Thursday, 22 May 2014

प्रसिद्ध फोटोग्राफर रघु राय

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करिश्माई कैमरे के रघु राय

cereerप्रसिद्ध फोटोग्राफर रघु राय का जन्म पंजाब के झांग (अब पाकिस्तान में) में सन् 1942 में हुआ। रघु राय ने सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद पंजाब में एक साल सरकारी नौकरी भी की, लेकिन नौकरी उन्हें रास नहीं आई। दिल्ली में उनके भाई  और उनके दोस्त हर समय फोटोग्राफी, कैमरा और लेंस की बातें किया करते थे। भाई के एक मित्र योग जॉय अपने गांव जा रहे थे, तो रघु भी उनके साथ जाने की  जिद करने लगे। भाई से एक कैमरा मांगा और गांव चले गए। गांव पहुंचते-पहुंचत शाम हो गई। वहां रघु गधे के एक छोटे से बच्चे की तस्वीर लेना चाहता थे, लेकिन वह भाग गया। रघु ने उसका पीछा किया और थक हारकर जब वह गधा रुक गया, तो उसकी तस्वीर खींच ली, जो बाद में लंदन टाइम्स में छपी। जैसे आज बच्चों में बचपन से ही प्रोग्रामिंग फिट कर दी जाती है।  रघु के साथ ऐसा नहीं था। न उनका फोटोग्राफर बनने का कोई इरादा था। उन पर फोटोग्राफर बनने का कोई दबाव भी नहीं था। पिछले 47 सालों से रघु राय प्रोफेशनल फोटोग्राफर के रूप में काम कर रहे हैं, जिसमें से करीब 20 साल तक पत्रकारिता में रहे। वह भारत के प्रधानमंत्रियों, इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और मनमोहन सिंह तक के पारिवारिक पलों को कैमरे में कैद करने के लिए जाने जाते हैं। फोटोग्राफी के अलावा वह भारतीय शास्त्रीय संगीत के भी शौकीन हैं। इसी शौक के चलते उन्होंने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और बांग्ला सिनेमा के प्रतीक सत्यजीत रॉय तक के अलग-अलग रंगों को कैमरे में कैद किया है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की महान हस्तियां उनकी कला और पारंपरिक तस्वीरों में भी उतनी ही जीवंत दिखती हैं, जितनी कि मंच पर और खासकर ऐसा तब होता है जब कैमरे के लैंस के पीछे होते हैं फोटोग्राफर रघु राय। उन्हेें शास्त्रीय संगीत पसंद था। उनके पिता सिविल इंजीनियरिंग विभाग में एक प्रशासक थे और उन्हें एक इंजीनियर बनाना चाहते थे, पर वह फोटोग्राफर बन गए। रघु राय ने फोटोग्राफी में हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल पैनोरमा में काफी कुछ दिखाने की गुंजाइश पैदा की है। वैसे तो फोटोग्राफी एक पल, एक क्षण को लेंस के जरिए कैद करने का हुनर है, लेकिन यही पल बाद में यादों की अनमोल विरासत और न बदलने वाला इतिहास बन जाता है।

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