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INDIAN GIRL...................Arunima
एक ऐसी शख्सियत जिसने जिंदगी के हर पहलू को जिंदादिली से जिया और उस हालात में जिया जब लोग जीने की आस ही छोड़ देते हैं। बात हो रही है अरुणिमा सिन्हा की, जो भारत की पहली विकलांग महिला एवरेस्ट विजेता बनी। अरुणिमा सिन्हा का जन्म सन् 1988 में उत्तरप्रदेश के अंबेडकर नगर में हुआ। वह वालीबाल की राष्ट्रीय खिलाड़ी भी रह चुकी है। अरुणिमा की जिंदगी साहस और रोमांच से भरी रही है। एक बार जब वह वर्ष 2011 में सीआईएसएफ की नौकरी के लिए परीक्षा देने पद्मावती एक्सप्रेस में लखनऊ से दिल्ली जा रही थी, तो उसके कोच में कुछ लुटेरे घुस आए और लूटपाट करने लगे। अरुणिमा से रहा नहीं गया और उसने उन गुंडों का विरोध किया। लुटेरों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने अरुणिमा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इसी दौरान दूसरी पटरी से गुजरने वाली ट्रेन उसकी टांग के ऊपर से गुजर गई। एक ऐसा हादसा, जिसमें बचना मुश्किल था, वही अरुणिमा की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बन गया। हादसे में अरुणिमा ने अपनी एक टांग खो दी, पर हौसले कई गुना हो गए। एम्स में अपने इलाज के दौरान ही अरुणिमा ने अपने सपनों को पंख लगाने शुरू कर दिए और ऐसा ख्वाब देखना शुरू कर दिया, जिसे हर कोई मजाक समझने लगा। पर जब हौसलों में उड़ान होती है तो सपनों को सच होते समय नहीं लगता। अरुणिमा को इस हादसे से उबरने के लिए भारत के क्रिकेट स्टार युवराज सिंह से प्रेरणा मिली, जिन्होंने कैंसर जैसी बीमारी को परास्त कर क्रिकेट में दोबारा मोर्चा संभाला। अरुणिमा ने भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल से संपर्क किया और अपने अभियान के बारे में बताया। अरुणिमा ने नेहरू इंस्टीच्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस संस्थान की स्थापना सन् 1965 में हुई। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित है। कर्नल ईश्वर सिंह थापा इस संस्थान के प्रिंसीपल हैं। अरुणिमा ने टीएसएएफ उत्तरकाशी (उत्तराखंड)से भी बछेंद्री पाल के नेतृत्व में प्रशिक्षण लिया। इस संस्थान की खास बात यह है कि इस में मुफ्त प्रशिक्षण की व्यवस्था है। भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल इस संस्थान का संचालन कर रहीं हैं। यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद अरुणिमा ने 52 दिन के अभियान में 21 मई, 2013 को सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर विश्व की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट पर अपनी फतह का परचम लहराया और इस प्रकार वह भारत की एवरेस्ट जीतने वाली पहली विकलांग महिला बनी। अरुणिमा ने ऐसे सपने को सच कर के दिखाया, जिसे देखने की हिम्मत कोई विरला ही करता है।
पुरस्कारों की कतार
अरुणिमा की इस उपलब्धि पर केंद्रीय खेल मंत्री ने उन्हें बधाई दी। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अरुणिमा को 25 लाख रुपए पुरस्कार के रूप में दिए। अरुणिमा को सीआईएसएफ में नौकरी भी मिली। इसके अलावा रेलवे ने भी अरुणिमा को नौकरी देने की पेशकश की ।
एक और ख्वाब
अरुणिमा ने अक्षम होते हुए जो मुश्किलें झेलीं, उनसे पे्ररणा लेते हुए अक्षम बच्चों के लिए इस तरह का संस्थान खोलने का लक्ष्य रखा है, जहां उन्हें मुफ्त प्रशिक्षण मिल सके।
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