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छात्रों को पांडुलिपि पर टिप्स
आनी — राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के अंतर्गत कार्य कर रही हिम संस्कृति संस्था के तत्त्वावधान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला च्वाई में एकदिवसीय पांडुलिपि संरक्षण एवं प्रचार बारे शिविर लगाया गया, जिसमें मुख्य वक्ता स्कूल प्रभारी कृष्ण ठाकुर ने स्कूली छात्रों को बताया कि पूरे भारतवर्ष में 50 लाख पांडुलिपियां सुरक्षित रखी गई हैं, जिनका अध्ययन जारी है। 200 साल पुरानी हस्तलिखित पांडुलिपियों का ज्ञान होना स्कूली छात्रों के लिए अनिवार्य है, ताकि हम अपनी प्राचीन संस्कृति इतिहास के बारे में जानकारी रख सकें। शिविर में राकेश शर्मा ने बताया कि संस्कृत भाषा हर भाषा की जननी है। राष्ट्रभाषा हिंदी हिमाचली भाषा राजाओं के समय से टांकरी, शारदा, पावची, पांडवानी, लिपियों में काम किया जाता था। हिमाचल प्रदेश के हर गांव, हर क्षेत्र में देवी-देवताओं का इतिहास, ज्योतिष विद्या, कर्मकांड, रामायण,महाभारत आदि सैकड़ों ग्रंथ लिखे गए हैं, जिन्हें टाकंरी आदि लिपि में लिखा गया है, जिनमें हमारी प्राचीन संस्कृति की महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई है, जिसका हमें ज्ञान होना चाहिए, परंतु आज हम नए युग में प्रवेश कर चुके हैं। हमे अपना इतिहास दुलर्भ पांडुलिपियों के समाप्त होने पर भूल चुके हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि हम प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों की जानकारी अवश्य रखें। इसके अलावा शिविर में हिम संस्कृति के सदस्य दीवान राजा ने भी पांडुलिपियों के अध्ययन बारे जानकारी दी। इस शिविर में प्रवक्ता हरीश कुमार, प्रकाश चंद, राकेश शर्मा, राजेंद्र ठाकुर,बीएस परमार, सुरेंद्र भारती, रविंद्र कुमार, रामुराम, रोशन लाल, चुनी लाल, हेमराज, तारा देवी, किरणलता, दीपिका ठाकुर, बेदप्रिया, सुनीता देवी आदि उपस्थित थे। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के प्रभारी दीवान राजा ने बताया आनी खंड की 20 स्कूलों के 700 विद्यार्थियों को पांडुलिपि की जानकारी दी जा चुकी है।
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