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स्कूली छात्रों ने जाना हिमाचल का इतिहास
आनी (कुल्लू)। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत शनिवार को आनी मुख्यालय में स्थित दिव्य लोक पब्लिक स्कूल में एक दिवसीय पांडुलिपियों की प्रर्दशनी लगाई गई और छात्रों को प्राचीन लिपियों के इतिहास के बारे में बताया गया। इसमें रामायण, महाभारत, ज्योतिष आदि देवी देवताओं के महत्वपूर्ण इतिहास की जानकारी लिखी गई है। दिव्य लोक पब्लिक स्कूल के मुख्य अध्यापक मोहन ठाकुर ने कहा कि आज के नए एवं इंटरनेट के युग में हम अपनी प्राचीन संस्कृति भूलते जा रहे हैं। संस्था के प्रयास से स्कूली छात्रों को 200 साल पुरानी हस्तलिखित पुस्तकों की जानकारी देना जरूरी है। एक दिवसीय शिविर के मुख्य वक्ता दीवान राजा ने कहा कि प्रदेश के हर गांव हर क्षेत्र का इतिहास इन प्राचीन पांडुलिपियों में छिपा है। इसे जानना अति आवश्यक है। हर छात्र को इसका ज्ञान होना जरूरी है। इस शिविर में हिम संस्कृति संस्था के अध्यक्ष एस आर शर्मा, उपाध्यक्ष छविंद्र शर्मा, संचालक दीवान राजा, दिव्यालोक शिक्षा समिति के सचिव चमन शर्मा, शिक्षक सुरेश शर्मा, रींकू शर्मा, सनदीप वर्मा, निशा ठाकुर, यशराज शर्मा, रीता ठाकुर, मंजु डोगरा, लक्ष्मी ठाकुर, सुनीता ठाकुर, ध्यान शर्मा, सीमा प्रसाद शामिल थे। संस्था ने प्राचीन लिपियों का प्रशिक्षण देने के लिए जिन छात्रों का चयन किया जिसमें प्रीति ठाकुर, निखिल, नीतीन, रितीका, अंकुश, नितिश, राहुल, कोमल और अक्षिता को चुना गया है।
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन कर रहा जागरूक
प्रदेश में खोजी गई प्राचीन पांडुलिपियों की जानकारी स्कूलों एवं कॉलजों में दी जा रही है, ताकि नई पीढ़ी को पुरानी विलुप्त लिपि एवं भाषाओं की जानकारी दी जा सके। प्रदेश की टांकरी एवं अन्य दुर्लभ लिपि भाषा पर कार्य करने वाली हिम संस्कृति संस्था ने 1 मार्च से 31 मई तक एक विशेष अभियान चलाया हुआ है। इसमें आनी निरमंड क्षेत्र के सरकारी और निजी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को टांकरी, शारदा, पावची, पांडवानी, ब्राम्ही आदि में लिखित 200 साल पुरानी पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाकर जानकारी दी जा रही है।
स्कूली छात्रों ने जाना हिमाचल का इतिहास
आनी (कुल्लू)। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत शनिवार को आनी मुख्यालय में स्थित दिव्य लोक पब्लिक स्कूल में एक दिवसीय पांडुलिपियों की प्रर्दशनी लगाई गई और छात्रों को प्राचीन लिपियों के इतिहास के बारे में बताया गया। इसमें रामायण, महाभारत, ज्योतिष आदि देवी देवताओं के महत्वपूर्ण इतिहास की जानकारी लिखी गई है। दिव्य लोक पब्लिक स्कूल के मुख्य अध्यापक मोहन ठाकुर ने कहा कि आज के नए एवं इंटरनेट के युग में हम अपनी प्राचीन संस्कृति भूलते जा रहे हैं। संस्था के प्रयास से स्कूली छात्रों को 200 साल पुरानी हस्तलिखित पुस्तकों की जानकारी देना जरूरी है। एक दिवसीय शिविर के मुख्य वक्ता दीवान राजा ने कहा कि प्रदेश के हर गांव हर क्षेत्र का इतिहास इन प्राचीन पांडुलिपियों में छिपा है। इसे जानना अति आवश्यक है। हर छात्र को इसका ज्ञान होना जरूरी है। इस शिविर में हिम संस्कृति संस्था के अध्यक्ष एस आर शर्मा, उपाध्यक्ष छविंद्र शर्मा, संचालक दीवान राजा, दिव्यालोक शिक्षा समिति के सचिव चमन शर्मा, शिक्षक सुरेश शर्मा, रींकू शर्मा, सनदीप वर्मा, निशा ठाकुर, यशराज शर्मा, रीता ठाकुर, मंजु डोगरा, लक्ष्मी ठाकुर, सुनीता ठाकुर, ध्यान शर्मा, सीमा प्रसाद शामिल थे। संस्था ने प्राचीन लिपियों का प्रशिक्षण देने के लिए जिन छात्रों का चयन किया जिसमें प्रीति ठाकुर, निखिल, नीतीन, रितीका, अंकुश, नितिश, राहुल, कोमल और अक्षिता को चुना गया है।
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन कर रहा जागरूक
प्रदेश में खोजी गई प्राचीन पांडुलिपियों की जानकारी स्कूलों एवं कॉलजों में दी जा रही है, ताकि नई पीढ़ी को पुरानी विलुप्त लिपि एवं भाषाओं की जानकारी दी जा सके। प्रदेश की टांकरी एवं अन्य दुर्लभ लिपि भाषा पर कार्य करने वाली हिम संस्कृति संस्था ने 1 मार्च से 31 मई तक एक विशेष अभियान चलाया हुआ है। इसमें आनी निरमंड क्षेत्र के सरकारी और निजी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को टांकरी, शारदा, पावची, पांडवानी, ब्राम्ही आदि में लिखित 200 साल पुरानी पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाकर जानकारी दी जा रही है।
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