हेमलता के हौसले से जीवित हुई मृत मां
शिखर पर
आधा दर्जन से अधिक को रोजगार
हेमलता पठानिया ने अब गद्दे, रजाई व तलाई बनाने की छोटी सी यूनिट चलाई हुई है। इसमें आधा दर्जन से अधिक को रोजगार भी दिया है। यहां भी तीन लोग ऐसे हैं जो कि विकलांग हैं, लेकिन किसी के सहारे नहीं हैं।
विकलांग बच्चों के लिए खुलवाया स्कूल
हेमलता पठानिया ने 2008-09 में मंडी की एक पंचायत में 14 ऐसे विकलांग बच्चों को ढंूढ निकाला था, जो कि स्कूल नहीं जाते थे।
पहली आरटीआई कार्यकर्ता
हेमलता पठानिया पहली महिला सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं। गैर सरकारी संगठनों को आरटीआई के दायरे मंे लाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है।
कभी भी सरकारी व्यवस्था से नहीं डरी हेमलता
हेमलता कभी भी सरकार व प्रशासन से टकराने से पीछे नहीं हटी हैं। जब किसी ने नहीं सुनी तो फिर आरटीआई को हेमलता ने अपना हथियार बनाया है।
मुलाकात
आरटीआई महिलाओं के लिए एक हथियार की तरह है। अपने हक की लड़ाई लड़ने में महिलाओं को आरटीआई का सबसे अधिक सहारा है। इसकी मदद से मैंने कई महिलाओं को उनका हक दिलाया है।
कोई ऐसी घटना जिसने आपको सबसे ज्यादा सुकून दिया हो?
जंजैहली क्षेत्र की 100 प्रतिशत अपंग पवना देवी को न्याय दिलाना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि रही है। पवना देवी को आरटीआई की मदद से न सिर्फ मकान बनाने के लिए सरकार से सहायता राशि मिली, बल्कि लंबी लड़ाई लड़ने के बाद उनको सरकारी नौकरी भी मिल सकी।
विकलांग महिलाओं से क्या कहेंगी?
मेरा यही कहना है कि अगर ईश्वर ने हमसे कुछ छीना है तो हमें दिया भी बहुत कुछ है। हमारे जैसी हिम्मत और लगन आम लोगों में कहां होती है। इसलिए मैं यही कहंूगी कि मेरी तरह विकलांग महिलाएं डरे नहीं और न ही पीछे हटें, बल्कि आगे बढ़ने की के बारे में ही सोचंे। अपने हर सपने को पूरा करें और दूसरी महिलाओं की भी सहायता करती रहें।
भविष्य की क्या योजना है?
हर जिला में विकलांग भवन खुलें और विकलांगों के लिए स्वरोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलें, यही मेरा प्रयास रहेगा। जहां भी विकलांगों के साथ अन्याय होगा, वहां उनकी लड़ाई लड़ने का
प्रयास करूंगी।
प्रयास करूंगी।
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