Wednesday, 26 February 2014

कम्प्यूटर-इंटरनेट का शौक Shivraj sharma

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जीवन में अहम भूमिका निभाता साइबर

आज युवा पीढ़ी ने इंटरनेट पर चैट और ई-मेल के सहारे अपनी एक अलग दुनिया बसा रखी है।दुनिया-जहान से काफी दूर, पूरी तरह से ख्वाबों की एक दुनिया। युवा पीढ़ी ने इंटरनेट की इस जादुई रंगत के सहारे ही न जाने कितने सपने अपने दिलोदिमाग में पाल रखे हैं। अब तकनीक की आधुनिकता के चलते इंटरनेट तक पहुंचने के लिए युवाओं को मारामारी करने की आवश्यकता नहीं है….
आज युवा पीढ़ी ने इंटरनेट पर चैट और ई-मेल के सहारे अपनी एक अलग दुनिया बसा रखी है। दुनिया-जहान से काफी दूर, पूरी तरह से ख्वाबों की एक दुनिया। युवा पीढ़ी ने इंटरनेट की इस जादुई रंगत के सहारे ही न जाने कितने सपने अपने दिलोदिमाग में पाल रखे हैं। अब तकनीक की आधुनिकता के चलते इंटरनेट तक पहुंचने के लिए युवाओं को मारामारी करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अब तो इंटरनेट व सभी सोशल साइटें मोबाइल पर ही उपलब्ध हैं, चाहे आप कहीं भी रहें घर में या आफिस में। आवश्यकता है एक ऐसे स्मार्ट फोन की जो आप को कुछ सेकंडों में ही पूरे विश्व से जोड़ देगा। यह शुरुआत है इंटरनेट पर दो युवाओं की मुलाकात की। इसके बाद नाम, पसंद, कैरियर और कभी-कभी प्यार भरी बातों का सिलसिला शुरू हो जाता है। आज हजारों किलोमीटर की दूरी के बावजूद साइबर प्रेम ऐसे पनप जाता है, जैसे आसपास गली में रहने वाले किसी साथी से। दिल्ली में रहने वाली अंजली यानी ब्यूटी (123) इंटरनेट पर इसी नाम से चैट करती है। अभी दसवीं कक्षा की छात्रा है। पिता एक बैंक में मैनेजर और माता भी किसी लिमिटेड कंपनी में अच्छी हैसियत रखती है। बाकी घर पर कोई है नहीं, अंजली बताती है कि अभी कुछ ही दिन पहले मैंने कम्प्यूटर-इंटरनेट का शौकपाला है। अब यह प्रतिदिन का नियम बन चुका है और बिना दो-चार घंटा कम्प्यूटर के साथ बिताए चैन ही नहीं मिलता है। हालांकि बहुत पहले से मेरे घर में यह सब था भी नहीं। बस यह शौक या नशा अभी-अभी जगा है। अंजली के अनुसार माता-पिता के घर पर न रहने पर देर रात तक अकसर मैं इंटरनेट के चैटरूम में फंसी रहती हूं। अब तो बात बहुत आगे तक पहुंच गई है। दिल्ली के अलावा मुंबई, कोलकाता और जापान, रूस, अमरीका इत्यादि में मेरे कई दोस्त बन गए हैं।

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