Wednesday, 26 February 2014

रघुनाथ मंदिरकुल्लू

अयोध्या से मंगाई थीरघुनाथ की मूर्ति

राजा जगत सिंह ने अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति लाकर राजमहल के पास एक मंदिर में स्थापित कर दी थी। राजपाठ सहित राजा  रघुनाथ जी का अनन्य भक्त बन गया और ब्रह्म हत्या से मुक्त हुआ…
रघुनाथ मंदिर — यह मंदिर   के साथ स्थित है। मंदिर के साथ यह कथा जुड़ी है कि राजा जगत सिंह के शासन काल के दौरान कुल्लू के टिप्परी गांव में दुर्गास्त नाम का ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। राजा के कुछ दरबारियों ने राजा के कान में यह झूठी बात डाल दी  थी कि इस ब्राह्मण के पास काफी मोतियों का खजाना है । कहते हैं कि राजा व उसके अधिकारी जब मणिकर्ण से वापस आ रहे थे तो ब्राह्मण ने अपनी झोंपड़ी में आग लगा ली और परिवार सहित जल गया। राजा को बाद में जब सच्चाई का पता चला तो बहुत दुख हुआ। राजा को सदा निरपराध ब्राह्मण की हत्या का ख्याल आता था। अंततः इस प्रकोप से बचने के लिए किसी महात्मा ने राजा को अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति कुल्लू लाकर स्थापित करने की सलाह दी। तभी राजा ब्रह्म हत्या से मुक्त हो सकता था। महात्मा के दामोदर नाम के शिष्य ने अयोध्या से रघुनाथ जी की मूर्ति लाई और राजमहल के पास एक मंदिर में स्थापित कर दी थी। राजपाठ सहित राजा रघुनाथ जी का अनन्य भक्त बन गया और ब्रह्म हत्या से मुक्त हुआ। रघुनाथ जी का ही कालांतर में कुल्लू में आधिपत्य रहा।

No comments:

Post a Comment