सेवा की मीत बनती गुरमीत
शिखर पर
खुदी को कर बुलंद इतना कि..खुदा भी आकर पूछे बता तेरी रजा क्या है...जी हां कुल्लू की बहादुर बेटी गुरमीत कौर पर यह पंक्तियां एकदम सटीक बैठती हैं। महिलाओं और युवाओं के उत्थान के लिए कार्य करने के लिए हाल ही में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से नवाजी गई गुरमीत की यह उपलब्धि समाज को आईना दिखाने जैसी है। दुनिया की सबसे पुरानी जम्हूरियतों में शुमार कुल्लू के मशहूर मलाणा गांव की महिलाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के गुरमीत के प्रयास रंग लाने लगे हैं। ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर बसे मलाणा की महिलाएं भांग की खेती छोड़कर सिलाई-कढ़ाई, बैग मेकिंग और ब्यूटिशियन जैसे व्यवसाय से जुड़कर स्वावलंबी बनने की राह पर है। इक्कीसवीं सदी में जहां कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी प्रतिभाएं अंतरिक्ष की उड़ान भर रही हैं, वहीं मलाणा में महिलाओं की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रसव के दौरान महिला घर से बाहर गोशाला या फिर खुले आसमान तले रहने को मजबूर हो जाती हैं यहां तक कि माहवारी के दिनों में भी यहां महिलाओं को घर के भीतर नहीं रखा जाता है। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की इसी दयनीय स्थिति को लेकर गुरमीत हर मंच पर आवाज बुलंद करती आई हैं। दरअसल वर्ष 2००8 में नटराज डेवेलपमेंट एंड प्रोटेक्शन सोसायटी के नाम से एनजीओ का गठन करने के बाद गुरमीत ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा है। मलाणा में छह माह का स्किल डेवेलपमेंट कैंप आयोजित करते हुए गुरमीत स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण देने के लिए डटी रहीं। दुर्लभ कणाशी बोली बोलने वाले मलाणावासियों में सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता लाना कभी भी आसान नहीं रहा, लेकिन इस दिशा में गुरमीत और उसकी टीम की कोशिशों के मायने रहे हैं। मलाणा की रहने वाली निर्मला, निर्मा, शीला ने बतौर ग्रुप लीडर सिलाई-कढ़ाई और ब्यूटीशियन का काम सीखा और आज कई स्थानीय महिलाओं को साथ जोड़ते हुए उन्हें आर्थिक स्वावलंबन की राह पर ले आई हैं। गुरमीत ने मलाणा में महिलाओं की सेहत सुधारने के लिए मेडिकल कैंप भी लगाए। चिकित्सकीय जांच में यह बात सामने आई कि यहां करीब अस्सी फीसदी लोग चर्म रोगों से ग्रसित हैं। कुल्लू के बड़ाग्रां, पीज, खुडीपंथ, सुमा बिहाली, लरांकेलो, गड़सा, शारणी, जिया, जरी, बाशिंग, तलाड़ा, कोठी चैहणी, लारजी, बाराहार, खड़ीहार, रूमसू, अरछंडी और प्रीणी समेत करीब तीन गांवों में स्किल डेवेलपमेंट के शिविरों का आयोजन करते हुए गुरमीत ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को सामाजिक आर्थिक स्वावलंबन के लिए प्रेरित करती आई हैं। यूथ को प्रमोट करने के इन्हीं प्रयासों को देखते हुए भारत सरकार ने पिछले साल युवा आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत गुरमीत को पड़़ोसी मुल्क चीन में भेजे गए भारतीय युवाओं के दल में प्रमुखता से जगह दी। गुरमीत कहती हैं कि बीजिंग समेत चीन के हर शहर, कस्बे और गांव के लोग मेहनतकश और जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं। उन्हें चीन में यह बात भा गई कि वहां महिलाओं को समाज में बंदिंशों से मुक्त रखा गया है, मसलन उन्हें अपना प्रोफेशन चुनने की पूरी आजादी है।
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