Wednesday, 26 February 2014

योगधर्म से राष्ट्रधर्म को जोड़ने की पहलबाबा रामदेव

आधुनिक पतंजलि बाबा रामदेव

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B.D.SHARMA  ANNI
बाबा रामदेव ने  भारत में अंधविश्वास की श्रेणी में रख दिए गए योग एवं आयुर्वेद को पुनः प्रतिष्ठा दी। इसके बाद उन्होंने योगधर्म से राष्ट्रधर्म को जोड़ने की पहल की। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शोषण के खिलाफ न केवल आवाज उठाई बल्कि उपभोक्ताओं को स्वदेशी उत्पादों की एक शृंखला उपलब्ध करवाकर नए विकल्प भी मुहैया करवाए…
11 जनवरी, 1965 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिला के अलीगढ़ गांव में बाबा रामदेव का जन्म हुआ। इनके जन्म का नाम रामकृष्ण यादव था। संन्यास धारण करने के बाद इन्हें रामदेव नाम दिया गया। एक समय था जब भारत में योग विद्या को प्रत्येक गुरुकुल एवं विद्यालयों में सिखाया जाता था, लेकिन बढ़ती अज्ञानता और पश्चिमी रंग-ढंग  में ढलने की होड़ ने योग के जन्म स्थान से ही योग को विलुप्त कर दिया। लेकिन कुछ वर्ष पूर्व बाबा रामदेव ने पूरे देश में योग विद्या की अलख जगा दी और लुप्त हो चुकी योग विद्या को घर-घर पहुंचाया। बाबा रामदेव ने आम आदमी को योगासन व प्राणायाम की सरल विधियां बताकर योग के क्षेत्र में अद्भुत क्रांति का आगाज किया है। बाबा रामदेव अब तक देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योग सिखा चुके हैं। हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्मे बाबा रामदेव की निष्ठा, कर्मठता और योग के प्रति सर्मपण ने ही इस विद्या को पूरे देश एवं विश्व पटल पर स्थापित किया। बाबा रामदेव ने भारत में अंधविश्वास की श्रेणी में रख दिए गए योग एवं आयुर्वेद को पुनःप्रतिष्ठा दी। इसके बाद उन्होंने योगधर्म से राष्ट्रधर्म को जोड़ने की पहल की। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शोषण के खिलाफ न केवल आवाज उठाई बल्कि उपभोक्ताओं को स्वदेशी उत्पादों की एक शृंखला उपलब्ध करवा कर नए विकल्प भी मुहैया करवाए।  आज पूरा राष्ट्र पतंजलि उत्पादों का प्रयोग कर आयुर्वेद और स्वदेशी का फायदा ले पा रहा है। भारत से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अष्टांग योग के माध्यम से जो देशव्यापी जन-जागरण अभियान इस संन्यासी वेशधारी क्रांतिकारी योद्धा ने प्रारंभ किया, उसका सर्वत्र स्वागत हुआ।

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