बाबा सिद्ध चानो मंदिर
गरली के निकटवर्ती गांव डांगड़ा में महाबली बाबा सिद्ध चानो का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर विराजमान है। बाबा सिद्ध चानो इतने दयालु हैं कि वह अपने दरबार में सच्ची श्रद्धा से मन्नत मांगने वाले प्रत्येक श्रद्धालु की पुकार उसी वक्त सुनकर अपना फैसला सुना देते हैं। यही कारण है कि 1840 में बने इस प्राचीन मंदिर की प्रबल आस्था को देखते हुए यहां हिमाचल भर से ही नहीं बल्कि अन्य देशों से भी भक्त खींचे चले आते है। इस मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है। चाणूर नाम के एक मल्लयोद्धा की पत्नी का नाम लूणा था। चाणूर को मल्ल सम्राट की उपाधि हासिल थी, जिससे उसका नाम दूर-दूर तक मशहूर था। एक दिन की बात है कि जब राजा कंस ने दंगल महोत्सव करवाया तो उसमें भगवान श्रीकृष्ण व चाणूर को मल्लयुद्ध के लिए अखाडे़ में उतारा गया। चाणूर इतना बलवान था कि वह श्री कृष्ण के ऊपर हावी होता जा रहा था। बताते हैं कि यह मल्लयुद्ध लगातार कई दिनों तक चलता रहा। हार-जीत का कोई भी परिणाम सामने न आने पर भगवान श्री कृष्ण काफी मायूस हुए। उन्होंने विवश होकर भगवान शंकर का ध्यान किया और चाणूर को हराने का उपाय पूछा। तब मन ही मन भगवान शंकर ने उन्हें बताया कि चाणूर को हराने का राज लूणा जानती है। फिर भगवान श्री कृष्ण तुरंत अपना रूप बदलकर लूणा के पास पहुंच गए। लूणा तेजवान पुरुष को देखकर मोहित हो गई तब श्री कृष्ण ने छल से लूणा से चाणूर को हराने का सारा रहस्य जान लिया। इस तरह श्रीकृष्ण ने चाणूर को हराकर विजय प्राप्त की। धोखे से पराजित हुए चाणूर ने सोचा कि मेरे हारने का राज सिर्फ मेरी पत्नी जानती है और मेरे साथ जरूर कोई छल हुआ है। गुस्से से चाणूर ने लूणा को शाप दे कर मक्खी बना दिया। तभी भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य दर्शन देकर चाणूर का गुस्सा शांत किया। इसके साथ चाणूर को वरदान दिया कि तुम कलियुग में बाबा सिद्ध चानो के नाम से विख्यात होगे व जो भी भक्त आपके दरबार में कोई सहायता मांगेगा तुरंत उसकी मनोकामना पूरी होगी। तब से लेकर अब तक जो कोई भी बाबा के मंदिर में पुकार करता है उसको इंसाफ जरूर मिलता है। यहां हर शनिवार,मंगलवार और रविवार को मेले लगते हैं। लोग नई फसल का ओरा चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। घर में सुख और समृद्धि के लिए बाबा सिद्ध चानो के मंदिर में प्रार्थना करते हैं।
- रक्षपाल शर्मा , गरली
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