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सामाजिक और व्यावहारिक ज्ञान आवश्यक
वानिकी में कैरियर संबंधी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने जीएस शमेट से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश…
फोरेस्ट्री में कैरियर बनाने के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या होनी चाहिए?
फोरेस्ट्री में कैरियर बनाने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता विज्ञान विषय में दस जमा दो, न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। वानिकी महाविद्यालय, संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए हर वर्ष लिखित परीक्षा ली जाती है तथा परीक्षा में प्राप्त उपलब्धि के आधार पर प्रवेश दिया जाता है।
हिमाचल प्रदेश में फोरेस्ट्री से जुड़े किन क्षेत्रों में कैरियर बनाया जा सकता है?
हिमाचल प्रदेश में मुख्यतः वन विभाग में, वानिकी विज्ञान में कम से कम स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद, रेंज आफिसर, सहायक अरण्यपाल आदि पदों पर नियुक्ति करती है। इसके अतिरिक्त वानिकी विषय में एमएससी एवं पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर विश्वविद्यालय, वन सर्वेक्षण, भूमि संरक्षण, बैंक आदि क्षेत्रों में चयन की अपार संभावनाएं होती है। फिर राष्ट्रीय स्तर पर भी, विद्यार्थी आईएफएस क्लीयर करने के बाद प्रदेश वन प्रबंधन में अहम रोल अदा करते हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती एवं कारखानों/कंपनियों में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए कौन से व्यक्तिगत गुण होने आवश्यक हैं?
वानिकी क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए सबसे पहले अभ्यर्थी को इस विषय में गहन ज्ञान एवं रुचि का होना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, इससे संबंधित व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम व सुदृढ़ होना चाहिए, यानी उसमें अच्छी शारीरिक क्षमता का होना जरूरी है। (जैसे कि लंबी दूरी चलना, जंगली जानवरों का ज्ञान आदि) ।
इस क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियां क्या हैं?
वानिकी क्षेत्र में मुख्य चुनौतियां वनों का अंधाधुंध कटान, वर्षा का लगातार कम होना, मौसम बदलाव, (ग्लोबल वार्मिंग), अधिक वर्षा से भू-क्षरण व भूमि का बहना, वनों में आग लगना, वन भूमि पर प्राकृतिक आपदा, अतिक्रमण और यहां तक कि सरकारी विकास योजनाएं भी वनों को नष्ट करती है, जिससे प्रदेश को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का नुकसान होता है।
इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
दुनिया में आजकल प्रतिस्पर्धा का जमाना है। अतः वानिकी क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए आवश्यक है कि उसमें प्राकृतिक आपदाओं से जूझने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए उन्हें वानिकी विषय का गहन ज्ञान होना चाहिए। सामाजिक व व्यवहारिक चिंतन का होना भी जरूरी है।
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