Wednesday, 26 February 2014

विश्व की प्रथम महिला माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली

ANNITHISWEEK.NEWS MAGAZINE 

संतोष यादव ‌हिमालयी हौसले

संतोष ने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरा घर टूटा-फूटा झोंपड़ा था। गाय के गोबर से दीवारों और फर्श को लीपा जाता था। मुझे पेंटिंग बनाने का शौक था। एक बार उत्तर काशी गई थी और वहां पहाड़ पर चढ़ते-उतरते लोगों की पेंटिंग बनाई। इसी क्रम में एक बार खुद भी कुछ ऊंचाई पर चली गई। वहां से मैंने प्रकृति का अद्भुत नजारा देखा और मन में पर्वतारोही बनने की इच्छा जागृत हो गई। इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा…
cereerसंतोष यादव भारत की एक पर्वतारोही हैं। वह माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली विश्व की प्रथम महिला हैं। उन्होने पहले मई 1992 में और तत्पश्चात मई सन् 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त की।
आरम्भिक जीवन एवं शिक्षा
संतोष यादव का जन्म जनवरी सन् 1969 में हरियाणा के रेवाड़ी जिले में हुआ था। उन्होंने महारानी कालेज जयपुर से शिक्षा प्राप्त की है। महारानी कालेज की स्थापना 1944 में हुई और यह 1962 में राजस्थान यूनिवर्सिटी से संबद्ध हुआ। यह कालेज देश के टॉप टेन कालेजों में शुमार है। वर्तमान में संतोष भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में एक पुलिस अधिकारी हैं। हरियाणा निवासी संतोष ने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरा घर टूटा-फूटा झोपड़ा था। गाय के गोबर से दीवारों और फर्श को लीपा जाता था। मुझे पेंटिंग बनाने का शौक था। एक बार उत्तर काशी गई थी और वहां पहाड़ पर चढ़ते-उतरते लोगों की पेंटिंग बनाई। इसी क्रम में एक बार खुद भी कुछ ऊंचाई पर चली गई। वहां से मैंने प्रकृति का अद्भुत नजारा देखा और मन में पर्वतारोही बनने की इच्छा जागृत हो गई। इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।  संतोष यादव ने दो बार माउंट एवेरस्ट की दुर्गम चढ़ाई पर अपनी जीत दर्ज की है। जिंदगी में मुश्किलों के अनगिनत थपेड़ों की मार से भी वह विचलित नहीं हुईं और अपनी इस हिम्मत की बदौलत माउंट एवरेस्ट की दो बार चढ़ाई करने वाली विश्व की पहली महिला बनीं। उनके इस अदम्य साहस के लिए उन्हें साल 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। हिमालय की चोटी पर पहुंचने का एहसास क्या होता है, इसे संतोष यादव ने दो बार जिया है। ऑन दि टॉप ऑफ दि वर्ल्ड जुमले का प्रयोग हम अकसर करते हैं पर इसके सार को असल मायनों में संतोष ने समझा, वह भी आज से डेढ़ दशक पहले अरावली की पहाडि़यों पर चढ़ते हुए कामगारों से प्रेरणा लेकर उन्होंने ऐसा करिश्मा कर दिखाया, जिसकी कल्पना खुद उन्होंने कभी नहीं की थी। हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गांव से निकल कर बर्फ  से ढके हुए हिमालय के शिखर का आलिंगन करने के यादगार लम्हे तक का सफर संतोष यादव के लिए उतार चढ़ाव भरा रहा।

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