence Act, RTE Act, SC/ST Atrocity Act, Child Labour etc. to the ignorant section  of the society
The NGO also conducts research on the aforesaid points and publishes it in association and help from the administration and government
Child Right and You Project
PAPN is working for the rights of children like Right to Education, Right to Security etc. in two panchayats of Paonta block and three panchayats in Sangrah block through the medium of Cry Agency, New Delhi. As a result being the participation and responsibility of education and health department has increased. The NGO also carried out a research on the above mentioned rights and send the report to High Court, Shimla. On the basis of report, Public Interest Litigation was registered and court directed state government to take required steps for ensuring the rights of children. As a result the concerned department too have gone active in the direction.
Child Line Project
PAPN is working on this union government’s project in Sirmaur, the main objective of which is to stop the practice of child labour and no kid is eluded of education. About 72 complaints of various types including child labour, exploitation, regarding education. Child marriage, registration of children and missing children came through the toll free number 1098. However out of a total of 72 cases, justice has been awarded in 57 cases

Lok Sabha Elections 2014 Modi, Modi Everywhere

epaper annithisweek.in

Modi, Modi Everywhere

 Chavinder sharma              Lok Sabha Elections 2014 
Modi, Modi EverywhereBharatiya Janata Party’s prime ministerial candidate Narendra Modi’s wave swept across the country as the National Democratic Alliance recorded an unprecedented victory in 2014 Lok Sabha election. And Himachal was no exception where the BJP won all four parliamentary seats comfortably, with its senior leader Shanta Kumar winning by a huge margin. Poll analysts point that previously people of Himachal had been going with the state government but this time electors have gone with the national trend. Leader of Opposition Prem Kumar Dhumal has sought resignation from Chief Minister Virbhadra Singh on moral grounds after Lok
Sabha results.
‘I am not compelled to Resign’
Virbhadra Singh Chief Minister Virbhadra Singh has said that he is not compelled to resign as Congress lost all four Lok Sabha seats and Sujanpur assembly by-poll. Talking to media persons in Shimla, he said the state government was stable as it has mandate of the people of Himachal. “The Congress has faced similar situation at the national level earlier also, “he said, hoping that the party would bounce back more strongly. Virbhadra admitted that Modi wave also prevailed in Himachal that became stronger after Narendra Modi’s visits to the state.
 Virbhadra SinghChief Minister, Himachal Pradesh
Kangra
Shanta Registers Massive Victory
Shanta Registers Massive VictorySenior BJP leader Shanta Kumar has registered emphatic victory from Kangra Lok Sabha seat thus becoming first leader to represent this constituency for the fourth time. Considered to be among senior most BJP leader in the country, Shanta Kumar had earlier won Lok Sabha election in 1989, 1998 and 1999 elections. “A new chapter has started in Indian politics as people have given mandate against corrupt government. The BJP will take up this as a challenge to write a new chapter of honesty and good governance, “said Shanta Kumar after his victory. He assured the masses that all promises made to them would be fulfilled.
Shanta Kumar       BJP   456213
Chander Kumar      INC     286073
Rajan Sushant                AAP   24,430
Victory Margin              170140
-Jaideep Rehan, Palampur
I am a committed party worker and abide by the party’s decision
-Shanta Kumar MP, Kangra
Hamirpur
Emphatic Victory in Hamirpur
Emphatic Victory in HamirpurThe BJP candidate Anurag Thakur won Hamirpur Lok Sabha seat for the third time comfortably as Modi wave and P.K. Dhumal’s influence in the area worked in his favour. It is for the first time that the opposition party in the state has won this seat despite the fact that Congress government is in power in Himachal. “People have given mandate against 10 year misrule, corruption, price rise and unemployment. It is a mandate against State Congress government also, said Leader of Opposition Prem Kumar Dhumal. He added that Chief Minister Virbhadra Singh should resign on moral grounds.
Anurag Thakur        BJP 447490
Rajinder Rana         INC   349160
Kamal Kanta Batra   AAP    15316
Victory Margin                98330
-Ravinder Chandel, Hamirpur
The father-son duo had come to Hamirpur to ensure Anurag’s defeat but people have ousted them not only from Hamirpur but also from Mandi Lok Sabha seat
-Prem Kumar Dhumal Leader of Opposition
 Mandi
Modi Wave Worked in Mandi
Modi Wave Worked in MandiRiding on Modi wave, the BJP candidate Ram Swaroop Sharma also defeated Congress candidate Pratibha Singh in Mandi parliamentary seat. He was considered a weak candidate initially as he was fighting his first election. Elated over his victory the party workers held a road show in Mandi town and youth participated in large numbers in celebrations.
 Ram Sawroop Sharma   BJP   362824
Pratibha Singh           INC    322968
Kushal Bhardwaj         CPM    13965
Jai Chand Thakur        AAP      9359
Victory Margin                    39865
 -Aman Agnihotri, Mandi
Shimla
BJP Conquers Shimla Also
BJP Conquers Shimla AlsoThen victory of BJP in all for Lok Sabha seats has come as a rude shock for the Congress that has also lost Sujanpur assembly by-election. The BJP candidates Shanta Kumar (Kangra), Anurag Thakur *Hamirpur), Virender Kashyap (Shimla) and ram Sawaroop Sharma (Mandi) defeated their opponents from Congress party comfortably with Shanta Kumar leading the list with a victory margin of nearly 1.70 lakh votes. The leads kept on changing especially in Mandi and Shimla Lok Sabha seats.
 Virender Kashyap      BJP     385576
Mohan Lal Brakta      INC      301381
Subhash Chander      AAP       14213
Jagat Ram               CPM       11424
Victory Margin                    84195
 -Aman Agnihotri, Mandi
Narinder Thakur wins Sujanpur by-poll
 The BJP candidate won Sujanpur assembly by-election by a narrow margin. Earlier Narinder Thakur had lost assembly elections on four occasions. His victory has also pushed Rajinder Rana and his family on sidelines in politics. Though Narinder Thakur trailed in the counting of votes initially but emerged victorious after 20th round of counting.
 Narinder Thakur      BJP   22,993
Anita Rana             INC   22,455
Victory Margin                    538
 Nervous Nine Nights before Counting
The candidates contesting Lok Sabha election had to spend nine anxious nights before counting of polls was held on May 16. Himachal This Week talked to them a couple of days prior to the counting date to know about their feelings.
 I fought election with full responsibility and grace even as Congress crossed all limits. One can not judge the mood of electors as people don’t reveal their feelings till the last moment
-Anurag Thakur BJP, Hamirpur
 I believe in working and don’t keep burden of the past or future. One can gauge pulse of the people and their enthusiasm for a change reflected in massing polling percentage
-Shanta Kumar BJP, Kangra
  I was passionate to fight election since many years. It is not difficult to contest election if one has people’s support, clear strategy and intentions. However, electors don’t speak openly
-Ram Swaroop Sharma BJP, Mandi
 I was never tense because of the positive response received from people. Elections have become high-tech and expansive but people had already decided to install Narendra Modi as Prime Minister
-Virender Kashyap BJP, Shiml