Bisheshwar Negi रामपुर बुशहर
इस रियासत के शासक भगवान श्रीकृष्ण के वंशज माने जाते हैं। रियासत के पहले राजा श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न हुए। प्रद्युम्न के राजा बनने से पूर्व पूर्व शोणितपुर (सराहन ) बाणासुर की राजधानी थी…
रामपुर-बुशहरः इतिहास राजा और महाराजाओं के किस्से कहानियों का मूक प्रहरी ‘‘पद्म पैलेस’’ यहां स्थित है। कला का यह अद्भुत उदाहरण जिसके लकड़ी के एक-एक टुकडे़ पर बारी नक्काशी यहां विद्यमान है। रामपुर रियासत की इससे सजीव और उत्कृष्ट कला-कृति शायद ही कोई होगी। इस रियासत के शासक भगवान श्रीकृष्ण के वंशज माने जाते थे। रियासत के पहले राजा यहां श्रीकृष्ण के पौत्र प्रद्युम्न हुए। छः हजार वर्ष पूर्व शोणितपुर (सराहन ) बाणासुर की राजधानी थी। बाणासुर का राज्य किन्नौर से लेकर तिब्बत की सीमा तक था। श्रीकृष्ण अपने पोते की तलाश में शोणितपुर पहुंचे। वहां उनका बाणासुर से युद्ध हुआ और बाणासुर मारा गया। श्रीकृष्ण ने बाणासुर की बेटी उषा का विवाह प्रद्युम्न से करके उसे शोणितपुर का राजा नियुक्त किया। इस राजा के बुशहर रियासत का वंश शुरू हुआ। कई उतार-चढ़ाव के बाद शोणितपुर से राजा ने रियासत की राजधानी रामपुर से एक किलोमीटर दूर कल्याणपुर बदली। शोणितपुर राजधानी राजा भूप सिंह के जमाने तक रही। महाराजा भूप सिंह रियासत का 112वां राजा था। रियासत की मुख्य गद्दी स्थल किन्नौर जिले के सांगला कामरू नामक स्थान पर निर्मित विशाल कामरू फोर्ट मानी जाती है। यह किला पांच मंजिला भवन है जिसमें अब देवी कामाख्या रहती है। रामपुर बुशहर वाया शिमला हो कर पहुंचा जा सकता है। यह शिमला से 120 किलोमीटर दूर स्थित है।
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