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छठी शताब्दी में चंबा की राजधानी था भरमौर
ऐसा माना जाता है कि छठी से दसवीं शताब्दी के दौरान भरमौर चंबा के राजाओं की राजधानी रहा। पहले इसे ब्रह्मपुर नाम से जाना
जाता था…
भरमौर- चंबा कस्बे से 42 मील की दूरी पर 7000 फीट की ऊंचाई पर भरमौर धार्मिक व ऐतिहासिक स्थान है। ऐसा माना जाता है कि छठी से दसवीं शताब्दी के दौरान भरमौर चंबा राजाओं की राजधानी रहा है। पहले इसे ब्रह्मपुर नाम से जाना जाता था। भरमौर अपने चौरासी मंदिरों के लिए विख्यात है। मुख्य मंदिरों में मणिमहेश , नारसिंग, हरिहर, महादेवश, लक्षणा देवी और गणेश मंदिर हैं। भरमौरवासी शिव के उपासक हैं। अतः भरमौर को शिवभूमि भी कहा जाता है। राजा साहिल वर्मा ने 84 योगियों के सम्मान में यहां चौरासी मंदिर बनाए थे तथा उन्हीं के आर्शीवाद से उसे पुत्र प्राप्त हुआ था।
व्यास गुफाः व्यास गुफा के कारण ही बिलासपुर का नाम पड़ा। यद्यपि बिलासपुर का पुराना शहर गोबिंदसागर झील में डूब चुका है, लेकिन यह गुफा अभी भी सुरक्षित है।
चिड़गांवः पब्बर और आंध्रा नदियों के संगम पर यह एक छोटा सा गांव है, जो रोहड़ू से 14 किलोमीटर दूर शिमला जिले में स्थित है। यहां आंध्रा जल विद्युत प्रोजेक्ट है तथा ट्राउट मछली विकास फार्म स्थापित किया गया है।
छतरूः यह स्थान भागसू से 6 किलोमीटर दूर नगरकोट से 5 मील की दूरी पर है। यहां पर बौद्ध स्तूपों के अवशेष मिले हैं। जिन्हें भीम टीला कहते हैं मंजी और गुरूलस नालों के मिलने के स्थान पर छतरू बसा है। यहां पर बुद्ध की प्रतिमाएं मिली हैं जिस से इस स्थान का बौद्ध धर्म से संबंध पाया जाता है। ये बुद्ध की प्रतिमाएं संग्रहालय में रखी गई हैं।
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