Wednesday, 26 February 2014

ममलेश्वर महादेव मंदिर KARSOG


NAREDER SHARMA KARSOG

ANNITHISWEEK MAGAZINE

पांडवों ने किया ममलेश्वर मंदिर का निर्माण

गौरी शंकर का यह मंदिर करसोग बाजार के समीप ममल गांव में निर्मित है। पैगोड़ा मिश्रित शैली के इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था। मंदिर की काष्ठ कला और शैली उत्कृष्ट है…
ममलेश्वर महादेव मंदिर
गौरी शंकर का यह मंदिर करसोग बाजार के समीप ममल गांव में निर्मित है। पैगोड़ा मिश्रित शैली के इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था। मंदिर की काष्ठ कला और शैली उत्कृष्ट है। इस मंदिर की दसवीं-11वीं शती की विष्णु और लक्ष्मी की दोनों मूर्तियां उल्लेखनीय हैं। इन मूर्तियों में अंगोपांग तथा अलंकरण का विस्तारपूर्वक अंकन हुआ है। विष्णु को सम्मुखी और उसी की जंघा का आलिंगन इंद्रियजनित भावनाओं को स्पष्ट करता है। दोनों ही मूर्तियों में विष्णु को अपने वाहन मानवाकार गरूड़ पर आसीन दिखाया गया है। मूर्तियों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि मूल रूप से यह मंदिर नागर शैली का रहा होगा। यह भी धारणा है कि परशुराम ने करसोग घाटी में 80 शिवलिंगों की स्थापना की थी और 81वां शिवलिंग भगवान शिव की प्रतिमा के रूप में इस मंदिर में स्थापित किया था।
रिवालसर तीर्थ
रिवालसर हिंदू, बौद्ध और सिख संप्रदायों की तीर्थ स्थली है। हिंदू रिवालसर को लोमश ऋषि की तपोभूमि के रूप में देखते हैं। लोमश ऋषि का उल्लेख महाभारत में भी आता है। लोमश ऋषि तीर्थों की पूर्ण जानकारी रखते थे। उन्होंने युधिष्ठिर का विभिन्न तीर्थों में साथ दिया था। रिवालसर में हिंदुओं के नागर शैली के मंदिर हैं। बौद्धों के लिए यह स्थान भिक्षु पद्मसंभव की प्रणय-स्थली रही है। रिवालसर का बौद्ध मंदिर पैगोड़ा शैली का है। इस बौद्ध मंदिर के भित्ति चित्र हिमालय क्षेत्र में बौद्ध कला एवं परंपरा का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। मूर्ति कक्ष में प्रवेश करते ही छोटी-बड़ी अनेक मूर्तियों के  दर्शन होते हैं।

No comments:

Post a Comment