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नृत्य में कैरियर संबंधी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने कत्थक नर्तक दिनेश गुप्ता से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश…
आजकल नृत्य में बड़ी स्पर्धा है। क्यी पश्चिम का प्रभाव भारतीय नृत्य पर हावी हो रहा है?
भारत वर्ष का शास्त्रीय नृत्य ही पूरी दुनिया के अन्य नृत्यों का जनक है। भारतीय नृत्य तो सारे नृत्यों की मां है। शास्त्रीय नृत्य से सारे नृत्य बने हैं। वेस्टर्न डांस भी शास्त्रीय नृत्य से निकला है। जैसा मां का स्थान होता है, वहीं भारतीय शास्त्रीय नृत्य का स्थान है। हर कोई अपने हिसाब से नृत्य को तोड़ मरोड़ कर नाचना शुरू कर देता है, लेकिन नींव तो भारत में ही है। भारतीय नृत्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है और आने वाली कई पीढि़यों तक पडे़गा भी नहीं।
नृत्य में कैरियर बनाने के लिए आरंभिक शिक्षा क्या होनी चाहिए?
नृत्य में कैरियर बनाने के लिए सबसे पहले तो जरूरी है कि नृत्य के प्रति लगन हो। अब तो स्कूल स्तर पर भी नृत्य को विषय के रूप में लिया जा रहा है। वैसे जमा दो के बाद इसकी सीधी शिक्षा भी ली जा सकता है। कई संस्थान नृत्य की शिक्षा दे रहे हैं।
नृत्य में रोजगार के अवसर कहां-कहां हैं?
नृत्य में रोजगार के अवसरों की कमी नहीं है। बशर्ते आप नृत्य को किस तरह से अपना रहे हैं और उसमें आपको इसमें कितनी महारत है। स्कूल में डांस टीचर, डांस अकादमी, कोरियाग्राफ, स्टेज शो, टीवी शो और अन्य कंपीटीशन में रोजगार के अवसर ही अवसर हैं। अपने साथ कितने ही लोगों को रोजगार भी नृत्य से दिया जा सकता है।
नृत्य के क्षेत्र में आय की सीमा क्या है?
इस क्षेत्र में आय की कोई सीमा नहीं है। एक अध्यापक को जहां महीने के बीस हजार रुपए मिलते हैं,वहीं एक एक डांस अकादमी चलाने वाले हजारों कमाता है तो एक कोरियोग्राफ को लाखों रुपए मिलते हैं। पैसे के साथ ख्याति भी स्टेज शो, टीबी शो से मिलती है। जो अन्य काम करके आसानी से प्राप्त नहीं हो सकती है। यह आपकी प्रतिभा और महारत पर निर्भर करता है।
नृत्य का हिमाचल के संदर्भ में क्या स्कोप है?
नृत्य के प्रति जागरूकता का काम तो ‘दिव्य हिमाचल’ समाचार पत्र की ‘डांस हिमाचल डांस’ प्रतियोगिता ने कर दिया है, लेकिन अब सरकारी जागरूकता की भी जरूरत है। हिमाचल के सरकारी स्कूलों में एक मात्र कोटशेरा स्कूल को छोड़ कहीं भी डांस नहीं सिखाया जाता है।
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