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फनियर ने 1537 को गड़ाए दांत
सोलन — हिमाचल प्रदेश में सर्पदंश के मामलों में इजाफा होने के बाद लोग अब नागराज से डरने लगे हैं। तीन वषर्ोें में सर्पदंश के 1537 मामले सामने आए हैं। यदि इन लोगों को समय रहते अस्पताल न पहुंचाया जाता तो इनकी मौत भी हो सकती थी। एंटी स्नेक वेनम ने सर्पदंश के शिकार इन लोगों को नई जिदंगी प्रदान की है। जीवीके से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2010 से 27 अप्रैल, 2014 तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार सर्पदंश के मामले आ रहे हैं। नागराज का सबसे अधिक प्रकोप कांगड़ा जिला में है। इस दौरान कांगड़ा में 356 लोगों को सांप ने अपना शिकार बनाया है, जबकि मंडी जिला में 179 लोगोें व हमीरपुर में 175 लोग सांप के शिकार हुए हैं। इसी प्रकार प्रदेश के बिलासपुर में 141 मामले, चंबा में 166 मामले, किन्नौर में 16 मामले, कुल्लू में 62 , लाहुल-स्पीति में एक, शिमला में 144, सिरमौर में 89, सोलन में 126 और ऊना में 82 मामले सामने आए हैं। इन सब लोगों को समय रहते 108 के माध्यम से नजदीकी अस्पताल में लाया गया। जहां पर एंटी स्नेक वेनम के इंजेक्शन ने इन्हें नया जीवन प्रदान किया है। यदि अस्पताल पहुंचने में देरी हो जाती तो शायद इनमें से कई लोग आज दुनिया में ही नहीं होते। सबसे अधिक सर्पदंश के मामले गर्मियों के दिनों में ही आते हैं, जबकि बरसात के मौसम में काफी अधिक बढ़ जाते हैं। सांप ठंडे रक्त वाले जीव होते हैं और सर्दियों में ये लंबे हाइबरनेशन के लिए जमीन के नीचे चले जाते हैं व गर्मियों के शुरू होते ही यह अपने शरीर को गर्म करने के लिए व भोजन के लिए जमीन के बाहर आ जाते है, जिसके परिणाम स्वरूप सर्पदंश के मामलों में वृद्धि होती है। सर्पदंश आमतौर पर काटी गई जगह पर दांतों का निशान, हल्की दर्द व उसके चारों तरफ लाली से पहचाना जा सकता है। यदि काटी गई जगह के आसपास की त्वचा में अत्यधिक लचीलापन एवं सोजिश है तो यह सर्पदंश के लक्षण हो सकते हैं। जीवीके के प्रदेश प्रभारी मेहूल सुकुमारन ने कहा कि अकसर सर्पदंश के अत्याधिक मामले अप्रैल से लेकर नवंबर माह में घटित होते हैं। सर्पदंश के मामलों से निपटने के लिए 108 एंबुलेंसों में सर्प विषरोधी दवाएं उपलब्ध रहती हैं।
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