Saturday, 3 May 2014

खड्डी को खास बनाती उर्मिला

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खड्डी को खास बनाती उर्मिला

utsavप्रदेश में लुप्त होते खड्डी के कारोबार को कुल्लू में आगे बढ़ाने के लिए  उर्मिला सूद ने अहम रोल अदा किया है। कुल्लू की उर्मिला सूद के पास इस समय करीब 12 लड़कियां शॉल बनाकर अपनी आजीविका को चला रही हैं। वर्ष 1986 से शुरू किया यह काम आज एक बुलंदी तक पहुंच गया है। प्रदेश के अग्रणी मीडिया गु्रप ‘दिव्य हिमाचल’ से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 1986 में कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गईं थी कि परिवार की हालत में सुधार करने के लिए दो से तीन खड्डियों को लगाकर शॉल बनाने का कारोबार शुरू किया। उसके बाद समाज में उन्होंने ऐसी महिलाओं का चयन किया जोकि आगे बढ़ने की हिम्मत तो जुटाती थी, लेकिन उन्हें आगे बढ़ने की कोई राह नजर नहीं आ रही थी। उन्होंने उन महिलाओं को शॉल बनाना सिखाया। अब इस समय उनके पास करीब 12 से 13 खड्डियां लगी हुई हैं तथा अधिकतर महिलाएं इन खड्डियों पर काम करके अपनी आजीविका को कमा रही हैं। उर्मिला सूद का कहना है कि उन्होंने अब लोगों को शॉल बनाने को सिखाने के लिए एक मास्टर रखा हुआ है। जिसका मासिक वेतन निर्धारित किया गया है। वहीं बाकी जो महिलाएं काम कर रही हैं, उनको काम के हिसाब से पैसे मिलते हैं। उनकी फैक्टरी में बन रहा अधिकतर सामान वह हिम बुनकर को देते हैं। जबकि अगर कोई लोकल शोरूमों का व्यक्ति उनसे सामान खरीदने के लिए आता है तो उसे भी वह उसी रेट पर सामान उपलब्ध करवाती हैं। उन्होंने कहा कि बुनकरों के कारोबार को जिंदा रखने के लिए वह नौजवानों को इस ओर आकर्षित करती रहती हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने भी उनका हौसला बढ़ाया। उनके पति व बेटे ने उनके इस कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए काफी सहयोग दिया। उनके पति का कुल्लू अखाड़ा बाजार में अपना बिजनेस है।
छोटी सी मुलाकात
आपने इसी कारोबार को क्यों चुना?
कढ़ाई-बुनाई का कुल्ल्ू से पुराना नाता रहा है। इस कारोबार को जिंदा रखने के लिए मैंने इस ओर कदम बढ़ाया। इस कारोबार के  जरिए समाज की महिलाओं को काम सिखाकर उनको अपने पैरों पर खड़ा करने का हौसला पैदा किया है।
इस क्षेत्र में कभी आपके सामने चुनौतियां भी आईं?
इस क्षेत्र में मेरे सामने कई चुनौतियां आईर्ं। कई बार मेरे पास काम कर रही महिलाओं को अपने पतियों की उपेक्षाओं का भी शिकार होना पड़ा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी तथा सबको समझाकर महिलाओं को आगे बढ़ने का हौंसला दिया।
प्रदेश की महिलाओं को कोई संदेश देना चाहती हैं ?
प्रदेश की महिलाओं को मै सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि वे अपने अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर लाएं। चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, उस क्षेत्र में आगे बढ़कर एक बेहतरीन समाज के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
संदीप शर्मा, कुल्लू

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