Sunday, 23 February 2014

DEVI MATA NAINADEVI BILASPUR

Devender Bilaspuri  Sundernagar

मां नयना देवी शक्तिपीठ

मान्यता है कि इसी जगह देवी सती के नयन गिरे थे। इसी वजह से यहां का नाम नयना देवी पड़ा। नयना देवी मंदिर शिवालिक श्रेणी की पहाडि़यों पर स्थित माता का विशाल और भव्य मंदिर है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। यह  देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल है…
नयना देवी हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि इसी जगह देवी सती के नयन गिर थे। इसी वजह से यहां का नाम नयना देवी पड़ा। नयना देवी मंदिर शिवालिक श्रेणी की पहाडि़यों पर स्थित माता का विशाल और भव्य मंदिर है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। यह देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 11 हजार मीटर है। मंदिर में लगा पुराना पीपल का पेड़ दर्शकों की श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के मेन गेट के दाईं तरफ भगवान गणेश और हनुमान की मूर्ति है, मेन गेट को पार करते ही दो शेर की मूर्तियां है, इन्हें माता के वाहन के तौर पर समझा जाता है। मंदिर में मुख्य रूप से तीन मूर्तियां हैं, दाईं तरफ  माता काली की, मध्य में नयना देवी की और बाईं ओर भगवान गणेश की प्रतिमा है। मंदिर से कुछ दूरी पर पवित्र तालाब है। मंदिर के पास एक गुफा भी है जिसे नयना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।
संबंधित कथाः नयना देवी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों में से एक है। भारत में कुल 51 शक्तिपीठ है। इन सभी की उत्पत्ति कथा एक ही है,ये सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुए हैं। कथाओं के अनुसार इन सभी जगहों पर देवी के अंग गिरे थे। शिव के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया, सती बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गई। वहां शिव के लिए अपमानजनक बातें सती सहन न कर सकीं और हवन कुंड में कूद गईं। सती के आत्मदाह का पता भगवान शिव को लगा तो उन्होंने वीरभद्र को यज्ञ का विध्वंस करने के लिए भेजा, जिसने संपूर्ण यज्ञ को तहस-नहस करके राजा दक्ष का शीश काट डाला। देवताओं ने महादेव की स्तुति करके उन्हें शांत किया और दक्ष को बकरे का सिर लगा कर पुनः जीवित कर दिया जिससे यज्ञ संपूर्ण हो सका। जब भगवान शंकर को इसका पता चला तो वो वहां आए और सती के शरीर को हवन कुंड से निकाल कर तांडव करने लगे, इस वजह से सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। ब्रह्मांड को संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बांट दिया, इसके बाद सती के जो अंग जहां गिरे वो शक्ति पीठ बन गए। माना जाता है कि नयना देवी में माता सती के नयन गिरे थे। नयना देवी मंदिर में नवरात्र का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्र में यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। श्रावण अष्टमी को भी यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

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