Saturday, 22 February 2014

BETI BILASPUR KI

हैंडबॉल की स्नेही ‘स्नेहलता’

utsavघर में पशुओं को बांधने के लिए बनाए गए आंगन के एक कोने में गोलपोस्ट बनाकर रोजाना 3 से 4 घंटे अभ्यास कर देश व दुनिया में अपना परचम लहराने वाली बिलासपुर की हैंडबॉल खिलाड़ी स्नेहलता आज कई लड़कियों के लिए रोल मॉडल के रूप में सामने आई हैं। बिलासपुर के मोरसिंघी में माता मीरा देवी व पिता जगदीश सिंह के घर जन्मी स्नेहलता ने पहली बार 2002 में हैंडबॉल खेलना शुरू किया था, तब से लेकर अब तक स्नेहलता अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के कई मैचों में अपना लोहा मनवा चुकी हैं। अहम बात यह है कि स्नहेलता हैंडबॉल से पहले कबड्डी व डिस्क-थ्रो की बेहतरीन खिलाड़ी थी तथा इन खेलों में उन्होंने स्कूली स्तर पर कई रिकार्ड भी बनाए हैं। स्नेहलता की मानें तो 2002 में जब उन्होंने घुमारवीं कालेज में दाखिला लिया, तो कालेज प्रवक्ता डा. प्रवेश शर्मा ने उन्हें हैंडबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया तथा उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। स्नेहलता 11 बार सीनियर नेशनल, 7 बार इंटर यूनिवर्सिटी, नॉर्थ जोन व चाइना में हुए  एशियाई खेलों में भारत का नेतृत्व कर चुकी हैं। स्नेहलता वर्तमान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नवगांव में बतौर पोलटिकल साइंस प्रवक्ता कार्यरत हैं। उन्हें यह जॉब भी स्पोर्ट्स कोटे में मिली है।  स्नेहलता एक साधरण परिवार में जन्मी हैं, उनके पिता आईपीएच विभाग में कार्यरत है, जबकि माता गृिहणी हैं। स्नेहलता पढ़ाई के साथ-साथ अपने घर व खेतों के कार्य में भी निपुण थीं तथा रोजाना वह सिर पर गोबर का टोकरा उठाकर उसे फेंकने के लिए काफी दूर खेतों में जाया करती थीं। इस दौरान स्नहेलता अकेले ही कई घंटों तक अभ्यास करती रहती थीं। उन्होंने विश्वविद्यालय में एमए की पढ़ाई करने के बाद खाली समय में भी हैंडबॉल को नहीं छोड़ा तथा इसकी नियमित प्रैक्टिस करने के लिए गांव की ही कुछ लड़कियों को अपनी टीम में शामिल कर लिया। इसके अलावा वह अभ्यास करने के लिए बिलासपुर भी आती थीं। 2010 में स्नेहलता को शिक्षा विभाग में बतौर प्रवक्ता नौकरी मिल गई, लेकिन उनका मोह हैंडबॉल से भंग नहीं हुआ तथा स्कूल में हैंडबॉल गेम न होने के चलते वह गांव से ही आधा दर्जन से भी अधिक लड़कियों को अपने साथ सोलन के नवगांव ले गईं। स्नेहलता ने इन लड़कियों के लिए स्कूल में ही छात्रावास की व्यवस्था कर खुद भी उनके साथ रहना शुरू कर दिया। इसके साथ ही स्थानीय छात्राओं ने भी स्कूल में उनसे हैंडबॉल की बारीकियां सीखनी शुरू कर दीं। वर्तमान में स्नेहलता के पास 50 के करीब छात्राएं नवगांव में हैंडबॉल सीख रही हैं, जिनमें से 25 छात्राएं राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनकर उभरी हैं। हाल ही में बिलासपुर में हुई राष्ट्रीय अंडर-17 व 19 स्कूली हैंडबॉल प्रतियोगिता में स्नेहलता के पास सीख रहीं 18 लड़कियों ने न केवल भाग लिया, बल्कि दोनों ही प्रतियोगिताएं जीतकर हिमाचल के नाम दो गोल्ड भी किए।
छोटी सी मुलाकात
हैंडबॉल की ओर रुझान कैसे बढ़ा ?
खेल के प्रति रुझान बचपन से ही था, लेकिन कालेज में दाखिला लेने के बाद हैंडबॉल खेलना शुरू किया तथा इसे बाद में पैशन बना लिया।
यहां तक पहुंचने के लिए किसका योगदान अहम रहा ?
मुख्य रूप से असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रवेश शर्मा का, जिन्होंने मुझे इस खेल के प्रति प्रेरित किया तथा इसकी बारीकियां सिखाईं। साथ ही मेरे माता-पिता का सहयोग भी बराबर मिलता रहा।
खिलाडि़यों के लिए आपका क्या संदेश है ?
हैंडबॉल विश्व की सबसे फास्ट गेम है तथा विश्व भर में इसकी पहचान है। खिलाडि़यों को पूरी ईमानदारी व एक ललक के साथ अपना खेलना चाहिए।

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