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पत्थरों को तराश हीरा बनाती रश्मी नाग
जिंदगी का हर लम्हा जीने के लिए है, अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी हमें जीना चाहिए, किसी की मदद कर जो सुकून मिलता है, वह किसी और काम में नहीं…. पहाड़ों की बेटी रश्मि नाग के हौसले भी पहाड़ों जैसे ही अडिग हैं, जो कभी किसी भी परिस्थिति में अपनी भव्यता को नहीं बदलते हैं। धौलाधार में बसे धर्मशाला में रहने वाली रश्मि नाग ने कैंसर जैसी बीमारी से उबर कर कैंसर पीडि़तों का हाथ थाम कर उनकी मदद करने को हाथ बढ़ाया है। इतना ही नहीं अपनी आर्ट कला के बलबूते उन्होंने देवभूमि की नदियों-नहरों में बहने वाले पत्थरों को तराश कर सजावटी हीरों की सूरत में बदल दिया है। वहीं अखबारों की रद्दी को सजावटी सामान में बदल रही हैं। अपने क्रिएटिव वर्क से उन्होंने गरीब और अक्षम बच्चों को अपने लिए स्वरोजगार के लिए भी तैयार किया है। रश्मि नाग द्वारा बनाई गई पेंटिंग्ज भारत ही नहीं अब आस्ट्रेलिया तक में अपनी पहचान बना चुकी हैं।
चीलगाड़ी धर्मशाला में रहने वाली रश्मि नाग ने फाइन आर्ट में डिप्लोमा करने के बाद दिल्ली में आर्ट एवं क्राफ्ट के स्कूल टीचर के रूप में 1990 से 1998 तक काम किया। उसके बाद धर्मशाला में पंहुचकर उन्होंने 2002 में क्रिएटिव सेंटर खोला। जिसमें रश्मि नाग द्वारा गरीब व अक्षम बच्चों को आत्मनिर्भर व उनकी क्षमताओं और कलाकारी को बाहर निकालने के लिए कार्य शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2009 में उन्हें कैंसर हो गया। कैंसर से उभरने के बाद उन्होंने कैंसर पीडि़तों की मदद के लिए कार्य करना शुरू कर दिया। जिसमें उन्होंने कैंसर से निपटने के लिए लोगों को समय पर इलाज करवाने पर इससे बचाव और जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। रश्मि ने कैंसर के बाद जीवन को सही मायने से समझ कर उसमें वर्तमान के हर पल को एन्जाय करने और दूसरों की मदद में लगा रही हैं। उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग्ज म्युरल, थ्रीडी पेंटिंग, गलैग्राफी पेंटिंग, टेक्सटाइल डिजाइनिंग, स्क्रीन पेंटिंग भारत के साथ-साथ अब विदेशों में आस्ट्रेलिया तक में धूम मचा रही हैं। क्रिएटिव सेंटर में उन्होंने भारतीय परपंरा को दर्शाते कैंडल, न्यूज पेपर की रद्दियों से सजावटी सामान, नदियों-खड्डों के पत्थरों को तराश कर खूबसूरत सजावटी सामान बनाया है और यही कार्य अपने छात्रों को भी सिखाया है। रश्मि प्रदर्शनियों में सामान से होने वाली कमाई को कैंसर पीडि़तों के इलाज को प्रयोग करती हैं।
क्रिएटिव कार्यों को करने की प्रेरणा कहां से मिली?
रश्मि नाग-क्रिएटिव कार्य करने को जुनून है और इसके लिए मुझे प्रकृति से ही प्रेरणा मिलती है।
कैंसर जैसी बीमारी से उबरना कितना मुश्किल रहा?
लोगों में जागरूकता न होने के कारण समय पर बीमारी का इलाज नहीं हो पाता है। समय पर इलाज और हिम्मत से ही यह हो पाया है।
बीमारी से उबरने के बाद जीवन में क्या परिवर्तन आए?
रश्मि नाग-अब मेरा पूरा जीवन पूरी तरह से बदल गया है। हर समय का एन्जाय कर कैंसर पीडि़तों और जरूरतमंदों की मदद करने में ही ज्यादा खुशी मिलती है।
भविष्य के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?
आर्ट एंड क्राफ्ट की शिक्षा जरूरतमंद छात्रों को प्रदान करने के लिए स्कूलों में जाकर शिक्षा प्रदान करने के प्रयास कर रही हूं।
प्रदेश की महिलाओं के लिए संदेश?
रश्मि नाग-कभी भी महिलाओं को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें कुछ करने का टेलेंट नहीं है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में टेंलेट छिपा हुआ है, जरूरत है उसे पहचान कर उस पर ध्यान देने की।
हिमाचल में क्रिएटिव वर्क की क्या स्थिति है?
रश्मि नाग-कुछ समय पहले तक प्रदेश में लोग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे थे, लेकिन हिमाचल के लोगों में बहुत क्रिएटिविटी है, सही गाइड लाइन मिलने व सरकार का सहयोग मिलने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं।
हिमाचल इस दिशा में क्या कर सकता है?
रश्मि नाग-क्रिएटिव वर्क में हिमाचल का शानदार भविष्य हो सकता है। बच्चों को केवल डाक्टर, इंजीनियर और टीचर बनने तक ही सीमित नहीं रहना होगा। आर्ट से जुड़कर भारत सहित विदेशों में अपने नाम की छाप छोड़ी जा सकती है। इसके लिए संस्थानों का होना भी आवश्यक है।
—नरेन कुमार, विनोद कुमार, धर्मशाला
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