पराशर मंदिर
पाराशर मंदिर तीन मंजिला और पगोडा शैली में बना मंदिर है । 2730 मीटर की उंचाई पर स्थित पाराशर झील के किनारे पर बने इस मंदिर की सुंदरता झील किनारे होने के कारण और भी बढ़ जाती है । मनाली के हिडिंबा मंदिर से मिलते जुलते हिमाचली शैली में बने इस मंदिर की यहां के लोगों के साथ -साथ देश विदेश से आने वाले सैलानियो में काफी मान्यता है। पूरे मंदिर के निर्माण में देवदार की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। कहा जाता है कि यह विशाल मंदिर का निर्माण राजा बानसेन ने करवाया था । मंदिर के किनारे पराशर झील मंडी जिले की सबसे उंचाई पर स्थित झील है । इस जगह से बर्फ से ढकी चोटियों के भी दर्शन हो जाते हैं। पराशर मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी कस्बे से 45 एवं कुल्लू से 70कि.मी. दूर स्थित हैं। पराशर मंदिर का निर्माण मंडी के राजा बानसेन ने 14 सताब्दी में करवाया था। यह मंदिर स्लेट की छत से बना हुआ हैं, इस मंदिर के परिसर में एक अत्यंत ही सुंदर झील एक लकड़ी की गुफा एवं एक प्राचीन मंदिर हैं। ये माना जाता हैं की यहां की सारी बीमारियां महर्षि पराशर ही दूर करते हैं, एवं यहां एक छोटा सा टापू भी हैं जो झील के बीच में हैं। ऐसा माना जाता हैं की वशिष्ठ ऋषि के पौत्र महिर्षि पराशर जिन्हें स्थानीय लोग पडासर भी कहते हैं यहां पर आए एवं तपस्या करके धरती से पानी निकाल दिया जिस वजह से ये झील हैं। ये पूरा क्षेत्र एक पहाड़ी इलाका हैं। सर्दियों में जब ये बर्फ से ढक जाता तो एक मनोरम नजारा पेश करता हैं। इस मंदिर के निर्माण के बारे में एक धारणा ये भी है की इस का निर्माण एक 6 महीने के बच्चे ने प्रारंभ किया और 18 वर्ष की आयु में समाप्त किया। ये पगोडिया स्टाइल का लकड़ी का मंदिर हैं। जो की देवदार लकड़ी से बनाया गया है। यहां पर हर वर्ष 13 से 15 जून को एक मेला लगता है जिसमे कई सैलानी देश विदेश से आते हैं।
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