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आर्चाय बालकृष्ण आयुर्वेद के साथ-साथ योग, संस्कृत भाषा एवं व्याकरण और वेदों के भी विद्वान हैं। आर्चाय बालकृष्ण ने सांख्य योग, संस्कृत भाषा एवं व्याकरण, पाणिनी अष्टाध्यायी, वेद, उपनिषद एवं भारतीय दर्शन की शिक्षा आर्चाय श्री बलदेव जी से हरियाणा के एक गुरुकुल में ली…
आयुर्वेद के विद्वान आर्चाय बालकृष्ण का जन्म 4 अगस्त 1972 को हरिद्वार में हुआ। उस समय किसे पता था कि यह छोटा सा बालक आने वाले समय में पूरे विश्व में आयुर्वेद के क्षेत्र में एक अद्भुत क्रांति का वाहक बनेगा। आर्चाय बालकृष्ण आयुर्वेद के साथ-साथ योग, संस्कृत भाषा एवं व्याकरण और वेदों के भी विद्वान हैं। आर्चाय बालकृष्ण ने सांख्य योग, संस्कृत भाषा एवं व्याकरण, पाणिनी अष्टाध्यायी, वेद, उपनिषद एवं भारतीय दर्शन की शिक्षा आर्चाय श्री बलदेव जी से हरियाणा में कलवा के एक गुरुकुल में ली। इसके बाद अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्राप्त कर आर्चाय बने। इन्होंने काफी साल हिमालय की पहाडि़यों में दुर्लभ जड़ी-बूटियों पर शोध किया। बाद में इन्होंने आयुर्वेद और योग को बढ़ावा देने के लिए स्वामी रामदेव के साथ पतंजलि योगपीठ की स्थापना की और फिर आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने के लिए दिव्य फार्मेसी एवं ब्रह्मकल्प चिकित्सालय की स्थापना भी की। आर्चाय बालकृष्ण के अब तक के जीवन का अधिकतम समय आयुर्वेद एवं जड़ी-बूटियों पर शोध करने में ही बीता है। आयुर्वेद के क्षेत्र में आचार्य बालकृष्ण ने एक अद्भुत क्रांति का आगाज किया है, तभी आज देश के जन-जन तक आयुर्वेद पहुंच पाया है।
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