बीस लाख साल पहले शिकारी था मानव
चंडीगढ़। यहां से 20 किलोमीटर की दूरी पर मिले जीवाश्म की हड्डी पर एक कट का निशान मिला है। इससे पता चलता है कि 20 लाख साल पहले चंडीगढ़ के आसपास रहने वाले इंसान शिकारी थे। आर्कियोलॉजिस्ट मानव के शिकार की प्रवृत्ति और मानव बस्ती से जुड़े अन्य तथ्यों को तलाश करने के लिए उस स्थान पर खुदाई शुरू करने जा रहे हैं, जहां यह जीवाश्म मिला है। चंडीगढ़ के आर्कियोलॉजिस्ट के अनुसार इस बात के भी संकेत मिले हैं कि 20 लाख साल पहले मानव बस्ती में नुकीले पत्थरों से बने जो हथियार थे।
वे कई सदियों तक जानवरों के शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाते रहे। पत्थर से बने पतले तीर और जानवरों की हड्डियों को सुखाकर तैयार किए गए धनुष से शिकार किए जाने की जानकारी भी मिलने की संभावना है। चंडीगढ़ के आर्कियोलॉजिस्ट के अनुसार यह जीवाश्म एक साल पहले मिला था।
नहीं मिल पाई फ्रांस ले जाने की इजाजत
सूत्रों के अनुसार, पेरिस की जानी मानी पुरातत्वविद क्लेयर गैरलैंड और पुरातत्वविद् डॉ. मुकेश सिंह इस शोध से जुड़े हैं। जो अवशेष मिले, उनको फ्रांस ले जाने की इजाजत नहीं मिल पाई है। इस जीवाश्म के नमूने को फ्रांस की अत्याधुनिक लैब में टेस्ट करके कई अन्य जानकारी भी निकाली जा सकती है। उस जगह की खुदाई की इजाजत भी काफी समय बाद मिल सकी है। इसी वजह से शोधकार्य कुछ समय के लिए रुका रहा।
क्वार्ट्ज हथियार का कट
भारत में अब तक का यह पहला शोध है, जिसमें 20 लाख साल पहले का फॉसिल मिला है। इससे पहले अफ्रीका में जो रिसर्च हुई, उसमें भी ऐसा फॉसिल नहीं मिल सका। आर्कियोलॉजिस्ट केके ऋषि के अनुसार, यह जीवाश्म पहाड़ में फिक्स था। हड्डी में कट का निशान बताता है कि क्वार्ट्ज (नुकीला कर तैयार किया गया) हथियार इसको लगा। उन्होंने कहा कि शिवालिक की पहाड़ियों को सोलह भागों में बांटा गया है। यह जीवाश्म टैट्रोट फॉरमेशन में मिला है जो कि शिवालिक की पहाड़ियों के चौथे भाग का अंतिम रूप हैं।
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