Thursday, 8 May 2014

देव मिलन देखने को उमड़ा जनसैलाब

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देव मिलन देखने को उमड़ा जनसैलाब

आनी (कुल्लू)। आनी में वीरवार को देवताओं के आगमन के साथ ही जिला स्तरीय आनी मेेला शुरू हो गया है। देवता शमशरी महादेव सहित पनेऊई नाग, देउरी नाग देवता, ब्यूंगली नाग देवता और ओलवा के कुलक्षेत्र महाराज के मेला मैदान में पहुंचते ही मेले का भव्य आगाज हुआ। इससे पूर्व देवताओं की आनी बाजार में भव्य जलेब निकलने के बाद मेला मैदान में कमेटी ने देवताओं और उनके कार-करिंदों का भव्य स्वागत किया। देव मिलन को देखने क्षेत्र के हजारों लोगों का जन सैलाब उमड़ा।
मेले के शुभारंभ समारोह में बीडीओ आनी सुरजीत सिंह राठौर बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुए। उन्होंने क्षेत्रवासियों को मेले की शुभकामनाएं दी और सफल आयोजन के लिए हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। उन्हाेंने कहा कि मेलों से आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। मेले हमारी एकता के प्रतीक हैं। मेले को संजोए रखना हम सभी का कर्तव्य है। इससे पूर्व मुख्य अतिथि ने मेले में लगी विभिन्न विभागाें की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर स्थानीय महिला मंडलों ने देव आगमन पर पारंपरिक गीत गाकर माहौल को भक्तिमय बनाया। इस अवसर पर नायब तहसीलदार सुरेश कुमार, मेला कमेटी अध्यक्ष विनोद चंदेल, सचिव मुकंद शर्मा, कपूर चंद, चेतराम, ज्ञान शर्मा, देवेंद्र शर्मा, ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष उत्तम ठाकुर, सतपाल ठाकुर, परसराम, शेर सिंह ठाकुर, भाजपा मंडलाध्यक्ष अमर ठाकुर, गंगाराम चंदेल, जिप सदस्य चांद ठाकुर, डीएसपी सुनील नेगी, थाना प्रभारी रोहित मृगपुरी, बीएमओ डा. ज्ञान ठाकुर, विषय विशेषज्ञ उद्यान राकेश गोयल, एमडी अकेला, शिवराम ठाकुर, डेविड फैंडल, भागचंद वर्मा, मोहन ठाकुर, ताबेराम ठाकुर, प्रधान आत्माराम, संतोष ठाकुर कारदार, आलम चंद, लीला चंद, कमलेश शर्मा, अनूप राम शर्मा, विजय कंवर, राम सिंह ठाकुर सहित सैकड़ाें लोग मौजूद थे।
मेले शुभारंभ पर स्थानीय स्कलोें में वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी, हिमालयन मॉडल स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर, लोरेंस पब्लिक स्कूल, दिव्य लोक और एसडीए मिशन स्कूल के बच्चों ने मेले के शुभारंभ अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
कभी पूरी रात चलता था नाटियों का दौर
आनी (कुल्लू)। सैकड़ाें वर्ष पुराने ऐतिहासिक आनी मेले में जहां कभी रात-रात भर कुल्लवी नाटियों का दौर चलता था, वहीं देवताओं का देव नृत्य दिलों को छू लेता था। समय बदलने के साथ साथ इस मेले ने भी करवट बदली। देवताओं के साथ आए देवलुओं ने भी जहां मेले में अपनी भूमिका से किनारा करना शुरू किया। वहीं, पारंपरिक लोकगीत और मेले में देवनाटी जैसे कार्यक्रमाें का दौर भी कम होता गया। वहीं, कमेटी के सदस्यों ने इस बार सभी लोगों का ध्यान रखते हुए मेले में हिंदी और लोक कलाकारों के अलावा पारंपरिक संस्कृति को भी मंच तक लाने का प्रयास किया है। मेला कमेटी के अध्यक्ष विनोद चंदेल का कहना है कि लुप्त होती लोक कला, बांसुरी वादन, मुखौटा नृत्य जैसे अनेक विलुप्त होती जा रहे लोक कला को मंच तक लाने का कमेटी ने प्रयास किया है।

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