Chavinder sharma annithisweek
दूध-दही से नहाए गौरां के नाथ
आनी — भारतीय हिंदू समाज का महाशिवरात्रि पर्व जिला कुल्लू के बाह्य सराज क्षेत्र आनी में भी बड़े हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। पर्व पर गांव में लोगों ने अपने घरों की साफ-सफाई कर मंडप सजाया जहां देवी-देवताओं की प्रतिमा के सम्मुख अनाज के ढेर लगाए गए और मंडप के कोने में नींबू प्रजाति के कैमटू नामक फल से तैयार शिव व पार्वती स्वरूप शिवलिंग जिसे स्थानीय भाषा में सैंई कहा जाता है। को टांगा गया, जिसमें विल्ब पत्र, जौ की पत्तियां तथा सरसों के फूल जोड़े गए। मंडप के पास ही गृहणियों द्वारा तेल में बनाए पकवान रोट, बड़े, सनसे, पकैन, बकरु आदि सजाए। सायंकाल में इस मंडप के पास तेल का दीपक जलाया गया और घर में परिवार के प्रत्येक सदस्यों ने धूप व ज्योति जलाकर शिव पार्वती गणपति व अपने इष्ट देवता की पूजा-अर्चना व आरती कर देवताओं से परिवार की सुखशांति व स्मृद्धि की कामना की। पूजा अर्चना के बाद लोगों ने अपना-अपना व्रत खोलकर भोजन ग्रहण किया, हालांकि कई लोग इस दिन बकरे का मीट व भात आदि खाते हैं, मगर अधिकतर लोग सादा शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करते हैं। भोजन से निवृत होने के बाद ग्रामीण हलकों में लोगों ने ढोलकी, चिमटा, कांसी आदि की थाप पर घर-घर में शिव-पार्वती, भगवान श्रीकृष्ण, भगवान श्रीराम व हनुमान आदि की लीलाओं को गाकर बखान किया, जिन्हें स्थानीय भाषा में जति अथवा आंचली कहा जाता है। जति को तीन चरणों में गाया जाता है, जिसमें प्रथम चरण में कृष्ण पद जिसके बोल हैं, कुण बीता चालअ बोला लंकालै बकिलि, जबकि द्वितीय चरण में नटाअक गाया जाता है, जिसके बोल हैं, ‘भोले शंभु जी मैं तेरे चरणा बंदु प्रभु जी’ इसी प्रकार तीसरे चरण को छैहुली के रूप में गाया जाता है, जिसके बोल हैं कदलू पाकै लाल भाऊआ मालगी रै कैड़े…। इन भजनों पर ग्रामीण मदमस्त होकर नाचते गाते हैं।
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